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{{प्रांगण लेख|नाम=प्रांगण:मुखपृष्ठ/भारत गणराज्य/गुजरात|प्रांगण:गुजरात}}
__TOC__
{{सूचना बक्सा राज्य
{{सूचना बक्सा राज्य
|Image=Gujarat-Map.jpg
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|राजधानी=[[गांधीनगर]]
|राजधानी=[[गांधीनगर]]
|जनसंख्या=5,06,71,017<ref name="gov"/>
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|जनसंख्या घनत्व=258
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|क्षेत्रफल=1,96,024 वर्ग किलोमीटर<ref name="gov">{{cite web |url=http://gujaratindia.com/about-gujarat/fact-file.htm |title=गुजरात |accessmonthday=[[29 मार्च]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=पी.एच.पी |publisher=गुजरात की आधिकारिक वेबसाइट|language=[[हिन्दी]]}}</ref>
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|भौगोलिक निर्देशांक=23.2167°N 72.6833°E
|भौगोलिक निर्देशांक=23.2167°N 72.6833°E
|ज़िले=26
|ज़िले=33
|सबसे बड़ा नगर=[[अहमदाबाद]]
|सबसे बड़ा नगर=[[अहमदाबाद]]
|बड़े नगर=[[जूनागढ़]], जामनगर, राजकोट, भावनगर, [[गांधीनगर]], [[वडोदरा]]
|बड़े नगर=[[जूनागढ़]], [[जामनगर]], [[राजकोट]], [[भावनगर]], [[गांधीनगर]], [[वडोदरा]]
|राजभाषा(एँ)=[[गुजराती भाषा]], [[मराठी भाषा]], [[हिन्दी भाषा]]
|राजभाषा(एँ)=[[गुजराती भाषा|गुजराती]], [[हिन्दी]], [[अंग्रेज़ी]], [[उर्दू]], [[पंजाबी]], [[मराठी भाषा|मराठी]]
|स्थापना=[[1 मई]], [[1960]]  
|स्थापना=[[1 मई]], [[1960]]  
|मुख्य ऐतिहासिक स्थल=[[सोमनाथ ज्योतिर्लिंग|सोमनाथ]], [[सौराष्ट्र]], [[लंघनाज]] आदि।
|मुख्य ऐतिहासिक स्थल=[[सोमनाथ ज्योतिर्लिंग|सोमनाथ]], [[सौराष्ट्र]], [[लंघनाज]], [[धौलावीरा]], [[खंभात]], [[सुरकोटदा]], [[अन्हिलवाड़]],  [[रंगपुर (गुजरात)|रंगपुर]]
|मुख्य पर्यटन स्थल=[[द्वारिकाधीश मंदिर द्वारिका|द्वारिकाधीश मंदिर]], [[कच्छ का रण]], [[नागेश्वर ज्योतिर्लिंग]]
|मुख्य पर्यटन स्थल=[[द्वारिकाधीश मंदिर द्वारिका|द्वारिकाधीश मंदिर]], [[कच्छ का रण]], [[नागेश्वर ज्योतिर्लिंग]], [[अक्षरधाम मंदिर]], [[लोथल]] आदि
|लिंग अनुपात=1000:920
|लिंग अनुपात=1000:920
|साक्षरता=79.8
|साक्षरता= 79.31
|स्त्री= 57.8
|स्त्री= 57.8
|पुरुष=79.7
|पुरुष=79.7
|उच्च न्यायालय=[[अहमदाबाद]]
|उच्च न्यायालय=गुजरात हाईकोर्ट, [[अहमदाबाद]]
|तापमान=30 °C (औसत)
|तापमान=30 °C (औसत)
|ग्रीष्म=25 - 15 °C  
|ग्रीष्म=25 - 15 °C  
|शरद=15 - 35° C  
|शरद=15 - 35° C  
|वर्षा=932
|वर्षा=93.2
|राज्यपाल=[[डॉ. कमला बेनीवाल]]
|राज्यपाल=[[आचार्य देवव्रत]]<ref>{{cite web |url=http://gujaratindia.com/index.htm |title=गुजरात |accessmonthday=19 जुलाई |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=आधिकारिक वेबसाइट |language=हिंदी }}</ref>
|मुख्यमंत्री=[[नरेंद्र मोदी]]
|मुख्यमंत्री=[[भूपेन्द्र पटेल]]
|विधान सभा सदस्य संख्या=182  
|विधान सभा सदस्य संख्या=182  
|लोकसभा क्षेत्र=26  
|लोकसभा क्षेत्र=26  
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|शीर्षक 2=राजकीय पक्षी
|शीर्षक 2=राजकीय पक्षी
|पाठ 2=हंसावर
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|बाहरी कड़ियाँ=[http://gujaratindia.com/index.htm अधिकारिक वेबसाइट]
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|अद्यतन=12:45, 29 मार्च 2011 (IST)
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*प्राचीनता एवं ऐतिहासिकता की दृष्टि से गुजरात [[भारत]] के अग्रणी राज्यों में एक है। इसकी उत्तरी-पश्चिमी सीमा [[पाकिस्तान]] से लगी है।  
'''गुजरात''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Gujarat'') [[पश्चिमी भारत]] में स्थित एक राज्य है। इसकी उत्तरी-पश्चिमी सीमा जो अन्तर्राष्ट्रीय सीमा भी है, [[पाकिस्तान]] से लगी है। प्राचीनता एवं ऐतिहासिकता की दृष्टि से गुजरात, [[भारत]] का अत्यंत महत्त्वपूर्ण राज्य है। इसकी उत्तरी-पश्चिमी सीमा [[पाकिस्तान]] से लगी है। गुजरात का क्षेत्रफल 1,96,024 वर्ग किलोमीटर है।<ref name="gov"/> यहाँ मिले पुरातात्विक अवशेषों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस राज्य में मानव सभ्यता का विकास 5 हज़ार वर्ष पहले हो चुका था। कहा जाता है कि ई. पू. 2500 वर्ष पहले [[पंजाब]] से [[हड़प्पा]] वासियों ने [[कच्छ का रण|कच्छ के रण]] पार कर [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] की उपत्यका में मौजूदा गुजरात की नींव डाली थी। गुजरात ई.पू. तीसरी शताब्दी में [[मौर्य साम्राज्य]] में शामिल था। [[जूनागढ़]] के [[अभिलेख]] से इस बात की पुष्टि होती है। पाँचवीं शताब्दी में [[हूण|हूणों]] के आक्रमण के बाद [[उत्तराखंड]] से गुर्जरों का इस क्षेत्र में आगमन हुआ। गुजरात पर चौथी-पाँचवीं शताब्दी के दौरान [[गुप्त वंश]] का शासन रहा। नौवीं शताब्दी में [[सोलंकी वंश]] का शासन रहा। 10 वीं शताब्दी में मूलराज सोलंकी ने आधुनिक गुजरात की स्थापना की। गुजरातवासी वाणिज्य व्यापार में कुशल होते है। विदेशों में बसे असंरथ गुजरातवासियों ने अपने व्यापार कौशल से अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में भी ख्याति अर्जित की है। [[महात्मा गाँधी]] का जन्म प्रदेश गुजरात द्रुत गति से औद्योगिक विकास कर रहा है।  
*यहाँ मिले पुरातात्विक अवशेषों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस राज्य में मानव सभ्यता का विकास 5 हज़ार वर्ष पहले हो चुका था। कहा जाता है कि ई. पू. 2500 वर्ष पहले [[पंजाब]] से [[हड़प्पा]] वासियों ने [[कच्छ का रण|कच्छ के रण]] पार कर [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] की उपत्यका में मौजूदा गुजरात की नींव डाली थी।  
*गुजरात ई.पू. तीसरी शताब्दी में [[मौर्य साम्राज्य]] में शामिल था। [[जूनागढ़]] के अभिलेख से इस बात की पुष्टि होती है। पाँचवीं शताब्दी में [[हूण|हूणों]] के आक्रमण के बाद [[उत्तराखंड]] से गुर्जरों का इस क्षेत्र में आगमन हुआ।  
*गुजरात पर चौथी-पाँचवीं शताब्दी के दौरान [[गुप्त वंश]] का शासन रहा। नौवीं शताब्दी में [[सोलंकी वंश]] का शासन रहा। 10 वीं शताब्दी में मूलराज सोलंकी ने आधुनिक गुजरात की स्थापना की।  
*गुर्जरों की भूमि के रूप में गुजरात को जाना जाता है। इस प्रकार '''गूर्जरराष्ट्र''' से विकृत होते-होते उसका नामंतरण गुजरात के रूप में हुआ। गुजरातवासी वाणिज्य व्यापार में कुशल होते है।  
*विदेशों में बसे असंरथ गुजरातवासियों ने अपने व्यापार कौशल से अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में भी ख्याति अर्जित की है। [[महात्मा गाँधी]] का जन्म प्रदेश गुजरात द्रुत गति से औद्योगिक विकास कर रहा है।  
{{top}}
==नामकरण==
==नामकरण==
गुजरात नाम, गुर्जरत्रा से आया है। [[गुर्जर|गुर्जरो]] का साम्राज्य 6ठीं से 12वीं सदी तक गुर्जरत्रा या गुर्जर-भूमि के नाम से जाना जाता था। गुर्जर एक समुदाय है|<ref>{{cite book|title=The History and Culture of the Indian People: The classical age|author=Ramesh Chandra Majumdar|coauthor=Achut Dattatrya Pusalker, A. K. Majumdar, Dilip Kumar Ghose, Vishvanath Govind Dighe, Bharatiya Vidya Bhavan|publisher=Bharatiya Vidya Bhavan|year=1977|page=153}}</ref>प्राचीन महाकवि राजशेखर ने गुर्जरो का सम्बन्ध [[सूर्यवंश]] या रघुवंश से बताया है।<ref>{{cite book|title=Some aspects of ancient Indian culture|author=Devadatta Ramakrishna Bhandarkar|publisher=Asian Educational Services|year=1989|id=ISBN 8120604571, ISBN 9788120604575|url=http://books.google.co.in/books?id=gUAvuYu-otEC&pg=PA64&dq|page=64}}</ref>कुछ विद्वान इन्हें मध्य-एशिया से आये आर्य भी बताते हैं।
गुजरात नाम, गुर्जरत्रा से आया है। [[गुर्जर|गुर्जरों]] का साम्राज्य 6ठीं से 12वीं सदी तक गुर्जरत्रा या गुर्जर-भूमि के नाम से जाना जाता था। गुर्जर एक समुदाय है।<ref>{{cite book|title=The History and Culture of the Indian People: The classical age|author=Ramesh Chandra Majumdar|coauthor=Achut Dattatrya Pusalker, A. K. Majumdar, Dilip Kumar Ghose, Vishvanath Govind Dighe, Bharatiya Vidya Bhavan|publisher=Bharatiya Vidya Bhavan|year=1977|page=153}}</ref>प्राचीन महाकवि राजशेखर ने गुर्जरों का सम्बन्ध [[सूर्यवंश]] या रघुवंश से बताया है।<ref>{{cite book|title=Some aspects of ancient Indian culture|author=Devadatta Ramakrishna Bhandarkar|publisher=Asian Educational Services|year=1989|id=ISBN 8120604571, ISBN 9788120604575|url=http://books.google.co.in/books?id=gUAvuYu-otEC&pg=PA64&dq|page=64}}</ref> कुछ विद्वान् इन्हें मध्य-एशिया से आये आर्य भी बताते हैं। गुर्जरों की भूमि के रूप में गुजरात को जाना जाता है। इस प्रकार '''गूर्जरराष्ट्र''' से विकृत होते-होते उसका नामंतरण गुजरात के रूप में हुआ।
{{top}}
==इतिहास==
==इतिहास==
{{Main|गुजरात का इतिहास}}
{{Main|गुजरात का इतिहास}}
गुजरात का इतिहास ईस्वी पूर्व लगभग 2,000 साल पुराना है। यह भी मान्यता है कि भगवान [[कृष्ण]] [[मथुरा]] छोड़कर [[सौराष्ट्र]] के पश्चिमी तट पर जा बसे थे, जो [[द्वारिका]] अर्थात 'प्रवेशद्वार' कहलाया। बाद के वर्षों में [[मौर्य राजवंश|मौर्य]], [[गुप्त राजवंश|गुप्त]], [[प्रतिहार साम्राज्य|प्रतिहार]] तथा अन्य अनेक राजवंशों ने इस प्रदेश पर शासन किया। [[चालुक्य वंश|चालुक्य]], सोलंकी राजाओं का शासन काल गुजरात के लिए प्रगति और समृद्धि का [[युग]] था। [[महमूद ग़ज़नवी]] की लूटपाट के बाद भी चालुक्य राजाओं ने यहाँ के लोगों की समृद्धि और भलाई का पूरा ध्यान रखा। इस गौरवपूर्ण काल के पश्चात गुजरात को मुसलमानों, मराठों और ब्रिटिश शासन के दौरान बुरे दिनों का सामना करना पड़ा। आज़ादी से पहले आज का गुजरात मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित था-[[चित्र:Lothal.jpg|thumb|250px|[[लोथल]] बस्ती और नगर का प्रसिद्ध जल संसाधन तंत्र, परिकल्पित चित्र|left]]
गुजरात का इतिहास ईस्वी पूर्व लगभग 2,000 साल पुराना है। यह भी मान्यता है कि भगवान [[कृष्ण]] [[मथुरा]] छोड़कर [[सौराष्ट्र]] के पश्चिमी तट पर जा बसे थे, जो [[द्वारका]] अर्थात् 'प्रवेशद्वार' कहलाया। बाद के वर्षों में [[मौर्य राजवंश|मौर्य]], [[गुप्त राजवंश|गुप्त]], [[प्रतिहार साम्राज्य|प्रतिहार]] तथा अन्य अनेक राजवंशों ने इस प्रदेश पर शासन किया। [[चालुक्य वंश|चालुक्य]], सोलंकी राजाओं का शासन काल गुजरात के लिए प्रगति और समृद्धि का [[युग]] था। [[महमूद ग़ज़नवी]] की लूटपाट के बाद भी चालुक्य राजाओं ने यहाँ के लोगों की समृद्धि और भलाई का पूरा ध्यान रखा। इस गौरवपूर्ण काल के पश्चात् गुजरात को मुसलमानों, मराठों और ब्रिटिश शासन के दौरान बुरे दिनों का सामना करना पड़ा। आज़ादी से पहले आज का गुजरात मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित था-[[चित्र:Lothal.jpg|thumb|250px|[[लोथल]] बस्ती और नगर का प्रसिद्ध जल संसाधन तंत्र, परिकल्पित चित्र|left]]
#एक ब्रिटिश क्षेत्र और  
#एक ब्रिटिश क्षेत्र और  
#दूसरा देसी रियासतें।  
#दूसरा देसी रियासतें।
राज्यों के पुनर्गठन के कारण सौराष्ट्र के राज्यों और [[कच्छ]] के केंद्र शासित प्रदेश के साथ पूर्व ब्रिटिश गुजरात को मिलाकर द्विभाषी [[मुंबई]] राज्य का गठन हुआ। पहली मई, 1060 को वर्तमान गुजरात राज्य अस्तित्व में आया। गुजरात [[भारत]] के पश्चिमी तट पर स्थित है। इसके पश्चिम में [[अरब सागर]], उत्तर में [[पाकिस्तान]] तथा उत्तर-पूर्वी सीमा पर [[राजस्थान]], दक्षिण-पूर्वी सीमा पर [[मध्य प्रदेश]] और दक्षिण में [[महाराष्ट्र]] है।
राज्यों के पुनर्गठन के कारण सौराष्ट्र के राज्यों और [[कच्छ]] के केंद्र शासित प्रदेश के साथ पूर्व ब्रिटिश गुजरात को मिलाकर द्विभाषी [[मुंबई]] राज्य का गठन हुआ। पहली मई, 1060 को वर्तमान गुजरात राज्य अस्तित्व में आया। गुजरात [[भारत]] के पश्चिमी तट पर स्थित है। इसके पश्चिम में [[अरब सागर]], उत्तर में [[पाकिस्तान]] तथा उत्तर-पूर्वी सीमा पर [[राजस्थान]], दक्षिण-पूर्वी सीमा पर [[मध्य प्रदेश]] और दक्षिण में [[महाराष्ट्र]] है।
*गुजरात राज्य का इतिहास [[सिन्धु घाटी सभ्यता]] के समकालीन है अर्थात इसका [[इतिहास]] लगभग 2000 ई. पू. पुराना है। हाल के पुरातात्विक उत्खनन ([[द्वारका]] में) से मिथक बने [[श्री कृष्ण]] की ऐतिहासिकता सिद्ध हो गयी है, जिसका समय 3000 ई. पू. से भी पुराना माना जाता है।
*'''गुजरात राज्य का इतिहास [[सिन्धु घाटी सभ्यता]] के समकालीन है अर्थात् इसका [[इतिहास]] लगभग 2000 ई. पू. पुराना है।''' हाल के पुरातात्विक [[उत्खनन]] ([[द्वारका]] में) से मिथक बने [[श्री कृष्ण]] की ऐतिहासिकता सिद्ध हो गयी है, जिसका समय 3000 ई. पू. से भी पुराना माना जाता है।
*गुजरात में सिन्धु घाटी सभ्यता का महत्त्वपूर्ण केन्द्र [[लोथल]] था, जो उस समय का एक महत्त्वपूर्ण बन्दरगाह था। सिंधु सभ्यता से संबंधित स्थल ''[[सुतकोतड़ा]]'' भी इसी प्रदेश में था।  
*गुजरात में सिन्धु घाटी सभ्यता का महत्त्वपूर्ण केन्द्र [[लोथल]] था, जो उस समय का एक महत्त्वपूर्ण बन्दरगाह था। सिंधु सभ्यता से संबंधित स्थल ''[[सुतकोतड़ा]]'' भी इसी प्रदेश में था।  
*आधुनिक खुदाई से सिन्धु सभ्यता से संबंधित एक प्रमुख स्थल '''[[धौलावीरा]]''' प्रकाश में आया है जो इसी प्रदेश में था।  
*आधुनिक खुदाई से सिन्धु सभ्यता से संबंधित एक प्रमुख स्थल '''[[धौलावीरा]]''' प्रकाश में आया है जो इसी प्रदेश में था।  
*गुजरात पर क्रमशः मौर्य, गुप्त, प्रतिहार तथा उनके परवर्ती राजवंशों ने शासन किया, किंतु गुजरात में प्रगति तथा समृद्धि चालुक्य (सोलंकी) राजाओं के समय में हुईं। इसलिए इस काल को गुजरात के इतिहास में '''स्वर्णिम काल''' कहा जाता है।
*गुजरात पर क्रमशः मौर्य, गुप्त, प्रतिहार तथा उनके परवर्ती राजवंशों ने शासन किया, किंतु '''गुजरात में प्रगति तथा समृद्धि चालुक्य (सोलंकी) राजाओं के समय में हुईं। इसलिए इस काल को गुजरात के इतिहास में '''स्वर्णिम काल''' कहा जाता है।'''
*गुप्त सेनापति भट्टारक द्वारा वल्लभी में पाँचवीं शताब्दी के अंतिम चरण में एक नये राजवंश की नींव रखी गई जिसे मैत्रक राजवंश के नाम से जाना जाता है।  
*गुप्त सेनापति भट्टारक द्वारा वल्लभी में पाँचवीं शताब्दी के अंतिम चरण में एक नये राजवंश की नींव रखी गई जिसे [[मैत्रक वंश|मैत्रक राजवंश]] के नाम से जाना जाता है।  
*475 ई. में मैत्रकों के सरदार भट्टारक की नियुक्ति वहाँ सेनापति के पद पर हुई थी।
*475 ई. में मैत्रकों के सरदार भट्टारक की नियुक्ति वहाँ सेनापति के पद पर हुई थी।
*भट्टारक तथा उसके पुत्र दोनों ने अपने साथ सेनापति की पदवी का ही इस्तेमाल किया
*भट्टारक तथा उसके पुत्र दोनों ने अपने साथ सेनापति की पदवी का ही इस्तेमाल किया
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*मैत्रकों का प्रथम तिथियुक्त अभिलेख गुप्तसंवत 206 (526 ई.) को ध्रुवसेन प्रथम का प्राप्त हुआ है।
*मैत्रकों का प्रथम तिथियुक्त अभिलेख गुप्तसंवत 206 (526 ई.) को ध्रुवसेन प्रथम का प्राप्त हुआ है।
*मैत्रक शासक ध्रुवसेन द्वितीय की शादी [[हर्षवर्धन]] की पुत्री के साथ हुई थी।  
*मैत्रक शासक ध्रुवसेन द्वितीय की शादी [[हर्षवर्धन]] की पुत्री के साथ हुई थी।  
*ध्रुवसेन द्वितीय के समय ही [[ह्वेनसांग]] गुजरात आया था।  
*'''ध्रुवसेन द्वितीय के समय ही [[ह्वेनसांग]] गुजरात आया था।'''
*मैत्रकों के समय '''वल्लभी शिक्षा''' का प्रसिद्ध केन्द्र थी।  
*मैत्रकों के समय '''वल्लभी शिक्षा''' का प्रसिद्ध केन्द्र थी।  
*गुजरात (अन्हिलवाड़ या अन्हिलपटक) के चालुक्य (सोलंकी) राज्य के संस्थापक गुर्जर जाति के नेता वनराज को माना जाता है, जिसने 765 ई. में इस वंश की नींव डाली। हालांकि [[सोलंकी वंश]] का प्रथम शासक मूलराज (947-995) को माना जाता है।  
*गुजरात ([[अन्हिलवाड़]] या अन्हिलपटक) के चालुक्य ([[सोलंकी वंश|सोलंकी]]) राज्य के संस्थापक गुर्जर जाति के नेता वनराज को माना जाता है, जिसने 765 ई. में इस वंश की नींव डाली। हालांकि [[सोलंकी वंश]] का प्रथम शासक मूलराज (947-995) को माना जाता है।  
*भीमदेव प्रथम (1022-1064) के काल में [[महमूद ग़ज़नवी]] तथा भीम द्वितीय के काल [[मुहम्मद ग़ोरी]] का आक्रमण अन्हिलवाड़ को झेलना पड़ा।  
*भीमदेव प्रथम (1022-1064) के काल में [[महमूद ग़ज़नवी]] तथा भीम द्वितीय के काल [[मुहम्मद ग़ोरी]] का आक्रमण अन्हिलवाड़ को झेलना पड़ा।  
*सोलंकी राजवंश के बाद दक्षिण गुजरात के बघेलों के शासन की स्थापना हुई जिसकी नींव '''लवण प्रसाद बघेल''' द्वारा डाली गई।  
*सोलंकी राजवंश के बाद दक्षिण गुजरात के बघेलों के शासन की स्थापना हुई जिसकी नींव '''लवण प्रसाद बघेल''' द्वारा डाली गई।  
*13वीं सदी के अंत में यह प्रदेश [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] के अधिकार में चला गया। कुछ समय बाद गुजरात के सुलतान स्वतंत्र हो गए। इन्हीं में से अहमदशाह प्रथम ने 15 वीं सदी के पूर्वार्द्ध में [[अहमदाबाद]] की स्थापना की।  
*13वीं सदी के अंत में यह प्रदेश [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] के अधिकार में चला गया। कुछ समय बाद गुजरात के सुलतान स्वतंत्र हो गए। इन्हीं में से अहमदशाह प्रथम ने '''15 वीं सदी के पूर्वार्द्ध में [[अहमदाबाद]] की स्थापना की।'''
*महमूद बघेरा के समय में गुजरात बहुत समृद्ध हुआ लेकिन अंत में 16 वीं सदी में [[अकबर]] ने इस प्रदेश पर अधिकार कर लिया।
*महमूद बघेरा के समय में गुजरात बहुत समृद्ध हुआ लेकिन अंत में 16 वीं सदी में [[अकबर]] ने इस प्रदेश पर अधिकार कर लिया।
*वर्ष 1800 में [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने [[सूरत]] पर कब्ज़ा कर लिया वर्ष [[1947]] में [[भारत]] के स्वतंत्र होने तक वे ही गुजरात पर राज्य करते रहे।  
*वर्ष 1800 में [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने [[सूरत]] पर कब्ज़ा कर लिया वर्ष [[1947]] में [[भारत]] के स्वतंत्र होने तक वे ही गुजरात पर राज्य करते रहे।  
*गुजरात का भारत के स्वतंत्र संग्राम में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। क्योंकि इस प्रदेश ने राष्ट्र को [[महात्मा गाँधी]] तथा [[सरदार बल्लभ भाई पटेल]] जैसे नेता दिए।  
*गुजरात का भारत के स्वतंत्र संग्राम में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। क्योंकि इस प्रदेश ने राष्ट्र को [[महात्मा गाँधी]] तथा [[सरदार बल्लभ भाई पटेल]] जैसे नेता दिए।  
*राष्ट्रपिता महत्मा गाँधी की जन्म स्थली गुजरात का ही एक गाँव [[पोरबन्दर]] है।  
*राष्ट्रपिता महत्मा गाँधी की जन्म स्थली गुजरात का ही एक गाँव [[पोरबन्दर]] है।  
*[[कुवांशी]] गुजरात के मोरवी शहर से 25 किलो मीटर की दूरी पर स्थित एक छोटा सा गाँव है। कुवांशी गाँव में 4,000 वर्ष पुरानी सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
*[[पडरी]] गुजरात के भावनगर ज़िले में स्थित है। पडरी से [[हड़प्पा|हड़प्पाई]] नगर, हड़प्पा पूर्व व विकसित हड़प्पा काल के दो [[संस्कृति|सांस्कृतिक]] चरणों को स्पष्ट करता है।
{{राज्य मानचित्र|float=right}}
{{राज्य मानचित्र|float=right}}
 
===भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में योगदान===
[[भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन]] में गुजरात के अनेक [[साँचा:स्वतन्त्रता सेनानी|स्वतंत्रता सेनानियों]] ने योगदान दिया है जिसमें से प्रमुख हैं- [[कस्तूरबा गाँधी]], [[महात्मा गाँधी]], [[अश्विनी कुमार दत्त]], [[सरदार पटेल]], [[जीवराज मेहता]], [[हंसा मेहता]], [[गणेश वासुदेव मावलंकर]], [[विट्ठलदास झवेरभाई पटेल]],  [[महादेव देसाई]], [[मनीभाई देसाई]] आदि।
==स्थापना==
==स्थापना==
[[भारत]] के स्वतंत्र होने के समय यह प्रदेश [[मुम्बई]] राज्य का अंग था। अलग गुजरात का जन्म [[1 मई]], [[1960]] को हुआ।  
[[भारत]] के स्वतंत्र होने के समय यह प्रदेश [[मुम्बई]] राज्य का अंग था। अलग गुजरात का जन्म [[1 मई]], [[1960]] को हुआ।  
{{top}}
==भौगोलिक संरचना==
==भौगोलिक संरचना==
गुजरात को तीन भौगोलिक क्षेत्रों में बाँटा गया है जैसे-   
गुजरात को तीन भौगोलिक क्षेत्रों में बाँटा गया है जैसे-   
पंक्ति 84: पंक्ति 78:
# [[कच्छ]]- जो पूर्वोत्तर में उजाड़ और चट्टानी है। विख्यात कच्छ का रन इसी क्षेत्र में है।  
# [[कच्छ]]- जो पूर्वोत्तर में उजाड़ और चट्टानी है। विख्यात कच्छ का रन इसी क्षेत्र में है।  
# गुजरात का मैदान-  जो [[कच्छ के रन]] और अरावली की पहाड़ियों से लेकर दमन गंगा तक फैली है।  
# गुजरात का मैदान-  जो [[कच्छ के रन]] और अरावली की पहाड़ियों से लेकर दमन गंगा तक फैली है।  
गुजरात की सबसे ऊँची चोटी [[गिरनार|गिरिनार पहाड़ियों]] में स्थित गोरखनाथ की चोटी है, जो 1117 मीटर ऊँची है। गुजरात की जलवायु ऊष्ण प्रदेशीय और मानसूनी है। वर्षा की कमी के कारण इस प्रदेश में रेतीली और बलुई मिट्टी पायी जाती है। प्रदेश में पूर्व की ओर उत्तरी गुजरात में वर्षा की मात्र 50 सेमी तक होती है। इसके दक्षिण की ओर मध्य गुजरात में मिट्टी कुछ अधिक उपजाऊ है तथा जलवायु भी अपेक्षयता आर्द्र है। वर्षा 75 सेमी तक होती है। [[नर्मदा नदी|नर्मदा]], [[ताप्ती नदी|ताप्ती]], साबरमती, [[सरस्वती नदी|सरस्वती]], माही, भादर, बनास, और विश्वामित्र इस प्रदेश की सुपरिचित नदियाँ हैं। कर्क रेखा इस राज्य की उत्तरी सीमा से होकर गुजरती है, अतः यहाँ गर्मियों में खूब गर्मी तथा सर्दियों में खूब सर्दी पड़ती है। शहरीकरण की प्रक्रिया ने राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न कुछ स्वरूप धारण किए हैं। राज्य का सर्वाधिक शहरीकृत क्षेत्र अहमदाबाद-वडोदरा औद्योगिक पट्टी है। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-8 के किनारे उत्तर में ऊंझा से दक्षिण में वापी के औद्योगिक मैदान में एक वृहदनगरीय क्षेत्र (मेगालोपोलिस, अर्थात कई बड़े शहरों वाला एक सतत शहरी क्षेत्र) उभर रहा है। सौराष्ट्र कृषि क्षेत्र में क्रमिक बसाव प्रणाली को देखा जा सकता है, जबकि उत्तर और पूर्व के बाह्य क्षेत्रों में बिखरी हुई छोटी-छोटी बस्तियाँ हैं, जो शुष्क, पर्वतीय या वनाच्छादित क्षेत्र हैं। आदिवासी जनसंख्या इन्हीं सीमांत अनुत्पादक क्षेत्रों में केंद्रित है।  
गुजरात की सबसे ऊँची चोटी [[गिरनार|गिरिनार पहाड़ियों]] में स्थित गोरखनाथ की चोटी है, जो 1117 मीटर ऊँची है। गुजरात की जलवायु ऊष्ण प्रदेशीय और मानसूनी है। वर्षा की कमी के कारण इस प्रदेश में रेतीली और बलुई मिट्टी पायी जाती है। प्रदेश में पूर्व की ओर उत्तरी गुजरात में वर्षा की मात्र 50 सेमी तक होती है। इसके दक्षिण की ओर मध्य गुजरात में मिट्टी कुछ अधिक उपजाऊ है तथा जलवायु भी अपेक्षयता आर्द्र है। वर्षा 75 सेमी तक होती है। [[नर्मदा नदी|नर्मदा]], [[ताप्ती नदी|ताप्ती]], साबरमती, [[सरस्वती नदी|सरस्वती]], [[माही नदी|माही]], भादर, [[बनास नदी|बनास]], और विश्वामित्र इस प्रदेश की सुपरिचित नदियाँ हैं। 'सरदार सरोवर' दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध है। नर्मदा नदी पर स्थित यह बाँध 800 मीटर ऊँचा है। नर्मदा नदी पर बनने वाले 30 बांधों में [[सरदार सरोवर बाँध|सरदार सरोवर]] और महेश्वर दो सबसे बड़ी बांध परियोजनाएं हैं, किन्तु इनका हर बार विरोध होता रहा है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य गुजरात के सूखाग्रस्त इलाक़ों में पानी पहुंचाना और मध्य प्रदेश के लिए बिजली पैदा करना है। [[कर्क रेखा]] इस राज्य की उत्तरी सीमा से होकर गुजरती है, अतः यहाँ गर्मियों में खूब गर्मी तथा सर्दियों में खूब सर्दी पड़ती है। शहरीकरण की प्रक्रिया ने राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न कुछ स्वरूप धारण किए हैं। राज्य का सर्वाधिक शहरीकृत क्षेत्र अहमदाबाद-वडोदरा औद्योगिक पट्टी है। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-8 के किनारे उत्तर में ऊंझा से दक्षिण में वापी के औद्योगिक मैदान में एक वृहदनगरीय क्षेत्र<ref>मेगालोपोलिस, अर्थात् कई बड़े शहरों वाला एक सतत शहरी क्षेत्र</ref> उभर रहा है। सौराष्ट्र कृषि क्षेत्र में क्रमिक बसाव प्रणाली को देखा जा सकता है, जबकि उत्तर और पूर्व के बाह्य क्षेत्रों में बिखरी हुई छोटी-छोटी बस्तियाँ हैं, जो शुष्क, पर्वतीय या वनाच्छादित क्षेत्र हैं। आदिवासी जनसंख्या इन्हीं सीमांत अनुत्पादक क्षेत्रों में केंद्रित है।  
 
====सीमा क्षेत्र====
====सीमा क्षेत्र====
[[भारत]] के पश्चिमी तट पर स्थित पश्चिम में [[अरब सागर]], उत्तर तथा उत्तर-पूर्व में क्रमशः [[पाकिस्तान]] तथा [[राजस्थान]] दक्षिण- पूर्व में [[मध्य प्रदेश]] तथा दक्षिण में [[महाराष्ट्र]] है।
[[भारत]] के पश्चिमी तट पर स्थित पश्चिम में [[अरब सागर]], उत्तर तथा उत्तर-पूर्व में क्रमशः [[पाकिस्तान]] तथा [[राजस्थान]] दक्षिण- पूर्व में [[मध्य प्रदेश]] तथा दक्षिण में [[महाराष्ट्र]] है।
====भू-आकृति====
====भू-आकृति====
[[चित्र:Kala-Dungar-Kutch-5.jpg|thumb|[[काला डूंगर]] का एक दृश्य, कच्छ, गुजरात|250px]]
[[चित्र:Rann-Of-Kachchh-9.jpg|thumb|250px|[[कच्छ का रण]], [[कच्छ]], गुजरात]]
गुजरात अत्यधिक विषमता वाला राज्य है। इसके पश्चिमी तट और मुंबई (भूतपूर्व बंबई) के उत्तर में नम उर्वर चावल उत्पादक मैदानों से लेकर पश्चिमोत्तर में कच्छ के लगभग वर्षाविहीन लवणीय रेगिस्तान हैं। [[कच्छ]] ज़िला दक्षिण में कच्छ की खाड़ी तथा उत्तर व पूर्व में [[पाकिस्तान]] व मुख्य भारतीय भूमि से [[कच्छ के रण]] द्वारा विभाजित है, जिसका वर्णन लगभग 20,720 वर्ग किमी क्षेत्र में विस्तृत एक विशाल लवणीय दलदल के रूप में बेहतर तरीके से किया जा सकता है। वर्षा के मौसम में, चाहे कितनी भी कम वर्षा क्यों न हुई हो, रण में बाढ़ आ जाती है। और कच्छ एक द्वीप में परिवर्तित हो जाता है; शुष्क मौसम में यह आंधियों से भरा एक रेतीला नमकीन मैदान है। कच्छ के दक्षिण में [[काठियावाड़]] ([[सौराष्ट्र]]) का एक बड़ा प्रायद्वीप है, जो कच्छ की खाड़ी और खंभात की खाड़ी के बीच में है। यह भी एक बंजर क्षेत्र है, जिसके समुद्र तट से ऊपर उठते हुए केंद्र में विरल झाड़ीदार वनों वाला निचला लहरदार पर्वतीय क्षेत्र है। यहाँ के प्रमुख नगर अपेक्षाकृत उर्वर क्षेत्र में स्थित हैं, जो पहले छोटे-छोटे राज्यों की राजधानी थे। यहाँ की मिट्टी ज़्यादातर निम्न कोटि की है, जो कई प्रकार की प्राचीन रवेदार चट्टानों से व्युत्पन्न है, लेकिन उत्कृष्ट भवन निर्माण में काम आने वाला [[पोरबंदर]] का पत्थर राज्य के मूल्यवान उत्पादों में आता है। मौसमी नालों के अलावा नदियां नहीं हैं। प्रायद्वीप के दक्षिणी किनारे पर भूतपूर्व पुर्तग़ाली क्षेत्र दीव है। पूर्वोत्तर गुजरात मुख्यत: छोटे मैदानों और छोटी-छोटी पहाड़ियों वाला क्षेत्र है। राज्य का उच्चतम बिंदु गिरनार की पहाड़ी (1,117 मीटर) में है। यहाँ वर्षा कम होती है। और जनवरी में तापमान लगभग हिमांक बिंदु तक पहुंच जाता है, जबकि गर्मी के मौसम में तापमान 48 से दर्ज किया गया है। यहाँ की फ़सलों में मुख्यत: ज्वार-बाजरा और थोड़ी मात्रा में कपास है।
गुजरात अत्यधिक विषमता वाला राज्य है। इसके पश्चिमी तट और मुंबई (भूतपूर्व बंबई) के उत्तर में नम उर्वर चावल उत्पादक मैदानों से लेकर पश्चिमोत्तर में कच्छ के लगभग वर्षाविहीन लवणीय रेगिस्तान हैं। [[कच्छ]] ज़िला दक्षिण में कच्छ की खाड़ी तथा उत्तर व पूर्व में [[पाकिस्तान]] व मुख्य भारतीय भूमि से [[कच्छ के रण]] द्वारा विभाजित है, जिसका वर्णन लगभग 20,720 वर्ग किमी क्षेत्र में विस्तृत एक विशाल लवणीय दलदल के रूप में बेहतर तरीके से किया जा सकता है। '''वर्षा के मौसम में, चाहे कितनी भी कम वर्षा क्यों न हुई हो, [[कच्छ का रण|रण]] में बाढ़ आ जाती है।''' और कच्छ एक द्वीप में परिवर्तित हो जाता है; शुष्क मौसम में यह आंधियों से भरा एक रेतीला नमकीन मैदान है। कच्छ के दक्षिण में [[काठियावाड़]] ([[सौराष्ट्र]]) का एक बड़ा प्रायद्वीप है, जो कच्छ की खाड़ी और [[खंभात की खाड़ी]] के बीच में है। यह भी एक बंजर क्षेत्र है, जिसके समुद्र तट से ऊपर उठते हुए केंद्र में विरल झाड़ीदार वनों वाला निचला लहरदार पर्वतीय क्षेत्र है। यहाँ के प्रमुख नगर अपेक्षाकृत उर्वर क्षेत्र में स्थित हैं, जो पहले छोटे-छोटे राज्यों की राजधानी थे। यहाँ की मिट्टी ज़्यादातर निम्न कोटि की है, जो कई प्रकार की प्राचीन रवेदार चट्टानों से व्युत्पन्न है, लेकिन उत्कृष्ट भवन निर्माण में काम आने वाला [[पोरबंदर]] का पत्थर राज्य के मूल्यवान उत्पादों में आता है। मौसमी नालों के अलावा नदियाँ नहीं हैं। प्रायद्वीप के दक्षिणी किनारे पर भूतपूर्व [[पुर्तग़ाली]] क्षेत्र दीव है। पूर्वोत्तर गुजरात मुख्यत: छोटे मैदानों और छोटी-छोटी पहाड़ियों वाला क्षेत्र है। राज्य का उच्चतम बिंदु [[गिरनार पहाड़ी|गिरनार की पहाड़ी]] (1,117 मीटर) में है। यहाँ वर्षा कम होती है। और [[जनवरी]] में तापमान लगभग हिमांक बिंदु तक पहुंच जाता है, जबकि गर्मी के मौसम में तापमान 48 से दर्ज किया गया है। यहाँ की फ़सलों में मुख्यत: ज्वार-बाजरा और थोड़ी मात्रा में कपास है।
====जलवायु====
मध्य गुजरात के दक्षिणी हिस्से में वर्षा दर अधिक और तापमान में अंतर कम है; और मिट्टी ज़्यादा उपजाऊ है, जो अंशत: दक्कन क्षेत्र के बैसाल्ट चट्टानों से व्युत्पन्न हुई है। इस क्षेत्र का केन्द्र वडोदरा ([[बड़ौदा]]) शहर है, जो पहले एक समृद्ध और शक्तिशाली राज्य की राजधानी था और जिसका दक्षिणी हिस्सा अब वडोदरा ज़िला है। यहाँ की महत्त्वपूर्ण नदी नर्मदा है, जो खंभात की खाड़ी में गिरती है। [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] और तापी ([[ताप्ती नदी|ताप्ती]]) नदी द्वारा गाद जमा किए जाने के कारण खंभात की खाड़ी की गहराई कम हो गई है और यहाँ के भूतपूर्व बंदरगाहों का पतन हो गया।
दक्षिणी गुजरात में [[भरूच]] और [[सूरत ज़िला|सूरत ज़िले]] अपनी उर्वर मिट्टी और उच्च क़िस्म की कपास की फ़सलों के लिए प्रसिद्ध हैं। तापी नदी पूर्व दिशा से गहरी खाइयों से होकर सूरत से गुज़रती है। दक्षिणी गुजरात का पूर्वी हिस्सा पहाड़ी है। वास्तव में, पश्चिमी घाट के उत्तरी विस्तार के कारण वर्षायुक्त ग्रीष्म मानसूनी हवाओं से अत्यधिक बारिश होती है। इससे आगे दक्षिण में पर्वत वनाच्छादित हैं। इसी क्षेत्र में छोटा डेंग ज़िला है। तटीय मैदानों में जलवायु में लगभग समानता रहती है यहाँ 2,000 मिमी के लगभग वर्षा होती है।
[[चित्र:Spinning-Wheel.jpg|thumb|250px|left|[[चरखा]], [[साबरमती आश्रम]], [[अहमदाबाद]]]]
गुजरात में वनक्षेत्र मात्र 10 प्रतिशत है, जो मानवीय गतिविधियों के साथ-साथ कम वर्षा को प्रतिबिंबत करती है। अपेक्षाकृत शुष्क क्षेत्रों में झाड़ीदार जंगल पाए जाते हैं, जहाँ बबूल अकाकिया, करील, भारतीय बेर और दातुनी झाड़ियां<ref>सेल्वाडोर पर्सिका</ref> पाई जाने वाली प्रमुख प्रजातियां हैं। 1,016 मिमी वार्षिक वर्षा दर वाली काठियावाड़ उच्चभूमि और पूर्वोत्तर मुख्यभूमि में सागौन, [[कत्था]], [[गोंद]] (बैकलीगम), कीली वृक्ष और बंगाल किनो<ref>ब्यूटिया गम</ref> जैसे पर्णपाती वृक्ष पाए जाते हैं। पर्णपाती वन अपेक्षाकृत नम दक्षिणी और पूर्वी पहाड़ियों में केन्द्रित हैं। इनसे मुलायम टोमेंटोसा (घन-रोम), वेंगाई पादौक (महोगनी जैसा), मालाबार सीमल और हृदयाकार पत्तियों वाले अदीना जैसी कीमती लकड़ियां प्राप्त होती है। काठियावाड़ का पश्चिमी तट [[शैवाल]] के लिए जाना जाता है, जबकि पूर्वी तट से पपाइरस या पटेरा पौधा (साइपेरस पपाइरस) पाया जाता है।
काठियावाड़ के [[गिर राष्ट्रीय उद्यान]] में एशियाई प्रजाति की एकमात्र जाति भारतीय [[सिंह]] है। कच्छ के छोटे रण के पास एक अभयारण्य में शेष बचे हुए भारतीय जंगली गधे पाए जाते हैं। [[अहमदाबाद]] के निकट का नलसरोवर पक्षी अभयारण्य साइबेरिया के मैदानों व अन्य स्थानों से शीत ऋतु में लगभग 140 प्रकार के प्रवासी पक्षियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इनमें सारस, ब्राह्मणी [[बत्तख़]], सोनचिरैया, पेलिकन, पनकौवा, आइबिस, लकलक (स्टॉर्क), बगुला और वक शामिल हैं। [[भारत]] में [[कच्छ का रण]] हंसावर (फ़्लेमिंगौ) का एकमात्र प्रजनन स्थल है। गुजरात में समुद्री और मीठे पानी की [[मछली|मछलियां]] पकड़ी जाती हैं। पकड़ी जाने वाली मछलियों में पॉम्फ़्रे सॉलमन, हिल्सा, ज्यूफ़िश (साइएना), झींगा, [[बॉम्बे डक]] (खाद्य मछली) और ट्यूना मछली शामिल हैं।


====जलवायु====
मध्य गुजरात के दक्षिणी हिस्से में वर्षा दर अधिक और तापमान में अंतर कम है;  और मिट्टी ज़्यादा उपजाऊ है, जो अंशत: दक्कन क्षेत्र के बैसाल्ट चट्टानों से व्युत्पन्न हुई है। इस क्षेत्र का केन्द्र वडोदरा ([[बड़ौदा]]) शहर है, जो पहले एक समृद्ध और शक्तिशाली राज्य की राजधानी था और जिसका दक्षिणी हिस्सा अब वडोदरा ज़िला है। यहाँ की महत्त्वपूर्ण नदी नर्मदा है, जो खंभात की खाड़ी में गिरती है। [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] और तापी ([[ताप्ती नदी|ताप्ती]]) नदी द्वारा गाद जमा किए जाने के कारण खंभात की खाड़ी की गहराई कम हो गई है और यहाँ के भूतपूर्व बंदरगाहों का पतन हो गया।
दक्षिणी गुजरात में भरूच और सूरत ज़िले अपनी उर्वर मिट्टी और उच्च क़िस्म की कपास की फ़सलों के लिए प्रसिद्ध हैं। तापी नदी पूर्व दिशा से गहरी खाइयों से होकर सूरत से गुज़रती है। दक्षिणी गुजरात का पूर्वी हिस्सा पहाड़ी है। वास्तव में, पश्चिमी घाट के उत्तरी विस्तार के कारण वर्षायुक्त ग्रीष्म मानसूनी हवाओं से अत्यधिक बारिश होती है। इससे आगे दक्षिण में पर्वत वनाच्छादित हैं। इसी क्षेत्र में छोटा डेंग ज़िला है। तटीय मैदानों में जलवायु में लगभग समानता रहती है यहाँ 2,000 मिमी के लगभग वर्षा होती है।
[[चित्र:Gir-Forest-National-Park-3.jpg|thumb|250px|left|[[गिर वन राष्ट्रीय उद्यान]]]]
गुजरात में वनक्षेत्र मात्र 10 प्रतिशत है, जो मानवीय गतिविधियों के साथ-साथ कम वर्षा को प्रतिबिंबत करती है। अपेक्षाकृत शुष्क क्षेत्रों में झाड़ीदार जंगल पाए जाते हैं, जहाँ बबूल अकाकिया, करील, भारतीय बेर और दातुनी झाड़ियां (सेल्वाडोर पर्सिका) पाई जाने वाली प्रमुख प्रजातियां हैं। 1,016 मिमी वार्षिक वर्षा दर वाली काठियावाड़ उच्चभूमि और पूर्वोत्तर मुख्यभूमि में सागौन, कत्था, गोंद (बैकलीगम), कीली वृक्ष और बंगाल किनो (ब्यूटिया गम) जैसे पर्णपाती वृक्ष पाए जाते हैं। पर्णपाती वन अपेक्षाकृत नम दक्षिणी और पूर्वी पहाड़ियों में केन्द्रित हैं। इनसे मुलायम टोमेंटोसा (घन-रोम), वेंगाई पादौक (महोगनी जैसा), मालाबार सीमल और ह्रदयाकार पत्तियों वाले अदीना जैसी कीमती लकड़ियां प्राप्त होती है। काठियावाड़ का पश्चिमी तट शैवाल के लिए जाना जाता है, जबकि पूर्वी तट से पपाइरस या पटेरा पौधा (साइपेरस पपाइरस) पाया जाता है।
काठियावाड़ के [[गिर राष्ट्रीय उद्यान]] में एशियाई प्रजाति की एकमात्र जाति भारतीय [[सिंह]] है। कच्छ के छोटे रण के पास एक अभयारण्य में शेष बचे हुए भारतीय जंगली गधे पाए जाते हैं। [[अहमदाबाद]] के निकट का नलसरोवर पक्षी अभयारण्य साइबेरिया के मैदानों व अन्य स्थानों से शीत ऋतु में लगभग 140 प्रकार के प्रवासी पक्षियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इनमें सारस, ब्राह्मणी बत्तख़, सोनचिरैया, पेलिकन, पनकौवा, आइबिस, लकलक (स्टॉर्क), बगुला और वक शामिल हैं। [[भारत]] में [[कच्छ का रण]] हंसावर (फ़्लेमिंगौ) का एकमात्र प्रजनन स्थल है। गुजरात में समुद्री और मीठे पानी की [[मछली|मछलियां]] पकड़ी जाती हैं। पकड़ी जाने वाली मछलियों में पॉम्फ़्रेट सॉलमन, हिल्सा, ज्यूफ़िश(साइएना), झींगा, बॉम्बे डक (खाद्य मछली) और ट्यूना मछली शामिल हैं।
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==अर्थव्यवस्था==  
==अर्थव्यवस्था==  
[[चित्र:Colourful-Peanut-Gujarat.jpg|thumb|250px|रंग बिरंगी [[मूँगफली]], गुजरात]]
[[चित्र:Colourful-Peanut-Gujarat.jpg|thumb|250px|रंग बिरंगी [[मूँगफली]], गुजरात]]
जलवायु संबंधी प्रतिकूल परिस्थियाँ, मृदा और जल की लवणता और चट्टानी इलाक़े ऐसी भौतिक समस्याएँ हैं, जिन्होंने गुजरात की कृषि गतिविधियों को अवरुद्ध किया। राज्य ज़्यादातर सिंचाई पर निर्भर है। भूजल की उपयोगी को बढ़ाने की आवश्यकता है, क्योंकि भूमिगत जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। यह आवश्यक है कि नर्मदा नहर प्रणाली काअ परिचालन सिंचाई के लिए हो। मुख्य खाद्य फ़सलों में ज्वार-बाजरा, चावल और गेहूँ शामिल हैं। गुजरात में नक़दी फ़सलों का उत्पादन महत्त्वपूर्ण है। गुजरात कपास, तंबाकू और मूँगफली का उत्पादन करने वाले देश का प्रमुख राज्य है तथा यह कपड़ा तेल और साबुन जैसे महत्त्वपूर्ण अद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराता है। [[दिसम्बर]] [[2002]] में राज्य में पंजीकृत चालू फैक्टरियों की संख्या 19,696 थी, जिनमें औसत 8.4 लाख दैनिक मजदूरों को रोजगार मिला हुआ था। लघु उद्योग क्षेत्र में [[सितम्बर]] [[2003]] तक राज्य में 2.83 लाख लघु औद्योगिक इकाइयों का पंजीकरण हो चुका था। दिसम्बर 2003 तक गुजरात औद्योगिक विकास निगम ने 241 औद्योगिक संपदाएं स्थापित की थीं। गुजरात पैट्रोलियम के उत्पादन में तीसरा बड़ा क्षेत्र है। यहाँ के मुख्य पेट्रोलियम उत्पादक क्षेत्र खम्भात की खाड़ी अंकलेश्वर,[[बड़ोदरा]], मेहसाना तथा [[अहमदाबाद]] हैं। गुजरात राज्य का [[भारत]] में कपास और [[मूँगफली]] उत्पादन में प्रथम और तम्बाकू उत्पादन में द्वितीय स्थान है। हालांकि ज़्यादातर लोग कृषि में संलग्न हैं, पर यहाँ एक सुगठित और अपेक्षाकृत समद्ध वाणिज्यिक समुदाय भी है, जो व्यापार और वाणिज्य में तरक़्क़ी कर रहा है। व्यापार में संग्लन गुजराती लोग देश भर और विदेशों में भी फैले हुए हैं, भारत की औद्योगिक अर्थव्यवस्था में गुजरात का स्थान अग्रणी है। यह राज्य चूना-पत्थर, मैंगनीज़ जिप्सम, कैल्साइट और बॉक्साइट जैसी खनिज संपदा से समृद्ध है। यहाँ  पर लिग्नाइट, क्वार्टज़ युक्त रेत, गोमेद (एगेट) और फ़ेल्सपार के भी भंडार हैं। असम के साथ गुजरात भी एक प्रमुख पेट्रोलियम उत्पादक राज्य है। सोडा ऐश और नमक के मामले में कुल राष्ट्रीय उत्पाद का सर्वाधिक हिस्सा यहीं से आता है। सीमेंट, वनस्पति तेल, रसायन और सूती वस्त्र के उद्योग महत्त्वपूर्ण हैं। औषधि उद्योग वडोदरा, अहमदाबाद और अतुल (वलसाड) में केंद्रित है, जो भारत के कुल उत्पादन के एक बड़े हिस्से का निर्माण करते हैं। कोयाली के निकट स्थित तेल परिशोधनशाला ने आसपास के पेट्रो रसायन उद्योग के तीव्र विकास में भूमिका निभाई है। सहकारी वाणिज्यिक डेयरी उद्योग भी महत्त्वपूर्ण है। दुग्ध उत्पादन में "श्वेत क्रांति" इसी राज्य में हुई थी और यह भारत के बच्चों के लिए दुग्ध खाद्य के कुल उत्पादन का 4/5 हिस्से का उत्पादन करता है। लघु उद्योगों का नियमित विकास महत्त्वपूर्ण है। मज़दूरों की समस्या पर गाँधीवादी मार्ग-सत्य पर दृढ़ निर्भरता, अहिंसा, मध्यस्थता द्वारा समझौता, न्यूनतम माँगें और आख़िरी उपाय के रूप में हड़ताल के प्रयोग-ने गुजरात में औद्योगिक संबंधों पर गहरा प्रभाव डाला है, जिसकी वजह से यह राज्य मज़दूर असंतोष से अपेक्षाकृत स्वतंत्र है।  
जलवायु संबंधी प्रतिकूल परिस्थियाँ, मृदा और जल की लवणता और चट्टानी इलाक़े ऐसी भौतिक समस्याएँ हैं, जिन्होंने गुजरात की कृषि गतिविधियों को अवरुद्ध किया। राज्य ज़्यादातर सिंचाई पर निर्भर है। भूजल की उपयोगी को बढ़ाने की आवश्यकता है, क्योंकि भूमिगत जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। यह आवश्यक है कि नर्मदा नहर प्रणाली का परिचालन सिंचाई के लिए हो। मुख्य खाद्य फ़सलों में ज्वार-बाजरा, [[चावल]] और [[गेहूँ]] शामिल हैं। गुजरात में नक़दी फ़सलों का उत्पादन महत्त्वपूर्ण है। गुजरात [[कपास]], [[तंबाकू]] और [[मूँगफली]] का उत्पादन करने वाले देश का प्रमुख राज्य है तथा यह कपड़ा तेल और साबुन जैसे महत्त्वपूर्ण उद्योगों के लिए [[कच्चा माल]] उपलब्ध कराता है। [[दिसम्बर]] [[2002]] में राज्य में पंजीकृत चालू फैक्टरियों की संख्या 19,696 थी, जिनमें औसत 8.4 लाख दैनिक मज़दूरों को रोज़गार मिला हुआ था। [[लघु उद्योग]] क्षेत्र में [[सितम्बर]] [[2003]] तक राज्य में 2.83 लाख लघु औद्योगिक इकाइयों का पंजीकरण हो चुका था। दिसम्बर 2003 तक गुजरात औद्योगिक विकास निगम ने 241 औद्योगिक संपदाएं स्थापित की थीं। गुजरात पैट्रोलियम के उत्पादन में तीसरा बड़ा क्षेत्र है। यहाँ के मुख्य पेट्रोलियम उत्पादक क्षेत्र खम्भात की खाड़ी अंकलेश्वर, [[बड़ोदरा]], [[मेहसाना]] तथा [[अहमदाबाद]] हैं। गुजरात राज्य का [[भारत]] में कपास और [[मूँगफली]] उत्पादन में प्रथम और तम्बाकू उत्पादन में द्वितीय स्थान है। हालांकि ज़्यादातर लोग कृषि में संलग्न हैं, पर यहाँ एक सुगठित और अपेक्षाकृत समद्ध वाणिज्यिक समुदाय भी है, जो व्यापार और वाणिज्य में तरक़्क़ी कर रहा है। व्यापार में संलग्न गुजराती लोग देश भर और विदेशों में भी फैले हुए हैं, भारत की औद्योगिक अर्थव्यवस्था में गुजरात का स्थान अग्रणी है। यह राज्य चूना-पत्थर, मैंगनीज़ जिप्सम, कैल्साइट और बॉक्साइट जैसी [[खनिज]] संपदा से समृद्ध है। यहाँ  पर लिग्नाइट, क्वार्टज़ युक्त रेत, गोमेद (एगेट) और फ़ेल्सपार के भी भंडार हैं। असम के साथ गुजरात भी एक प्रमुख पेट्रोलियम उत्पादक राज्य है। सोडा ऐश और नमक के मामले में कुल राष्ट्रीय उत्पाद का सर्वाधिक हिस्सा यहीं से आता है। सीमेंट, वनस्पति तेल, रसायन और सूती वस्त्र के उद्योग महत्त्वपूर्ण हैं। औषधि उद्योग वडोदरा, अहमदाबाद और अतुल (वलसाड) में केंद्रित है, जो भारत के कुल उत्पादन के एक बड़े हिस्से का निर्माण करते हैं। कोयाली के निकट स्थित तेल परिशोधनशाला ने आसपास के पेट्रो रसायन उद्योग के तीव्र विकास में भूमिका निभाई है। सहकारी वाणिज्यिक डेयरी उद्योग भी महत्त्वपूर्ण है। [[दुग्ध]] उत्पादन में "श्वेत क्रांति" इसी राज्य में हुई थी और यह [[भारत]] के बच्चों के लिए दुग्ध खाद्य के कुल उत्पादन का 4/5 हिस्से का उत्पादन करता है। लघु उद्योगों का नियमित विकास महत्त्वपूर्ण है। मज़दूरों की समस्या पर गाँधीवादी मार्ग-सत्य पर दृढ़ निर्भरता, अहिंसा, मध्यस्थता द्वारा समझौता, न्यूनतम माँगें और आख़िरी उपाय के रूप में हड़ताल के प्रयोग-ने गुजरात में औद्योगिक संबंधों पर गहरा प्रभाव डाला है, जिसकी वजह से यह राज्य मज़दूर असंतोष से अपेक्षाकृत स्वतंत्र है।  
यह प्रदेश डेयरी उद्योग में अग्रणी है। गुजरात के आनन्द में नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड का मुख्यालय है।
यह प्रदेश डेयरी उद्योग में अग्रणी है। गुजरात के आनन्द में नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड का मुख्यालय है।
[[चित्र:Diamond.jpg|thumb|250px|[[हीरा]]|left]]
[[चित्र:Diamond.jpg|thumb|250px|[[हीरा]]|left]]
* [[सूरत]] में [[हीरा]] तराशने और पॉलिश करने का उद्योग उन्नत दशा में है।  
*[[सूरत]] में [[हीरा]] तराशने और पॉलिश करने का उद्योग उन्नत दशा में है।  
*गुजरात भारत का सबसे प्रमुख नमक उत्पादन राज्य है। यहाँ देश का 60 प्रतिशत नमक तैयार किया जाता है।  
*गुजरात भारत का सबसे प्रमुख नमक उत्पादन राज्य है। यहाँ देश का 60 प्रतिशत नमक तैयार किया जाता है।  
*व्यापार की दृष्टि से समुद्र तटवर्ती इस प्रदेश का बहुत महत्व है। प्रदेश में कुल 40 बन्दरगाह हैं, जिनमें कांडला जैसी नवनिर्मित और विकसित बन्दगाह भी शामिल है।  
*व्यापार की दृष्टि से समुद्र तटवर्ती इस प्रदेश का बहुत महत्व है। प्रदेश में कुल 40 बन्दरगाह हैं, जिनमें कांडला जैसी नवनिर्मित और विकसित बन्दगाह भी शामिल है।  
*गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करने वाले व्यक्तियों का प्रतिशत (1999-2000) -14.07 प्रतिशत।
*ग़रीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करने वाले व्यक्तियों का प्रतिशत (1999-2000) -14.07 प्रतिशत।
 
