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*राष्ट्रमण्डल खेल, ब्रिटिश राष्ट्रमण्डल देशों के अन्तर्गत आयोजित होने वाली खेल प्रतियोगिता है।
{{राष्ट्रमंडल खेल}}
*19वें राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी [[नई दिल्ली]], [[भारत]] को सौंपी गई। इससे पहले [[भारत]] 1982 में एशियाई खेलों की मेजबानी कर चुका है। [[एशिया]] में भी यह [[1998]] के क्वालालंपुर, मलेशिया के बाद दूसरा बड़ा आयोजन है। <ref name="gov">{{cite web |url=http://bharat.gov.in/spotlight/spotlight_archive.php?id=48 |title=आधिकारिक वेबसाइट |accessmonthday=28 सितंबर |accessyear=2010 |last= |first= |authorlink= |format=पीएचपी |publisher= |language=हिन्दी }}</ref>
[[चित्र:CGF logo.jpg|thumb|220px|कॉमनवेल्थ गेस्म फ़ेडरेशन का प्रतीक चिह्न]]
*भारत में होने वाले 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में कुल 71 देश भाग लेंगे। [[2014]] में राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी ग्लासगो (स्कॉटलैण्ड और ब्रिटेन) में आयोजित होंगे।
'''राष्ट्रमण्डल खेल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Commonwealth Games'') ब्रिटिश राष्ट्रमण्डल देशों के अन्तर्गत आयोजित होने वाली खेल प्रतियोगिता है। 19वें राष्ट्रमंडल खेलों की मेज़बानी [[दिल्ली]], [[भारत]] को सौंपी गई। इससे पहले [[भारत]] 1982 में एशियाई खेलों की मेज़बानी कर चुका था। [[एशिया]] में भी यह [[1998]] के क्वालालंपुर, मलेशिया के बाद दूसरा बड़ा आयोजन था।<ref name="gov">{{cite web |url=http://bharat.gov.in/spotlight/spotlight_archive.php?id=48 |title=आधिकारिक वेबसाइट |accessmonthday=28 सितंबर |accessyear=2010 |last= |first= |authorlink= |format=पीएचपी |publisher= |language=[[हिन्दी]] }}</ref> भारत में हुए 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में कुल 71 देशों ने भाग लिया। 2014 में राष्ट्रमंडल खेलों की मेज़बानी ग्लासगो (स्कॉटलैण्ड और ब्रिटेन) को सौंपी गई।
 
