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*'''अलाउद्दीन मसूद''' (1242 - 1246 ई.), [[रूकुनुद्दीन फ़ीरोज़शाह]] का पौत्र तथा [[मुइज़ुद्दीन बहरामशाह]] का पुत्र था।
*'''अलाउद्दीन मसूद''' (1242 - 1246 ई.), [[रुकुनुद्दीन फ़ीरोज़शाह]] का पौत्र तथा [[मुइज़ुद्दीन बहरामशाह]] का पुत्र था।
*उसके समय में नाइब का पद ग़ैर तुर्की सरदारों के दल के नेता मलिक कुतुबुद्दीन हसन को मिला।
*उसके समय में नाइब का पद ग़ैर तुर्की सरदारों के दल के नेता मलिक कुतुबुद्दीन हसन को मिला।
*क्योंकि अन्य पदों पर तुर्की सरदारों के गुट के लोगों का प्रभुत्व था, इसलिए नाइब के पद का कोई विशेष महत्त्व नहीं रह गया था।
*क्योंकि अन्य पदों पर तुर्की सरदारों के गुट के लोगों का प्रभुत्व था, इसलिए नाइब के पद का कोई विशेष महत्त्व नहीं रह गया था।
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*तुर्की सरदारों के विरोध के परिणामस्वरूप यह पद नजुमुद्दीन अबू बक्र को प्राप्त हुआ।
*तुर्की सरदारों के विरोध के परिणामस्वरूप यह पद नजुमुद्दीन अबू बक्र को प्राप्त हुआ।
*इसी के समय में बलबन को हाँसी का अक्ता प्राप्त हुआ।
*इसी के समय में बलबन को हाँसी का अक्ता प्राप्त हुआ।
*‘अमीरे हाजिब’ का पद [[इल्तुतमिश]] के ‘चालीस तुर्कों के दल’ के सदस्य [[गयासुद्दीन बलबन]] को प्राप्त हुआ।
*‘अमीरे हाजिब’ का पद [[इल्तुतमिश]] के ‘चालीस तुर्कों के दल’ के सदस्य [[ग़यासुद्दीन बलबन]] को प्राप्त हुआ।
*1245 में [[मंगोल|मंगोलों]] ने उच्छ पर अधिकार कर लिया, परन्तु बलबन ने मंगोलों को उच्छ से खदेड़ दिया, इससे बलबन की प्रतिष्ठा बढ़ गयी।
*1245 में [[मंगोल|मंगोलों]] ने उच्छ पर अधिकार कर लिया, परन्तु बलबन ने मंगोलों को उच्छ से खदेड़ दिया, इससे बलबन की प्रतिष्ठा बढ़ गयी।
*अमीरे हाजिब के पद पर बने रह कर बलबन ने शासन का वास्तविक अधिकार अपने हाथ में ले लिया।
*अमीरे हाजिब के पद पर बने रह कर बलबन ने शासन का वास्तविक अधिकार अपने हाथ में ले लिया।

11:02, 20 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

  • अलाउद्दीन मसूद (1242 - 1246 ई.), रुकुनुद्दीन फ़ीरोज़शाह का पौत्र तथा मुइज़ुद्दीन बहरामशाह का पुत्र था।
  • उसके समय में नाइब का पद ग़ैर तुर्की सरदारों के दल के नेता मलिक कुतुबुद्दीन हसन को मिला।
  • क्योंकि अन्य पदों पर तुर्की सरदारों के गुट के लोगों का प्रभुत्व था, इसलिए नाइब के पद का कोई विशेष महत्त्व नहीं रह गया था।
  • शासन का वास्तविक अधिकार वज़ीर मुहाजबुद्दीन के पास था, जो जाति से ताजिक (ग़ैर तुर्क) था।
  • तुर्की सरदारों के विरोध के परिणामस्वरूप यह पद नजुमुद्दीन अबू बक्र को प्राप्त हुआ।
  • इसी के समय में बलबन को हाँसी का अक्ता प्राप्त हुआ।
  • ‘अमीरे हाजिब’ का पद इल्तुतमिश के ‘चालीस तुर्कों के दल’ के सदस्य ग़यासुद्दीन बलबन को प्राप्त हुआ।
  • 1245 में मंगोलों ने उच्छ पर अधिकार कर लिया, परन्तु बलबन ने मंगोलों को उच्छ से खदेड़ दिया, इससे बलबन की प्रतिष्ठा बढ़ गयी।
  • अमीरे हाजिब के पद पर बने रह कर बलबन ने शासन का वास्तविक अधिकार अपने हाथ में ले लिया।
  • अन्ततः बलबन ने नसीरूद्दीन महमूद एवं उसकी माँ से मिलकर अलाउद्दीन मसूद को सिंहासन से हटाने का षडयंत्र रचा।
  • जून, 1246 में उसे इसमें सफलता मिली। बलबन ने अलाउद्दीन मसूद के स्थान पर इल्तुतमिश के प्रपौत्र नसीरूद्दीन महमूद को सुल्तान बनाया।
  • मसूद का शासन तुलनात्मक दृष्टि से शांतिपूर्ण रहा। इस समय सुल्तान तथा सरदारों के मध्य संघर्ष नहीं हुए।
  • वास्तव में यह काल बलबन की 'शांति निर्माण' का काल था।


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