सीएमएफआरआई के अनुमान के अनुसार, [[2016]] में कुल समुद्री मछली लैंडिंग 3.63 मिलियन टन थी, जिसमें गुजरात लगातार चौथे वर्ष शीर्ष पर रहा और उसके बाद [[तमिलनाडु]] का स्थान रहा। [[केरल]] अपनी विशाल तटरेखा के साथ पहली बार शीर्ष तीन से बाहर हो गया और [[कर्नाटक]] के बाद चौथे स्थान पर रहा। राष्ट्रीय मछली, मैकेरल, लंबे अंतराल के बाद 2.50 लाख टन के कुल उत्पादन के साथ सार्डिन (2.44 लाख टन) से आगे सभी किस्मों में पहले स्थान पर रही। सार्डिन की लैंडिंग में 32.8% का भारी अंतर दर्ज किया गया, जिसे गरीबों की मछली के रूप में जाना जाता है जिसमें अच्छी मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है जो एचडीएल (अच्छा कोलेस्ट्रॉल) बढ़ाता है। [[कोच्चि]] में केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) द्वारा तैयार मछली लैंडिंग पर वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि काउंटी की समुद्री मछली पकड़ने में पिछले वर्ष की तुलना में 2016 में 6.6% की मामूली वृद्धि दर्ज की गई है।<ref name="pp">{{cite web |url= https://www.hindustantimes.com/india-news/gujarat-retains-the-first-spot-in-marine-fish-catch/story-GzifhLwiaRSBzL3GK59JjM.html|title=समुद्री मछली पकड़ने में गुजरात पहले स्थान पर बरकरार है|accessmonthday=20 फ़रवरीaccessyear=2024 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=hindustantimes.com |language=हिंदी}}</ref>
====कृषि====
====कृषि====
[[चित्र:Water-Problem-Gujarat.jpg|पानी भरती ग्रामीण महिलायें, गुजरात|thumb|250px]]
[[चित्र:Water-Problem-Gujarat.jpg|पानी भरती ग्रामीण महिलायें, गुजरात|thumb|250px]]
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*कुल खाद्यान्न उत्पादन (1999- 2000) -4,051,700 टन।
*कुल खाद्यान्न उत्पादन (1999- 2000) -4,051,700 टन।
====उद्योग====
====उद्योग====
राज्य के औद्योगिक ढांचे में धीरे-धीरे विविधता आती जा रही है। यहाँ रसायन, पेट्रो-रसायन, उर्वरक, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि उद्योगों का विकास रहा है।
राज्य के औद्योगिक ढांचे में धीरे-धीरे विविधता आती जा रही है। यहाँ रसायन, पेट्रो-रसायन, [[उर्वरक]], इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि उद्योगों का विकास रहा है।
*[[2004]] के अंत में राज्य में पंजीकृत फैक्टरियों की संख्या 21,536 (अस्थाई) थी जिनमें औसतन 9.27 लाख दैनिक मजदूरों को रोजगार मिला हुआ था।  
*[[2004]] के अंत में राज्य में पंजीकृत फैक्टरियों की संख्या 21,536 (अस्थाई) थी जिनमें औसतन 9.27 लाख दैनिक मज़दूरों को रोज़गार मिला हुआ था।  
*[[मार्च]], [[2005]] तक राज्य में 2.99 लाख लघु औद्योगिक इकाइयों का पंजीकरण हो चुका था।  
*[[मार्च]], [[2005]] तक राज्य में 2.99 लाख लघु औद्योगिक इकाइयों का पंजीकरण हो चुका था।  
*गुजरात औद्योगिक विकास निगम को ढांचागत सुविधाओं के साथ औद्योगिक संपदाओं के विकास की भूमिका सौंपी गई है।  
*गुजरात औद्योगिक विकास निगम को ढांचागत सुविधाओं के साथ औद्योगिक संपदाओं के विकास की भूमिका सौंपी गई है।  
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*वस्त्र, रासायनिक पैट्रो रसायन, दवाई, रंग उर्वरक, सीमेण्ट, दुग्ध उत्पाद, चीनी, इंजीनियरी सामान [[काग़ज़]], नमक आदि।
*वस्त्र, रासायनिक पैट्रो रसायन, दवाई, रंग उर्वरक, सीमेण्ट, दुग्ध उत्पाद, चीनी, इंजीनियरी सामान [[काग़ज़]], नमक आदि।
*गुजरात का सबसे महत्त्वपूर्ण उद्योग सूती वस्त्र है। [[भारत]] का मैनचेस्टर [[अहमदाबाद]] को कहा जाता है।
*गुजरात का सबसे महत्त्वपूर्ण उद्योग सूती वस्त्र है। [[भारत]] का मैनचेस्टर [[अहमदाबाद]] को कहा जाता है।
====सिंचाई और बिजली====
====सिंचाई और बिजली====
धुवारन में एक तापविद्युत केंद्र स्थित है। राज्य को महाराष्ट्र राज्य की तारापुर नाभिकीय ऊर्जा इकाई से भी बिजली की आपूर्ति होती है। नर्मदा नदी पर लंबे समय से निर्माणाधीन सरदार सरोवर बांध के सबसे बड़े जलविद्युत उत्पादक बनने की आशा है और इससे विस्तृत सिंचाई सुविधा भी मिलेगी।  
धुवारन में एक तापविद्युत केंद्र स्थित है। राज्य को महाराष्ट्र राज्य की तारापुर नाभिकीय ऊर्जा इकाई से भी बिजली की आपूर्ति होती है। नर्मदा नदी पर लंबे समय से निर्माणाधीन और विवाद ग्रसित [[सरदार सरोवर बांध]] के सबसे बड़े जलविद्युत उत्पादक बनने की आशा है और इससे विस्तृत सिंचाई सुविधा भी मिलेगी।  
[[चित्र:Gujarat-Power-Plant.jpg|thumb|250px|गुजरात विद्युत निगम, [[वड़ोदरा]]]]
[[चित्र:Gujarat-Power-Plant.jpg|thumb|250px|गुजरात विद्युत निगम, [[वड़ोदरा]]]]
*सिंचाई एवं विद्युत- प्रमुख सिंचाई परियोजना में उकई, कडाना, काकरापार, दंतिवाड़ा शत्रुंजय, भादर, मेशवा।  
*सिंचाई एवं विद्युत- प्रमुख सिंचाई परियोजना में उकई, कडाना, काकरापार, दंतिवाड़ा शत्रुंजय, भादर, मेशवा।  
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*राज्य में जून 2007 तक कुल सिंचाई क्षमता 42.26 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई थी।  
*राज्य में जून 2007 तक कुल सिंचाई क्षमता 42.26 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई थी।  
*जून 2007 तक अधिकतम उपयोग क्षतमा 37.33 लाख हेक्टेयर आंकी गई।
*जून 2007 तक अधिकतम उपयोग क्षतमा 37.33 लाख हेक्टेयर आंकी गई।
*कुल सिंचित क्षेत्र -3,082,000 हेक्टेयर ।  
*कुल सिंचित क्षेत्र -3,082,000 हेक्टेयर ।
*प्रति-व्यक्ति बिजली की खपत (1998-99)- 724kwh
 
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==प्रशासन==
==प्रशासन==
[[चित्र:Vidhan-sabha-Gujarat.jpg|thumb|250px|विधान सभा, गुजरात]]
[[चित्र:Vidhan-sabha-Gujarat.jpg|thumb|250px|विधान सभा, गुजरात]]
====सरकार====  
====सरकार====  
[[राष्ट्रपति]] द्वारा नियुक्त राज्यपाल गुजरात के प्रशासन का प्रमुख होता है। [[मुख्यमंत्री]] के नेतृत्व में मंत्रिमंडल राज्यपाल को उसके कामकाज में सहयोग और सलाह देता है। राज्य में एक निर्वाचित निकाय एकसदनात्मक विधानसभा है।  
[[राष्ट्रपति]] द्वारा नियुक्त राज्यपाल गुजरात के प्रशासन का प्रमुख होता है। [[मुख्यमंत्री]] के नेतृत्व में मंत्रिमंडल राज्यपाल को उसके कामकाज में सहयोग और सलाह देता है। राज्य में एक निर्वाचित निकाय एकसदनात्मक विधानसभा है।  
उच्च न्यायालय राज्य की सर्वोपरि न्यायिक सत्ता है, जबकि शहरी न्यायालय, ज़िला व सत्र न्यायाधीशों के न्यायालय और प्रत्येक ज़िले में दीवानी मामलों के न्यायाधीशों के न्यायालय हैं। राज्य को 25 प्रशासनिक ज़िलों में बांटा गया है। [[अहमदाबाद]], अमरेली, बनास कंठा, भरूच, [[भावनगर]], डेंग, [[गाँधीनगर]], खेड़ा, महेसाणा, पंचमहल, [[राजकोट]], साबर कंठा, सूरत सुरेंद्रनगर, [[वडोदरा]], वलसाड, नवसारी, नर्मदा, दोहद, आनंद, पाटन, जामनगर, पोरबंदर, जूनागढ़ और [[कच्छ]], प्रत्येक ज़िले का राजस्व और सामान्य प्रशासन ज़िलाधीश की देखरेख में होता है, जो क़ानून और व्यवस्था भी बनाए रखता है। स्थानीय प्रशासन में आम लोगों को शामिल करने के लिए [[1963]] में पंचायत द्वारा प्रशासन की शुरुआत की गई।  
उच्च न्यायालय राज्य की सर्वोपरि न्यायिक सत्ता है, जबकि शहरी न्यायालय, ज़िला व सत्र न्यायाधीशों के न्यायालय और प्रत्येक ज़िले में दीवानी मामलों के न्यायाधीशों के न्यायालय हैं। राज्य को 25 प्रशासनिक ज़िलों में बांटा गया है। [[अहमदाबाद]], अमरेली, बनास कंठा, भरूच, [[भावनगर]], डेंग, [[गाँधीनगर]], खेड़ा, [[महेसाणा]], पंचमहल, [[राजकोट]], साबर कंठा, सूरत सुरेंद्रनगर, [[वडोदरा]], वलसाड, नवसारी, नर्मदा, [[दोहद]], आनंद, पाटन, [[जामनगर]], [[पोरबंदर]], [[जूनागढ़]] और [[कच्छ]], प्रत्येक ज़िले का राजस्व और सामान्य प्रशासन ज़िलाधीश की देखरेख में होता है, जो क़ानून और व्यवस्था भी बनाए रखता है। स्थानीय प्रशासन में आम लोगों को शामिल करने के लिए [[1963]] में पंचायत द्वारा प्रशासन की शुरुआत की गई।  
[[चित्र:Sterling-Civil-Hospital-Gujarat.jpg|thumb|left|200px|स्टर्लिंग सिविल अस्पताल, [[अहमदाबाद]]]]
[[चित्र:Sterling-Civil-Hospital-Gujarat.jpg|thumb|left|200px|स्टर्लिंग सिविल अस्पताल, [[अहमदाबाद]]]]
====स्वास्थ्य====   
====स्वास्थ्य====   
स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाओं में [[मलेरिया]], तपेदिक, कुष्ठ और अन्य संक्रामक रोगों के उन्मूलन के साथ-साथ पेयजल की आपूर्ति में सुधार और खाद्य सामग्री में मिलावट को रोकने के कार्यक्रम शामिल हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, अस्पतालों और चिकित्सा महाविद्यालयों के विस्तार के लिए भी क़दम उठाए गए हैं।  
स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाओं में मलेरिया, [[तपेदिक]], कुष्ठ और अन्य संक्रामक रोगों के उन्मूलन के साथ-साथ पेयजल की आपूर्ति में सुधार और खाद्य सामग्री में मिलावट को रोकने के कार्यक्रम शामिल हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, अस्पतालों और चिकित्सा महाविद्यालयों के विस्तार के लिए भी क़दम उठाए गए हैं।  
====जन-कल्याण====  
====जन-कल्याण====  
बच्चों, महिलाओं और विकलांगों, वृद्ध, असहाय, परित्यक्त के साथ-साथ अपराधी भिखारी, अनाथ और जेल से छुटे लोगों की कल्याण आवश्यकताओं की देखरेख विभिन्न राजकीय संस्थाएं करती हैं। राज्य में तथाकथित पिछड़े वर्ग के लोगों की शिक्षा, आर्थिक विकास, स्वास्थ्य और आवास की देखरेख के लिए एक अलग विभाग है।  
बच्चों, महिलाओं और विकलांगों, वृद्ध, असहाय, परित्यक्त के साथ-साथ अपराधी भिखारी, अनाथ और जेल से छुटे लोगों की कल्याण आवश्यकताओं की देखरेख विभिन्न राजकीय संस्थाएं करती हैं। राज्य में तथाकथित पिछड़े वर्ग के लोगों की शिक्षा, आर्थिक विकास, स्वास्थ्य और आवास की देखरेख के लिए एक अलग विभाग है।  
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|caption= गुजरात विधान सभा का विहंगम दृश्य
|caption= गुजरात विधान सभा का विहंगम दृश्य
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==जनजीवन==
==जनजीवन==
[[चित्र:Blacksmith-Gujarat.jpg|thumb|250px|लोहार, गुजरात]]
[[चित्र:Blacksmith-Gujarat.jpg|thumb|250px|लोहार, गुजरात]]
गुजराती जनसंख्या में विविध जातीय समूह का मोटे तौर पर इंडिक / भारतोद्भव (उत्तरी मूल) या [[द्रविड़ निवासी|द्रविड़]] (दक्षिणी मूल) के रूप में वर्गीकरण किया जा सकता है। पहले वर्ग में नगर [[ब्राह्मण]], भटिया, भदेला, राबरी और मीणा जातियां (पारसी, मूल रूप से फ़ारस से, परवर्ती उत्तरी आगमन का प्रतिनिधित्व करते हैं), जबकि दक्षिणी मूल के लोगों में भंगी, कोली, डबला, नायकदा व मच्छि-खरवा जनजातिया हैं। शेष जनसंख्या में आदिवासी भील मिश्रित विशेषताएं दर्शाते हैं। अनुसूचित जनजाति और आदिवासी जनजाति के सदस्य प्रदेश की जनसंख्या का लगभग पाँचवां हिस्सा हैं। यहाँ डेंग ज़िला पूर्णत: आदिवासी युक्त ज़िला है। अहमदाबाद ज़िले में अनुसूचित जनजाति का अनुपात सर्वाधिक है। गुजरात में जनसंख्या का मुख्य संकेंद्रण [[अहमदाबाद]], खेड़ा, [[वडोदरा]], [[सूरत]] और वल्सर के मैदानी क्षेत्र में देखा जा सकता है। यह क्षेत्र कृषि के दृष्टिकोण से उर्वर है और अत्यधिक औद्योगीकृत है। जनसंख्या का एक अन्य संकेंद्रण मंगरोल से महुवा तक और [[राजकोट]] एवं [[जामनगर]] के आसपास के हिस्सों सहित [[सौराष्ट्र]] के दक्षिणी तटीय क्षेत्रों में देखा जा सकता है। जनसंख्या का वितरण उत्तर ([[कच्छ]]) और पूर्वी पर्वतीय क्षेत्रों की ओर क्रमश कम होता जाता है। जनसंख्या का औसत घनत्व 258 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी (2001) है और दशकीय वृद्धि दर 2001 में 22.48 प्रतिशत पाई गई।
गुजराती जनसंख्या में विविध जातीय समूह का मोटे तौर पर इंडिक / भारतोद्भव (उत्तरी मूल) या [[द्रविड़ निवासी|द्रविड़]] (दक्षिणी मूल) के रूप में वर्गीकरण किया जा सकता है। पहले वर्ग में नगर [[ब्राह्मण]], भटिया, भदेला, राबरी और मीणा जातियां (पारसी, मूल रूप से फ़ारस से, परवर्ती उत्तरी आगमन का प्रतिनिधित्व करते हैं), जबकि दक्षिणी मूल के लोगों में वाल्मीकि, कोली, डबला, नायकदा व मच्छि-खरवा जनजातिया हैं। शेष जनसंख्या में आदिवासी भील मिश्रित विशेषताएं दर्शाते हैं। अनुसूचित जनजाति और आदिवासी जनजाति के सदस्य प्रदेश की जनसंख्या का लगभग पाँचवां हिस्सा हैं। यहाँ डेंग ज़िला पूर्णत: आदिवासी युक्त ज़िला है। अहमदाबाद ज़िले में अनुसूचित जनजाति का अनुपात सर्वाधिक है। गुजरात में जनसंख्या का मुख्य संकेंद्रण [[अहमदाबाद]], खेड़ा, [[वडोदरा]], [[सूरत]] और वल्सर के मैदानी क्षेत्र में देखा जा सकता है। यह क्षेत्र कृषि के दृष्टिकोण से उर्वर है और अत्यधिक औद्योगीकृत है। जनसंख्या का एक अन्य संकेंद्रण मंगरोल से महुवा तक और [[राजकोट]] एवं [[जामनगर]] के आसपास के हिस्सों सहित [[सौराष्ट्र]] के दक्षिणी तटीय क्षेत्रों में देखा जा सकता है। जनसंख्या का वितरण उत्तर ([[कच्छ]]) और पूर्वी पर्वतीय क्षेत्रों की ओर क्रमश कम होता जाता है। जनसंख्या का औसत घनत्व 258 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी (2001) है और दशकीय वृद्धि दर 2001 में 22.48 प्रतिशत पाई गई।


{{गुजरात चित्र सूची2}}
{{गुजरात चित्र सूची2}}
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==खानपान==
==खानपान==
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*राज्य के [[अहमदाबाद]] स्थित मुख्य हवाई अड्डे से [[मुंबई]], [[दिल्ली]] और अन्य शहरों के लिए दैनिक विमान सेवा उपलब्ध है। अहमदाबाद हवाई अड्डे को अब अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का दर्जा मिल गया हैं। अन्य हवाई अड्डे [[वडोदरा]], भावनगर, [[भुज]], [[सूरत]], जामनगर, कांदला, केशोद, [[पोरबंदर]] और राजकोट में है।
*राज्य के [[अहमदाबाद]] स्थित मुख्य हवाई अड्डे से [[मुंबई]], [[दिल्ली]] और अन्य शहरों के लिए दैनिक विमान सेवा उपलब्ध है। अहमदाबाद हवाई अड्डे को अब अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का दर्जा मिल गया हैं। अन्य हवाई अड्डे [[वडोदरा]], भावनगर, [[भुज]], [[सूरत]], जामनगर, कांदला, केशोद, [[पोरबंदर]] और राजकोट में है।
*गुजरात में कुल 40 बंदरगाह हैं। कांदला राज्य का प्रमुख बंदरगाह है। वर्ष 2004-05 के दौरान गुजरात के मंझोले और छोटे बंदरगाहों से कुल 971.28 लाख टन माल ढोया गया जबकि कांदला बंदरगाह से 415.51 लाख टन माल ढोया गया।
*गुजरात में कुल 40 बंदरगाह हैं। कांदला राज्य का प्रमुख बंदरगाह है। वर्ष 2004-05 के दौरान गुजरात के मंझोले और छोटे बंदरगाहों से कुल 971.28 लाख टन माल ढोया गया जबकि कांदला बंदरगाह से 415.51 लाख टन माल ढोया गया।
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==राष्ट्रीय उद्यान==  
==राष्ट्रीय उद्यान==  
{| class="bharattable-green" border="1" style="margin:5px; float:right"
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|वेलावदार राष्ट्रीय उद्यान   
|वेलावदार राष्ट्रीय उद्यान   
|भावनगर
|[[भावनगर]]
| 34.08  वर्ग किमी   
| 34.08  वर्ग किमी   
|तेंदुआ, हिरण, चिंकारा मोर  
|[[तेंदुआ]], हिरण, चिंकारा मोर  
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|बंसदा राष्ट्रीय उद्यान   
|बंसदा राष्ट्रीय उद्यान   
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| मेरीन राष्ट्रीय उद्यान   
| मेरीन राष्ट्रीय उद्यान   
|जामनगर   
|[[जामनगर]]    
|162.89 वर्ग किमी   
|162.89 वर्ग किमी   
|रगोग, हरा कछुवा, ऑलिव <br />  
|रगोग, हरा कछुवा, ऑलिव <br />  
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गुजरात में गिर राष्ट्रीय उद्यान, वेलावदार राष्ट्रीय उद्यान, बंसदा, राष्ट्रीय उद्यान और मेरीन राष्ट्रीय उद्यान मिलाकर कुल चार राष्ट्रीय उद्यान हैं जो कुल 47,967 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हुए हैं।  
गुजरात में गिर राष्ट्रीय उद्यान, वेलावदार राष्ट्रीय उद्यान, बंसदा, राष्ट्रीय उद्यान और मेरीन राष्ट्रीय उद्यान मिलाकर कुल चार राष्ट्रीय उद्यान हैं जो कुल 47,967 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हुए हैं।  
 
