"इरफ़ान ख़ान": अवतरणों में अंतर
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}}'''साहबजादे इरफ़ान अली ख़ान''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sahabzade Irfan Ali Khan'', जन्म- [[7 जनवरी]], [[1967]], टोंक, [[राजस्थान]]; मृत्यु- [[29 अप्रॅल]], [[2020]], [[मुम्बई]], [[महाराष्ट्र]]) भारतीय हिन्दी सिनेमा और टेलीविजन के प्रसिद्ध अभिनेता थे। हिन्दी के साथ ही उन्होंने कई अंग्रेज़ी फ़िल्मों में भी अभिनय किया। उनके चाहने वालों की संख्या लाखों में है। इरफ़ान ख़ान के बारे में कहा जाता है कि "वह अपनी आँखों से ही सारा अभिनय कर देते थे।" उन्होंने 'द वॉरियर', 'मकबूल', 'हासिल', 'द नेमसेक', 'रोग' जैसी फ़िल्मों से अपने अभिनय का लोहा मनवाया। 'हासिल' फ़िल्म के लिये उन्हें वर्ष [[2004]] का फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ खलनायक पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। वे हिन्दी सिनेमा की तीस से ज्यादा फ़िल्मों में अभिनय कर चुके थे। इरफ़ान ख़ान का नाम हॉलीवुड में भी अपनी पहचान रखता है। उन्होंने 'ए माइटी हार्ट', 'स्लमडॉग मिलियनेयर', 'लाइफ ऑफ़ पाई' और 'द अमेजिंग स्पाइडर मैन' आदि फ़िल्मों में अभिनय किया। | }}'''साहबजादे इरफ़ान अली ख़ान''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sahabzade Irfan Ali Khan'', जन्म- [[7 जनवरी]], [[1967]], टोंक, [[राजस्थान]]; मृत्यु- [[29 अप्रॅल]], [[2020]], [[मुम्बई]], [[महाराष्ट्र]]) भारतीय हिन्दी सिनेमा और टेलीविजन के प्रसिद्ध अभिनेता थे। हिन्दी के साथ ही उन्होंने कई अंग्रेज़ी फ़िल्मों में भी अभिनय किया। उनके चाहने वालों की संख्या लाखों में है। इरफ़ान ख़ान के बारे में कहा जाता है कि "वह अपनी आँखों से ही सारा अभिनय कर देते थे।" उन्होंने 'द वॉरियर', 'मकबूल', 'हासिल', 'द नेमसेक', 'रोग' जैसी फ़िल्मों से अपने अभिनय का लोहा मनवाया। 'हासिल' फ़िल्म के लिये उन्हें वर्ष [[2004]] का फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ खलनायक पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। वे हिन्दी सिनेमा की तीस से ज्यादा फ़िल्मों में अभिनय कर चुके थे। इरफ़ान ख़ान का नाम हॉलीवुड में भी अपनी पहचान रखता है। उन्होंने 'ए माइटी हार्ट', 'स्लमडॉग मिलियनेयर', 'लाइफ ऑफ़ पाई' और 'द अमेजिंग स्पाइडर मैन' आदि फ़िल्मों में अभिनय किया।<br /> | ||
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वर्ष [[2011]] में उन्हें [[भारत सरकार]] द्वारा '[[पद्मश्री]]' से सम्मानित किया गया। 60वे राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार-2012 में इरफ़ान ख़ान को फ़िल्म 'पान सिंह तोमर' में अभिनय के लिए श्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार दिया गया। [[2017]] में प्रदर्शित 'हिंदी मीडियम' फ़िल्म के लिए उन्हें फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता चुना गया। [[2020]] में प्रदर्शित 'अंग्रेज़ी मीडियम' उनकी प्रदर्शित अंतिम फ़िल्म रही। | वर्ष [[2011]] में उन्हें [[भारत सरकार]] द्वारा '[[पद्मश्री]]' से सम्मानित किया गया। 60वे राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार-2012 में इरफ़ान ख़ान को फ़िल्म 'पान सिंह तोमर' में अभिनय के लिए श्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार दिया गया। [[2017]] में प्रदर्शित 'हिंदी मीडियम' फ़िल्म के लिए उन्हें फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता चुना गया। [[2020]] में प्रदर्शित 'अंग्रेज़ी मीडियम' उनकी प्रदर्शित अंतिम फ़िल्म रही। | ||
==जन्म तथा शिक्षा== | ==जन्म तथा शिक्षा== | ||
इरफ़ान ख़ान का जन्म टोंक, राजस्थान में 7 जनवरी, 1967 को हुआ। यहीं के एक स्कूल से | इरफ़ान ख़ान का जन्म टोंक, राजस्थान में 7 जनवरी, 1967 को हुआ। यहीं के एक स्कूल से उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा हासिल की। बाद में स्नातक की डिग्री हासिल की। जब इरफ़ान ख़ान अपनी पोस्ट ग्रेजुएश एम.ए. में कर रहे थे, तब उस समय उन्होंने 'नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा' में दाखिला ले लिया। कहा जाता है कि उन्होंने इस ड्रामा स्कूल में पढ़ाई करने के लिए छात्रवृत्ति हेतु आवेदन किया था और उनका आवेदन स्वीकार कर लिया गया, जिसके बाद इरफ़ान ख़ान ने [[दिल्ली]] स्थित अभिनय के इस कॉलेज में प्रवेश ले लिया।<ref name="ss">{{cite web |url=https://www.deepawali.co.in/irrfan-khan-biography-hindi-%E0%A4%87%E0%A4%B0%E0%A4%AB%E0%A4%BE%E0%A4%A8-%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%A8.html |title=इरफ़ान ख़ान का जीवन परिचय|accessmonthday=1 मई|accessyear=2020 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=deepawali.co.in |language=हिंदी}}</ref> | ||
====परिवार==== | ====परिवार==== | ||
इरफ़ान ख़ान का नाता राजस्थान राज्य के एक [[पठान]] परिवार से था। उनकी मां का नाम सईदा बेगम है। मां सईदा बेगम का सम्बंध राजस्थान के टोंक हाकिम परिवार से है। वहीं इरफ़ान के पिता का नाम यासीन अली ख़ान था, जो एक कारोबारी थे और जिनका टायर का व्यापार हुआ करता था। इरफ़ान ख़ान दो भाई और एक बहन है। साल [[1995]] में इरफ़ान ख़ान ने सुतापा सिकदर से प्रेम विवाह किया। उनके दो बेटे हैं, जिनके नाम- बाबिल और आयन है। कहा जाता है कि इरफ़ान ख़ान की मुलाकात अपनी पत्नी से ड्रामा स्कूल में हुई थी। सुतापा सिकदर भी इरफ़ान की तरह ड्रामा स्कूल की छात्रा थीं और यहां से शुरू हुई इनकी ये दोस्ती प्यार में बदल गई थी। | इरफ़ान ख़ान का नाता राजस्थान राज्य के एक [[पठान]] परिवार से था। उनकी मां का नाम सईदा बेगम है। मां सईदा बेगम का सम्बंध राजस्थान के टोंक हाकिम परिवार से है। वहीं इरफ़ान के पिता का नाम यासीन अली ख़ान था, जो एक कारोबारी थे और जिनका टायर का व्यापार हुआ करता था। इरफ़ान ख़ान दो भाई और एक बहन है। साल [[1995]] में इरफ़ान ख़ान ने सुतापा सिकदर से प्रेम विवाह किया। उनके दो बेटे हैं, जिनके नाम- बाबिल और आयन है। कहा जाता है कि इरफ़ान ख़ान की मुलाकात अपनी पत्नी से ड्रामा स्कूल में हुई थी। सुतापा सिकदर भी इरफ़ान की तरह ड्रामा स्कूल की छात्रा थीं और यहां से शुरू हुई इनकी ये दोस्ती प्यार में बदल गई थी। | ||
==शुद्ध शाकाहारी== | |||
बहुमुखी प्रतिभा के धनी इरफ़ान ख़ान लीक से हटकर चलने वाले लोगों में से एक थे। शायद यही कारण रहा कि वे [[पठान]] [[परिवार]] से ताल्लुक रखने के बावजूद शुद्ध शाकाहारी थे। इरफ़ान ख़ान ने पठान [[मुस्लिम]] परिवार में जन्म होने के बाद भी कभी मीट या मांस नहीं खाया। वह बचपन से ही शाकाहारी थे। यही कारण था कि उनके पिता इरफ़ान को मजाक में कहा करते थे कि- "ये तो पठान परिवार में एक [[ब्राह्मण]] पैदा हो गया है।" | |||