==इतिहास==
==इतिहास==
*रिवरेंड एश्ले कूपर नाम के अंग्रेज़ अधिकारी ने ब्रिटिश हुकूमत वाले देशों में खेलों के एक महा आयोजन का विचार दिया था। उनका मानना था कि इससे इन देशों में खेल की भावना बढ़ेगी साथ ही लोगों के मन में ब्रिटिश हुकूमत के प्रति अच्छी भावना आएगी।  
*रिवरेंड एश्ले कूपर नाम के अंग्रेज़ अधिकारी ने ब्रिटिश हुकूमत वाले देशों में खेलों के एक महा आयोजन का विचार दिया था। उनका मानना था कि इससे इन देशों में खेल की भावना बढ़ेगी साथ ही लोगों के मन में ब्रिटिश हुकूमत के प्रति अच्छी भावना आएगी।  
*इसके बाद सन [[1928]] में कनाडियाई मूल के एथीलिट 'बॉबी रॉबिनसन' को पहले राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। यह खेल सन [[1930]] में ओंटारियो के हैमिलटन शहर में आयोजित किए गए थे, जिसमें ग्यारह देशों के 400 एथीलिटों ने हिस्सा लिया था। कनाडा इन खेलों का गवाह बना था।  
*इसके बाद सन् [[1928]] में कनाडियाई मूल के एथीलिट 'बॉबी रॉबिनसन' को पहले राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। यह खेल सन् [[1930]] में ओंटारियो के हैमिलटन शहर में आयोजित किए गए थे, जिसमें ग्यारह देशों के 400 एथीलिटों ने हिस्सा लिया था। कनाडा इन खेलों का गवाह बना था।  
*इसके बाद हर चौथे वर्ष राष्ट्रकुल खेलों का आयोजन किया जाने लगा था। सिर्फ दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इनका आयोजन नहीं किया जा सका था। इन खेलों को कई नामों से जाना जाता था, जैसेः '''ब्रिटिश साम्राज्य खेल''', '''मित्रता खेल''' तथा '''ब्रिटिश राष्ट्रकुल खेल'''।  
*इसके बाद हर चौथे वर्ष राष्ट्रकुल खेलों का आयोजन किया जाने लगा था। सिर्फ़ दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इनका आयोजन नहीं किया जा सका था। इन खेलों को कई नामों से जाना जाता था, जैसेः '''ब्रिटिश साम्राज्य खेल''', '''मित्रता खेल''' तथा '''ब्रिटिश राष्ट्रकुल खेल'''।  
*सन [[1978]] से इन खेलों को राष्ट्रकुल खेलों का स्थायी नाम दिया गया। सिर्फ एक प्रतिस्पर्धी खेलों का आयोजन रहने वाला यह समारोह कुआलालमपुर में आयोजित खेलों के बाद काफी बदल गया।  
*सन [[1978]] से इन खेलों को राष्ट्रकुल खेलों का स्थायी नाम दिया गया। सिर्फ़ एक प्रतिस्पर्धी खेलों का आयोजन रहने वाला यह समारोह [[कुआलालम्पुर]] में आयोजित खेलों के बाद काफ़ी बदल गया।  
*[[1998]] में मलेशिया के कुआलालमपुर में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में [[क्रिकेट]], [[हॉकी]] तथा [[नेटबॉल]] जैसे अन्य प्रसिद्ध खेलों को भी इसमें पहली बार शामिल किया गया। <ref name="gov">{{cite web |url=http://bharat.gov.in/spotlight/spotlight_archive.php?id=48 |title=आधिकारिक वेबसाइट |accessmonthday=28 सितंबर |accessyear=2010 |last= |first= |authorlink= |format=पीएचपी |publisher= |language=हिन्दी }}</ref>
*[[1998]] में [[मलेशिया]] के कुआलालम्पुर में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में [[क्रिकेट]], [[हॉकी]] तथा [[नेटबॉल]] जैसे अन्य प्रसिद्ध खेलों को भी इसमें पहली बार शामिल किया गया। <ref name="gov">{{cite web |url=http://bharat.gov.in/spotlight/spotlight_archive.php?id=48 |title=आधिकारिक वेबसाइट |accessmonthday=28 सितंबर |accessyear=2010 |last= |first= |authorlink= |format=पीएचपी |publisher= |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
*[[2001]] से राष्ट्रकुल खेलों में मानवता, समानता तथा भाग्य को मूलमंत्र बना लिया गया। इन मूल्यों के आधार पर इन खेलों से हजारों लोगों को जोड़ने तथा इसे राष्ट्रमंडल के भीतर ही आयोजित करने के लिए व्यापक जनादेश चलाया गया।
*[[2001]] से राष्ट्रकुल खेलों में मानवता, समानता तथा भाग्य को मूलमंत्र बना लिया गया। इन मूल्यों के आधार पर इन खेलों से हज़ारों लोगों को जोड़ने तथा इसे राष्ट्रमंडल के भीतर ही आयोजित करने के लिए व्यापक जनादेश चलाया गया।
==शुभंकर==
राष्ट्रमंडल खेलों में शुभंकर और आदर्श वाक्य हमेशा ही आकर्षण का केंद्र रहे हैं। शुभंकर अपनी उपस्थिति से खेल आयोजन को मनोरंजन से पूर्ण और दिलचस्प बना देते हैं। उनका प्यारा, गोल-मटोल स्वभाव, मनमोहक नृत्य गतिविधियाँ और भीड़ में बस एक लहर दर्शकों में उत्साह की लहर बिखेर देती है। हालांकि, भीड़ का मनोरंजन करने की तुलना में शुभंकरों का बहुत अधिक महत्व है। शुभंकर खेल के रवैये और स्वभाव को भी प्रस्तुत करते हैं। आदर्श वाक्य छोटे लेकिन मजबूत बयान हैं, जिनका उल्लेख राष्ट्रमंडल खेलों (कॉमनवेल्थ गेम्स) में किया गया है। यह दुनिया भर में संदेश फैलाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। सन [[1978]] से ही राष्ट्रमंडल खेलों के प्रत्येक संस्करण में एक शुभंकर अवश्य होता है।
{| width="98%" cellpadding=2 cellspacing=2 class="bharattable-purple"
|+वर्षवार शुभंकर व आदर्श वाक्य
! '''क्रमांक'''
! '''संस्करण'''
! '''मेजबान'''
! '''शुभंकर'''
! '''विवरण'''
! '''मोटो'''
|-
| 1. || [[1978]] || एडमोंटन, कनाडा || कीनो || एक भूरा भालू || कनाडा राष्ट्रमंडल का स्वागत करता है
|-
|2. || [[1982]] || ब्रिस्बेन, [[ऑस्ट्रेलिया]] || मटिल्डा || एक कंगारू || दोस्ताना खेल
|-
|3. || [[1986]] || एडिनबर्ग, स्कॉटलैंड || स्कॉटी || एक स्कॉटिश टेरियर || -
|-
|4. || [[1990]] || ऑकलैंड, न्यूजीलैंड || गोल्डी || एक कीवी पक्षी || यही उपयुक्त अवसर है
|-
|5. || [[1994]] || विक्टोरिया, कनाडा || क्ली विक || एक ओर्का || आत्मा को पकड़ो
|-
|6. || [[1998]] || [[कुआलालम्पुर]], [[मलेशिया]] || चक्कर || एक संतरे || हम सब मिलकर इस पल को गौरवान्वित करेंगे
|-
|7. || [[2002]] || मैनचेस्टर, [[इंग्लैंड]] || किट || एक डेवोन रेक्स || दोस्ती की आत्मा
|-
|8. || [[2006]] || मेलबर्न, [[ऑस्ट्रेलिया]] || करक || एक लाल पूंछ वाला काला कॉकटू || इस समय संयुक्त
|-
|9. || [[2010]] || [[दिल्ली]], [[भारत]] || शेरा || एक [[बाघ]] || बाहर निकलो और खेलो
|-
|10. || [[2014]] || ग्लासगो, स्कॉटलैंड || क्लाइड || एक थीस्ल || जो है सामने रखो
|-
|11. || [[2018]] || गोल्ड कोस्ट, [[ऑस्ट्रेलिया]] || बोरोबिक || ए कोआला || सपना साझा करें
|-
|12. || [[2022]] || बर्मिंघम, [[इंग्लैंड]] || पैरी || एक बैल || सभी के लिए खेल
|}
{{राष्ट्रमंडल खेल में भारत का प्रदर्शन}}
==क्वींस बैटन रिले==
==क्वींस बैटन रिले==
क्वींस बैटन रिले, राष्ट्रमंडल खेलों की आधिकारिक शुरुआत के तौर पर आयोजित की जाती है। इसकी शुरुआत 1958 में कार्डिफ से हुई थी। ओलम्पिक की मशाल की तरह कॉमनवेल्थ खेलों से पहले शुरु होने वाली मशाल यात्रा को 'क्वींस बैटन रिले' कहा जाता है। लन्दन के बर्किघम पैलेस से शुरु होने वाली बैटन रिले के साथ कॉमनवेल्थ प्रमुख (ब्रिटेन की महारानी एलिजावेथ) का सन्देश भी होता है। बैटन रिले इस बात का प्रतीक है कि सभी राष्ट्रकुल देश, खेलों के इस महाआयोजन में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं। बैटन रिले की शुरुआत लंदन के बकिंघम महल से की जाती है। एथलीट खिलाडियों के लिए '''महारानी एलीजाबेथ द्वितीय''' के संदेशयुक्त यह बैटन पहले मानद धावक को दी जाती है। यह बैटन रिले खेलों के शुभारंभ पर जाकर समाप्त होती है। इसके बाद इस बैटन को महारानी या उनके प्रतिनिधियों के हवाले कर दिया जाता है और उसमें रखा महारानी का संदेश सभी को सुनाया जाता है। इसी के साथ रिले दौड़ समाप्त होती है और राष्ट्रमंडल खेलों का शुभारंभ हो जाता है। <ref name="gov">{{cite web |url=http://bharat.gov.in/spotlight/spotlight_archive.php?id=48 |title=आधिकारिक वेबसाइट |accessmonthday=28 सितंबर |accessyear=2010 |last= |first= |authorlink= |format=पीएचपी |publisher= |language=हिन्दी }}</ref>
