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[[चित्र:Brahmi Lipi-3.jpg|thumb|200px|[[अशोक]] का रुम्मिनदेई अभिलेख]]
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'''रुम्मिनदेई अथवा रुमिनोदेई'''
'''रुम्मिनदेई अथवा रुमिनोदेई'''
शाक्य गणराज्य की राजधानी [[कपिलवस्तु]] के निकट [[उत्तर प्रदेश]] के [[ककराहा]] नामक ग्राम से 14 मील और [[नेपाल]]-[[भारत]] सीमा से कुछ दूर पर नेपाल के अन्दर रुमिनोदेई नामक ग्राम ही लुम्बनीग्राम है, जो [[बुद्ध|गौतम बुद्ध]] के जन्म स्थान के रूप में जगत प्रसिद्ध है।  
[[शाक्य गणराज्य]] की राजधानी [[कपिलवस्तु]] के निकट [[उत्तर प्रदेश]] के [[ककराहा]] नामक ग्राम से 14 मील और [[नेपाल]]-[[भारत]] सीमा से कुछ दूर पर नेपाल के अन्दर रुमिनोदेई नामक ग्राम ही लुम्बनीग्राम है, जो [[बुद्ध|गौतम बुद्ध]] के जन्म स्थान के रूप में जगत प्रसिद्ध है।  


*रुम्मिनदेई के अशोक-स्तंभ पर ख़ुदा हुआ लेख [[ब्राह्मी लिपि]] में है और बाएँ ओर से दाईं ओर को पढ़ा जाता है।
*रुम्मिनदेई के अशोक-स्तंभ पर ख़ुदा हुआ लेख [[ब्राह्मी लिपि]] में है और बाएँ ओर से दाईं ओर को पढ़ा जाता है।

07:24, 18 अगस्त 2014 के समय का अवतरण

अशोक का रुम्मिनदेई अभिलेख

रुम्मिनदेई अथवा रुमिनोदेई शाक्य गणराज्य की राजधानी कपिलवस्तु के निकट उत्तर प्रदेश के ककराहा नामक ग्राम से 14 मील और नेपाल-भारत सीमा से कुछ दूर पर नेपाल के अन्दर रुमिनोदेई नामक ग्राम ही लुम्बनीग्राम है, जो गौतम बुद्ध के जन्म स्थान के रूप में जगत प्रसिद्ध है।

  • रुम्मिनदेई के अशोक-स्तंभ पर ख़ुदा हुआ लेख ब्राह्मी लिपि में है और बाएँ ओर से दाईं ओर को पढ़ा जाता है।
  • यहाँ से प्राप्त अभिलेख से ज्ञात होता है कि सम्राट अशोक अपने राज्याभिषेक के बीस वर्ष बाद लुम्बिनी आया था। उसने यहाँ अर्चना की क्योंकि यह शाक्यमुनि की पावन जन्म स्थली है। उसने रुम्मिनदेई में एक बड़ी दीवार बनवायी और एक प्रस्तर स्तम्भ स्थापित कराया।
  • इस अभिलेख में यह भी उल्लेख है कि उसने लुम्बिनी गाँव के धार्मिक कर माफ कर दिये और मालगुजारी के रूप में आठवाँ हिस्सा तय कर दिया।

इन्हें भी देखें: अशोक के शिलालेख


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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