; गिर राष्ट्रीय उद्यान-
<u>'''गिर राष्ट्रीय उद्यान'''</u>
*[[गिर राष्ट्रीय उद्यान]] की स्थापना राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में [[1975]] में की गई थी और जूनागढ़ ज़िले में 258-71 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।  
*गिर राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में [[1975]] में की गई थी और जूनागढ़ ज़िले में 258-71 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।  
*गिर की जलवायु ऊष्णकटिबंधीय है और इसको वनस्पति ऊष्मकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती है। वनों में सागवान, [[बरगद]], मिश्रित पर्णपाती तथा कंटीले पेड़-पौधे, जैसे-बबूल, कीकर, बेर आदि मिलते हैं।  
*गिर की जलवायु ऊष्णकटिबंधीय है और इसको वनस्पति ऊष्मकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती है। वनों में सागवान, [[बरगद]], मिश्रित पर्णपाती तथा कंटीले पेड़-पौधे, जैसे-बबूल, कीकर, बेर आदि मिलते हैं।  
*गिर वन संकटापन्न और विरल प्रजाति के एशियाई [[सिंह|शेर]] के एकमात्र आश्रय स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। इसमें [[तेंदुआ]] लक्करबग्धा, जंगली सुअर, नीलगाय, सांभर [[चीतल]] चिंकारा, चौसिंगा, मगर, गोह आदि पाये जाते हैं।  
*गिर वन संकटापन्न और विरल प्रजाति के एशियाई [[सिंह|शेर]] के एकमात्र आश्रय स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। इसमें [[तेंदुआ]], लक्करबग्धा, जंगली सूअर, नीलगाय, सांभर, [[चीतल]], चिंकारा, चौसिंगा, मगर, गोह आदि पाये जाते हैं।  
 
[[चित्र:Gir-Forest-National-Park-2.jpg|left|thumb|[[गिर वन राष्ट्रीय उद्यान]]]]
<u>'''वेलावदार राष्ट्रीय उद्यान'''</u>
;वेलावदार राष्ट्रीय उद्यान-
*यह भावनगर ज़िले में 34 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। इसमें ऊष्णकटिबंधीय कंटीले वन पाये जाते हैं। काला हिरण और [[भेड़िया]] इसके प्रमुख वन्य पशु हैं जबकि [[मोर]] सामान्य पक्षी है।  
*यह भावनगर ज़िले में 34 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। इसमें ऊष्णकटिबंधीय कंटीले वन पाये जाते हैं। काला हिरण और [[भेड़िया]] इसके प्रमुख वन्य पशु हैं जबकि [[मोर]] सामान्य पक्षी है।  
[[चित्र:Gir-Forest-National-Park-3.jpg|thumb|150px|[[गिर वन राष्ट्रीय उद्यान]]]]
;बंसदा राष्ट्रीय उद्यान-
<u>'''बंसदा राष्ट्रीय उद्यान'''</u>
*इसे बलसाड ज़िले में [[1976]] में स्थापित किया गया था। और इसका क्षेत्रफल 24 किलोमीटर है। इस उद्यान में नम पर्णपाती वन हैं जबकि मोर मुख्य पक्षी है।  
*इसे बलसाड ज़िले में [[1976]] में स्थापित किया गया था। और इसका क्षेत्रफल 24 किलोमीटर है। इस उद्यान में नम पर्णपाती वन हैं जबकि मोर मुख्य पक्षी है।  
;मैरीन राष्ट्रीय उद्यान-
*[[1982]] में राज्य के जामनगर ज़िले में स्थापित मेरीन राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल 163 वर्ग किलोमीटर है। ऊष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थित समुद्रीतटीय एवं दलदली भूमिवाले इस उद्यान में मैंग्रोव प्रजातियों के वृक्ष पाये जाते हैं जबकि अंशतः अर्द्धसदाहरित वन भी पाये जाते हैं। यहाँ वन्यजीवों में समुद्री गाय (डूगोंग), हरी त्वचावाले [[कछुआ|कछुए]], खारेपानी के [[मगरमच्छ]], ओलिव रिडले [[गोह]], मुख्य हैं। पक्षियों में चमचाचोंच, जलमुर्गी, पीही आदि सामान्य रूप से पाये जाते हैं।


<u>'''मैरीन राष्ट्रीय उद्यान'''</u>
[[चित्र:Maharaja-Sayajirao-University-Baroda.jpg|thumb|महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, [[वड़ोदरा]]]]
*[[1982]] में राज्य के जामनगर ज़िले में स्थापित मेरीन राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल 163 वर्ग किलोमीटर है। ऊष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थित समुद्रीतटीय एवं दलदली भूमिवाले इस उद्यान में मैंग्रोव प्रजातियों के वृक्ष पाये जाते हैं जबकि अंशतः अर्द्धसदाहरित वन भी पाये जाते हैं। यहाँ वन्यजीवों में समुद्री गाय (डूगोंग), हरी त्वचावाले कछुए, खारेपानी के मगरमच्छ, ओलिव रिडले गोह, मुख्य हैं। पक्षियों में चमचाचोंच, जलमुर्गी, पीही आदि सामान्य रूप से पाये जाते हैं।
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==शिक्षा==
==शिक्षा==
[[चित्र:Maharaja-Sayajirao-University-Baroda.jpg|thumb|महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, [[वड़ोदरा]]]]
500 या इससे ज़्यादा जनसंख्या वाले लगभग सभी गाँवों में सात से ग्यारह वर्ष के सभी बच्चों के लिए प्राथमिक पाठशालाएँ हैं। आदिवासी बच्चों को [[कला]] और शिल्प की शिक्षा देने के लिए विशेष विद्यालय चलाए जाते हैं। यहाँ अनेक माध्यमिक और उच्चतर विद्यालयों के साथ-साथ नौ विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा के लिए बड़ी संख्या में शिक्षण संस्थान हैं। अभियांत्रिकी महाविद्यालयों और तकनीकी विद्यालयों द्वारा तकनीकी शिक्षा उपलब्ध कराई जाती है। शोध संस्थानों में अहमदाबाद में फ़िज़िकल रिसर्च लेबोरेटरी अहमदाबाद टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज़ रिसर्च एशोसिएशन, सेठ भोलाभाई जेसिंगभाई इंस्टिट्यूट ऑफ़ लर्निंग ऐंड रिसर्च, द इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट, द नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ डिज़ाइन और द सरदार पटेल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इकोनॉमिक ऐंड सोशल रिसर्च, वडोदरा में ओरिएंटल इंस्टिट्यूट तथा भावनगर में सेंट्रल साल्ट ऐंड मॅरीन केमिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट शामिल हैं।  
500 या इससे ज़्यादा जनसंख्या वाले लगभग सभी गाँवों में सात से ग्यारह वर्ष के सभी बच्चों के लिए प्राथमिक पाठशालाएँ खोली जा चुकी हैं। आदिवासी बच्चों को [[कला]] और शिल्प की शिक्षा देने के लिए विशेष विद्यालय चलाए जाते हैं। यहाँ अनेक माध्यमिक और उच्चतर विद्यालयों के साथ-साथ नौ विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा के लिए बड़ी संख्या में शिक्षण संस्थान हैं। अभियांत्रिकी महाविद्यालयों और तकनीकी विद्यालयों द्वारा तकनीकी शिक्षा उपलब्ध कराई जाती है। शोध संस्थानों में अहमदाबाद में फ़िज़िकल रिसर्च लेबोरेटरी अहमदाबाद टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज रिसर्च एशोसिएशन, सेठ भोलाभाई जेसिंगभाई इंस्टिट्यूट ऑफ़ लर्निंग ऐंड रिसर्च, द इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट, द नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ डिज़ाइन और द सरदार पटेल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इकोनॉमिक ऐंड सोशल रिसर्च, वडोदरा में ओरिएंटल इंस्टिट्यूट तथा भावनगर में सेंट्रल साल्ट ऐंड मॅरीन केमिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट शामिल हैं।  
{| class="bharattable-pink"  
{| class="bharattable-purple" border="1"
|+ गुजरात के शिक्षण और अनुसंधान केन्द्र
|+ गुजरात के शिक्षण और अनुसंधान केन्द्र
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|-
! विश्वविद्यालय
! विश्वविद्यालय
! प्रशिक्षण संस्थान
! प्रशिक्षण संस्थान
! शोध एवं अनुसंधान केन्द्र
! शोध एवं अनुसंधान केन्द्र
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|- valign="top"
| rowspan="3" | (1) गुजरात कृषि विश्वविद्यालय, दांतिवाड़ा (2) गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जामनगर (3) गुजरात विश्वविद्यालय, अहमदाबाद <br /> (4) गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद (5) महाराजा सायजीराव विश्वविद्यालय, बड़ोदरा (6) सरदार पटेल विश्वविद्यालय, बल्लभ विद्यानगर <br />(7) सौराष्ट्र विश्वविद्यालय, सूरत (8) उत्तरी गुजरात विश्वविद्यालय, पाटन (9) डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर खुला विश्वविद्यालय, अहमदाबाद  
|  
|(1) कॉलेज ऑफ़ सैटेलाइट कम्यूनिकेशन  टेक्नोलॉजी, अहमदाबाद
* गुजरात कृषि विश्वविद्यालय, दांतिवाड़ा
|(1) केन्द्रीय नमक और समुद्री रसायन अनुसंधान संस्थान, भावनगर
* गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जामनगर
|-
* गुजरात विश्वविद्यालय, अहमदाबाद
|(2) इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट अहमदाबाद  
* गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद  
|(2) विद्युत अनुसंधान और विकास संस्थान, बड़ोदरा
* महाराजा सायजीराव विश्वविद्यालय, बड़ोदरा  
|-
* सरदार पटेल विश्वविद्यालय, बल्लभ विद्यानगर
* सौराष्ट्र विश्वविद्यालय, सूरत  
* उत्तरी गुजरात विश्वविद्यालय, पाटन  
* डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर खुला विश्वविद्यालय, अहमदाबाद  
|  
* कॉलेज ऑफ़ सैटेलाइट कम्यूनिकेशन  टेक्नोलॉजी, अहमदाबाद
* इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट अहमदाबाद  
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|(3) ककरापाड़ा एटॉमिक पॉवर प्लाण्ट (गुजरात)
* केन्द्रीय नमक और समुद्री रसायन अनुसंधान संस्थान, भावनगर
* विद्युत अनुसंधान और विकास संस्थान, बड़ोदरा
* ककरापाड़ा एटॉमिक पॉवर प्लाण्ट (गुजरात)
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{{top}}
 
==भाषा==
==भाषा==
[[चित्र:Gujarati-alpha.jpg|thumb|100px|गुजराती वर्णमाला]]
[[चित्र:Gujarati-alpha.jpg|thumb|गुजराती वर्णमाला]]
[[गुजराती भाषा|गुजराती]] और [[हिंदी]] राज्य की अधिकृत भाषाएं हैं। दोनों में गुजराती का ज़्यादा व्यापक इस्तेमाल होता है, जो [[संस्कृत]] के अलावा प्राचीन भारतीय मूल भाषा प्राकृत और 10 वीं शताब्दी के बीच उत्तरी और पश्चिमी [[भारत]] में बोली जाने वाली अपभ्रंश भाषा से व्युत्पन्न एक भारतीय-आर्य भाषा है। समुद्र मार्ग से गुजरात के विदेशों से संपर्क ने [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]], [[अरबी भाषा|अरबी]], तुर्की, पुर्तग़ाली और [[अंग्रेज़ी]] शब्दों से इसका परिचय करवाया। गुजराती में [[महात्मा गांधी]] की विलक्षण रचनाएं अपनी सादगी और ऊर्जस्विता के लिए प्रसिद्ध हैं। इन रचनाओं ने आधुनिक गुजराती गद्य पर ज़बरदस्त प्रभाव डाला है। गुजरात में [[राजभाषा]] [[गुजराती भाषा]] के अतिरिक्त [[हिन्दी]], [[मराठी भाषा|मराठी]] और [[अंग्रेज़ी]] का प्रचलन है। गुजराती भाषा नवीन भारतीय–आर्य भाषाओं के दक्षिण–पश्चिमी समूह से सम्बन्धित है। इतालवी विद्वान तेस्सितोरी ने प्राचीन गुजराती को प्राचीन पश्चिमी राजस्थानी भी कहा, क्योंकि उनके काल में इस भाषा का उपयोग उस क्षेत्र में भी होता था, जिसे अब [[राजस्थान]] राज्य कहा जाता है।
[[गुजराती भाषा|गुजराती]] और [[हिन्दी]] राज्य की अधिकृत भाषाएं हैं। दोनों में गुजराती का ज़्यादा व्यापक इस्तेमाल होता है, जो [[संस्कृत]] के अलावा प्राचीन भारतीय मूल भाषा प्राकृत और 10 वीं शताब्दी के बीच उत्तरी और पश्चिमी [[भारत]] में बोली जाने वाली अपभ्रंश भाषा से व्युत्पन्न एक भारतीय-आर्य भाषा है। समुद्र मार्ग से गुजरात के विदेशों से संपर्क ने [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]], [[अरबी भाषा|अरबी]], तुर्की, पुर्तग़ाली और [[अंग्रेज़ी]] शब्दों से इसका परिचय करवाया। गुजराती में [[महात्मा गांधी]] की विलक्षण रचनाएं अपनी सादगी और ऊर्जस्विता के लिए प्रसिद्ध हैं। इन रचनाओं ने आधुनिक गुजराती गद्य पर ज़बरदस्त प्रभाव डाला है। गुजरात में [[राजभाषा]] [[गुजराती भाषा]] के अतिरिक्त [[हिन्दी]], [[मराठी भाषा|मराठी]] और [[अंग्रेज़ी]] का प्रचलन है। गुजराती भाषा नवीन भारतीय–आर्य भाषाओं के दक्षिण–पश्चिमी समूह से सम्बन्धित है। इतालवी विद्वान् तेस्सितोरी ने प्राचीन गुजराती को प्राचीन पश्चिमी राजस्थानी भी कहा, क्योंकि उनके काल में इस भाषा का उपयोग उस क्षेत्र में भी होता था, जिसे अब [[राजस्थान]] राज्य कहा जाता है।


{{see also|गुजराती भाषा|हिंदी भाषा}}
{{see also|गुजराती भाषा|हिन्दी भाषा}}


==धर्म==
==धर्म==
[[चित्र:Jain-Temple-Palitana-Gujarat.jpg|thumb|जैन मंदिर, [[पालीताना]]]]
[[चित्र:Jain-Temple-Palitana-Gujarat.jpg|thumb|जैन मंदिर, [[पालीताना]]]]
गुजरात में अधिकांश जनसंख्या [[हिंदू धर्म]] को मानती है, जबकि कुछ संख्या [[इस्लाम धर्म|इस्लाम]], [[जैन]] और [[पारसी धर्म]] मानने वालों की भी है। राज्य नीति हमेशा से ही इसकी जनता की धार्मिक सहिष्णुता के कारण विशिष्ट रही है, हालांकि 20 वीं सदी के उत्तरार्द्ध में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव के कारण दंगे भी हुए हैं।
गुजरात में अधिकांश जनसंख्या [[हिन्दू धर्म]] को मानती है, जबकि कुछ संख्या [[इस्लाम धर्म|इस्लाम]], [[जैन]] और [[पारसी धर्म]] मानने वालों की भी है। राज्य नीति हमेशा से ही इसकी जनता की धार्मिक सहिष्णुता के कारण विशिष्ट रही है, हालांकि 20 वीं सदी के उत्तरार्ध में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव के कारण दंगे भी हुए हैं।


==संस्कृति==
==संस्कृति==
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गुजरात की अधिकांश लोक संस्कृति और लोकगीत [[हिन्दू]] धार्मिक साहित्य [[पुराण]] में वर्णित भगवान [[कृष्ण]] से जुड़ी किंवदंतियों से प्रतिबिंबित होती है। कृष्ण के सम्मान में किया जाने वाला [[रास नृत्य]] और [[रासलीला]] प्रसिद्ध लोकनृत्य "गरबा" के रूप में अब भी प्रचलित है। यह नृत्य देवी [[दुर्गा]] के [[नवरात्र]] पर्व में किया जाता है। एक लोक नाट्य भवई भी अभी अस्तित्व में है।  
गुजरात की अधिकांश लोक संस्कृति और लोकगीत [[हिंदू]] धार्मिक साहित्य [[पुराण]] में वर्णित भगवान [[कृष्ण]] से जुड़ी किंवदंतियों से प्रतिबिंबित होती है। कृष्ण के सम्मान में किया जाने वाला रासनृत्य और [[रासलीला]] प्रसिद्ध लोकनृत्य "गरबा" के रूप में अब भी प्रचलित है। यह नृत्य देवी [[दुर्गा]] के [[नवरात्र]] पर्व में किया जाता है। बद्ध तरीक़े से नृत्य करते हैं। एक लोक नाट्य भवई भी अभी अस्तित्व में है।  


गुजरात में [[शैव मत|शैववाद]] के साथ-साथ [[वैष्णव सम्प्रदाय|वैष्णववाद]] भी लंबे समय से फलता-फूलता रहा है, जिनसे भक्ति मत का उद्भव हुआ। प्रमुख संतों, कवियों और संगीतज्ञों में 15वीं सदी में पदों के रचयिता [[नरसी मेहता]], अपने महल को त्यागने वाली 16वीं सदी की [[चित्र:Garba-Dance.jpg|thumb|250px|left|[[गरबा नृत्य]], गुजरात]] राजपूत राजकुमारी व भजनों की रचनाकार मीराबाई, 18वीं सदी के कवि और लेखक प्रेमानंद और भक्ति मत को लोकप्रिय बनाने वाले गीतकार दयाराम शामिल हैं। [[भारत]] में अन्य जगहों की तुलना में अहिंसा और शाकाहार की विशिष्टता वाले जैन धर्म ने गुजरात में गहरी जड़े जमाई। ज़रथुस्त्र के अनुयायी पारसी 17वीं सदी के बाद किसी समय फ़ारस से भागकर सबसे पहले गुजरात के तट पर ही बसे थे। [[चित्र:Woman-Gujarat.jpg|thumb|250px|पारम्परिक पोशाक में ग्रामीण महिला]] इस समुदाय के अधिकांश लोग बाद में बंबई (वर्तमान [[मुंबई]]) चले गए। [[कृष्ण]], [[दयानन्द सरस्वती]], [[महात्मा गाँधी]], [[सरदार पटेल]] तथा सुप्रसिद्ध [[क्रिकेट]] खिलाड़ी रणजी जैसे व्यक्तित्व ने प्रदेश के समाज को गौरवांवित किया। गुजरात की [[संस्कृति]] में मुख्यत: शीशे का काम तथा '[[गरबा नृत्य|गरबा]]' एवं '[[रासलीला|रास]]' नृत्य पूरे [[भारत]] में प्रसिद्ध है। प्रदेश का '''सर्वप्रमुख लोक नृत्य''' गरबा तथा डांडिया है। गरबा नृत्य में स्त्रियाँ सिर पर छिद्रयुक्त पात्र लेकर नृत्य करती हैं, जिस के भीतर दीप जलता है। गरबा नृत्य को जन पुरुष करते हैं तो उसे गर्बी कहा जाता है। डांडिया में अक्सर पुरुष भाग लेते हैं परंतु कभी-कभी स्त्री-पुरुष दोनों मिलकर करते हैं। प्रदेश के रहन-सहन और पहनावे पर [[राजस्थान]] का काफ़ी प्रभाव देखा जा सकता है। प्रदेश का '''भवई'''  '''लोकनाट्य''' काफ़ी लोकप्रिय है। स्थापत्य शिल्प की दृष्टि से प्रदेश काफ़ी समृद्ध है। इस दृष्टि से रूद्र महालय, सिद्धपुर, मातृमूर्ति पावागढ़, शिल्पगौरव गलतेश्वर, द्वारिकानाथ का मंदिर, शत्रुंजय पालीताना के जैन मंदिर, सीदी सैयद मस्जिद की जालियाँ, पाटन की काष्ठकला इत्यादि काफ़ी महत्त्वपूर्ण हैं। [[हिन्दी]] में जो स्थान [[सूरदास]] का है [[गुजराती भाषा|गुजराती]] में वही स्थान '''नरसी मेहता''' का है।  
गुजरात में [[शैव मत|शैववाद]] के साथ-साथ [[वैष्णव सम्प्रदाय|वैष्णववाद]] भी लंबे समय से फलता-फूलता रहा है, जिनसे भक्ति मत का उद्भव हुआ। प्रमुख संतों, कवियों और संगीतज्ञों में 15वीं सदी में पदों के रचयिता [[नरसी मेहता]], अपने महल को त्यागने वाली 16वीं सदी की [[चित्र:Garba-Dance.jpg|thumb|250px|left|[[गरबा नृत्य]], गुजरात]] राजपूत राजकुमारी व भजनों की रचनाकार मीराबाई, 18वीं सदी के कवि और लेखक प्रेमानंद और भक्ति मत को लोकप्रिय बनाने वाले गीतकार दयाराम शामिल हैं। [[भारत]] में अन्य जगहों की तुलना में अहिंसा और शाकाहार की विशिष्टता वाले जैन धर्म ने गुजरात में गहरी जड़े जमाई। ज़रथुस्त्र के अनुयायी पारसी 17वीं सदी के बाद किसी समय फ़ारस से भागकर सबसे पहले गुजरात के तट पर ही बसे थे। [[चित्र:Woman-Gujarat.jpg|thumb|250px|पारम्परिक पोशाक में ग्रामीण महिला]] इस समुदाय के अधिकांश लोग बाद में बंबई (वर्तमान [[मुंबई]]) चले गए। [[कृष्ण]], [[दयानन्द सरस्वती]], [[महात्मा गाँधी]], [[सरदार पटेल]] तथा सुप्रसिद्ध [[क्रिकेट]] खिलाड़ी [[रणजी]] जैसे व्यक्तित्व ने प्रदेश के समाज को गौरवांवित किया। गुजरात की [[संस्कृति]] में मुख्यत: शीशे का काम तथा '[[गरबा नृत्य|गरबा]]' एवं '[[रासलीला|रास]]' नृत्य पूरे [[भारत]] में प्रसिद्ध है। प्रदेश का '''सर्वप्रमुख लोक नृत्य''' गरबा तथा डांडिया है। गरबा नृत्य में स्त्रियाँ सिर पर छिद्रयुक्त पात्र लेकर नृत्य करती हैं, जिस के भीतर दीप जलता है। डांडिया में अक्सर पुरुष भाग लेते हैं परंतु कभी-कभी स्त्री-पुरुष दोनों मिलकर करते हैं। प्रदेश के रहन-सहन और पहनावे पर [[राजस्थान]] का काफ़ी प्रभाव देखा जा सकता है। प्रदेश का '''भवई'''  '''लोकनाट्य''' काफ़ी लोकप्रिय है। स्थापत्य शिल्प की दृष्टि से प्रदेश काफ़ी समृद्ध है। इस दृष्टि से रुद्र महालय, सिद्धपुर, मातृमूर्ति पावागढ़, शिल्पगौरव गलतेश्वर, द्वारिकानाथ का मंदिर, शत्रुंजय पालीताना के जैन मंदिर, सीदी सैयद मस्जिद की जालियाँ, पाटन की काष्ठकला इत्यादि काफ़ी महत्त्वपूर्ण हैं। [[हिन्दी]] में जो स्थान [[सूरदास]] का है [[गुजराती भाषा|गुजराती]] में वही स्थान '''नरसी मेहता''' का है।  


