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'''अमीर ख़ाँ''' [[मुग़ल]] [[औरंगज़ेब|बादशाह औरंगज़ेब]] का एक सेनापति था, जो 21 [[वर्ष]] (1677-1698 ई.) [[काबुल]] में मुग़ल [[सूबेदार]] रहा। उसने बड़ी ही योग्यता से काबुल का प्रशासन चलाया।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय इतिहास कोश |लेखक= सच्चिदानन्द भट्टाचार्य|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=14|url=}}</ref>
{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=अमीर ख़ाँ |लेख का नाम=अमीर ख़ाँ (बहुविकल्पी)}}
 
'''अमीर ख़ाँ''' [[पिण्डारी|पिण्डारियों]] का सरदार और भाड़े पर लड़ने वाले [[पठान|पठानों]] तथा लुटेरों का नेता था।
 
*16वीं [[शताब्दी]] के आरम्भ में [[मध्य भारत]] में, जब [[आंग्ल-मराठा युद्ध तृतीय|तीसरा आंग्ल-मराठा युद्ध]] हुआ तो अमीर ख़ाँ पहले होल्कर के संरक्षण में रहकर लड़ा। लेकिन बाद में [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने उसे अपने पक्ष में मिला लिया और उसे [[टोंक]] रियासत का नवाब मान लिया, जहाँ उसके [[परिवार]] के लोग 1948 ई. तक नवाब रहे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय इतिहास कोश |लेखक= सच्चिदानन्द भट्टाचार्य|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=15|url=}}</ref>
*1948 ई. में टोंक रियासत का [[भारत]] में विलयन हो गया।


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अमीर ख़ाँ एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- अमीर ख़ाँ (बहुविकल्पी)

अमीर ख़ाँ पिण्डारियों का सरदार और भाड़े पर लड़ने वाले पठानों तथा लुटेरों का नेता था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 15 |

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