क्वींस बैटन रिले, राष्ट्रमंडल खेलों की आधिकारिक शुरुआत के तौर पर आयोजित की जाती है। इसकी शुरुआत 1958 में कार्डिफ से हुई थी। ओलम्पिक की मशाल की तरह कॉमनवेल्थ खेलों से पहले शुरू होने वाली मशाल यात्रा को 'क्वींस बैटन रिले' कहा जाता है। लन्दन के बर्किघम पैलेस से शुरू होने वाली बैटन रिले के साथ कॉमनवेल्थ प्रमुख (ब्रिटेन की महारानी एलिजावेथ) का सन्देश भी होता है। बैटन रिले इस बात का प्रतीक है कि सभी राष्ट्रकुल देश, खेलों के इस महाआयोजन में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं। बैटन रिले की शुरुआत लंदन के बकिंघम महल से की जाती है। एथलीट खिलाडियों के लिए '[[महारानी एलिजाबेथ द्वितीय]]' के संदेशयुक्त यह बैटन पहले मानद धावक को दी जाती है। यह बैटन रिले खेलों के शुभारंभ पर जाकर समाप्त होती है। इसके बाद इस बैटन को महारानी या उनके प्रतिनिधियों के हवाले कर दिया जाता है और उसमें रखा महारानी का संदेश सभी को सुनाया जाता है। इसी के साथ रिले दौड़ समाप्त होती है और राष्ट्रमंडल खेलों का शुभारंभ हो जाता है। <ref name="gov">{{cite web |url=http://bharat.gov.in/spotlight/spotlight_archive.php?id=48 |title=आधिकारिक वेबसाइट |accessmonthday=28 सितंबर |accessyear=2010 |last= |first= |authorlink= |format=पीएचपी |publisher= |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
==19वें राष्ट्रमंडल खेल==
==19वें राष्ट्रमंडल खेल==
{{Main|राष्ट्रमंडल खेल 2010}}
{{Main|राष्ट्रमंडल खेल 2010}}
[[चित्र:Commonwealth-Games-2010-logo.png|thumb|200px|प्रतीक चिन्ह, दिल्ली राष्ट्रमंडल खेल 2010]]
[[चित्र:Commonwealth-Games-2010-logo.png|thumb|200px|प्रतीक चिह्न, [[राष्ट्रमंडल खेल 2010|दिल्ली राष्ट्रमंडल खेल 2010]]]]
3 अक्टूबर से 14 अक्टूबर 2010 को होने वाले 19वें राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी [[नई दिल्ली]] को सौंपी गई है। विभिन्न खेलों के लिए आयोजित किया जाने वाला यह अब तक का सबसे बड़ा आयोजन है। [[भारत]] पूरे तीन दशकों बाद ऐसे किसी आयोजन का मेजबान बनने जा रहा है। इससे पहले भारत 1982 में एशियाई खेलों की मेजबानी कर चुका है खेलों का शुभारंभ [[दिल्ली]] के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम से किया जाएगा। क्वींस बैटन रिले दिल्ली 2010 की शुरुआत [[29 अक्टूबर]] [[2009]] में लंदन में हुई थी, जब भारत के ओलिंपिक स्वर्ण पदक विजेता [[अभिनव बिंद्रा]] को यह बैटन दी गई थी। यह रिले 340 दिनों में अपना सफर पूरा करके नई दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम पहुंचकर समाप्त होगी। इसी स्टेडियम में 19वें राष्ट्रमंडल खेलों की शुरुआत 3 अक्टूबर, 2010 से होगी। इस दौरान बैटन, दुनिया के एक तिहाई देशों से होते हुए 190,000 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय करेगा। बैटन का यह सफर परिवहन के हर संभव माध्यम जैसे हवा, पानी और जमीन के रास्ते से होते हुए हजारों हाथों से गुजरेगा। यह मैराथन 240 दिनों में 70 देशों से होते हुए भारत पहुंचेगा और यहां पर यह पूरे 100 दिनों तक देश के सभी राज्यों की राजधानी तथा केंद्र शासित राज्यों से होते हुए अंततः आयोजन स्थल दिल्ली पहुंचेगा। क्वींस बैटन 2010 दिल्ली को भारतीयता के भाव, सद्भाव, विकास तथा विविधता के रंग में रंगा गया है। इसे हस्तशिल्प तथा उन्नत किस्म की इंजीनियरिंग व तकनीक का इस्तेमाल करके बनाया गया है। यह बैटन एल्यूमीनियम से त्रिकोणकार बनाई गई है। इसे हेलिक्स के रूप में ऊपर से मोड़ा गया है। इस पर भारत के सभी कोनों में मिलने वाली मिट्टी के रंग का लेपन भी किया गया है। <ref name="gov">{{cite web |url=http://bharat.gov.in/spotlight/spotlight_archive.php?id=48 |title=आधिकारिक वेबसाइट |accessmonthday=28 सितंबर |accessyear=2010 |last= |first= |authorlink= |format=पीएचपी |publisher= |language=हिन्दी }}</ref>
3 अक्टूबर से 14 अक्टूबर 2010 को आयोजित हुए 19वें राष्ट्रमंडल खेलों की मेज़बानी [[नई दिल्ली]] की। विभिन्न खेलों के लिए आयोजित किया जाने वाला यह अब तक का सबसे बड़ा आयोजन था। [[भारत]] पूरे तीन दशकों बाद ऐसे किसी आयोजन का मेज़बान बना। इससे पहले भारत 1982 में एशियाई खेलों की मेज़बानी कर चुका है। खेलों का शुभारंभ [[दिल्ली]] के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में हुआ। क्वींस बैटन रिले दिल्ली 2010 की शुरुआत [[29 अक्टूबर]] [[2009]] में लंदन में हुई थी, जब भारत के ओलिंपिक स्वर्ण पदक विजेता [[अभिनव बिंद्रा]] को यह बैटन दी गई थी। यह रिले 340 दिनों में अपना सफर पूरा करके नई दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम पहुंचकर समाप्त हुई। इस दौरान बैटन ने दुनिया के एक तिहाई देशों से होते हुए 190,000 किलोमीटर से ज़्यादा की दूरी तय की। बैटन का यह सफर परिवहन के हर संभव माध्यम जैसे हवा, पानी और ज़मीन के रास्ते से होते हुए हज़ारों हाथों से गुजरा। यह मैराथन 240 दिनों में 70 देशों से होते हुए भारत पहुँचा और यहाँ पर यह पूरे 100 दिनों तक देश के सभी राज्यों की राजधानी तथा केंद्र शासित राज्यों से होते हुए अंततः आयोजन स्थल दिल्ली पहुँचा। क्वींस बैटन 2010 दिल्ली को भारतीयता के भाव, सद्भाव, विकास तथा विविधता के रंग में रंगा गया। इसे हस्तशिल्प तथा उन्नत किस्म की इंजीनियरिंग व तकनीक का इस्तेमाल करके बनाया गया। यह बैटन एल्यूमीनियम से त्रिकोणकार बनाई गई। इसे हेलिक्स के रूप में ऊपर से मोड़ा गया। इस पर भारत के सभी कोनों में मिलने वाली मिट्टी के रंग का लेपन भी किया गया <ref name="gov">{{cite web |url=http://bharat.gov.in/spotlight/spotlight_archive.php?id=48 |title=आधिकारिक वेबसाइट |accessmonthday=28 सितंबर |accessyear=2010 |last= |first= |authorlink= |format=पीएचपी |publisher= |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
==राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का प्रदर्शन==
==राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का प्रदर्शन==
[[चित्र:Milkhasingh-01.jpg|150px|thumb|मिलखा सिंह]]
[[चित्र:Milkhasingh-01.jpg|150px|thumb|[[मिलखा सिंह]]]]
भारत के लिए [[2002]] के राष्ट्रमंडल खेल सबसे क़ामयाब रहे हैं। [[2002]] में मैनचेस्टर में भारतीय एथलीटों ने अपना जलवा दिखाया और कुल मिलाकर 69 पदक अपनी झोली में डाले। भारत ने 30 स्वर्ण, 22 रजत और 17 कांस्य पदक जीते। अंक तालिका में भारत चौथे स्थान पर रहा। [[1990]] में भारतीय दल मज़बूत बनकर उभरा जब उसने 13 स्वर्ण समेत 32 पदक जीते थे। लेकिन [[1994]] ख़ास अच्छा नहीं रहा और भारत के हिस्से में सिर्फ़ 24 पदक ही आ सके। भारत ने अब तक 18 में से 14 संस्करणों में हिस्सा लिया और कुल 102 स्वर्ण पदक जीते हैं।  
भारत के लिए [[2002]] के राष्ट्रमंडल खेल सबसे कामयाब रहे हैं। [[2002]] में मैनचेस्टर में भारतीय एथलीटों ने अपना जलवा दिखाया और कुल मिलाकर 69 पदक अपनी झोली में डाले। भारत ने 30 स्वर्ण, 22 रजत और 17 कांस्य पदक जीते। अंक तालिका में भारत चौथे स्थान पर रहा। [[1990]] में भारतीय दल मज़बूत बनकर उभरा जब उसने 13 स्वर्ण समेत 32 पदक जीते थे। लेकिन [[1994]] ख़ास अच्छा नहीं रहा और भारत के हिस्से में सिर्फ़ 24 पदक ही आ सके। भारत ने अब तक 18 में से 14 संस्करणों में हिस्सा लिया और कुल 102 स्वर्ण पदक जीते हैं।  
 