====त्योहार और मेले====
====त्योहार और मेले====
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*भाद्रपद्र (अगस्त-सितंबर) मास के शुक्ल पक्ष में चतुर्थी, पंचमी और षष्ठी के दिन तरणेतर गांव में भगवान [[शिव]] की स्तुति में तरणेतर मेला लगता है।  
*भाद्रपद्र (अगस्त-सितंबर) मास के शुक्ल पक्ष में चतुर्थी, पंचमी और षष्ठी के दिन तरणेतर गांव में भगवान [[शिव]] की स्तुति में तरणेतर मेला लगता है।  
*भगवान [[कृष्ण]] द्वारा [[रुक्मणी]] से विवाह के उपलक्ष्य में चैत्र (मार्च-अप्रैल) के शुक्ल पक्ष की नवमी को पोरबंदर के पास माधवपुर में माधवराय मेला लगता है।  
*भगवान [[कृष्ण]] द्वारा [[रुक्मणी]] से विवाह के उपलक्ष्य में चैत्र (मार्च-अप्रैल) के शुक्ल पक्ष की नवमी को पोरबंदर के पास माधवपुर में माधवराय मेला लगता है।  
*उत्तरी गुजरात के बांसकांठा ज़िले में हर वर्ष मां अंबा को समर्पित अंबा जी मेला आयेजित किया जाता हैं।  
*उत्तरी गुजरात के बांसकांठा ज़िले में हर वर्ष माँ अंबा को समर्पित अंबा जी मेला आयेजित किया जाता हैं।  
*राज्य का सबसे बड़ा वार्षिक मेला [[द्वारका]] और डाकोर में भगवान कृष्ण के जन्मदिवस [[कृष्ण जन्माष्टमी|जन्माष्टमी]] के अवसर पर बड़े हर्षोल्लास से आयोजित होता है।  
*राज्य का सबसे बड़ा वार्षिक मेला [[द्वारका]] और डाकोर में भगवान कृष्ण के जन्मदिवस [[कृष्ण जन्माष्टमी|जन्माष्टमी]] के अवसर पर बड़े हर्षोल्लास से आयोजित होता है।  
*इसके अतिरिक्त गुजरात में [[मकर संक्राति]], [[नवरात्र]], डांगी दरबार, शामला जी मेले तथा भावनाथ मेले का भी आयोजन किया जाता हैं।
*इसके अतिरिक्त गुजरात में [[मकर संक्राति]], [[नवरात्र]], डांगी दरबार, शामला जी मेले तथा भावनाथ मेले का भी आयोजन किया जाता हैं।
====<u>पतंगों का रंगीन त्योहार</u>====
====पतंगों का रंगीन त्योहार====
[[चित्र:Colour-kites.jpg|thumb|रंग बिरंगी पतंगें|250px]]
[[चित्र:Kite.jpg|thumb|[[पतंग]]|250px]]
[[मकर संक्रांति]] के पर्व पर मनाया जाने वाला '''पतंग उत्सव''' अपनी [[रंग]]-बिरंगी छवि के कारण गुजरात राज्य में अत्यंत लोकप्रिय है और भारत ही नहीं विदेशों में भी अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका है। [[जनवरी]] माह के मध्य में ([[14 जनवरी]]) उत्तरायण पर्व आता है। भगवान भास्कर उत्तरायण को प्रयाण करते हैं, बसंत ऋतु का आगमन होता है, किसानों की खुशी का ठिकाना नहीं रहता क्योंकि फसल पककर तैयार हो जाती है, कटाई का समय आ जाता है। नव धान्य से बने सुस्वादु मिष्टान्न सभी को उत्सव का आनंद देते हैं। गुजरात में इस पर्व को मनाने का निराला रंग है। गुजरातवासी रंग-बिरंगी पतंगों से आसमान भर देते हैं। ये रंग विविधता में एकता, आनंद, उत्साह और परस्पर स्नेह-सौहार्द के प्रतीक हैं। [[पतंग]] पतले रंगीन [[काग़ज़]] व [[बाँस]] के रेशों से बनाई जाती है। पतंग की डोर माँझा कहलाती है जिसे फिरकी पर लपेटा जाता है। पतंग उड़ाने वाले पहले पतंग पसंद करते हैं, वह ठीक बनी व संतुलित है या नहीं, फिर हवा की दिशा को देखते हुये कुशल हाथों से पतंग को ऊँची उड़ान देते हैं। कुशल उड़ाक आसमान में उड़ती पतंगों में से अपने प्रतिद्वंद्वी को पहचान लेते हैं और फिर शुरू होते हैं पतंग काटने के दाँव-पेंच। पतंग काटने वाले जीत का जश्न मनाते हैं। यह एक ऐसा रंगीन उत्सव है जहाँ बच्चे-बूढ़े, धनी-निर्धन, स्वदेशी-विदेशी सभी भेद-भाव भूलकर अनंत आकाश में एकता के रंग भर देते हैं। गुजरात में राज्य पर्यटन विभाग की ओर से सन [[1989]] से प्रतिवर्ष '''अंतर्राष्ट्रीय पतंग उत्सव''' [[अहमदाबाद]] में आयोजित किया जाता है। बाहरी देशों के मेहमान विभिन्न प्रकार की पतंगें लेकर इस उत्सव में भाग लेते हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.thenews24x7.com/news-in-hindi/newsinhindi4/7094-2011-01-30-09-09-23 |title=पतंगों का रंगीन त्योहार |accessmonthday=[[1 अप्रॅल]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=पी.एच.पी |publisher=द न्यूज 27 X 7 |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
[[मकर संक्रांति]] के पर्व पर मनाया जाने वाला '''पतंग उत्सव''' अपनी [[रंग]]-बिरंगी छवि के कारण गुजरात राज्य में अत्यंत लोकप्रिय है और भारत ही नहीं विदेशों में भी अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका है। [[जनवरी]] माह के मध्य में ([[14 जनवरी]]) उत्तरायण पर्व आता है। भगवान भास्कर उत्तरायण को प्रयाण करते हैं, बसंत ऋतु का आगमन होता है, किसानों की खुशी का ठिकाना नहीं रहता क्योंकि फसल पककर तैयार हो जाती है, कटाई का समय आ जाता है। नव धान्य से बने सुस्वादु मिष्टान्न सभी को उत्सव का आनंद देते हैं। गुजरात में इस पर्व को मनाने का निराला रंग है। गुजरातवासी रंग-बिरंगी [[पतंग|पतंगों]] से आसमान भर देते हैं। ये रंग विविधता में एकता, आनंद, उत्साह और परस्पर स्नेह-सौहार्द के प्रतीक हैं। [[पतंग]] पतले रंगीन [[काग़ज़]] व [[बाँस]] के रेशों से बनाई जाती है। पतंग की डोर माँझा कहलाती है जिसे फिरकी पर लपेटा जाता है। पतंग उड़ाने वाले पहले पतंग पसंद करते हैं, वह ठीक बनी व संतुलित है या नहीं, फिर हवा की दिशा को देखते हुये कुशल हाथों से पतंग को ऊँची उड़ान देते हैं। कुशल उड़ाके आसमान में उड़ती पतंगों में से अपने प्रतिद्वंद्वी को पहचान लेते हैं और फिर शुरू होते हैं पतंग काटने के दाँव-पेंच। पतंग काटने वाले जीत का जश्न मनाते हैं। यह एक ऐसा रंगीन उत्सव है जहाँ बच्चे-बूढ़े, धनी-निर्धन, स्वदेशी-विदेशी सभी भेद-भाव भूलकर अनंत आकाश में एकता के रंग भर देते हैं। गुजरात में राज्य पर्यटन विभाग की ओर से सन् [[1989]] से प्रतिवर्ष '''अंतर्राष्ट्रीय पतंग उत्सव''' [[अहमदाबाद]] में आयोजित किया जाता है। बाहरी देशों के मेहमान विभिन्न प्रकार की पतंगें लेकर इस उत्सव में भाग लेते हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.thenews24x7.com/news-in-hindi/newsinhindi4/7094-2011-01-30-09-09-23 |title=पतंगों का रंगीन त्योहार |accessmonthday=[[1 अप्रॅल]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=पी.एच.पी |publisher=द न्यूज 27 X 7 |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
 
{{गुजरात चित्र सूची}}
{{गुजरात चित्र सूची}}
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==कला==
==कला==
[[चित्र:Dandiya-Raas-Gujarat.jpg|thumb|250px|डांडिया रास, गुजरात]]
[[चित्र:Dandiya-Raas-Gujarat.jpg|thumb|250px|डांडिया नृत्य, गुजरात]]
गुजरात की वास्तुकला शैली अपनी पूर्णता और अलंकारिकता के लिए विख्यात है, जो [[सोमनाथ]], [[द्वारका]], मोधेरा, थान, घुमली, गिरनार जैसे मंदिरों और स्मारकों में संरक्षित है। मुस्लिम शासन के दौरान एक अलग ही तरीक़े की भारतीय-इस्लामी शैली विकसित हुई। गुजरात अपनी [[कला]] व शिल्प की वस्तुओं के लिए भी प्रसिद्ध है। इनमें [[जामनगर]] की बांधनी (बंधाई और रंगाई की तकनीक), पाटन का उत्कृष्ट रेशमी वस्त्र पटोला, इदर के खिलौने, पालनपुर का इत्र कोनोदर का हस्तशिल्प का काम और [[अहमदाबाद]] व [[सूरत]] के लघु मंदिरों का काष्ठशिल्प तथा पौराणिक मूर्तियाँ शामिल हैं। राज्य के सर्वाधिक स्थायी और प्रभावशाली सांस्कृतिक संस्थानों में महाजन के रूप में प्रसिद्ध व्यापार और कला  [[चित्र:Handicraft-Gujarat.jpg|thumb|250px|left|हस्तशिल्प कला का एक प्रतिरूप, गुजरात]] शिल्प संघ है। अक्सर जाति विशेष में अंतर्गठित और स्वायत्त इन संघों ने अतीत कई विवादों को सुलझाया है और लोकहित के माध्यम की भूमिका निभाते हुए कला व संस्कृति को प्रोत्साहन दिया है।  
गुजरात की वास्तुकला शैली अपनी पूर्णता और अलंकारिकता के लिए विख्यात है, जो [[सोमनाथ]], [[द्वारका]], मोधेरा, थान, घुमली, गिरनार जैसे मंदिरों और स्मारकों में संरक्षित है। मुस्लिम शासन के दौरान एक अलग ही तरीक़े की भारतीय-इस्लामी शैली विकसित हुई। गुजरात अपनी [[कला]] व शिल्प की वस्तुओं के लिए भी प्रसिद्ध है। इनमें [[जामनगर]] की बांधनी (बंधाई और रंगाई की तकनीक), पाटन का उत्कृष्ट रेशमी वस्त्र [[पटोला]], इदर के खिलौने, [[पालनपुर]] का इत्र कोनोदर का हस्तशिल्प का काम और [[अहमदाबाद]] व [[सूरत]] के लघु मंदिरों का काष्ठशिल्प तथा पौराणिक मूर्तियाँ शामिल हैं। राज्य के सर्वाधिक स्थायी और प्रभावशाली सांस्कृतिक संस्थानों में महाजन के रूप में प्रसिद्ध व्यापार और कला  [[चित्र:Handicraft-Gujarat.jpg|thumb|250px|left|हस्तशिल्प कला, गुजरात]] शिल्प संघ है। अक्सर जाति विशेष में अंतर्गठित और स्वायत्त इन संघों ने अतीत कई विवादों को सुलझाया है और लोकहित के माध्यम की भूमिका निभाते हुए कला व संस्कृति को प्रोत्साहन दिया है।  
====काष्ठ शिल्पकला====  
====काष्ठ शिल्पकला====  
गुजरात राज्य में की जाने वाली वास्तु शिल्पीय नक़्क़ाशी कम से कम 15वीं शताब्दी से गुजरात [[भारत]] में लकड़ी की नक़्क़ाशी का मुख्य केंद्र रहा है।  निर्माण सामग्री के रूप में जिस समय पत्थर का इस्तेमाल अधिक सुविधाजनक और विश्वसनीय था, इस समय भी गुजरात के लोगों ने मंदिरों के मंडप तथा आवासीय भवनों के अग्रभागों, द्वारों, स्तंभों, झरोखों, दीवारगीरों और जालीदार खिड़कियों के निर्माण में निर्माण में बेझिझक लकड़ी का प्रयोग जारी रखा। [[मुग़ल काल]] (1556-1707) के दौरान गुजरात की लकड़ी नक़्क़ाशी में देशी एवं [[मुग़ल]] शैलियों का सुंदर संयोजन दिखाई देता है। 16वीं सदी के उत्तरार्द्ध एवं 17वीं सदी के [[जैन]] काष्ठ मंडपों पर जैन पौराणिक कथाएँ एवं समकालीन जीवन के दृश्य तथा काल्पनिक बेल-बूटे, पशु-पक्षी एवं ज्यामितीय आकृतियाँ उत्कीर्ण की गई हैं; आकृति मूर्तिकला अत्यंत जीवंत एवं लयात्मक है। लकड़ी पर गाढ़े लाल रोग़न का प्रयोग आम था। 19वीं सदी के कई भव्य काष्ठ पुरोभाग संरक्षित हैं, लेकिन उनका अलंकरण पहले की निर्मितियों जैसा ललित और गत्यात्मक नहीं है।
गुजरात राज्य में की जाने वाली वास्तु शिल्पीय नक़्क़ाशी कम से कम 15वीं शताब्दी से गुजरात [[भारत]] में लकड़ी की नक़्क़ाशी का मुख्य केंद्र रहा है।  निर्माण सामग्री के रूप में जिस समय पत्थर का इस्तेमाल अधिक सुविधाजनक और विश्वसनीय था, इस समय भी गुजरात के लोगों ने मंदिरों के मंडप तथा आवासीय भवनों के अग्रभागों, द्वारों, स्तंभों, झरोखों, दीवारगीरों और जालीदार खिड़कियों के निर्माण में निर्माण में बेझिझक लकड़ी का प्रयोग जारी रखा। [[मुग़ल काल]] (1556-1707) के दौरान गुजरात की लकड़ी नक़्क़ाशी में देशी एवं [[मुग़ल]] शैलियों का सुंदर संयोजन दिखाई देता है। 16वीं सदी के उत्तरार्ध एवं 17वीं सदी के [[जैन]] काष्ठ मंडपों पर जैन पौराणिक कथाएँ एवं समकालीन जीवन के दृश्य तथा काल्पनिक बेल-बूटे, पशु-पक्षी एवं ज्यामितीय आकृतियाँ उत्कीर्ण की गई हैं; आकृति मूर्तिकला अत्यंत जीवंत एवं लयात्मक है। लकड़ी पर गाढ़े लाल रौग़न का प्रयोग आम था। 19वीं सदी के कई भव्य काष्ठ पुरोभाग संरक्षित हैं, लेकिन उनका अलंकरण पहले की निर्मितियों जैसा ललित और गत्यात्मक नहीं है।
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==पर्यटन स्थल==
==पर्यटन स्थल==
*गुजरात एक आकर्षक पर्यटन स्थल है। गुजरात में [[द्वारका]], [[सोमनाथ]], पालीताना के निकट [[शत्रुंजय पहाड़ी]], पावागढ़, अंबाजी भद्रेश्वर, शामलाजी, तरंगा और [[गिरनार]] जैसे धार्मिक स्थलों के अलावा [[महात्मा गाँधी]] की जन्मभूमि पोरबंदर तथा पुरातत्त्व और वास्तुकला की दृष्टि से उल्लेखनीय पाटन, सिद्धपुर, घुरनली, दभेई, बाडनगर, मोधेरा, लोथल और अहमदाबाद जैसे स्थान भी हैं।  
*गुजरात एक आकर्षक पर्यटन स्थल है। गुजरात में [[द्वारका]], [[सोमनाथ]], [[पालीताना]] के निकट [[शत्रुंजय पहाड़ी]], पावागढ़, अंबाजी भद्रेश्वर, [[शामलाजी]], तरंगा और [[गिरनार]] जैसे धार्मिक स्थलों के अलावा [[महात्मा गाँधी]] की जन्मभूमि पोरबंदर तथा [[पुरातत्त्व]] और वास्तुकला की दृष्टि से उल्लेखनीय पाटन, सिद्धपुर, घुरनली, [[दभोई]], बाडनगर, मोधेरा, [[लोथल]] और [[अहमदाबाद]] जैसे स्थान भी हैं।  
*अहमदपुर मांडती, चारबाड़ उभारत और तीथल के सुंदर समुद्री तट, सतपुड़ा पर्वतीय स्थल, गिर वनों के शेरों का अभयारण्य और [[कच्छ]] में जंगली गधों का अभयारण्य भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं।
*अहमदपुर मांडती, चारबाड़ उभारत और तीथल के सुंदर समुद्री तट, सतपुड़ा पर्वतीय स्थल, गिर वनों के शेरों का अभयारण्य और [[कच्छ]] में जंगली गधों का अभयारण्य भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं।
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==गुजरात में जन्मे प्रमुख व्यक्तित्व==
==गुजरात में जन्मे प्रमुख व्यक्तित्व==
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| [[दादा भाई नौरोजी]]  
| [[दादा भाई नौरोजी]]  
| [[4 सितंबर]], 1825 को गुजरात के नवसारी में जन्मे दादा भाई नौरोजी का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था। दादाभाई नौरोजी को भारतीय राजनीति का पितामह कहा जाता है। वह दिग्गज राजनेता, उद्योगपति, शिक्षाविद और विचारक भी थे। उन्होंने ब्रिटिश उपनिवेश के प्रति बुद्धिजीवी वर्ग के सम्मोहन को खत्म करने का प्रयास किया। '''[[दादा भाई नौरोजी|...और पढ़ें]]'''
| [[4 सितंबर]], 1825 को गुजरात के नवसारी में जन्मे दादा भाई नौरोजी का जन्म एक ग़रीब परिवार में हुआ था। दादाभाई नौरोजी को भारतीय राजनीति का पितामह कहा जाता है। वह दिग्गज राजनेता, उद्योगपति, शिक्षाविद और विचारक भी थे। उन्होंने ब्रिटिश उपनिवेश के प्रति बुद्धिजीवी वर्ग के सम्मोहन को खत्म करने का प्रयास किया। '''[[दादा भाई नौरोजी|...और पढ़ें]]'''
| [[चित्र:DadaBhai-Naoroji.jpg|दादा भाई नौरोजी |50px]]
| [[चित्र:DadaBhai-Naoroji.jpg|दादा भाई नौरोजी |50px]]
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| [[जमशेद जी टाटा]]
| [[जमशेद जी टाटा]]
| जमशेदजी टाटा का जन्म सन 1839 में [[गुजरात]] के एक छोटे से कस्बे नवसेरी में हुआ था उनके पिता जी का नाम '''नुसीरवानजी''' था व उनकी माता जी का नाम '''जीवनबाई टाटा''' था। जमशेदजी वर्तमान में [[भारत]] के विश्वप्रसिद्ध औद्योगिक घराने टाटा समूह के संस्थापक थे।  
| जमशेदजी टाटा का जन्म सन् 1839 में [[गुजरात]] के एक छोटे से कस्बे नवसेरी में हुआ था उनके पिता जी का नाम '''नुसीरवानजी''' था व उनकी माता जी का नाम '''जीवनबाई टाटा''' था। जमशेदजी वर्तमान में [[भारत]] के विश्वप्रसिद्ध औद्योगिक घराने टाटा समूह के संस्थापक थे। '''[[जमशेद जी टाटा|...और पढ़ें]]'''
| [[चित्र:Jamsetji Tata.jpg|जमशेद जी टाटा|50px]]
| [[चित्र:Jamsetji Tata.jpg|जमशेद जी टाटा|50px]]
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| [[दयानन्द सरस्वती|स्वामी दयानन्द सरस्वती]]
| [[दयानन्द सरस्वती|स्वामी दयानन्द सरस्वती]]
| स्वामी दयानन्द सरस्वती का जन्म गुजरात के भूतपूर्व मोरवी राज्य के एक गाँव में सन 1824 ई. में हुआ था। इनका प्रारंभिक नाम मूलशंकर तथा पिता का नाम अम्बाशंकर था। स्वामी दयानन्द बाल्यकाल में [[शंकर]] के भक्त थे। ये [[आर्य समाज]] के प्रवर्तक और प्रखर सुधारवादी सन्यासी थे। '''[[दयानन्द सरस्वती|...और पढ़ें]]'''
| स्वामी दयानन्द सरस्वती का जन्म गुजरात के भूतपूर्व मोरवी राज्य के एक गाँव में सन् 1824 ई. में हुआ था। इनका प्रारंभिक नाम मूलशंकर तथा पिता का नाम अम्बाशंकर था। स्वामी दयानन्द बाल्यकाल में [[शंकर]] के भक्त थे। ये [[आर्य समाज]] के प्रवर्तक और प्रखर सुधारवादी संन्यासी थे। '''[[दयानन्द सरस्वती|...और पढ़ें]]'''
| [[चित्र:Dayanand-Saraswati.jpg|दयानन्द सरस्वती|50px|link=दयानन्द सरस्वती]]
| [[चित्र:Dayanand-Saraswati.jpg|दयानन्द सरस्वती|50px|link=दयानन्द सरस्वती]]
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| [[चित्र:Morarji Desai.jpg|मोरारजी देसाई|50px|link=मोरारजी देसाई]]
| [[चित्र:Morarji Desai.jpg|मोरारजी देसाई|50px|link=मोरारजी देसाई]]
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| कन्हैयालाल मुंशी
| [[कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी|कन्हैयालाल मुंशी]]
| कन्हैयालाल मुंशी (जन्म- [[29 दिसंबर]], मृत्यु- [[1887]] - [[8 फरवरी]], [[1971]]) जिनका पूरा नाम '''कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी''' था, का जन्म भड़ोच (गुजरात) उच्च सुशिक्षित भागर्व ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे प्रतिभावान विद्यार्थी थे और क़ानून की पढ़ाई की और [[मुंबई]] में वकालत की।  
| कन्हैयालाल मुंशी (जन्म- [[29 दिसंबर]], [[1887]]; मृत्यु- [[8 फरवरी]], [[1971]]) जिनका पूरा नाम '''कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी''' था, का जन्म भड़ोच (गुजरात) उच्च सुशिक्षित भागर्व ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे प्रतिभावान विद्यार्थी थे और क़ानून की पढ़ाई की और [[मुंबई]] में वकालत की। '''[[कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी|...और पढ़ें]]'''
| [[चित्र:Kanaiyalal-Munshi.jpg|कन्हैयालाल मुंशी|50px|link=कन्हैयालाल मुंशी]]
| [[चित्र:Kanaiyalal-Munshi.jpg|कन्हैयालाल मुंशी|50px|link=कन्हैयालाल मुंशी]]
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| विट्ठलभाई पटेल
| [[विट्ठलदास झवेरभाई पटेल|विट्ठलभाई पटेल]]
| विट्ठलभाई पटेल का जन्म सन [[1873]] में गुजरात के खेड़ा ज़िला के "करमसद" गाँव में हुआ था। [[सरदार वल्लभ भाई पटेल]] के बडे भाई विट्ठल भाई पटेल एक महान राजनीतिज्ञ और स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने कभी भी झुकना नहीं सीखा।
| विट्ठलभाई पटेल का जन्म सन् [[1873]] में गुजरात के खेड़ा ज़िला के "करमसद" गाँव में हुआ था। [[सरदार वल्लभ भाई पटेल]] के बडे भाई विट्ठल भाई पटेल एक महान् राजनीतिज्ञ और स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने कभी भी झुकना नहीं सीखा। '''[[विट्ठलदास झवेरभाई पटेल|...और पढ़ें]]'''
| [[चित्र:Vithalbhai-Patel.jpg|विट्ठलभाई पटेल|50px|link=विट्ठलभाई पटेल]]
| [[चित्र:Vithalbhai-Patel.jpg|विट्ठलभाई पटेल|50px|link=विट्ठलभाई पटेल]]
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| गणेश वासुदेव मावलंकर
| [[गणेश वासुदेव मावलंकर]]
| गणेश वासुदेव मावलंकर का जन्म [[15 मई]], [[1952]] को गुजरात के [[अहमदाबाद]] नगर में हुआ था। भारतीय [[लोकसभा]] के प्रथम अध्यक्ष थे। भारतीय संसदीय प्रणाली पर अमिट छाप छोड़ने वाले गणेश वासुदेव मावलंकर ने लोकसभा के पहले अध्यक्ष के रूप में न सिर्फ़ सदन का कार्य बेहतरीन ढंग से चलाया बल्कि उसे नई गरिमा भी प्रदान की।  
| गणेश वासुदेव मावलंकर का जन्म [[15 मई]], [[1952]] को गुजरात के [[अहमदाबाद]] नगर में हुआ था। भारतीय [[लोकसभा]] के प्रथम अध्यक्ष थे। भारतीय संसदीय प्रणाली पर अमिट छाप छोड़ने वाले गणेश वासुदेव मावलंकर ने लोकसभा के पहले अध्यक्ष के रूप में न सिर्फ़ सदन का कार्य बेहतरीन ढंग से चलाया बल्कि उसे नई गरिमा भी प्रदान की। '''[[गणेश वासुदेव मावलंकर|...और पढ़ें]]'''
| [[चित्र:G.V.Mavalankar.jpg|गणेश वासुदेव मावलंकर|50px|link=गणेश वासुदेव मावलंकर]]
| [[चित्र:G.V.Mavalankar.jpg|गणेश वासुदेव मावलंकर|50px|link=गणेश वासुदेव मावलंकर]]
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| [[महबूब ख़ान]]
| [[महबूब ख़ान]]
| महबूब ख़ान का जन्म [[1906]] में गुजरात के बिलमिरिया में हुआ था। इनका मूल नाम '''रमजान ख़ान''' था। हिन्दी सिनेमा जगत के युगपुरुष महबूब ख़ान को एक ऐसी शख्सियत के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने दर्शकों को लगभग तीन दशक तक क्लासिक फ़िल्मों का तोहफा दिया। '''[[महबूब ख़ान|...और पढ़ें]]'''
| महबूब ख़ान का जन्म [[1906]] में गुजरात के बिलमिरिया में हुआ था। इनका मूल नाम '''रमजान ख़ान''' था। [[हिन्दी सिनेमा]] जगत् के युगपुरुष महबूब ख़ान को एक ऐसी शख़्सियत के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने दर्शकों को लगभग तीन दशक तक क्लासिक फ़िल्मों का तोहफा दिया। '''[[महबूब ख़ान|...और पढ़ें]]'''
| [[चित्र:Mehboob-Khan.jpg|महबूब ख़ान|50px|link=महबूब ख़ान]]
| [[चित्र:Mehboob-Khan.jpg|महबूब ख़ान|50px|link=महबूब ख़ान]]
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| [[नरेन्द्र मोदी]]
| नरेन्द्र दामोदरदास मोदी का जन्म [[17 सितंबर]], [[1950]] को गुजरात के मेहसाणा ज़िले में हुआ था। [[7 अक्टूबर]], [[2001]] में केशुभाई पटेल के इस्तीफे के बाद नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने। नरेंद्र मोदी गुजरात के सबसे ज़्यादा लंबे समय तक राज करने वाले मुख्यमंत्री हैं। '''[[नरेन्द्र मोदी|...और पढ़ें]]'''
| [[चित्र:Narendra-Modi-1.jpg|नरेंद्र मोदी|50px|link=नरेंद्र मोदी]]
|}
|}


