"कलिका माता का मन्दिर चित्तौड़गढ़": अवतरणों में अंतर

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'''कलिका माता का मन्दिर''' [[राजस्थान]] के [[चित्तौड़गढ़]] में स्थित है।
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'''कलिका माता का मन्दिर''' [[राजस्थान]] के [[चित्तौड़गढ़]] में स्थित है। [[रानी पद्मिनी का महल|रानी पद्मिनी के महल]] के उत्तर में स्थित यह मन्दिर सुन्दर और ऊँची कुर्सी वाला एक विशाल महल है। राजा मानभंग द्वारा 9वीं शताब्‍दी में निर्मित यह मन्दिर मूल रूप से [[सूर्य देव|सूर्य]] को समर्पित है, जैसा कि इस मन्दिर के द्वार पाखों के केन्‍द्र में उकेरी गयी सूर्य की मूर्ति से स्‍पष्‍ट है।
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*कलिका माता मन्दिर में गर्भगृह, अन्‍तराल, एक बंद मंडप तथा एक द्वारमण्डप है।
*इस समय कलिका माता या काली देवी की पूजा मन्दिर की प्रमुख देवी के रूप में होती है।


 
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कलिका माता का मन्दिर चित्तौड़गढ़
कलिका माता का मन्दिर, चित्तौड़गढ़
कलिका माता का मन्दिर, चित्तौड़गढ़
विवरण पहले कलिका माता का मन्दिर मूल रुप से एक सूर्य मन्दिर था।
राज्य राजस्थान
ज़िला चित्तौड़गढ़
निर्माता मेवाड़ के गुहिलवंशीय
स्थापना 9 वीं शताब्दी
भौगोलिक स्थिति उत्तर- 24° 52' 52.45", पूर्व- 74° 38' 39.03"
मार्ग स्थिति कलिका माता का मन्दिर, चित्तौड़गढ़ बूँदी रोड से 5.3 किमी की दूरी पर स्थित है।
कैसे पहुँचें हवाई जहाज़, रेल, बस आदि
हवाई अड्डा महाराणा प्रताप हवाई अड्डा
रेलवे स्टेशन चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन, चंडेरिया रेलवे स्टेशन, शंभूपुरा रेलवे स्टेशन
बस अड्डा मुरली बस अड्डा
यातायात स्थानीय बस, ऑटो रिक्शा, साईकिल रिक्शा
कहाँ ठहरें होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह
एस.टी.डी. कोड 01472
ए.टी.एम लगभग सभी
गूगल मानचित्र
संबंधित लेख चित्तौड़गढ़ क़िला, रानी पद्मिनी का महल, कीर्ति स्तम्भ


अन्य जानकारी मन्दिर के स्तम्भों, छतों तथा अन्तःद्वार पर खुदाई का काम दर्शनीय है।
अद्यतन‎

कलिका माता का मन्दिर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित है। रानी पद्मिनी के महल के उत्तर में स्थित यह मन्दिर सुन्दर और ऊँची कुर्सी वाला एक विशाल महल है। राजा मानभंग द्वारा 9वीं शताब्‍दी में निर्मित यह मन्दिर मूल रूप से सूर्य को समर्पित है, जैसा कि इस मन्दिर के द्वार पाखों के केन्‍द्र में उकेरी गयी सूर्य की मूर्ति से स्‍पष्‍ट है।

  • मन्दिर का निर्माण संभवतः 9वीं शताब्दी में मेवाड़ के गुहिलवंशीय राजाओं ने करवाया था।
  • पहले यह मूल रुप से एक सूर्य मन्दिर था। निज मन्दिर के द्वार तथा गर्भगृह के बाहरी पार्श्व के ताखों में स्थापित सूर्य की मूर्तियाँ इसका प्रमाण है।
  • सम्भवत: बाद के समय में इसमें कलिका की मूर्ति स्थापित की गई थी।
  • मन्दिर के स्तम्भों, छतों तथा अन्तःद्वार पर खुदाई का काम बेजोड़ और दर्शनीय है।
  • महाराणा सज्जन सिंह ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार कराया था, क्योंकि इस मन्दिर में मूर्ति प्रतिष्ठा वैशाख, शुक्ल पक्ष की अष्टमी को हुई थी। अतः प्रतिवर्ष यहाँ एक विशाल मेला लगता है।
  • कलिका माता मन्दिर में गर्भगृह, अन्‍तराल, एक बंद मंडप तथा एक द्वारमण्डप है।
  • इस समय कलिका माता या काली देवी की पूजा मन्दिर की प्रमुख देवी के रूप में होती है।


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संबंधित लेख