====पहला स्वर्ण====
====पहला स्वर्ण====
उड़न सिख [[मिल्खा सिंह]] ने भारत को राष्ट्रमंडल खेलों में पहला स्वर्ण पदक दिलाया था। उन्होंने [[1958]] में कार्डिफ़ में हुए खेलों में 400 मीटर की दौड़ में गोल्ड जीता था। हालाँकि इन खेलों में पहले पदक का रिकार्ड '''रशीद अनवर''' के नाम पर दर्ज है, जिन्होंने [[1934]] में लन्दन में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक हासिल किया था। अपने पहले राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का यह अकेला पदक था।
उड़न सिख [[मिल्खा सिंह]] ने भारत को राष्ट्रमंडल खेलों में पहला स्वर्ण पदक दिलाया था। उन्होंने [[1958]] में कार्डिफ़ में हुए खेलों में 400 मीटर की दौड़ में गोल्ड जीता था। हालाँकि इन खेलों में पहले पदक का रिकार्ड '''रशीद अनवर''' के नाम पर दर्ज है, जिन्होंने [[1934]] में लन्दन में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक हासिल किया था। अपने पहले राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का यह अकेला पदक था।
====सबसे आगे समरेश जंग====
====सबसे आगे समरेश जंग====
शूटर [[समरेश जंग]] ने राष्ट्रमंडल खेलों में सबसे ज़्यादा पाँच पदक जीते हैं। [[2006]] के मेलबर्न गेम्स में समरेश ने व्यक्तिगत स्पर्धाओं के अलावा [[जसपाल राणा]] और [[गगन नारंग]] के साथ टीम स्पर्धा के स्वर्ण पर भी निशाना साधा। उन्होंने एक रजत और एक कांस्य पदक भी जीता। किसी भी शूटर के नाम पर यह एक रिकॉर्ड है।
शूटर [[समरेश जंग]] ने राष्ट्रमंडल खेलों में सबसे ज़्यादा पाँच पदक जीते हैं। [[2006]] के मेलबर्न गेम्स में समरेश ने व्यक्तिगत स्पर्धाओं के अलावा [[जसपाल राणा]] और [[गगन नारंग]] के साथ टीम स्पर्धा के स्वर्ण पर भी निशाना साधा। उन्होंने एक रजत और एक कांस्य पदक भी जीता। किसी भी शूटर के नाम पर यह एक रिकॉर्ड है।
[[चित्र:Samresh-Jung.jpg|thumb|150px|समरेश जंग]]
[[चित्र:Samresh-Jung.jpg|thumb|150px|समरेश जंग]]
==सबसे बड़ा आयोजन==
*एशियाई खेल-1982 के बाद राष्ट्रमंडल खेल भारत का सबसे बड़ा टूर्नामेंट था। राष्ट्रमंडल खेल अधिकांशत: अमीर देशों में ही होते हैं। सिर्फ़ जमैका ने [[1966]] और मलेशिया ने [[1998]] में इनके आयोजन की हिम्मत दिखाई थी। लेकिन उस वक़्त इतना ख़र्च नहीं आया था।
*स्वतंत्र भारत ने पहली बार इन खेलों में 1954 में भाग लिया था। लेकिन वह कोई भी पदक नहीं जीत सका था। भारत ने पहली बार ब्रिटिश ध्वज तले 1934 में खेलों में भाग लिया था।
*[[1934]] में दूसरे गेम्स लन्दन में कराए गए। हालाँकि पहले इन खेलों की मेज़बानी [[दक्षिण अफ़्रीका]] को दी गई थी, लेकिन उसकी रंगभेद की नीति के कारण इन खेलों को लन्दन स्थानान्तरित कर दिया गया।
*[[1954]] में वेंकुवर गेम्स में [[इंग्लैण्ड]] के मैराथन धावक जिम पीटर्स अपने क़रीबी प्रतिद्वन्द्वी से 17 मिनट आगे होने के बावजूद अन्तिम लैप में गिरने के कारण स्वर्ण पदक से चूक गए थे।
*1962 में पर्थ में उस साल नवम्बर के इन दिनों में इतनी गर्मी पड़ी थी कि 65 साल के सारे पिछले रिकॉर्ड टूट गए थे और तापमान क़रीब 41 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया। भारत ने इन खेलों में भाग नहीं लिया था।
*1966 में किंग्सटन (जमैका) में पहली बार राष्ट्रमंडल खेल गोरे लोगों के देश से निकलकर किसी अफ़्रीकी देश में हुए।


====खेलों की सूची====
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
19वें राष्ट्रमंडल खेलों में लॉन टेनिस को पहली बार शामिल किया गया है। हॉकी भी मुख्य स्पर्धा के तौर पर होगी, जिसे 1998 के कुआलालंपुर में अस्थायी रूप से शामिल किया गया था। दिल्ली में होने वाले खेलों में महिला और पुरुष दोनों स्पर्धाएँ होंगी। रग्बी सेवन और लॉन बॉल भारतीय के लिए ख़ास आकर्षण होंगी। खेलों की सूची में 17 खेल शामिल हैं, जो इस प्रकार है-
#तीरंदाजी,
#एक्वेटिक्स,
#एथलेटिक्स,
#बैडमिंटन,
#बॉक्सिंग,
#साइकिलिंग,
#जिमनास्टिक,
#[[हॉकी]],
#लॉन बाउल,
#नेटबॉल,
#रग्बी सेवेन,
#शूटिंग,
#स्क्वॉश,
#टेबल टेनिस,
#टेनिस,
#भारोत्तोलन और
#कुश्ती
*विशिष्ट विकलांग एथलिटों के लिए 4 खेलों में 15 स्पर्धाएं आयोजित होंगी। इनमें एथलेटिक्स, तैराकी, पॉवरलिफ्टिंग और टेबल टेनिस है।
 
