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*इससे तथा अन्य स्तूपों से प्राप्त प्रमाण यह सूचित करते हैं, कि यह स्थल ईसा पूर्व में भी [[बौद्ध धर्म]] से जुड़ा हुआ स्थल था। | *इससे तथा अन्य स्तूपों से प्राप्त प्रमाण यह सूचित करते हैं, कि यह स्थल ईसा पूर्व में भी [[बौद्ध धर्म]] से जुड़ा हुआ स्थल था। | ||
*ऐसा प्रतीत होता है, कि महान् बौद्ध भिक्षु मोग्गलिपुत्त तिस्स द्वारा बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए जिन प्रचारकों को भेजा गया था, उनके अवशेष इन स्तूपों में सुरक्षित रखे गए थे। | *ऐसा प्रतीत होता है, कि महान् बौद्ध भिक्षु मोग्गलिपुत्त तिस्स द्वारा [[बौद्ध धर्म]] के प्रचार के लिए जिन प्रचारकों को भेजा गया था, उनके [[अवशेष]] इन स्तूपों में सुरक्षित रखे गए थे। | ||
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11:50, 28 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण
- सोनारी स्थान ज़िला भोपाल मध्य प्रदेश में साँची के निकट स्थित है, यहाँ अशोक के समय के स्तूप हैं।
- इनमें से एक में स्फटिक मंजूषा प्राप्त हुई है, जिसके अन्दर एक छोटे से पत्थर पर एक ब्राह्मी लेख उत्कीर्ण पाया गया है।
- इससे तथा अन्य स्तूपों से प्राप्त प्रमाण यह सूचित करते हैं, कि यह स्थल ईसा पूर्व में भी बौद्ध धर्म से जुड़ा हुआ स्थल था।
- ऐसा प्रतीत होता है, कि महान् बौद्ध भिक्षु मोग्गलिपुत्त तिस्स द्वारा बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए जिन प्रचारकों को भेजा गया था, उनके अवशेष इन स्तूपों में सुरक्षित रखे गए थे।