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सतोलिया एक पारम्परिक खेल है जो बच्चे दो दल बनाकर खेलते हैं। कभी कभी इस खेल में बड़े भी शामिल हो जाते हैं।  
सतोलिया एक पारम्परिक खेल है जो बच्चे दो दल बनाकर खेलते हैं। कभी कभी इस खेल में बड़े भी शामिल हो जाते हैं। इस खेल को सतोलिया उर्फ़ मारडरी भी कहा जाता है। <ref>{{cite web |url=http://wwwprabhatkhurdiya.blogspot.in/2010/10/blog-post.html#!http://wwwprabhatkhurdiya.blogspot.com/2010/10/blog-post.html|title=स्वतः स्फूर्त खेलो का लुप्त होना|accessmonthday=10 मार्च |accessyear=2012|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी}}</ref>
==पारम्परिक नाम==
==पारम्परिक नाम==
सतोलिया सात पत्थरों का खेल है। इस खेल को 'गिट्टी फोड़' भी कहा जाता है।  
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==खेल के लाभ==
==खेल के लाभ==
इस खेल में कोई पैसा खर्च नहीं होता और स्वास्थ्य भी बना रहता है।  
सतोलिया खेल में कोई पैसा खर्च नहीं होता और स्वास्थ्य भी बना रहता है।  
==साधन==
==साधन==
इस खेल को खेलने के लिए सात चपटे पत्थर ढूँढ़ने पड़ते हैं जिन्हें एक के ऊपर एक जमाया जाता है। सबसे बड़ा पत्थर नीचे और फिर ऊपर की तरफ छोटे होते हुए पत्थर लगाये जाते हैं।  
सतोलिया खेल को खेलने के लिए सात चपटे पत्थर ढूँढ़ने पड़ते हैं जिन्हें एक के ऊपर एक जमाया जाता है। सबसे बड़ा पत्थर नीचे और फिर ऊपर की तरफ छोटे होते हुए पत्थर लगाये जाते हैं।  
==विधि==
==विधि==
इस खेल में दो दल (टीम) होते हैं और एक गेंद होती है। दल के सदस्य मनचाही संख्या में हो सकते हैं।  इस खेल को घर के बाहर या पार्क में भी खेला जा सकता है। एक टीम का खिलाडी गेंद से पत्थरों को गिराता है और फिर उसकी टीम के सदस्यों को उन पत्थरों को फिर से जमाना पड़ता है और बोलना पड़ता है 'सतोलिया'। इस बीच दूसरी टीम के ख़िलाड़ी गेंद से पहली टीम के सदस्य को, जो पत्थरों को जमा रहा है,  पीछे से मारते हैं। यदि वह गेंद सतोलिया बोलने से पहले टीम के सदस्य को लग जाती है  तो टीम आउट हो जाती है। कितने भी लोग इस को खेल सकते हैं पर दोनों टीमों में  बराबर खिलाड़ी होने चाहिये। यदि एक ख़िलाड़ी अधिक है तो उसे किसी को खेलने के लिए मनाना पड़ता है। यह खेल सिर्फ एक गेंद से ही खेला जाता है।
सतोलिया खेल में दो दल (टीम) होते हैं और एक गेंद होती है। दल के सदस्य मनचाही संख्या में हो सकते हैं।  इस खेल को घर के बाहर या पार्क में भी खेला जा सकता है। एक टीम का खिलाडी गेंद से पत्थरों को गिराता है और फिर उसकी टीम के सदस्यों को उन पत्थरों को फिर से जमाना पड़ता है और बोलना पड़ता है 'सतोलिया'। इस बीच दूसरी टीम के ख़िलाड़ी गेंद से पहली टीम के सदस्य को, जो पत्थरों को जमा रहा है,  पीछे से मारते हैं। यदि वह गेंद सतोलिया बोलने से पहले टीम के सदस्य को लग जाती है  तो टीम आउट हो जाती है। कितने भी लोग इस को खेल सकते हैं पर दोनों टीमों में  बराबर खिलाड़ी होने चाहिये। यदि एक ख़िलाड़ी अधिक है तो उसे किसी को खेलने के लिए मनाना पड़ता है। यह खेल सिर्फ एक गेंद से ही खेला जाता है।


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08:00, 10 मार्च 2012 के समय का अवतरण

सतोलिया एक पारम्परिक खेल है जो बच्चे दो दल बनाकर खेलते हैं। कभी कभी इस खेल में बड़े भी शामिल हो जाते हैं। इस खेल को सतोलिया उर्फ़ मारडरी भी कहा जाता है। [1]

पारम्परिक नाम

सतोलिया[2] सात पत्थरों का खेल है। इस खेल को 'गिट्टी फोड़' भी कहा जाता है।

खेल के लाभ

सतोलिया खेल में कोई पैसा खर्च नहीं होता और स्वास्थ्य भी बना रहता है।

साधन

सतोलिया खेल को खेलने के लिए सात चपटे पत्थर ढूँढ़ने पड़ते हैं जिन्हें एक के ऊपर एक जमाया जाता है। सबसे बड़ा पत्थर नीचे और फिर ऊपर की तरफ छोटे होते हुए पत्थर लगाये जाते हैं।

विधि

सतोलिया खेल में दो दल (टीम) होते हैं और एक गेंद होती है। दल के सदस्य मनचाही संख्या में हो सकते हैं। इस खेल को घर के बाहर या पार्क में भी खेला जा सकता है। एक टीम का खिलाडी गेंद से पत्थरों को गिराता है और फिर उसकी टीम के सदस्यों को उन पत्थरों को फिर से जमाना पड़ता है और बोलना पड़ता है 'सतोलिया'। इस बीच दूसरी टीम के ख़िलाड़ी गेंद से पहली टीम के सदस्य को, जो पत्थरों को जमा रहा है, पीछे से मारते हैं। यदि वह गेंद सतोलिया बोलने से पहले टीम के सदस्य को लग जाती है तो टीम आउट हो जाती है। कितने भी लोग इस को खेल सकते हैं पर दोनों टीमों में  बराबर खिलाड़ी होने चाहिये। यदि एक ख़िलाड़ी अधिक है तो उसे किसी को खेलने के लिए मनाना पड़ता है। यह खेल सिर्फ एक गेंद से ही खेला जाता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. स्वतः स्फूर्त खेलो का लुप्त होना (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 10 मार्च, 2012।
  2. दिनभर चला सतोलिया, आज कमाएंगे पुण्य (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 10 मार्च, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

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