{{लेख प्रगति
|आधार=
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3
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|पूर्णता=
|शोध=
}}
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
पंक्ति 62: पंक्ति 74:
*[http://www.bharat.gov.in/outerwin.php?id=http://www.thecgf.com/ Commonwealth Games Federation]
*[http://www.bharat.gov.in/outerwin.php?id=http://www.thecgf.com/ Commonwealth Games Federation]
*[http://yas.nic.in/writereaddata/mainlinkfile/File728.pdf Commonwealth Games Delhi 2010]
*[http://yas.nic.in/writereaddata/mainlinkfile/File728.pdf Commonwealth Games Delhi 2010]
[[Category:नया पन्ना]]
==संबंधित लेख==
{{खेल}}
[[Category:राष्ट्रमंडल खेल]]
[[Category:खेलकूद कोश]]
[[Category:खेलकूद कोश]]
[[Category:खेल]]
__INDEX__
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__NOTOC__
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07:00, 14 सितम्बर 2022 के समय का अवतरण

राष्ट्रमंडल खेल राष्ट्रमंडल खेल 2010 उपलब्धियाँ
कॉमनवेल्थ गेस्म फ़ेडरेशन का प्रतीक चिह्न

राष्ट्रमण्डल खेल (अंग्रेज़ी: Commonwealth Games) ब्रिटिश राष्ट्रमण्डल देशों के अन्तर्गत आयोजित होने वाली खेल प्रतियोगिता है। 19वें राष्ट्रमंडल खेलों की मेज़बानी दिल्ली, भारत को सौंपी गई। इससे पहले भारत 1982 में एशियाई खेलों की मेज़बानी कर चुका था। एशिया में भी यह 1998 के क्वालालंपुर, मलेशिया के बाद दूसरा बड़ा आयोजन था।[1] भारत में हुए 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में कुल 71 देशों ने भाग लिया। 2014 में राष्ट्रमंडल खेलों की मेज़बानी ग्लासगो (स्कॉटलैण्ड और ब्रिटेन) को सौंपी गई।

इतिहास

  • रिवरेंड एश्ले कूपर नाम के अंग्रेज़ अधिकारी ने ब्रिटिश हुकूमत वाले देशों में खेलों के एक महा आयोजन का विचार दिया था। उनका मानना था कि इससे इन देशों में खेल की भावना बढ़ेगी साथ ही लोगों के मन में ब्रिटिश हुकूमत के प्रति अच्छी भावना आएगी।
  • इसके बाद सन् 1928 में कनाडियाई मूल के एथीलिट 'बॉबी रॉबिनसन' को पहले राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। यह खेल सन् 1930 में ओंटारियो के हैमिलटन शहर में आयोजित किए गए थे, जिसमें ग्यारह देशों के 400 एथीलिटों ने हिस्सा लिया था। कनाडा इन खेलों का गवाह बना था।
  • इसके बाद हर चौथे वर्ष राष्ट्रकुल खेलों का आयोजन किया जाने लगा था। सिर्फ़ दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इनका आयोजन नहीं किया जा सका था। इन खेलों को कई नामों से जाना जाता था, जैसेः ब्रिटिश साम्राज्य खेल, मित्रता खेल तथा ब्रिटिश राष्ट्रकुल खेल
  • सन 1978 से इन खेलों को राष्ट्रकुल खेलों का स्थायी नाम दिया गया। सिर्फ़ एक प्रतिस्पर्धी खेलों का आयोजन रहने वाला यह समारोह कुआलालम्पुर में आयोजित खेलों के बाद काफ़ी बदल गया।
  • 1998 में मलेशिया के कुआलालम्पुर में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में क्रिकेट, हॉकी तथा नेटबॉल जैसे अन्य प्रसिद्ध खेलों को भी इसमें पहली बार शामिल किया गया। [1]
  • 2001 से राष्ट्रकुल खेलों में मानवता, समानता तथा भाग्य को मूलमंत्र बना लिया गया। इन मूल्यों के आधार पर इन खेलों से हज़ारों लोगों को जोड़ने तथा इसे राष्ट्रमंडल के भीतर ही आयोजित करने के लिए व्यापक जनादेश चलाया गया।

