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'''उपगिरि''' प्राचीन साहित्य में [[हिमालय|हिमालय पर्वत श्रेणी]] के निचले श्रृंगों का सामूहिक नाम है। इसमें समुद्र तल से 6 से 8 सहस्त्र फुट ऊंची श्रेणियाँ सम्मिलित हैं। [[नैनीताल]], [[शिमला]], [[मसूरी]] आदि इसी के अंतर्गत हैं। सर्वोच्च शिखरों को अंतर्गिरी का अभिधान दिया गया था। | |||
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12:51, 16 मई 2018 के समय का अवतरण
उपगिरि प्राचीन साहित्य में हिमालय पर्वत श्रेणी के निचले श्रृंगों का सामूहिक नाम है। इसमें समुद्र तल से 6 से 8 सहस्त्र फुट ऊंची श्रेणियाँ सम्मिलित हैं। नैनीताल, शिमला, मसूरी आदि इसी के अंतर्गत हैं। सर्वोच्च शिखरों को अंतर्गिरी का अभिधान दिया गया था।
- उपगिरि को पाली साहित्य में 'चुल्ल'[1] हिमवंत कहा गया है।
- अंग्रेज़ी में उपगिरि को 'लेसर हिमालयाज' कहते हैं, जो चुल्लहिमवन्त का अनुवाद है।
- महाभारत में उपगिरि का उल्लेख इस प्रकार है-
'अन्तर्गिरि च कौन्तेयस्तथैव च बहिर्गिरिम्,
तथैवोपगिरिं चैव विजिग्ये-पुरुषर्षभ'।[2]
अर्थात् अर्जुन ने अपनी दिग्विजय-यात्रा में, अंतर्गिरि, बहिर्गिरि और उपगिरि नामक प्रदेशों को विजित किया।
- बहिर्गिरि तराई प्रदेश की पहाड़ियों का नाम था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 98| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
- ↑ लघु
- ↑ सभा पर्व महाभारत 27, 3