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'''*कूफ़ा''' ईराक में [[बग़दाद|बग़दाद]] से प्राय: 90 मील {{मील|मील=90}} की दूरी पर दक्खिन फरात नदी की शहिंदिया शाखा के तीर पर बसा नगर है।<ref>{{cite web |url=http:// | '''*कूफ़ा''' ईराक में [[बग़दाद|बग़दाद]] से प्राय: 90 मील {{मील|मील=90}} की दूरी पर दक्खिन फरात नदी की शहिंदिया शाखा के तीर पर बसा नगर है।<ref>{{cite web |url=http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%95%E0%A5%82%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A4%BE|title=कूफ़ा|accessmonthday=07 अप्रैल|accessyear=2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | ||
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*उमैया और अब्बासी ख़लीफ़ाओं के संरक्षण में यह नगर राजनीति, धर्मशास्त्र और [[संस्कृति]] का प्रसिद्ध केंद्र बन गया था। | *उमैया और अब्बासी ख़लीफ़ाओं के संरक्षण में यह नगर राजनीति, धर्मशास्त्र और [[संस्कृति]] का प्रसिद्ध केंद्र बन गया था। | ||
*[[अरबी भाषा|अरबी लिपि]] की प्रसिद्ध 'कूफ़ी शैली' कूफ़ा में ही विकसित हुई थी। | *[[अरबी भाषा|अरबी लिपि]] की प्रसिद्ध 'कूफ़ी शैली' कूफ़ा में ही विकसित हुई थी। | ||
*सातवीं-आठवीं शती में यह नगर 'बसरा' की भाँति ही समृद्ध और सम्पन्न था। | *सातवीं-आठवीं शती में यह नगर '[[बसरा]]' की भाँति ही समृद्ध और सम्पन्न था। | ||
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12:28, 25 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण
*कूफ़ा ईराक में बग़दाद से प्राय: 90 मील (लगभग 144 कि.मी.) की दूरी पर दक्खिन फरात नदी की शहिंदिया शाखा के तीर पर बसा नगर है।[1]
- 638 ई. में ख़लीफ़ा उमर प्रथम ने इस नगर की स्थापना की थी।
- उमैया और अब्बासी ख़लीफ़ाओं के संरक्षण में यह नगर राजनीति, धर्मशास्त्र और संस्कृति का प्रसिद्ध केंद्र बन गया था।
- अरबी लिपि की प्रसिद्ध 'कूफ़ी शैली' कूफ़ा में ही विकसित हुई थी।
- सातवीं-आठवीं शती में यह नगर 'बसरा' की भाँति ही समृद्ध और सम्पन्न था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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