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'''रुम्मिनदेई अथवा लुम्बिनी'''
'''रुम्मिनदेई अथवा रुमिनोदेई'''
 
[[शाक्य गणराज्य]] की राजधानी [[कपिलवस्तु]] के निकट [[उत्तर प्रदेश]] के [[ककराहा]] नामक ग्राम से 14 मील और [[नेपाल]]-[[भारत]] सीमा से कुछ दूर पर नेपाल के अन्दर रुमिनोदेई नामक ग्राम ही लुम्बनीग्राम है, जो [[बुद्ध|गौतम बुद्ध]] के जन्म स्थान के रूप में जगत प्रसिद्ध है।
[[नेपाल]]-[[भारत]] सीमा से कुछ दूर नेपाल की तराई में एक छोटा-सा गाँव रुम्मिनदेई [[महात्मा बुद्ध]] की जन्मस्थली है।
==इतिहास==
बुद्ध का जन्म 563 ई. पू. के आस-पास [[कपिलवस्तु]] के शाक्य क्षत्रिय कुल में हुआ था। रुम्मिनदेई कपिलवस्तु से लगभग 15 किलोमीटर पूर्व में है। रुम्मिनदेई से प्राप्त अभिलेख से ज्ञात होता है कि [[सम्राट अशोक]] अपने राज्याभिषेक के बीस वर्ष बाद यहाँ आया था। उसने यहाँ अर्चना की क्योंकि यह शाक्यमुनि की पावन जन्म स्थली है। उसने रुम्मिनदेई में एक बड़ी दीवार बनवायी और एक प्रस्तर स्तम्भ स्थापित कराया। इस अभिलेख में यह भी उल्लेख है कि उसने लुम्बिनी गाँव के धार्मिक कर माफ कर दिये और मालगुजारी के रूप में आठवाँ हिस्सा तय कर दिया।
 
लुम्बिनी का वर्णन चीनी यात्री फाहियान और [[युवानच्वांग]] ने भी किया है। फाहियान के अनुसार कपिलवस्तु से 50 ली (लगभग 14 किलोमीटर) पूर्व में लुम्बिनी वन युवानच्वांग ने इस स्थान पर उस स्तूप को देखा था, जिसे अशोक ने बनवाया था। सम्भवतः हूणों के आक्रमणों के पश्चात यह स्थान गुमनामी के अँधेरे गर्त में समा गया। डॉ. फूहरर ने 1866 ई. में इस स्थान को खोज निकाला। तब से इस स्थान को बौद्ध जगत में पूजनीय स्थल के रूप में मान्यता मिली।


*रुम्मिनदेई के अशोक-स्तंभ पर ख़ुदा हुआ लेख [[ब्राह्मी लिपि]] में है और बाएँ ओर से दाईं ओर को पढ़ा जाता है।
*यहाँ से प्राप्त [[अभिलेख]] से ज्ञात होता है कि [[सम्राट अशोक]] अपने राज्याभिषेक के बीस वर्ष बाद [[लुम्बिनी]] आया था। उसने यहाँ अर्चना की क्योंकि यह शाक्यमुनि की पावन जन्म स्थली है। उसने रुम्मिनदेई में एक बड़ी दीवार बनवायी और एक प्रस्तर स्तम्भ स्थापित कराया।
*इस अभिलेख में यह भी उल्लेख है कि उसने लुम्बिनी गाँव के धार्मिक कर माफ कर दिये और मालगुजारी के रूप में आठवाँ हिस्सा तय कर दिया।


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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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अशोक का रुम्मिनदेई अभिलेख

रुम्मिनदेई अथवा रुमिनोदेई शाक्य गणराज्य की राजधानी कपिलवस्तु के निकट उत्तर प्रदेश के ककराहा नामक ग्राम से 14 मील और नेपाल-भारत सीमा से कुछ दूर पर नेपाल के अन्दर रुमिनोदेई नामक ग्राम ही लुम्बनीग्राम है, जो गौतम बुद्ध के जन्म स्थान के रूप में जगत प्रसिद्ध है।

  • रुम्मिनदेई के अशोक-स्तंभ पर ख़ुदा हुआ लेख ब्राह्मी लिपि में है और बाएँ ओर से दाईं ओर को पढ़ा जाता है।
  • यहाँ से प्राप्त अभिलेख से ज्ञात होता है कि सम्राट अशोक अपने राज्याभिषेक के बीस वर्ष बाद लुम्बिनी आया था। उसने यहाँ अर्चना की क्योंकि यह शाक्यमुनि की पावन जन्म स्थली है। उसने रुम्मिनदेई में एक बड़ी दीवार बनवायी और एक प्रस्तर स्तम्भ स्थापित कराया।
  • इस अभिलेख में यह भी उल्लेख है कि उसने लुम्बिनी गाँव के धार्मिक कर माफ कर दिये और मालगुजारी के रूप में आठवाँ हिस्सा तय कर दिया।

इन्हें भी देखें: अशोक के शिलालेख


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख