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'''दुर्रानी''' अब्दाली वंश का दूसरा नाम है। जब [[अफ़ग़ानिस्तान]] के सुल्तान [[अहमदशाह अब्दाली]] (1747-1773 ई.) ने [[नादिरशाह]] की हत्या के पश्चात् शासन का भार ग्रहण किया, तब उसने गद्दी पर बैठते ही 'दुर्र-ये-दुर्रान' की पदवी धारण की। तभी से अब्दाली ख़ानदान को 'दुर्रानी' कहा जाने लगा।<br />
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*[[1747]] में [[कंदहार]] में अहमदशाह दुर्रानी, जिसे [[अहमदशाह अब्दाली]] भी कहा जाता है, ने दुर्रानी साम्राज्य स्थापित किया था जो अब्दाली कबीले का सरदार था। यह ईरान के [[नादिरशाह]] की फ़ौज में सिपहसलार था।
*सन [[1773]] में अहमदशाह की मृत्यु के बाद राज्य उसके पुत्रों ने चलाया, जिन्होने राजधानी को [[काबुल]] स्थानांतरित किया और पेशावर को अपनी शीतकालीन राजधानी बनाया।
*अहमदशाह दुर्रानी ने अपना साम्राज्य पश्चिम में [[ईरान]] के [[मशाद]] शहर से पूर्व में [[दिल्ली]] तक और उत्तर में [[आमू दरिया]] से दक्षिण में [[अरब सागर]] तक फैला दिया।


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14:57, 17 अप्रैल 2021 के समय का अवतरण

दुर्रानी अब्दाली वंश का दूसरा नाम है। जब अफ़ग़ानिस्तान के सुल्तान अहमदशाह अब्दाली (1747-1773 ई.) ने नादिरशाह की हत्या के पश्चात् शासन का भार ग्रहण किया, तब उसने गद्दी पर बैठते ही 'दुर्र-ये-दुर्रान' की पदवी धारण की। तभी से अब्दाली ख़ानदान को 'दुर्रानी' कहा जाने लगा।

  • 1747 में कंदहार में अहमदशाह दुर्रानी, जिसे अहमदशाह अब्दाली भी कहा जाता है, ने दुर्रानी साम्राज्य स्थापित किया था जो अब्दाली कबीले का सरदार था। यह ईरान के नादिरशाह की फ़ौज में सिपहसलार था।
  • सन 1773 में अहमदशाह की मृत्यु के बाद राज्य उसके पुत्रों ने चलाया, जिन्होने राजधानी को काबुल स्थानांतरित किया और पेशावर को अपनी शीतकालीन राजधानी बनाया।
  • अहमदशाह दुर्रानी ने अपना साम्राज्य पश्चिम में ईरान के मशाद शहर से पूर्व में दिल्ली तक और उत्तर में आमू दरिया से दक्षिण में अरब सागर तक फैला दिया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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