शुभंकर

राष्ट्रमंडल खेलों में शुभंकर और आदर्श वाक्य हमेशा ही आकर्षण का केंद्र रहे हैं। शुभंकर अपनी उपस्थिति से खेल आयोजन को मनोरंजन से पूर्ण और दिलचस्प बना देते हैं। उनका प्यारा, गोल-मटोल स्वभाव, मनमोहक नृत्य गतिविधियाँ और भीड़ में बस एक लहर दर्शकों में उत्साह की लहर बिखेर देती है। हालांकि, भीड़ का मनोरंजन करने की तुलना में शुभंकरों का बहुत अधिक महत्व है। शुभंकर खेल के रवैये और स्वभाव को भी प्रस्तुत करते हैं। आदर्श वाक्य छोटे लेकिन मजबूत बयान हैं, जिनका उल्लेख राष्ट्रमंडल खेलों (कॉमनवेल्थ गेम्स) में किया गया है। यह दुनिया भर में संदेश फैलाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। सन 1978 से ही राष्ट्रमंडल खेलों के प्रत्येक संस्करण में एक शुभंकर अवश्य होता है।

वर्षवार शुभंकर व आदर्श वाक्य
क्रमांक संस्करण मेजबान शुभंकर विवरण मोटो
1. 1978 एडमोंटन, कनाडा कीनो एक भूरा भालू कनाडा राष्ट्रमंडल का स्वागत करता है
2. 1982 ब्रिस्बेन, ऑस्ट्रेलिया मटिल्डा एक कंगारू दोस्ताना खेल
3. 1986 एडिनबर्ग, स्कॉटलैंड स्कॉटी एक स्कॉटिश टेरियर -
4. 1990 ऑकलैंड, न्यूजीलैंड गोल्डी एक कीवी पक्षी यही उपयुक्त अवसर है
5. 1994 विक्टोरिया, कनाडा क्ली विक एक ओर्का आत्मा को पकड़ो
6. 1998 कुआलालम्पुर, मलेशिया चक्कर एक संतरे हम सब मिलकर इस पल को गौरवान्वित करेंगे
7. 2002 मैनचेस्टर, इंग्लैंड किट एक डेवोन रेक्स दोस्ती की आत्मा
8. 2006 मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया करक एक लाल पूंछ वाला काला कॉकटू इस समय संयुक्त
9. 2010 दिल्ली, भारत शेरा एक बाघ बाहर निकलो और खेलो
10. 2014 ग्लासगो, स्कॉटलैंड क्लाइड एक थीस्ल जो है सामने रखो
11. 2018 गोल्ड कोस्ट, ऑस्ट्रेलिया बोरोबिक ए कोआला सपना साझा करें
12. 2022 बर्मिंघम, इंग्लैंड पैरी एक बैल सभी के लिए खेल
राष्ट्रमंडल खेल में भारत का प्रदर्शन
वर्ष मेजबान देश पदक संख्या पदक तालिका में स्थान
2022 बर्मिघम, इंग्लैंड 61 चतुर्थ
2018 गोल्ड कोस्ट, ऑस्ट्रेलिया 66 तृतीय
2014 ग्लासगो, स्काटलैंड 64 पंचम
2010 दिल्ली, भारत 101 द्वितीय
2006 मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया 50 चतुर्थ
2002 मैनचेस्टर, इंग्लैंड 69 चतुर्थ

क्वींस बैटन रिले

क्वींस बैटन रिले, राष्ट्रमंडल खेलों की आधिकारिक शुरुआत के तौर पर आयोजित की जाती है। इसकी शुरुआत 1958 में कार्डिफ से हुई थी। ओलम्पिक की मशाल की तरह कॉमनवेल्थ खेलों से पहले शुरू होने वाली मशाल यात्रा को 'क्वींस बैटन रिले' कहा जाता है। लन्दन के बर्किघम पैलेस से शुरू होने वाली बैटन रिले के साथ कॉमनवेल्थ प्रमुख (ब्रिटेन की महारानी एलिजावेथ) का सन्देश भी होता है। बैटन रिले इस बात का प्रतीक है कि सभी राष्ट्रकुल देश, खेलों के इस महाआयोजन में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं। बैटन रिले की शुरुआत लंदन के बकिंघम महल से की जाती है। एथलीट खिलाडियों के लिए 'महारानी एलिजाबेथ द्वितीय' के संदेशयुक्त यह बैटन पहले मानद धावक को दी जाती है। यह बैटन रिले खेलों के शुभारंभ पर जाकर समाप्त होती है। इसके बाद इस बैटन को महारानी या उनके प्रतिनिधियों के हवाले कर दिया जाता है और उसमें रखा महारानी का संदेश सभी को सुनाया जाता है। इसी के साथ रिले दौड़ समाप्त होती है और राष्ट्रमंडल खेलों का शुभारंभ हो जाता है। [1]