==गुजरात के ज़िले==
{{प्रांगण लेख|नाम=प्रांगण:मुखपृष्ठ/भारत गणराज्य/गुजरात|प्रांगण:गुजरात}}
{| class="bharattable-purple" border="1"
 
|+ गुजरात के ज़िले, मुख्यालय, क्षेत्रफल एवं जनसंख्या<ref name="gov"/>
 
|-
! rowspan="2"|क्रमांक
! rowspan="2"|ज़िला
! rowspan="2"|क्षेत्रफल <br />(वर्ग किमी)
! colspan="3"|जनसंख्या (2001) 
! rowspan="2"|मुख्यालय
|-
! कुल व्यक्ति 
! पुरुष
! महिला
|-
| (1)
| [[अहमदाबाद ज़िला|अहमदाबाद]]
|  8086
| 5,816,519
|  3,074,556
| 2,741,963
| [[अहमदाबाद]]
|-
| (2) 
| अमरेली 
| 7,397 
| 1,393,918
| 701,593
| 692,325 
| अमरेली
|-
| (3)
| बनासकांठा 
| 10,400
|  2,504,244 
| 1,297,404   
| 1,206,840
| पालनपुर
|-
| (4)
| भड़ौच     
| 5,253
| 1,370,656 
| 713,676
| 656,980
| भड़ौच
|-
| (5)
| [[भावनगर ज़िला|भावनगर]] 
| 8,628
| 2,469,630
| 1,274,920
| 1,194,710
| [[भावनगर]]
|-
| (6)
|[[गांधीनगर ज़िला|गाँधी नगर]] 
| 2,163
| 1,334,455
|  697,999
|  636,456
| [[गाँधीनगर]]
|-
| (7)
|[[जामनगर ज़िला|जामनगर]] 
| 14,125         
| 1,904,278   
| 981,320     
| 922,958           
| [[जामनगर]]
|-
| (8)
| जूनागढ़ 
| 8,846
| 2,448,173 
| 1,252,350
| 1,195,823
| [[जूनागढ़]]
|-
| (9)
| खेड़ा
| 3,959 
| 2,024,216
| 1,052,823       
|  971,393
| नादियाड
|-
| (10)
| [[कच्छ]]
|  45,652 
| 1,583,225   
|  815152   
| 768,073 
| [[भुज]]
|-
| (11)
| मेहसाणा   
| 4,393
| 1,837,892
| 953,842 
| 884,050
| मेहसाणा
|-
| (12)
| पंचमहल   
| 5083 
| 2,025,277 
| 1,044,937 
|  980,340
| [[गोधरा]]
|-
| (13)
| राजकोट   
| 11,203
| 3,169,881 
| 1,642,018 
| 1,527,863
| [[राजकोट]]
|-
| (14)
| साबरकंठा   
| 7,390
|  2,082,531 
| 1,069,554   
| 1,012,977 
|  हिम्मतनगर
|-
| (15)
|  सूरत 
|  7,761
| 4,995,174 
| 2,722,539 
| 2,272,635 
|  [[सूरत]]
|-
| (16)
|  सुरेन्द्रनगर
| 10,489 
| 1,515,148
| 787,650
| 727,489 
| सुरेन्द्रनगर
|-
| (17)
| डांग
| 1,764 
| 186,729 
| 93,974 
| 92,755 
| अहवा
|-
| (18)
| बड़ोदरा 
| 7,555
| 3,641,802     
| 1,897,368   
|  1,744,434   
| [[बड़ोदरा]]
|-
| (19)
| वलसाड   
| 2,939
| 1,410,593 
| 734,799 
| 675,754   
|  वलसाड   
|-
| (20)
| नर्मदा   
| 2755 
| 5,14,404
| 263,986   
| 250,418     
| राजपीपला
|-
| (21)
| पोरबंदर 
| 2,295   
| 536,835     
| 275,821     
| 261,014
| [[पोरबंदर]]
|-
| (22)
| आनंद   
| 2,951           
| 1,856,872   
| 972,000     
| 884,872         
| आनंद
|-
| (23)
| पाटन
| 5,667       
| 11,82,709   
|  612,100     
|  570,609 
|  पाटन
|-
| (24)
| दाहोद   
| 3,733       
| 16,36,433   
| 824,208   
| 812,225         
| दाहोर
|-
| (25)
| नवसारी     
|  5083             
| 1,229,463   
|  628,988   
| 600,475   
|  नवसारी
|-
| (26)
| तापी 
| 3434
| 7,19,634
| -
| -
|  व्यारा
|}


{{प्रांगण लेख|नाम=[[प्रांगण:मुखपृष्ठ/भारत गणराज्य/गुजरात|प्रांगण:गुजरात]]}}
{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति
|आधार=
|प्रारम्भिक=
|माध्यमिक=माध्यमिक1
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{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= |माध्यमिक=माध्यमिक1 |पूर्णता= |शोध= }}
==चित्र वीथिका==
==चित्र वीथिका==
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चित्र:Statue-Gandhi.jpg|[[महात्मा गाँधी]] जी की प्रतिमा
चित्र:Statue-Gandhi.jpg|[[महात्मा गाँधी]] जी की प्रतिमा
चित्र:Laxmi-Vilas-Palace-Vadadora.jpg|लक्ष्मी विलास पैलेस, वड़ोदरा
चित्र:Laxmi-Vilas-Palace-Vadadora.jpg|लक्ष्मी विलास पैलेस, वड़ोदरा
चित्र:Museum-Vadodara.jpg|वड़ोदरा संग्रहालय
चित्र:Kala-Dungar-Kutch-7.jpg|[[काला डूंगर]], [[कच्छ]]
चित्र:Poha-Gujarat.jpg|गुजरात का प्रसिद्ध नाश्ता पोहा, पोहे बनाने का कारख़ाना, गुजरात
चित्र:Prag-Mahal-Bhuj-8.jpg|[[प्राग महल]], [[भुज]]
चित्र:Kala-Dungar-Kutch-8.jpg|[[काला डूंगर]], [[कच्छ]]
चित्र:Prag-Mahal-Bhuj.jpg|[[प्राग महल]], [[भुज]]
चित्र:Rann-Of-Kachchh-2.jpg|[[कच्छ का रण]], [[कच्छ]], गुजरात
चित्र:Statue-of-Gandhiji-Gandhi-Ashram-Ahmedabad.jpg|[[महात्मा गाँधी|गाँधीजी]] की प्रतिमा, गाँधी आश्रम, [[अहमदाबाद]]
चित्र:Rann-Of-Kachchh-1.jpg|[[कच्छ का रण]], [[कच्छ]], गुजरात
चित्र:Cactus-Gujarat.jpg|[[कच्छ का रण]] में कैक्टस, गुजरात
चित्र:Sun-Temple-Modhera-Gujarat.jpg|सूर्य मंदिर, मोदेरा, गुजरात
चित्र:Bhadreshwar-Jain-Temple-Kutch.jpg|भद्रेश्वर जैन मंदिर, [[कच्छ]], गुजरात
चित्र:Prag-Mahal-Bhuj-13.jpg|[[प्राग महल]], [[भुज]]
चित्र:Bhimasar-Lake-Kachchh-Gujarat..jpg|भीमसार झील, [[कच्छ]], गुजरात
चित्र:Indian-Farmer-Ghungti-Village-Junagdh.jpg|खेत की जुताई करता किसान, [[जूनागढ़]], गुजरात
चित्र:Prag-Mahal-Bhuj-7.jpg|[[प्राग महल]], [[भुज]]
चित्र:Dandiya-Raas-Gujarat-1.jpg|डांडिया नृत्य, गुजरात
चित्र:Market-Gujarat.jpg|कपड़ों की दुकान, गुजरात
चित्र:Rann-Of-Kachchh-4.jpg|[[कच्छ का रण]], [[कच्छ]], गुजरात
चित्र:Rann-Of-Kachchh-5.jpg|[[कच्छ का रण]], [[कच्छ]], गुजरात
चित्र:Prag-Mahal-Bhuj-6.jpg|[[प्राग महल]], [[भुज]]
चित्र:Kala-Dungar-Kutch-1.jpg|[[काला डूंगर]], [[कच्छ]]
चित्र:Prag-Mahal-Bhuj-5.jpg|[[प्राग महल]], [[भुज]]
चित्र:Porbandar-Gujarat-19.jpg|[[महात्मा गाँधी]] का आसन, [[कीर्ति मंदिर पोरबंदर|कीर्ति मंदिर]], पोरबंदर
चित्र:Porbandar-Gujarat-23.jpg|[[महात्मा गाँधी]] का जन्मस्थान, [[कीर्ति मंदिर पोरबंदर|कीर्ति मंदिर]], पोरबंदर
चित्र:Porbandar-Gujarat-2.jpg|कीर्ति मंदिर, पोरबंदर
चित्र:Porbandar-Gujarat-9.jpg|[[महात्मा गाँधी]] की अलमारी, [[कीर्ति मंदिर पोरबंदर|कीर्ति मंदिर]], पोरबंदर
चित्र:Rukmini-Temple-Gujarat.jpg|रुक्मिणी मंदिर, [[गुजरात]]
चित्र:Tomb-Of-Sikander-Shah-At-Champaner-In-Gujarat.jpg|सिकंदर शाह का मकबरा, गुजरात
</gallery>
</gallery>
{{संदर्भ ग्रंथ}}


==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
{{reflist}}
{{reflist}}
==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://www.bharatonline.com/gujarat/index.html गुजरात]
*[http://gujaratindia.com/index.htm गुजरात की अधिकारिक वेबसाइट]
 
*[http://bharat.gov.in/knowindia/st_gujurat.php भारत की अधिकारिक वेबसाइट]
*[http://www.gujaratindia.com/ गुजरात]
*[http://www.gujarattourism.com/ गुजरात पर्यटन]
*[http://www.livehindustan.com/news/desh/national/article1-gujrat-in-number-one-in-economical-growth:-report-39-39-163960.html लाइव हिंदुस्तान]
*[http://www.tarakash.com/2/magazine/-7/2094-7-facts-which-makes-gujarat-best.html गुजरात]
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{गुजरात के पर्यटन स्थल}}
{{गुजरात के पर्यटन स्थल}}{{गुजरात के नगर}}{{गुजरात के ऐतिहासिक स्थान}}
{{गुजरात के नगर}}{{गुजरात के ऐतिहासिक स्थान}}
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{{भारत गणराज्य}}
[[Category:गुजरात]]
[[Category:गुजरात]]
[[Category:भारत के राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश]][[Category:राज्य संरचना]]
[[Category:भारत के राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश]][[Category:राज्य संरचना]]
[[Category:पश्चिम भारत]]
[[Category:चुनाव अद्यतन]]
__INDEX__
__INDEX__
{{toc}}
__NOTOC__

09:57, 7 फ़रवरी 2024 के समय का अवतरण

विस्तार में पढ़ें गुजरात प्रांगण (पोर्टल)


गुजरात
राजधानी गांधीनगर
राजभाषा(एँ) गुजराती, हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, पंजाबी, मराठी
स्थापना 1 मई, 1960
जनसंख्या 60,383,628[1]
· घनत्व 258 /वर्ग किमी
क्षेत्रफल 1,96,024 वर्ग किलोमीटर[1](देश में छठवाँ स्थान)
भौगोलिक निर्देशांक 23.2167°N 72.6833°E
तापमान 30 °C (औसत)
· ग्रीष्म 25 - 15 °C
· शरद 15 - 35° C
वर्षा 93.2 मिमी
ज़िले 33
सबसे बड़ा नगर अहमदाबाद
बड़े नगर जूनागढ़, जामनगर, राजकोट, भावनगर, गांधीनगर, वडोदरा
मुख्य ऐतिहासिक स्थल सोमनाथ, सौराष्ट्र, लंघनाज, धौलावीरा, खंभात, सुरकोटदा, अन्हिलवाड़, रंगपुर
मुख्य पर्यटन स्थल द्वारिकाधीश मंदिर, कच्छ का रण, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, अक्षरधाम मंदिर, लोथल आदि
लिंग अनुपात 1000:920 ♂/♀
साक्षरता 79.31%
· स्त्री 57.8%
· पुरुष 79.7%
उच्च न्यायालय गुजरात हाईकोर्ट, अहमदाबाद
राज्यपाल आचार्य देवव्रत[2]
मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल
विधानसभा सदस्य 182
लोकसभा क्षेत्र 26
राज्यसभा सदस्य 11
राजकीय पशु गिरसिंह
राजकीय पक्षी हंसावर
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
अद्यतन‎

गुजरात (अंग्रेज़ी: Gujarat) पश्चिमी भारत में स्थित एक राज्य है। इसकी उत्तरी-पश्चिमी सीमा जो अन्तर्राष्ट्रीय सीमा भी है, पाकिस्तान से लगी है। प्राचीनता एवं ऐतिहासिकता की दृष्टि से गुजरात, भारत का अत्यंत महत्त्वपूर्ण राज्य है। इसकी उत्तरी-पश्चिमी सीमा पाकिस्तान से लगी है। गुजरात का क्षेत्रफल 1,96,024 वर्ग किलोमीटर है।[1] यहाँ मिले पुरातात्विक अवशेषों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस राज्य में मानव सभ्यता का विकास 5 हज़ार वर्ष पहले हो चुका था। कहा जाता है कि ई. पू. 2500 वर्ष पहले पंजाब से हड़प्पा वासियों ने कच्छ के रण पार कर नर्मदा की उपत्यका में मौजूदा गुजरात की नींव डाली थी। गुजरात ई.पू. तीसरी शताब्दी में मौर्य साम्राज्य में शामिल था। जूनागढ़ के अभिलेख से इस बात की पुष्टि होती है। पाँचवीं शताब्दी में हूणों के आक्रमण के बाद उत्तराखंड से गुर्जरों का इस क्षेत्र में आगमन हुआ। गुजरात पर चौथी-पाँचवीं शताब्दी के दौरान गुप्त वंश का शासन रहा। नौवीं शताब्दी में सोलंकी वंश का शासन रहा। 10 वीं शताब्दी में मूलराज सोलंकी ने आधुनिक गुजरात की स्थापना की। गुजरातवासी वाणिज्य व्यापार में कुशल होते है। विदेशों में बसे असंरथ गुजरातवासियों ने अपने व्यापार कौशल से अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में भी ख्याति अर्जित की है। महात्मा गाँधी का जन्म प्रदेश गुजरात द्रुत गति से औद्योगिक विकास कर रहा है।

नामकरण

गुजरात नाम, गुर्जरत्रा से आया है। गुर्जरों का साम्राज्य 6ठीं से 12वीं सदी तक गुर्जरत्रा या गुर्जर-भूमि के नाम से जाना जाता था। गुर्जर एक समुदाय है।[3]प्राचीन महाकवि राजशेखर ने गुर्जरों का सम्बन्ध सूर्यवंश या रघुवंश से बताया है।[4] कुछ विद्वान् इन्हें मध्य-एशिया से आये आर्य भी बताते हैं। गुर्जरों की भूमि के रूप में गुजरात को जाना जाता है। इस प्रकार गूर्जरराष्ट्र से विकृत होते-होते उसका नामंतरण गुजरात के रूप में हुआ।

इतिहास

गुजरात का इतिहास ईस्वी पूर्व लगभग 2,000 साल पुराना है। यह भी मान्यता है कि भगवान कृष्ण मथुरा छोड़कर सौराष्ट्र के पश्चिमी तट पर जा बसे थे, जो द्वारका अर्थात् 'प्रवेशद्वार' कहलाया। बाद के वर्षों में मौर्य, गुप्त, प्रतिहार तथा अन्य अनेक राजवंशों ने इस प्रदेश पर शासन किया। चालुक्य, सोलंकी राजाओं का शासन काल गुजरात के लिए प्रगति और समृद्धि का युग था। महमूद ग़ज़नवी की लूटपाट के बाद भी चालुक्य राजाओं ने यहाँ के लोगों की समृद्धि और भलाई का पूरा ध्यान रखा। इस गौरवपूर्ण काल के पश्चात् गुजरात को मुसलमानों, मराठों और ब्रिटिश शासन के दौरान बुरे दिनों का सामना करना पड़ा। आज़ादी से पहले आज का गुजरात मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित था-

लोथल बस्ती और नगर का प्रसिद्ध जल संसाधन तंत्र, परिकल्पित चित्र
  1. एक ब्रिटिश क्षेत्र और
  2. दूसरा देसी रियासतें।

राज्यों के पुनर्गठन के कारण सौराष्ट्र के राज्यों और कच्छ के केंद्र शासित प्रदेश के साथ पूर्व ब्रिटिश गुजरात को मिलाकर द्विभाषी मुंबई राज्य का गठन हुआ। पहली मई, 1060 को वर्तमान गुजरात राज्य अस्तित्व में आया। गुजरात भारत के पश्चिमी तट पर स्थित है। इसके पश्चिम में अरब सागर, उत्तर में पाकिस्तान तथा उत्तर-पूर्वी सीमा पर राजस्थान, दक्षिण-पूर्वी सीमा पर मध्य प्रदेश और दक्षिण में महाराष्ट्र है।

  • गुजरात राज्य का इतिहास सिन्धु घाटी सभ्यता के समकालीन है अर्थात् इसका इतिहास लगभग 2000 ई. पू. पुराना है। हाल के पुरातात्विक उत्खनन (द्वारका में) से मिथक बने श्री कृष्ण की ऐतिहासिकता सिद्ध हो गयी है, जिसका समय 3000 ई. पू. से भी पुराना माना जाता है।
  • गुजरात में सिन्धु घाटी सभ्यता का महत्त्वपूर्ण केन्द्र लोथल था, जो उस समय का एक महत्त्वपूर्ण बन्दरगाह था। सिंधु सभ्यता से संबंधित स्थल सुतकोतड़ा भी इसी प्रदेश में था।
  • आधुनिक खुदाई से सिन्धु सभ्यता से संबंधित एक प्रमुख स्थल धौलावीरा प्रकाश में आया है जो इसी प्रदेश में था।
  • गुजरात पर क्रमशः मौर्य, गुप्त, प्रतिहार तथा उनके परवर्ती राजवंशों ने शासन किया, किंतु गुजरात में प्रगति तथा समृद्धि चालुक्य (सोलंकी) राजाओं के समय में हुईं। इसलिए इस काल को गुजरात के इतिहास में स्वर्णिम काल कहा जाता है।
  • गुप्त सेनापति भट्टारक द्वारा वल्लभी में पाँचवीं शताब्दी के अंतिम चरण में एक नये राजवंश की नींव रखी गई जिसे मैत्रक राजवंश के नाम से जाना जाता है।
  • 475 ई. में मैत्रकों के सरदार भट्टारक की नियुक्ति वहाँ सेनापति के पद पर हुई थी।
  • भट्टारक तथा उसके पुत्र दोनों ने अपने साथ सेनापति की पदवी का ही इस्तेमाल किया
कच्छ का रण, कच्छ, गुजरात
  • मैत्रकों के तीसरे राजा द्रोण सिंह द्वारा सर्वप्रथम महाराजा की उपाधि धारण की गई।
  • मैत्रकों का प्रथम तिथियुक्त अभिलेख गुप्तसंवत 206 (526 ई.) को ध्रुवसेन प्रथम का प्राप्त हुआ है।
  • मैत्रक शासक ध्रुवसेन द्वितीय की शादी हर्षवर्धन की पुत्री के साथ हुई थी।
  • ध्रुवसेन द्वितीय के समय ही ह्वेनसांग गुजरात आया था।
  • मैत्रकों के समय वल्लभी शिक्षा का प्रसिद्ध केन्द्र थी।
  • गुजरात (अन्हिलवाड़ या अन्हिलपटक) के चालुक्य (सोलंकी) राज्य के संस्थापक गुर्जर जाति के नेता वनराज को माना जाता है, जिसने 765 ई. में इस वंश की नींव डाली। हालांकि सोलंकी वंश का प्रथम शासक मूलराज (947-995) को माना जाता है।
  • भीमदेव प्रथम (1022-1064) के काल में महमूद ग़ज़नवी तथा भीम द्वितीय के काल मुहम्मद ग़ोरी का आक्रमण अन्हिलवाड़ को झेलना पड़ा।
  • सोलंकी राजवंश के बाद दक्षिण गुजरात के बघेलों के शासन की स्थापना हुई जिसकी नींव लवण प्रसाद बघेल द्वारा डाली गई।
  • 13वीं सदी के अंत में यह प्रदेश अलाउद्दीन ख़िलजी के अधिकार में चला गया। कुछ समय बाद गुजरात के सुलतान स्वतंत्र हो गए। इन्हीं में से अहमदशाह प्रथम ने 15 वीं सदी के पूर्वार्द्ध में अहमदाबाद की स्थापना की।
  • महमूद बघेरा के समय में गुजरात बहुत समृद्ध हुआ लेकिन अंत में 16 वीं सदी में अकबर ने इस प्रदेश पर अधिकार कर लिया।
  • वर्ष 1800 में अंग्रेज़ों ने सूरत पर कब्ज़ा कर लिया वर्ष 1947 में भारत के स्वतंत्र होने तक वे ही गुजरात पर राज्य करते रहे।
  • गुजरात का भारत के स्वतंत्र संग्राम में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। क्योंकि इस प्रदेश ने राष्ट्र को महात्मा गाँधी तथा सरदार बल्लभ भाई पटेल जैसे नेता दिए।
  • राष्ट्रपिता महत्मा गाँधी की जन्म स्थली गुजरात का ही एक गाँव पोरबन्दर है।
  • कुवांशी गुजरात के मोरवी शहर से 25 किलो मीटर की दूरी पर स्थित एक छोटा सा गाँव है। कुवांशी गाँव में 4,000 वर्ष पुरानी सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
  • पडरी गुजरात के भावनगर ज़िले में स्थित है। पडरी से हड़प्पाई नगर, हड़प्पा पूर्व व विकसित हड़प्पा काल के दो सांस्कृतिक चरणों को स्पष्ट करता है।

भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में योगदान

भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में गुजरात के अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने योगदान दिया है जिसमें से प्रमुख हैं- कस्तूरबा गाँधी, महात्मा गाँधी, अश्विनी कुमार दत्त, सरदार पटेल, जीवराज मेहता, हंसा मेहता, गणेश वासुदेव मावलंकर, विट्ठलदास झवेरभाई पटेल, महादेव देसाई, मनीभाई देसाई आदि।

स्थापना

भारत के स्वतंत्र होने के समय यह प्रदेश मुम्बई राज्य का अंग था। अलग गुजरात का जन्म 1 मई, 1960 को हुआ।

भौगोलिक संरचना

गुजरात को तीन भौगोलिक क्षेत्रों में बाँटा गया है जैसे-

  1. सौराष्ट्र प्रायद्वीप- जो मूलतः एक पहाड़ी क्षेत्र है, बीच-बीच में मध्यम ऊँचाई के पर्वत हैं।
  2. कच्छ- जो पूर्वोत्तर में उजाड़ और चट्टानी है। विख्यात कच्छ का रन इसी क्षेत्र में है।
  3. गुजरात का मैदान- जो कच्छ के रन और अरावली की पहाड़ियों से लेकर दमन गंगा तक फैली है।

गुजरात की सबसे ऊँची चोटी गिरिनार पहाड़ियों में स्थित गोरखनाथ की चोटी है, जो 1117 मीटर ऊँची है। गुजरात की जलवायु ऊष्ण प्रदेशीय और मानसूनी है। वर्षा की कमी के कारण इस प्रदेश में रेतीली और बलुई मिट्टी पायी जाती है। प्रदेश में पूर्व की ओर उत्तरी गुजरात में वर्षा की मात्र 50 सेमी तक होती है। इसके दक्षिण की ओर मध्य गुजरात में मिट्टी कुछ अधिक उपजाऊ है तथा जलवायु भी अपेक्षयता आर्द्र है। वर्षा 75 सेमी तक होती है। नर्मदा, ताप्ती, साबरमती, सरस्वती, माही, भादर, बनास, और विश्वामित्र इस प्रदेश की सुपरिचित नदियाँ हैं। 'सरदार सरोवर' दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध है। नर्मदा नदी पर स्थित यह बाँध 800 मीटर ऊँचा है। नर्मदा नदी पर बनने वाले 30 बांधों में सरदार सरोवर और महेश्वर दो सबसे बड़ी बांध परियोजनाएं हैं, किन्तु इनका हर बार विरोध होता रहा है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य गुजरात के सूखाग्रस्त इलाक़ों में पानी पहुंचाना और मध्य प्रदेश के लिए बिजली पैदा करना है। कर्क रेखा इस राज्य की उत्तरी सीमा से होकर गुजरती है, अतः यहाँ गर्मियों में खूब गर्मी तथा सर्दियों में खूब सर्दी पड़ती है। शहरीकरण की प्रक्रिया ने राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न कुछ स्वरूप धारण किए हैं। राज्य का सर्वाधिक शहरीकृत क्षेत्र अहमदाबाद-वडोदरा औद्योगिक पट्टी है। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-8 के किनारे उत्तर में ऊंझा से दक्षिण में वापी के औद्योगिक मैदान में एक वृहदनगरीय क्षेत्र[5] उभर रहा है। सौराष्ट्र कृषि क्षेत्र में क्रमिक बसाव प्रणाली को देखा जा सकता है, जबकि उत्तर और पूर्व के बाह्य क्षेत्रों में बिखरी हुई छोटी-छोटी बस्तियाँ हैं, जो शुष्क, पर्वतीय या वनाच्छादित क्षेत्र हैं। आदिवासी जनसंख्या इन्हीं सीमांत अनुत्पादक क्षेत्रों में केंद्रित है।

सीमा क्षेत्र

भारत के पश्चिमी तट पर स्थित पश्चिम में अरब सागर, उत्तर तथा उत्तर-पूर्व में क्रमशः पाकिस्तान तथा राजस्थान दक्षिण- पूर्व में मध्य प्रदेश तथा दक्षिण में महाराष्ट्र है।

भू-आकृति

कच्छ का रण, कच्छ, गुजरात

गुजरात अत्यधिक विषमता वाला राज्य है। इसके पश्चिमी तट और मुंबई (भूतपूर्व बंबई) के उत्तर में नम उर्वर चावल उत्पादक मैदानों से लेकर पश्चिमोत्तर में कच्छ के लगभग वर्षाविहीन लवणीय रेगिस्तान हैं। कच्छ ज़िला दक्षिण में कच्छ की खाड़ी तथा उत्तर व पूर्व में पाकिस्तान व मुख्य भारतीय भूमि से कच्छ के रण द्वारा विभाजित है, जिसका वर्णन लगभग 20,720 वर्ग किमी क्षेत्र में विस्तृत एक विशाल लवणीय दलदल के रूप में बेहतर तरीके से किया जा सकता है। वर्षा के मौसम में, चाहे कितनी भी कम वर्षा क्यों न हुई हो, रण में बाढ़ आ जाती है। और कच्छ एक द्वीप में परिवर्तित हो जाता है; शुष्क मौसम में यह आंधियों से भरा एक रेतीला नमकीन मैदान है। कच्छ के दक्षिण में काठियावाड़ (सौराष्ट्र) का एक बड़ा प्रायद्वीप है, जो कच्छ की खाड़ी और खंभात की खाड़ी के बीच में है। यह भी एक बंजर क्षेत्र है, जिसके समुद्र तट से ऊपर उठते हुए केंद्र में विरल झाड़ीदार वनों वाला निचला लहरदार पर्वतीय क्षेत्र है। यहाँ के प्रमुख नगर अपेक्षाकृत उर्वर क्षेत्र में स्थित हैं, जो पहले छोटे-छोटे राज्यों की राजधानी थे। यहाँ की मिट्टी ज़्यादातर निम्न कोटि की है, जो कई प्रकार की प्राचीन रवेदार चट्टानों से व्युत्पन्न है, लेकिन उत्कृष्ट भवन निर्माण में काम आने वाला पोरबंदर का पत्थर राज्य के मूल्यवान उत्पादों में आता है। मौसमी नालों के अलावा नदियाँ नहीं हैं। प्रायद्वीप के दक्षिणी किनारे पर भूतपूर्व पुर्तग़ाली क्षेत्र दीव है। पूर्वोत्तर गुजरात मुख्यत: छोटे मैदानों और छोटी-छोटी पहाड़ियों वाला क्षेत्र है। राज्य का उच्चतम बिंदु गिरनार की पहाड़ी (1,117 मीटर) में है। यहाँ वर्षा कम होती है। और जनवरी में तापमान लगभग हिमांक बिंदु तक पहुंच जाता है, जबकि गर्मी के मौसम में तापमान 48 से दर्ज किया गया है। यहाँ की फ़सलों में मुख्यत: ज्वार-बाजरा और थोड़ी मात्रा में कपास है।

जलवायु

मध्य गुजरात के दक्षिणी हिस्से में वर्षा दर अधिक और तापमान में अंतर कम है; और मिट्टी ज़्यादा उपजाऊ है, जो अंशत: दक्कन क्षेत्र के बैसाल्ट चट्टानों से व्युत्पन्न हुई है। इस क्षेत्र का केन्द्र वडोदरा (बड़ौदा) शहर है, जो पहले एक समृद्ध और शक्तिशाली राज्य की राजधानी था और जिसका दक्षिणी हिस्सा अब वडोदरा ज़िला है। यहाँ की महत्त्वपूर्ण नदी नर्मदा है, जो खंभात की खाड़ी में गिरती है। नर्मदा और तापी (ताप्ती) नदी द्वारा गाद जमा किए जाने के कारण खंभात की खाड़ी की गहराई कम हो गई है और यहाँ के भूतपूर्व बंदरगाहों का पतन हो गया। दक्षिणी गुजरात में भरूच और सूरत ज़िले अपनी उर्वर मिट्टी और उच्च क़िस्म की कपास की फ़सलों के लिए प्रसिद्ध हैं। तापी नदी पूर्व दिशा से गहरी खाइयों से होकर सूरत से गुज़रती है। दक्षिणी गुजरात का पूर्वी हिस्सा पहाड़ी है। वास्तव में, पश्चिमी घाट के उत्तरी विस्तार के कारण वर्षायुक्त ग्रीष्म मानसूनी हवाओं से अत्यधिक बारिश होती है। इससे आगे दक्षिण में पर्वत वनाच्छादित हैं। इसी क्षेत्र में छोटा डेंग ज़िला है। तटीय मैदानों में जलवायु में लगभग समानता रहती है यहाँ 2,000 मिमी के लगभग वर्षा होती है।

चरखा, साबरमती आश्रम, अहमदाबाद

गुजरात में वनक्षेत्र मात्र 10 प्रतिशत है, जो मानवीय गतिविधियों के साथ-साथ कम वर्षा को प्रतिबिंबत करती है। अपेक्षाकृत शुष्क क्षेत्रों में झाड़ीदार जंगल पाए जाते हैं, जहाँ बबूल अकाकिया, करील, भारतीय बेर और दातुनी झाड़ियां[6] पाई जाने वाली प्रमुख प्रजातियां हैं। 1,016 मिमी वार्षिक वर्षा दर वाली काठियावाड़ उच्चभूमि और पूर्वोत्तर मुख्यभूमि में सागौन, कत्था, गोंद (बैकलीगम), कीली वृक्ष और बंगाल किनो[7] जैसे पर्णपाती वृक्ष पाए जाते हैं। पर्णपाती वन अपेक्षाकृत नम दक्षिणी और पूर्वी पहाड़ियों में केन्द्रित हैं। इनसे मुलायम टोमेंटोसा (घन-रोम), वेंगाई पादौक (महोगनी जैसा), मालाबार सीमल और हृदयाकार पत्तियों वाले अदीना जैसी कीमती लकड़ियां प्राप्त होती है। काठियावाड़ का पश्चिमी तट शैवाल के लिए जाना जाता है, जबकि पूर्वी तट से पपाइरस या पटेरा पौधा (साइपेरस पपाइरस) पाया जाता है। काठियावाड़ के गिर राष्ट्रीय उद्यान में एशियाई प्रजाति की एकमात्र जाति भारतीय सिंह है। कच्छ के छोटे रण के पास एक अभयारण्य में शेष बचे हुए भारतीय जंगली गधे पाए जाते हैं। अहमदाबाद के निकट का नलसरोवर पक्षी अभयारण्य साइबेरिया के मैदानों व अन्य स्थानों से शीत ऋतु में लगभग 140 प्रकार के प्रवासी पक्षियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इनमें सारस, ब्राह्मणी बत्तख़, सोनचिरैया, पेलिकन, पनकौवा, आइबिस, लकलक (स्टॉर्क), बगुला और वक शामिल हैं। भारत में कच्छ का रण हंसावर (फ़्लेमिंगौ) का एकमात्र प्रजनन स्थल है। गुजरात में समुद्री और मीठे पानी की मछलियां पकड़ी जाती हैं। पकड़ी जाने वाली मछलियों में पॉम्फ़्रे सॉलमन, हिल्सा, ज्यूफ़िश (साइएना), झींगा, बॉम्बे डक (खाद्य मछली) और ट्यूना मछली शामिल हैं।

अर्थव्यवस्था

रंग बिरंगी मूँगफली, गुजरात

जलवायु संबंधी प्रतिकूल परिस्थियाँ, मृदा और जल की लवणता और चट्टानी इलाक़े ऐसी भौतिक समस्याएँ हैं, जिन्होंने गुजरात की कृषि गतिविधियों को अवरुद्ध किया। राज्य ज़्यादातर सिंचाई पर निर्भर है। भूजल की उपयोगी को बढ़ाने की आवश्यकता है, क्योंकि भूमिगत जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। यह आवश्यक है कि नर्मदा नहर प्रणाली का परिचालन सिंचाई के लिए हो। मुख्य खाद्य फ़सलों में ज्वार-बाजरा, चावल और गेहूँ शामिल हैं। गुजरात में नक़दी फ़सलों का उत्पादन महत्त्वपूर्ण है। गुजरात कपास, तंबाकू और मूँगफली का उत्पादन करने वाले देश का प्रमुख राज्य है तथा यह कपड़ा तेल और साबुन जैसे महत्त्वपूर्ण उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराता है। दिसम्बर 2002 में राज्य में पंजीकृत चालू फैक्टरियों की संख्या 19,696 थी, जिनमें औसत 8.4 लाख दैनिक मज़दूरों को रोज़गार मिला हुआ था। लघु उद्योग क्षेत्र में सितम्बर 2003 तक राज्य में 2.83 लाख लघु औद्योगिक इकाइयों का पंजीकरण हो चुका था। दिसम्बर 2003 तक गुजरात औद्योगिक विकास निगम ने 241 औद्योगिक संपदाएं स्थापित की थीं। गुजरात पैट्रोलियम के उत्पादन में तीसरा बड़ा क्षेत्र है। यहाँ के मुख्य पेट्रोलियम उत्पादक क्षेत्र खम्भात की खाड़ी अंकलेश्वर, बड़ोदरा, मेहसाना तथा अहमदाबाद हैं। गुजरात राज्य का भारत में कपास और मूँगफली उत्पादन में प्रथम और तम्बाकू उत्पादन में द्वितीय स्थान है। हालांकि ज़्यादातर लोग कृषि में संलग्न हैं, पर यहाँ एक सुगठित और अपेक्षाकृत समद्ध वाणिज्यिक समुदाय भी है, जो व्यापार और वाणिज्य में तरक़्क़ी कर रहा है। व्यापार में संलग्न गुजराती लोग देश भर और विदेशों में भी फैले हुए हैं, भारत की औद्योगिक अर्थव्यवस्था में गुजरात का स्थान अग्रणी है। यह राज्य चूना-पत्थर, मैंगनीज़ जिप्सम, कैल्साइट और बॉक्साइट जैसी खनिज संपदा से समृद्ध है। यहाँ पर लिग्नाइट, क्वार्टज़ युक्त रेत, गोमेद (एगेट) और फ़ेल्सपार के भी भंडार हैं। असम के साथ गुजरात भी एक प्रमुख पेट्रोलियम उत्पादक राज्य है। सोडा ऐश और नमक के मामले में कुल राष्ट्रीय उत्पाद का सर्वाधिक हिस्सा यहीं से आता है। सीमेंट, वनस्पति तेल, रसायन और सूती वस्त्र के उद्योग महत्त्वपूर्ण हैं। औषधि उद्योग वडोदरा, अहमदाबाद और अतुल (वलसाड) में केंद्रित है, जो भारत के कुल उत्पादन के एक बड़े हिस्से का निर्माण करते हैं। कोयाली के निकट स्थित तेल परिशोधनशाला ने आसपास के पेट्रो रसायन उद्योग के तीव्र विकास में भूमिका निभाई है। सहकारी वाणिज्यिक डेयरी उद्योग भी महत्त्वपूर्ण है। दुग्ध उत्पादन में "श्वेत क्रांति" इसी राज्य में हुई थी और यह भारत के बच्चों के लिए दुग्ध खाद्य के कुल उत्पादन का 4/5 हिस्से का उत्पादन करता है। लघु उद्योगों का नियमित विकास महत्त्वपूर्ण है। मज़दूरों की समस्या पर गाँधीवादी मार्ग-सत्य पर दृढ़ निर्भरता, अहिंसा, मध्यस्थता द्वारा समझौता, न्यूनतम माँगें और आख़िरी उपाय के रूप में हड़ताल के प्रयोग-ने गुजरात में औद्योगिक संबंधों पर गहरा प्रभाव डाला है, जिसकी वजह से यह राज्य मज़दूर असंतोष से अपेक्षाकृत स्वतंत्र है। यह प्रदेश डेयरी उद्योग में अग्रणी है। गुजरात के आनन्द में नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड का मुख्यालय है।

हीरा
  • सूरत में हीरा तराशने और पॉलिश करने का उद्योग उन्नत दशा में है।
  • गुजरात भारत का सबसे प्रमुख नमक उत्पादन राज्य है। यहाँ देश का 60 प्रतिशत नमक तैयार किया जाता है।
  • व्यापार की दृष्टि से समुद्र तटवर्ती इस प्रदेश का बहुत महत्व है। प्रदेश में कुल 40 बन्दरगाह हैं, जिनमें कांडला जैसी नवनिर्मित और विकसित बन्दगाह भी शामिल है।
  • ग़रीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करने वाले व्यक्तियों का प्रतिशत (1999-2000) -14.07 प्रतिशत।

सीएमएफआरआई के अनुमान के अनुसार, 2016 में कुल समुद्री मछली लैंडिंग 3.63 मिलियन टन थी, जिसमें गुजरात लगातार चौथे वर्ष शीर्ष पर रहा और उसके बाद तमिलनाडु का स्थान रहा। केरल अपनी विशाल तटरेखा के साथ पहली बार शीर्ष तीन से बाहर हो गया और कर्नाटक के बाद चौथे स्थान पर रहा। राष्ट्रीय मछली, मैकेरल, लंबे अंतराल के बाद 2.50 लाख टन के कुल उत्पादन के साथ सार्डिन (2.44 लाख टन) से आगे सभी किस्मों में पहले स्थान पर रही। सार्डिन की लैंडिंग में 32.8% का भारी अंतर दर्ज किया गया, जिसे गरीबों की मछली के रूप में जाना जाता है जिसमें अच्छी मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है जो एचडीएल (अच्छा कोलेस्ट्रॉल) बढ़ाता है। कोच्चि में केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) द्वारा तैयार मछली लैंडिंग पर वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि काउंटी की समुद्री मछली पकड़ने में पिछले वर्ष की तुलना में 2016 में 6.6% की मामूली वृद्धि दर्ज की गई है।[8]

कृषि

पानी भरती ग्रामीण महिलायें, गुजरात
  • गुजरात कपास, तंबाकू और मूंगफली का उत्पादन करने वाला देश का प्रमुख राज्य है।
  • यह कपड़ा, तेल और साबुन जैसे महत्त्वपूर्ण उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध करता है। अन्य महत्त्वपूर्ण नकदी फ़सलें हैं - इसबगोल, धान, गेहूँ और बाजरा।
  • गुजरात के वनों में उपलब्ध वृक्षों की जातियां हैं- सागवान, खैर, हलदरियो, सादाद और बांस
  • कुल खाद्यान्न उत्पादन (1999- 2000) -4,051,700 टन।

उद्योग

राज्य के औद्योगिक ढांचे में धीरे-धीरे विविधता आती जा रही है। यहाँ रसायन, पेट्रो-रसायन, उर्वरक, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि उद्योगों का विकास रहा है।

  • 2004 के अंत में राज्य में पंजीकृत फैक्टरियों की संख्या 21,536 (अस्थाई) थी जिनमें औसतन 9.27 लाख दैनिक मज़दूरों को रोज़गार मिला हुआ था।
  • मार्च, 2005 तक राज्य में 2.99 लाख लघु औद्योगिक इकाइयों का पंजीकरण हो चुका था।
  • गुजरात औद्योगिक विकास निगम को ढांचागत सुविधाओं के साथ औद्योगिक संपदाओं के विकास की भूमिका सौंपी गई है।
बाज़ार का एक दृश्य, अहमदाबाद
  • दिसंबर, 2005 तक गुजरात औद्योगिक विकास निगम ने 237 औद्योगिक संपदाएं स्थापित की थी।
  • वस्त्र, रासायनिक पैट्रो रसायन, दवाई, रंग उर्वरक, सीमेण्ट, दुग्ध उत्पाद, चीनी, इंजीनियरी सामान काग़ज़, नमक आदि।
  • गुजरात का सबसे महत्त्वपूर्ण उद्योग सूती वस्त्र है। भारत का मैनचेस्टर अहमदाबाद को कहा जाता है।

सिंचाई और बिजली

धुवारन में एक तापविद्युत केंद्र स्थित है। राज्य को महाराष्ट्र राज्य की तारापुर नाभिकीय ऊर्जा इकाई से भी बिजली की आपूर्ति होती है। नर्मदा नदी पर लंबे समय से निर्माणाधीन और विवाद ग्रसित सरदार सरोवर बांध के सबसे बड़े जलविद्युत उत्पादक बनने की आशा है और इससे विस्तृत सिंचाई सुविधा भी मिलेगी।

गुजरात विद्युत निगम, वड़ोदरा
  • सिंचाई एवं विद्युत- प्रमुख सिंचाई परियोजना में उकई, कडाना, काकरापार, दंतिवाड़ा शत्रुंजय, भादर, मेशवा।
  • सिंचाई क्षमता : 64.88 लाख हेक्टेयर। 2770 मेगावाट जल एवं ताप विद्युत पैदा की जाती है।
  • राज्य में भूतलीय जल तथा भूमिगत जल द्वारा कुल सिंचाई क्षमता 64.48 लाख हेक्टेयर आंकी गई है जिसमें सरदार सरोवर (नर्मदा) परियोजना की 17.92 लाख हेक्टेयर क्षमता भी शामिल है।
  • राज्य में जून 2005 तक कुल सिंचाई क्षमता 40.34 लाख हेक्टेयर क्षमता भी शामिल है।
  • राज्य में जून 2007 तक कुल सिंचाई क्षमता 42.26 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई थी।
  • जून 2007 तक अधिकतम उपयोग क्षतमा 37.33 लाख हेक्टेयर आंकी गई।
  • कुल सिंचित क्षेत्र -3,082,000 हेक्टेयर ।

प्रशासन

विधान सभा, गुजरात

सरकार

राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त राज्यपाल गुजरात के प्रशासन का प्रमुख होता है। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिमंडल राज्यपाल को उसके कामकाज में सहयोग और सलाह देता है। राज्य में एक निर्वाचित निकाय एकसदनात्मक विधानसभा है। उच्च न्यायालय राज्य की सर्वोपरि न्यायिक सत्ता है, जबकि शहरी न्यायालय, ज़िला व सत्र न्यायाधीशों के न्यायालय और प्रत्येक ज़िले में दीवानी मामलों के न्यायाधीशों के न्यायालय हैं। राज्य को 25 प्रशासनिक ज़िलों में बांटा गया है। अहमदाबाद, अमरेली, बनास कंठा, भरूच, भावनगर, डेंग, गाँधीनगर, खेड़ा, महेसाणा, पंचमहल, राजकोट, साबर कंठा, सूरत सुरेंद्रनगर, वडोदरा, वलसाड, नवसारी, नर्मदा, दोहद, आनंद, पाटन, जामनगर, पोरबंदर, जूनागढ़ और कच्छ, प्रत्येक ज़िले का राजस्व और सामान्य प्रशासन ज़िलाधीश की देखरेख में होता है, जो क़ानून और व्यवस्था भी बनाए रखता है। स्थानीय प्रशासन में आम लोगों को शामिल करने के लिए 1963 में पंचायत द्वारा प्रशासन की शुरुआत की गई।

स्टर्लिंग सिविल अस्पताल, अहमदाबाद

स्वास्थ्य

स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाओं में मलेरिया, तपेदिक, कुष्ठ और अन्य संक्रामक रोगों के उन्मूलन के साथ-साथ पेयजल की आपूर्ति में सुधार और खाद्य सामग्री में मिलावट को रोकने के कार्यक्रम शामिल हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, अस्पतालों और चिकित्सा महाविद्यालयों के विस्तार के लिए भी क़दम उठाए गए हैं।

जन-कल्याण

बच्चों, महिलाओं और विकलांगों, वृद्ध, असहाय, परित्यक्त के साथ-साथ अपराधी भिखारी, अनाथ और जेल से छुटे लोगों की कल्याण आवश्यकताओं की देखरेख विभिन्न राजकीय संस्थाएं करती हैं। राज्य में तथाकथित पिछड़े वर्ग के लोगों की शिक्षा, आर्थिक विकास, स्वास्थ्य और आवास की देखरेख के लिए एक अलग विभाग है।

यमुना
गुजरात विधान सभा का विहंगम दृश्य


जनजीवन

लोहार, गुजरात

गुजराती जनसंख्या में विविध जातीय समूह का मोटे तौर पर इंडिक / भारतोद्भव (उत्तरी मूल) या द्रविड़ (दक्षिणी मूल) के रूप में वर्गीकरण किया जा सकता है। पहले वर्ग में नगर ब्राह्मण, भटिया, भदेला, राबरी और मीणा जातियां (पारसी, मूल रूप से फ़ारस से, परवर्ती उत्तरी आगमन का प्रतिनिधित्व करते हैं), जबकि दक्षिणी मूल के लोगों में वाल्मीकि, कोली, डबला, नायकदा व मच्छि-खरवा जनजातिया हैं। शेष जनसंख्या में आदिवासी भील मिश्रित विशेषताएं दर्शाते हैं। अनुसूचित जनजाति और आदिवासी जनजाति के सदस्य प्रदेश की जनसंख्या का लगभग पाँचवां हिस्सा हैं। यहाँ डेंग ज़िला पूर्णत: आदिवासी युक्त ज़िला है। अहमदाबाद ज़िले में अनुसूचित जनजाति का अनुपात सर्वाधिक है। गुजरात में जनसंख्या का मुख्य संकेंद्रण अहमदाबाद, खेड़ा, वडोदरा, सूरत और वल्सर के मैदानी क्षेत्र में देखा जा सकता है। यह क्षेत्र कृषि के दृष्टिकोण से उर्वर है और अत्यधिक औद्योगीकृत है। जनसंख्या का एक अन्य संकेंद्रण मंगरोल से महुवा तक और राजकोट एवं जामनगर के आसपास के हिस्सों सहित सौराष्ट्र के दक्षिणी तटीय क्षेत्रों में देखा जा सकता है। जनसंख्या का वितरण उत्तर (कच्छ) और पूर्वी पर्वतीय क्षेत्रों की ओर क्रमश कम होता जाता है। जनसंख्या का औसत घनत्व 258 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी (2001) है और दशकीय वृद्धि दर 2001 में 22.48 प्रतिशत पाई गई।

गुजरात में सांस्कृतिक जीवन के विभिन्न दृश्य


माँझा बनाता व्यक्ति, गुजरात खाना बनाती ग्रामीण महिला, गुजरात पारम्परिक बंजारे, गुजरात पारम्परिक पोशाक में गुजराती महिला पारम्परिक बंजारे, गुजरात पारम्परिक बंजारे, गुजरात चकदा, गुजरात


खानपान

गुजरात में खानपान के विभिन्न दृश्य


भेलपूरी, गुजरात गुजराती खाने से सजी हुई थाली जराती नाश्ते की थाली पापडी चाट की दुकान, गुजरात मसालों का बाज़ार, अहमदाबाद

यातायात और परिवहन

सड़क एवं रेल संपर्क अच्छे हैं और तटीय जहाज़ी मार्ग गुजरात के विभिन्न बंदरगाहों को जोड़ते हैं, कांडला एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह है। राज्य के भीतर और देश के अन्य प्रमुख नगरों के लिए गुजरात से वायुसेना उपलब्ध है।

ओटो, गुजरात
  • 2005-06 के अंत में सड़कों की कुल लंबाई (गैर योजना, सामुदायिक, शहरी और परियोजना सड़कों के अलावा) लगभग 74,038 किलोमीटर थी।
  • 2002-03 के अंत तक भूतल सड़कों की लम्बाई 70,743 किमी थी। देश का पहला एक्सप्रेस मार्ग अहमदाबाद और बड़ोदरा के बीच निर्माणाधीन है।
  • रेलमार्ग की लम्बाई 5312 किमी (1997-98), 2001-2002 के अंत तक राज्य में सड़कों की कुल लंबाई (म्युनिसिपल सड़कों के अलावा) लगभग 74,03 कि.मी. थी
  • राज्य का मुख्य हवाई अड्डा अहमदाबाद है। यहाँ से मुम्बई, दिल्ली और अन्य शहरों के लिए दैनिक विमान सेवा उपलब्ध है।
  • अहमदाबाद हवाई अड्डे को अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का दर्जा मिल गया है। अन्य हवाई अड्डे बड़ोदरा, भावनगर भुज, सूरत, जामनगर, कांडला, केशोड, पोरबंदर और राजकोट में हैं।
  • राज्य के अहमदाबाद स्थित मुख्य हवाई अड्डे से मुंबई, दिल्ली और अन्य शहरों के लिए दैनिक विमान सेवा उपलब्ध है। अहमदाबाद हवाई अड्डे को अब अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का दर्जा मिल गया हैं। अन्य हवाई अड्डे वडोदरा, भावनगर, भुज, सूरत, जामनगर, कांदला, केशोद, पोरबंदर और राजकोट में है।
  • गुजरात में कुल 40 बंदरगाह हैं। कांदला राज्य का प्रमुख बंदरगाह है। वर्ष 2004-05 के दौरान गुजरात के मंझोले और छोटे बंदरगाहों से कुल 971.28 लाख टन माल ढोया गया जबकि कांदला बंदरगाह से 415.51 लाख टन माल ढोया गया।

राष्ट्रीय उद्यान

गुजरात के राष्ट्रीय उद्यान
उद्यान का नाम ज़िला क्षेत्रफल वन्य जीवों की मुख्य प्रजातियाँ
गिर राष्ट्रीय उद्यान जूनागढ़ 258.71 वर्ग किमी एशियाई शेर, तेंदुआ, चीतल,

जंगली बिल्ली, लकड़बग्धा, चिंकारा,
जंगली सूअर, सांभर चौसिंगा, आदि
तथा 300 पक्षियों की प्रजातियाँ

वेलावदार राष्ट्रीय उद्यान भावनगर 34.08 वर्ग किमी तेंदुआ, हिरण, चिंकारा मोर
बंसदा राष्ट्रीय उद्यान वलसाड 23.89 वर्ग किमी तेंदुआ, हिरण, मोर
मेरीन राष्ट्रीय उद्यान जामनगर 162.89 वर्ग किमी रगोग, हरा कछुवा, ऑलिव

रिडले, घड़ियाल, जलगोह, बाज,
चमचाचोंच पीही, जलमुर्गी।

गुजरात में गिर राष्ट्रीय उद्यान, वेलावदार राष्ट्रीय उद्यान, बंसदा, राष्ट्रीय उद्यान और मेरीन राष्ट्रीय उद्यान मिलाकर कुल चार राष्ट्रीय उद्यान हैं जो कुल 47,967 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हुए हैं।

गिर राष्ट्रीय उद्यान-
  • गिर राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में 1975 में की गई थी और जूनागढ़ ज़िले में 258-71 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
  • गिर की जलवायु ऊष्णकटिबंधीय है और इसको वनस्पति ऊष्मकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती है। वनों में सागवान, बरगद, मिश्रित पर्णपाती तथा कंटीले पेड़-पौधे, जैसे-बबूल, कीकर, बेर आदि मिलते हैं।
  • गिर वन संकटापन्न और विरल प्रजाति के एशियाई शेर के एकमात्र आश्रय स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। इसमें तेंदुआ, लक्करबग्धा, जंगली सूअर, नीलगाय, सांभर, चीतल, चिंकारा, चौसिंगा, मगर, गोह आदि पाये जाते हैं।
गिर वन राष्ट्रीय उद्यान
वेलावदार राष्ट्रीय उद्यान-
  • यह भावनगर ज़िले में 34 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। इसमें ऊष्णकटिबंधीय कंटीले वन पाये जाते हैं। काला हिरण और भेड़िया इसके प्रमुख वन्य पशु हैं जबकि मोर सामान्य पक्षी है।
बंसदा राष्ट्रीय उद्यान-
  • इसे बलसाड ज़िले में 1976 में स्थापित किया गया था। और इसका क्षेत्रफल 24 किलोमीटर है। इस उद्यान में नम पर्णपाती वन हैं जबकि मोर मुख्य पक्षी है।
मैरीन राष्ट्रीय उद्यान-
  • 1982 में राज्य के जामनगर ज़िले में स्थापित मेरीन राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल 163 वर्ग किलोमीटर है। ऊष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थित समुद्रीतटीय एवं दलदली भूमिवाले इस उद्यान में मैंग्रोव प्रजातियों के वृक्ष पाये जाते हैं जबकि अंशतः अर्द्धसदाहरित वन भी पाये जाते हैं। यहाँ वन्यजीवों में समुद्री गाय (डूगोंग), हरी त्वचावाले कछुए, खारेपानी के मगरमच्छ, ओलिव रिडले गोह, मुख्य हैं। पक्षियों में चमचाचोंच, जलमुर्गी, पीही आदि सामान्य रूप से पाये जाते हैं।
महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, वड़ोदरा