19वें राष्ट्रमंडल खेल

प्रतीक चिह्न, दिल्ली राष्ट्रमंडल खेल 2010

3 अक्टूबर से 14 अक्टूबर 2010 को आयोजित हुए 19वें राष्ट्रमंडल खेलों की मेज़बानी नई दिल्ली की। विभिन्न खेलों के लिए आयोजित किया जाने वाला यह अब तक का सबसे बड़ा आयोजन था। भारत पूरे तीन दशकों बाद ऐसे किसी आयोजन का मेज़बान बना। इससे पहले भारत 1982 में एशियाई खेलों की मेज़बानी कर चुका है। खेलों का शुभारंभ दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में हुआ। क्वींस बैटन रिले दिल्ली 2010 की शुरुआत 29 अक्टूबर 2009 में लंदन में हुई थी, जब भारत के ओलिंपिक स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा को यह बैटन दी गई थी। यह रिले 340 दिनों में अपना सफर पूरा करके नई दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम पहुंचकर समाप्त हुई। इस दौरान बैटन ने दुनिया के एक तिहाई देशों से होते हुए 190,000 किलोमीटर से ज़्यादा की दूरी तय की। बैटन का यह सफर परिवहन के हर संभव माध्यम जैसे हवा, पानी और ज़मीन के रास्ते से होते हुए हज़ारों हाथों से गुजरा। यह मैराथन 240 दिनों में 70 देशों से होते हुए भारत पहुँचा और यहाँ पर यह पूरे 100 दिनों तक देश के सभी राज्यों की राजधानी तथा केंद्र शासित राज्यों से होते हुए अंततः आयोजन स्थल दिल्ली पहुँचा। क्वींस बैटन 2010 दिल्ली को भारतीयता के भाव, सद्भाव, विकास तथा विविधता के रंग में रंगा गया। इसे हस्तशिल्प तथा उन्नत किस्म की इंजीनियरिंग व तकनीक का इस्तेमाल करके बनाया गया। यह बैटन एल्यूमीनियम से त्रिकोणकार बनाई गई। इसे हेलिक्स के रूप में ऊपर से मोड़ा गया। इस पर भारत के सभी कोनों में मिलने वाली मिट्टी के रंग का लेपन भी किया गया । [1]

राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का प्रदर्शन

मिलखा सिंह

भारत के लिए 2002 के राष्ट्रमंडल खेल सबसे कामयाब रहे हैं। 2002 में मैनचेस्टर में भारतीय एथलीटों ने अपना जलवा दिखाया और कुल मिलाकर 69 पदक अपनी झोली में डाले। भारत ने 30 स्वर्ण, 22 रजत और 17 कांस्य पदक जीते। अंक तालिका में भारत चौथे स्थान पर रहा। 1990 में भारतीय दल मज़बूत बनकर उभरा जब उसने 13 स्वर्ण समेत 32 पदक जीते थे। लेकिन 1994 ख़ास अच्छा नहीं रहा और भारत के हिस्से में सिर्फ़ 24 पदक ही आ सके। भारत ने अब तक 18 में से 14 संस्करणों में हिस्सा लिया और कुल 102 स्वर्ण पदक जीते हैं।

पहला स्वर्ण

उड़न सिख मिल्खा सिंह ने भारत को राष्ट्रमंडल खेलों में पहला स्वर्ण पदक दिलाया था। उन्होंने 1958 में कार्डिफ़ में हुए खेलों में 400 मीटर की दौड़ में गोल्ड जीता था। हालाँकि इन खेलों में पहले पदक का रिकार्ड रशीद अनवर के नाम पर दर्ज है, जिन्होंने 1934 में लन्दन में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक हासिल किया था। अपने पहले राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का यह अकेला पदक था।

सबसे आगे समरेश जंग

शूटर समरेश जंग ने राष्ट्रमंडल खेलों में सबसे ज़्यादा पाँच पदक जीते हैं। 2006 के मेलबर्न गेम्स में समरेश ने व्यक्तिगत स्पर्धाओं के अलावा जसपाल राणा और गगन नारंग के साथ टीम स्पर्धा के स्वर्ण पर भी निशाना साधा। उन्होंने एक रजत और एक कांस्य पदक भी जीता। किसी भी शूटर के नाम पर यह एक रिकॉर्ड है।

समरेश जंग

सबसे बड़ा आयोजन

  • एशियाई खेल-1982 के बाद राष्ट्रमंडल खेल भारत का सबसे बड़ा टूर्नामेंट था। राष्ट्रमंडल खेल अधिकांशत: अमीर देशों में ही होते हैं। सिर्फ़ जमैका ने 1966 और मलेशिया ने 1998 में इनके आयोजन की हिम्मत दिखाई थी। लेकिन उस वक़्त इतना ख़र्च नहीं आया था।
  • स्वतंत्र भारत ने पहली बार इन खेलों में 1954 में भाग लिया था। लेकिन वह कोई भी पदक नहीं जीत सका था। भारत ने पहली बार ब्रिटिश ध्वज तले 1934 में खेलों में भाग लिया था।
  • 1934 में दूसरे गेम्स लन्दन में कराए गए। हालाँकि पहले इन खेलों की मेज़बानी दक्षिण अफ़्रीका को दी गई थी, लेकिन उसकी रंगभेद की नीति के कारण इन खेलों को लन्दन स्थानान्तरित कर दिया गया।
  • 1954 में वेंकुवर गेम्स में इंग्लैण्ड के मैराथन धावक जिम पीटर्स अपने क़रीबी प्रतिद्वन्द्वी से 17 मिनट आगे होने के बावजूद अन्तिम लैप में गिरने के कारण स्वर्ण पदक से चूक गए थे।
  • 1962 में पर्थ में उस साल नवम्बर के इन दिनों में इतनी गर्मी पड़ी थी कि 65 साल के सारे पिछले रिकॉर्ड टूट गए थे और तापमान क़रीब 41 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया। भारत ने इन खेलों में भाग नहीं लिया था।
  • 1966 में किंग्सटन (जमैका) में पहली बार राष्ट्रमंडल खेल गोरे लोगों के देश से निकलकर किसी अफ़्रीकी देश में हुए।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 आधिकारिक वेबसाइट (हिन्दी) (पीएचपी)। । अभिगमन तिथि: 28 सितंबर, 2010।

बाहरी कड़ियाँ

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