शिक्षा

500 या इससे ज़्यादा जनसंख्या वाले लगभग सभी गाँवों में सात से ग्यारह वर्ष के सभी बच्चों के लिए प्राथमिक पाठशालाएँ हैं। आदिवासी बच्चों को कला और शिल्प की शिक्षा देने के लिए विशेष विद्यालय चलाए जाते हैं। यहाँ अनेक माध्यमिक और उच्चतर विद्यालयों के साथ-साथ नौ विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा के लिए बड़ी संख्या में शिक्षण संस्थान हैं। अभियांत्रिकी महाविद्यालयों और तकनीकी विद्यालयों द्वारा तकनीकी शिक्षा उपलब्ध कराई जाती है। शोध संस्थानों में अहमदाबाद में फ़िज़िकल रिसर्च लेबोरेटरी अहमदाबाद टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज़ रिसर्च एशोसिएशन, सेठ भोलाभाई जेसिंगभाई इंस्टिट्यूट ऑफ़ लर्निंग ऐंड रिसर्च, द इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट, द नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ डिज़ाइन और द सरदार पटेल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इकोनॉमिक ऐंड सोशल रिसर्च, वडोदरा में ओरिएंटल इंस्टिट्यूट तथा भावनगर में सेंट्रल साल्ट ऐंड मॅरीन केमिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट शामिल हैं।

गुजरात के शिक्षण और अनुसंधान केन्द्र
विश्वविद्यालय प्रशिक्षण संस्थान शोध एवं अनुसंधान केन्द्र
  • गुजरात कृषि विश्वविद्यालय, दांतिवाड़ा
  • गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जामनगर
  • गुजरात विश्वविद्यालय, अहमदाबाद
  • गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद
  • महाराजा सायजीराव विश्वविद्यालय, बड़ोदरा
  • सरदार पटेल विश्वविद्यालय, बल्लभ विद्यानगर
  • सौराष्ट्र विश्वविद्यालय, सूरत
  • उत्तरी गुजरात विश्वविद्यालय, पाटन
  • डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर खुला विश्वविद्यालय, अहमदाबाद
  • कॉलेज ऑफ़ सैटेलाइट कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी, अहमदाबाद
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट अहमदाबाद
  • केन्द्रीय नमक और समुद्री रसायन अनुसंधान संस्थान, भावनगर
  • विद्युत अनुसंधान और विकास संस्थान, बड़ोदरा
  • ककरापाड़ा एटॉमिक पॉवर प्लाण्ट (गुजरात)

भाषा

गुजराती वर्णमाला

गुजराती और हिन्दी राज्य की अधिकृत भाषाएं हैं। दोनों में गुजराती का ज़्यादा व्यापक इस्तेमाल होता है, जो संस्कृत के अलावा प्राचीन भारतीय मूल भाषा प्राकृत और 10 वीं शताब्दी के बीच उत्तरी और पश्चिमी भारत में बोली जाने वाली अपभ्रंश भाषा से व्युत्पन्न एक भारतीय-आर्य भाषा है। समुद्र मार्ग से गुजरात के विदेशों से संपर्क ने फ़ारसी, अरबी, तुर्की, पुर्तग़ाली और अंग्रेज़ी शब्दों से इसका परिचय करवाया। गुजराती में महात्मा गांधी की विलक्षण रचनाएं अपनी सादगी और ऊर्जस्विता के लिए प्रसिद्ध हैं। इन रचनाओं ने आधुनिक गुजराती गद्य पर ज़बरदस्त प्रभाव डाला है। गुजरात में राजभाषा गुजराती भाषा के अतिरिक्त हिन्दी, मराठी और अंग्रेज़ी का प्रचलन है। गुजराती भाषा नवीन भारतीय–आर्य भाषाओं के दक्षिण–पश्चिमी समूह से सम्बन्धित है। इतालवी विद्वान् तेस्सितोरी ने प्राचीन गुजराती को प्राचीन पश्चिमी राजस्थानी भी कहा, क्योंकि उनके काल में इस भाषा का उपयोग उस क्षेत्र में भी होता था, जिसे अब राजस्थान राज्य कहा जाता है।

इन्हें भी देखें: गुजराती भाषा एवं हिन्दी भाषा

धर्म

जैन मंदिर, पालीताना

गुजरात में अधिकांश जनसंख्या हिन्दू धर्म को मानती है, जबकि कुछ संख्या इस्लाम, जैन और पारसी धर्म मानने वालों की भी है। राज्य नीति हमेशा से ही इसकी जनता की धार्मिक सहिष्णुता के कारण विशिष्ट रही है, हालांकि 20 वीं सदी के उत्तरार्ध में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव के कारण दंगे भी हुए हैं।

संस्कृति

गुजरात की अधिकांश लोक संस्कृति और लोकगीत हिन्दू धार्मिक साहित्य पुराण में वर्णित भगवान कृष्ण से जुड़ी किंवदंतियों से प्रतिबिंबित होती है। कृष्ण के सम्मान में किया जाने वाला रास नृत्य और रासलीला प्रसिद्ध लोकनृत्य "गरबा" के रूप में अब भी प्रचलित है। यह नृत्य देवी दुर्गा के नवरात्र पर्व में किया जाता है। एक लोक नाट्य भवई भी अभी अस्तित्व में है।

गुजरात में शैववाद के साथ-साथ वैष्णववाद भी लंबे समय से फलता-फूलता रहा है, जिनसे भक्ति मत का उद्भव हुआ। प्रमुख संतों, कवियों और संगीतज्ञों में 15वीं सदी में पदों के रचयिता नरसी मेहता, अपने महल को त्यागने वाली 16वीं सदी की

गरबा नृत्य, गुजरात

राजपूत राजकुमारी व भजनों की रचनाकार मीराबाई, 18वीं सदी के कवि और लेखक प्रेमानंद और भक्ति मत को लोकप्रिय बनाने वाले गीतकार दयाराम शामिल हैं। भारत में अन्य जगहों की तुलना में अहिंसा और शाकाहार की विशिष्टता वाले जैन धर्म ने गुजरात में गहरी जड़े जमाई। ज़रथुस्त्र के अनुयायी पारसी 17वीं सदी के बाद किसी समय फ़ारस से भागकर सबसे पहले गुजरात के तट पर ही बसे थे।

पारम्परिक पोशाक में ग्रामीण महिला

इस समुदाय के अधिकांश लोग बाद में बंबई (वर्तमान मुंबई) चले गए। कृष्ण, दयानन्द सरस्वती, महात्मा गाँधी, सरदार पटेल तथा सुप्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी रणजी जैसे व्यक्तित्व ने प्रदेश के समाज को गौरवांवित किया। गुजरात की संस्कृति में मुख्यत: शीशे का काम तथा 'गरबा' एवं 'रास' नृत्य पूरे भारत में प्रसिद्ध है। प्रदेश का सर्वप्रमुख लोक नृत्य गरबा तथा डांडिया है। गरबा नृत्य में स्त्रियाँ सिर पर छिद्रयुक्त पात्र लेकर नृत्य करती हैं, जिस के भीतर दीप जलता है। डांडिया में अक्सर पुरुष भाग लेते हैं परंतु कभी-कभी स्त्री-पुरुष दोनों मिलकर करते हैं। प्रदेश के रहन-सहन और पहनावे पर राजस्थान का काफ़ी प्रभाव देखा जा सकता है। प्रदेश का भवई लोकनाट्य काफ़ी लोकप्रिय है। स्थापत्य शिल्प की दृष्टि से प्रदेश काफ़ी समृद्ध है। इस दृष्टि से रुद्र महालय, सिद्धपुर, मातृमूर्ति पावागढ़, शिल्पगौरव गलतेश्वर, द्वारिकानाथ का मंदिर, शत्रुंजय पालीताना के जैन मंदिर, सीदी सैयद मस्जिद की जालियाँ, पाटन की काष्ठकला इत्यादि काफ़ी महत्त्वपूर्ण हैं। हिन्दी में जो स्थान सूरदास का है गुजराती में वही स्थान नरसी मेहता का है।

त्योहार और मेले

  • भारत के पश्चिमी भाग में बसा समृद्धशाली राज्य गुजरात अपने त्योहारों और सांस्कृतिक उत्सवों के लिये विश्व प्रसिद्ध है।
  • भाद्रपद्र (अगस्त-सितंबर) मास के शुक्ल पक्ष में चतुर्थी, पंचमी और षष्ठी के दिन तरणेतर गांव में भगवान शिव की स्तुति में तरणेतर मेला लगता है।
  • भगवान कृष्ण द्वारा रुक्मणी से विवाह के उपलक्ष्य में चैत्र (मार्च-अप्रैल) के शुक्ल पक्ष की नवमी को पोरबंदर के पास माधवपुर में माधवराय मेला लगता है।
  • उत्तरी गुजरात के बांसकांठा ज़िले में हर वर्ष माँ अंबा को समर्पित अंबा जी मेला आयेजित किया जाता हैं।
  • राज्य का सबसे बड़ा वार्षिक मेला द्वारका और डाकोर में भगवान कृष्ण के जन्मदिवस जन्माष्टमी के अवसर पर बड़े हर्षोल्लास से आयोजित होता है।
  • इसके अतिरिक्त गुजरात में मकर संक्राति, नवरात्र, डांगी दरबार, शामला जी मेले तथा भावनाथ मेले का भी आयोजन किया जाता हैं।

पतंगों का रंगीन त्योहार

पतंग

मकर संक्रांति के पर्व पर मनाया जाने वाला पतंग उत्सव अपनी रंग-बिरंगी छवि के कारण गुजरात राज्य में अत्यंत लोकप्रिय है और भारत ही नहीं विदेशों में भी अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका है। जनवरी माह के मध्य में (14 जनवरी) उत्तरायण पर्व आता है। भगवान भास्कर उत्तरायण को प्रयाण करते हैं, बसंत ऋतु का आगमन होता है, किसानों की खुशी का ठिकाना नहीं रहता क्योंकि फसल पककर तैयार हो जाती है, कटाई का समय आ जाता है। नव धान्य से बने सुस्वादु मिष्टान्न सभी को उत्सव का आनंद देते हैं। गुजरात में इस पर्व को मनाने का निराला रंग है। गुजरातवासी रंग-बिरंगी पतंगों से आसमान भर देते हैं। ये रंग विविधता में एकता, आनंद, उत्साह और परस्पर स्नेह-सौहार्द के प्रतीक हैं। पतंग पतले रंगीन काग़ज़बाँस के रेशों से बनाई जाती है। पतंग की डोर माँझा कहलाती है जिसे फिरकी पर लपेटा जाता है। पतंग उड़ाने वाले पहले पतंग पसंद करते हैं, वह ठीक बनी व संतुलित है या नहीं, फिर हवा की दिशा को देखते हुये कुशल हाथों से पतंग को ऊँची उड़ान देते हैं। कुशल उड़ाके आसमान में उड़ती पतंगों में से अपने प्रतिद्वंद्वी को पहचान लेते हैं और फिर शुरू होते हैं पतंग काटने के दाँव-पेंच। पतंग काटने वाले जीत का जश्न मनाते हैं। यह एक ऐसा रंगीन उत्सव है जहाँ बच्चे-बूढ़े, धनी-निर्धन, स्वदेशी-विदेशी सभी भेद-भाव भूलकर अनंत आकाश में एकता के रंग भर देते हैं। गुजरात में राज्य पर्यटन विभाग की ओर से सन् 1989 से प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय पतंग उत्सव अहमदाबाद में आयोजित किया जाता है। बाहरी देशों के मेहमान विभिन्न प्रकार की पतंगें लेकर इस उत्सव में भाग लेते हैं।[9]

गुजरात में कला एवं संस्कृति के विभिन्न दृश्य


वड़ोदरा संग्रहालय डांडिया नृत्य, गुजरात गुजराती नृत्य, गुजरात द्वारिकाधीश मन्दिर, द्वारका, गुजरात शिव और पार्वती गरबा नृत्य, गुजरात गरबा नृत्य के लिए तैयार होती महिलायें, गुजरात डांडिया नृत्य, गुजरात सोमनाथ मन्दिर, गुजरात

कला

डांडिया नृत्य, गुजरात

गुजरात की वास्तुकला शैली अपनी पूर्णता और अलंकारिकता के लिए विख्यात है, जो सोमनाथ, द्वारका, मोधेरा, थान, घुमली, गिरनार जैसे मंदिरों और स्मारकों में संरक्षित है। मुस्लिम शासन के दौरान एक अलग ही तरीक़े की भारतीय-इस्लामी शैली विकसित हुई। गुजरात अपनी कला व शिल्प की वस्तुओं के लिए भी प्रसिद्ध है। इनमें जामनगर की बांधनी (बंधाई और रंगाई की तकनीक), पाटन का उत्कृष्ट रेशमी वस्त्र पटोला, इदर के खिलौने, पालनपुर का इत्र कोनोदर का हस्तशिल्प का काम और अहमदाबादसूरत के लघु मंदिरों का काष्ठशिल्प तथा पौराणिक मूर्तियाँ शामिल हैं। राज्य के सर्वाधिक स्थायी और प्रभावशाली सांस्कृतिक संस्थानों में महाजन के रूप में प्रसिद्ध व्यापार और कला

हस्तशिल्प कला, गुजरात

शिल्प संघ है। अक्सर जाति विशेष में अंतर्गठित और स्वायत्त इन संघों ने अतीत कई विवादों को सुलझाया है और लोकहित के माध्यम की भूमिका निभाते हुए कला व संस्कृति को प्रोत्साहन दिया है।

काष्ठ शिल्पकला

गुजरात राज्य में की जाने वाली वास्तु शिल्पीय नक़्क़ाशी कम से कम 15वीं शताब्दी से गुजरात भारत में लकड़ी की नक़्क़ाशी का मुख्य केंद्र रहा है। निर्माण सामग्री के रूप में जिस समय पत्थर का इस्तेमाल अधिक सुविधाजनक और विश्वसनीय था, इस समय भी गुजरात के लोगों ने मंदिरों के मंडप तथा आवासीय भवनों के अग्रभागों, द्वारों, स्तंभों, झरोखों, दीवारगीरों और जालीदार खिड़कियों के निर्माण में निर्माण में बेझिझक लकड़ी का प्रयोग जारी रखा। मुग़ल काल (1556-1707) के दौरान गुजरात की लकड़ी नक़्क़ाशी में देशी एवं मुग़ल शैलियों का सुंदर संयोजन दिखाई देता है। 16वीं सदी के उत्तरार्ध एवं 17वीं सदी के जैन काष्ठ मंडपों पर जैन पौराणिक कथाएँ एवं समकालीन जीवन के दृश्य तथा काल्पनिक बेल-बूटे, पशु-पक्षी एवं ज्यामितीय आकृतियाँ उत्कीर्ण की गई हैं; आकृति मूर्तिकला अत्यंत जीवंत एवं लयात्मक है। लकड़ी पर गाढ़े लाल रौग़न का प्रयोग आम था। 19वीं सदी के कई भव्य काष्ठ पुरोभाग संरक्षित हैं, लेकिन उनका अलंकरण पहले की निर्मितियों जैसा ललित और गत्यात्मक नहीं है।

पर्यटन स्थल

  • गुजरात एक आकर्षक पर्यटन स्थल है। गुजरात में द्वारका, सोमनाथ, पालीताना के निकट शत्रुंजय पहाड़ी, पावागढ़, अंबाजी भद्रेश्वर, शामलाजी, तरंगा और गिरनार जैसे धार्मिक स्थलों के अलावा महात्मा गाँधी की जन्मभूमि पोरबंदर तथा पुरातत्त्व और वास्तुकला की दृष्टि से उल्लेखनीय पाटन, सिद्धपुर, घुरनली, दभोई, बाडनगर, मोधेरा, लोथल और अहमदाबाद जैसे स्थान भी हैं।
  • अहमदपुर मांडती, चारबाड़ उभारत और तीथल के सुंदर समुद्री तट, सतपुड़ा पर्वतीय स्थल, गिर वनों के शेरों का अभयारण्य और कच्छ में जंगली गधों का अभयारण्य भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं।
गुजरात के मुख्य पर्यटन स्थल
नाम संक्षिप्त विवरण चित्र मानचित्र लिंक
द्वारिकाधीश मंदिर गुजरात का द्वारका शहर वह स्थान है जहाँ 5000 वर्ष पूर्व भगवान कृष्ण ने मथुरा छोड़ने के बाद द्वारका नगरी बसाई थी। जिस स्थान पर उनका निजी महल 'हरि गृह' था वहाँ आज प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर है। इसलिए कृष्ण भक्तों की दृष्टि में यह एक महान तीर्थ है। वैसे भी द्वारका नगरी आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित देश के चार धामों में से एक है। यही नहीं द्वारका नगरी पवित्र सप्तपुरियों में से एक है। ... और पढ़ें द्वारिकाधीश मन्दिर, द्वारका गूगल मानचित्र
सोमनाथ मंदिर श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात (सौराष्ट्र) के काठियावाड़ क्षेत्र के अन्तर्गत प्रभास में विराजमान हैं। इसी क्षेत्र में लीला पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्णचन्द्र ने यदु वंश का संहार कराने के बाद अपनी नर लीला समाप्त कर ली थीं। ‘जरा’ नामक व्याध (शिकारी) ने अपने बाणों से उनके चरणों (पैर) को बींध डाला था। ... और पढ़ें सोमनाथ मन्दिर, गुजरात गूगल मानचित्र
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात प्रान्त के द्वारका पुरी से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है। यह स्थान गोमती द्वारका से बेट द्वारका जाते समय रास्ते में ही पड़ता है। द्वारका से नागेश्वर-मन्दिर के लिए बस, टैक्सी आदि सड़क मार्ग के अच्छे साधन उपलब्ध होते हैं। रेलमार्ग में राजकोट से जामनगर और जामनगर रेलवे से द्वारका पहुँचा जाता है। ... और पढ़ें नागेश्वर मन्दिर गूगल मानचित्र
गिर वन राष्ट्रीय उद्यान गिर वन राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य, गुजरात राज्य, पश्चिम- मध्य भारत में स्थित है। जूनागढ़ नगर से 60 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में शुष्क झाड़ीदार पर्वतीय क्षेत्र में स्थित इस उद्यान का क्षेत्रफल लगभग 1,295 वर्ग किलोमीटर है। यहाँ की वनस्पति में सागौन, साल और ढाक (ब्यूटिया फ्रोंडोसा) जैसे पर्णपाती वृक्षों सहित कांटेदार जंगल शामिल हैं। ... और पढ़ें चीतल, गिर वन राष्ट्रीय उद्यान गूगल मानचित्र
कीर्ति मंदिर कीर्ति मंदिर पोरबंदर का प्रमुख आकर्षण केन्द्र है। कीर्ति मंदिर महात्मा गाँधी और उनकी पत्‍नी कस्तूरबा गाँधी का घर था। कीर्ति मंदिर उस जगह के पास स्थित है जहाँ महात्मा गाँधी का जन्म हुआ था। कीर्ति मंदिर में एक गाँधीवादी पुस्तकालय और प्रार्थना कक्ष है। ... और पढ़ें कीर्ति मंदिर, पोरबंदर गूगल मानचित्र
गुजरात के पर्यटन स्थल


द्वारिकाधीश मन्दिर, द्वारका महाबत मक़बरा, जूनागढ़ रानी की बाव, गुजरात भद्रेश्वर जैन मंदिर, कच्छ हाथीसिंह जैन मंदिर, अहमदाबाद कीर्ति मंदिर, पोरबंदर सिंहनी, गिर वन राष्ट्रीय उद्यान गिरनार, गुजरात नंगेश्वर महादेव, द्वारका स्वामीनारायण मंदिर, अहमदाबादत काला डूंगर, कच्छ

गुजरात में जन्मे प्रमुख व्यक्तित्व

नाम संक्षिप्त परिचय चित्र
दादा भाई नौरोजी 4 सितंबर, 1825 को गुजरात के नवसारी में जन्मे दादा भाई नौरोजी का जन्म एक ग़रीब परिवार में हुआ था। दादाभाई नौरोजी को भारतीय राजनीति का पितामह कहा जाता है। वह दिग्गज राजनेता, उद्योगपति, शिक्षाविद और विचारक भी थे। उन्होंने ब्रिटिश उपनिवेश के प्रति बुद्धिजीवी वर्ग के सम्मोहन को खत्म करने का प्रयास किया। ...और पढ़ें दादा भाई नौरोजी
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी महात्मा गाँधी को ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेता और राष्ट्रपिता माना जाता है। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। राजनीतिक और सामाजिक प्रगति की प्राप्ति हेतु अपने अहिंसक विरोध के सिद्धांत के लिए उन्हें अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई। ...और पढ़ें महात्मा गांधी
जमशेद जी टाटा जमशेदजी टाटा का जन्म सन् 1839 में गुजरात के एक छोटे से कस्बे नवसेरी में हुआ था उनके पिता जी का नाम नुसीरवानजी था व उनकी माता जी का नाम जीवनबाई टाटा था। जमशेदजी वर्तमान में भारत के विश्वप्रसिद्ध औद्योगिक घराने टाटा समूह के संस्थापक थे। ...और पढ़ें जमशेद जी टाटा
सरदार वल्लभाई पटेल सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875, नाडियाड गुजरात में हुआ था। सरदार पटेल भारतीय बैरिस्टर और राजनेता थे। भारत के स्वाधीनता संग्राम के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेताओं में से एक थे। 1947 में भारत की आज़ादी के बाद पहले तीन वर्ष वह उप प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, सूचना मंत्री और राज्य मंत्री रहे। ...और पढ़ें सरदार वल्लभाई पटेल
स्वामी दयानन्द सरस्वती स्वामी दयानन्द सरस्वती का जन्म गुजरात के भूतपूर्व मोरवी राज्य के एक गाँव में सन् 1824 ई. में हुआ था। इनका प्रारंभिक नाम मूलशंकर तथा पिता का नाम अम्बाशंकर था। स्वामी दयानन्द बाल्यकाल में शंकर के भक्त थे। ये आर्य समाज के प्रवर्तक और प्रखर सुधारवादी संन्यासी थे। ...और पढ़ें दयानन्द सरस्वती
मोरारजी देसाई मोरारजी देसाई का जन्म 29 फ़रवरी, 1896 को गुजरात के भदेली नामक स्थान पर हुआ था। वे भारत के चौथे प्रधानमंत्री थे। उनका संबंध एक ब्राह्मण परिवार से था। उनके पिता रणछोड़जी देसाई भावनगर (सौराष्ट्र) में एक स्कूल अध्यापक थे।...और पढ़ें मोरारजी देसाई
कन्हैयालाल मुंशी कन्हैयालाल मुंशी (जन्म- 29 दिसंबर, 1887; मृत्यु- 8 फरवरी, 1971) जिनका पूरा नाम कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी था, का जन्म भड़ोच (गुजरात) उच्च सुशिक्षित भागर्व ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे प्रतिभावान विद्यार्थी थे और क़ानून की पढ़ाई की और मुंबई में वकालत की। ...और पढ़ें कन्हैयालाल मुंशी
विट्ठलभाई पटेल विट्ठलभाई पटेल का जन्म सन् 1873 में गुजरात के खेड़ा ज़िला के "करमसद" गाँव में हुआ था। सरदार वल्लभ भाई पटेल के बडे भाई विट्ठल भाई पटेल एक महान् राजनीतिज्ञ और स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने कभी भी झुकना नहीं सीखा। ...और पढ़ें विट्ठलभाई पटेल
गणेश वासुदेव मावलंकर गणेश वासुदेव मावलंकर का जन्म 15 मई, 1952 को गुजरात के अहमदाबाद नगर में हुआ था। भारतीय लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष थे। भारतीय संसदीय प्रणाली पर अमिट छाप छोड़ने वाले गणेश वासुदेव मावलंकर ने लोकसभा के पहले अध्यक्ष के रूप में न सिर्फ़ सदन का कार्य बेहतरीन ढंग से चलाया बल्कि उसे नई गरिमा भी प्रदान की। ...और पढ़ें गणेश वासुदेव मावलंकर
महबूब ख़ान महबूब ख़ान का जन्म 1906 में गुजरात के बिलमिरिया में हुआ था। इनका मूल नाम रमजान ख़ान था। हिन्दी सिनेमा जगत् के युगपुरुष महबूब ख़ान को एक ऐसी शख़्सियत के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने दर्शकों को लगभग तीन दशक तक क्लासिक फ़िल्मों का तोहफा दिया। ...और पढ़ें महबूब ख़ान
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 गुजरात (हिन्दी) (पी.एच.पी) गुजरात की आधिकारिक वेबसाइट। अभिगमन तिथि: 29 मार्च, 2011
  2. गुजरात (हिंदी) आधिकारिक वेबसाइट। अभिगमन तिथि: 19 जुलाई, 2014।
  3. Ramesh Chandra Majumdar (1977) The History and Culture of the Indian People: The classical age। Bharatiya Vidya Bhavan।
  4. Devadatta Ramakrishna Bhandarkar (1989) Some aspects of ancient Indian culture। Asian Educational Services। ISBN 8120604571, ISBN 9788120604575।
  5. मेगालोपोलिस, अर्थात् कई बड़े शहरों वाला एक सतत शहरी क्षेत्र
  6. सेल्वाडोर पर्सिका
  7. ब्यूटिया गम
  8. समुद्री मछली पकड़ने में गुजरात पहले स्थान पर बरकरार है (हिंदी) hindustantimes.com। अभिगमन तिथि: 20 फ़रवरीaccessyear=2024, {{{accessyear}}}।
  9. पतंगों का रंगीन त्योहार (हिन्दी) (पी.एच.पी) द न्यूज 27 X 7। अभिगमन तिथि: 1 अप्रॅल, 2011

बाहरी कड़ियाँ

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