इरफ़ान ख़ान के पिता उन्हें शिकार पर भी ले जाया करते थे। जंगल का वातावरण उन्हें काफी रोमांचित भी करता था, लेकिन उन्हें कभी पसंद नहीं आता था, जब मासूम जानवरों का शिकार होता था। इरफ़ान उन जानवरों के साथ खुद को जुड़ा हुआ महसूस करते थे कि आखिर अब इन जानवरों के परिवारों का क्या होगा। वह खुद भी राइफल चलाना जानते थे, लेकिन कभी शिकार नहीं करते थे। गौरतलब है कि नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में इरफ़ान ख़ान के प्रवेश के कुछ समय बाद ही उनके पिता का निधन हो गया था और घर की तरफ से मिलने वाले पैसे उन्हें मिलना बंद हो गया थे। ड्रामा स्कूल से मिलने वाली फेलोशिप के जरिए उन्होंने अपना कोर्स खत्म किया था। उस मुश्किल दौर में इरफ़ान ख़ान की सहपाठी सुतापा सिकदर ने उनका पूरा साथ दिया। बाद में [[23 फ़रवरी]], [[1995]] में दोनों ने [[विवाह]] कर लिया था।<ref>{{cite web |url=https://aajtak.intoday.in/story/irrfan-khan-father-used-to-say-that-the-actor-is-a-brahmin-born-in-pathan-family-tmov-1-1185381.html |title=पठान के परिवार में पैदा हुआ ब्राह्राण|accessmonthday=1 मई|accessyear=2020 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=aajtak.intoday.in |language=हिंदी}}</ref> | |||
==कॅरियर== | ==कॅरियर== | ||
इरफ़ान ख़ान अपनी एक्टिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद [[मुंबई]] चले गए और यहां आकर उन्होंने फ़िल्मों में काम खोजना शुरू कर दिया। उनके कॅरियर के शुरुआती दिन काफी संघर्ष भरे थे। उन्हें फ़िल्मों की जगह टी.वी. सीरियल में छोटे मोटे रोल मिलने लगे और इस तरह से इरफ़ान ख़ान के कॅरियर की शुरुआत बतौर एक जूनियर कलाकार से हुई। वह कई [[हिंदी]] धारावाहिकों का हिस्सा रह चुके थे और उनके द्वारा किए गए कुछ धारावाहिकों के नाम इस प्रकार हैं<ref name="ss"/>- | इरफ़ान ख़ान अपनी एक्टिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद [[मुंबई]] चले गए और यहां आकर उन्होंने फ़िल्मों में काम खोजना शुरू कर दिया। उनके कॅरियर के शुरुआती दिन काफी संघर्ष भरे थे। उन्हें फ़िल्मों की जगह टी.वी. सीरियल में छोटे मोटे रोल मिलने लगे और इस तरह से इरफ़ान ख़ान के कॅरियर की शुरुआत बतौर एक जूनियर कलाकार से हुई। वह कई [[हिंदी]] धारावाहिकों का हिस्सा रह चुके थे और उनके द्वारा किए गए कुछ धारावाहिकों के नाम इस प्रकार हैं<ref name="ss"/>- | ||
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#मानो या ना मानो | #मानो या ना मानो | ||
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[[चित्र:Irrfan-Khan.jpg|thumb|250px|फ़िल्म 'पान सिंह तोमर' में इरफ़ान ख़ान]] | |||
साल [[1988]] में आई फ़िल्म ‘सलाम बॉम्बे’ में इरफ़ान को एक छोटा सा रोल मिला था, लेकिन इरफ़ान के इस रोल को फ़िल्म से हटा दिया गया। इस फ़िल्म के बाद इरफ़ान ने कई फ़िल्मों में छोटे-मोटे रोल किये, लेकिन साल [[2001]] में आई ‘द वारियर’ फ़िल्म ने उनकी जिंदगी बदल दी और इस फ़िल्म से उनको पहचान मिली। ये एक ब्रिटिश फ़िल्म थी, जिसका निर्देशन आसिफ कपाड़िया ने किया था। ये फ़िल्म अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म समारोहों में भी प्रदर्शित की गई थी। इस फ़िल्म के बाद [[2004]] में आई ‘हासिल’ फ़िल्म में इरफ़ान ख़ान को एक नेगेटिव किरदार में देखा गया और इस किरदार को भी उन्होंने बखूबी निभाया था। | साल [[1988]] में आई फ़िल्म ‘सलाम बॉम्बे’ में इरफ़ान को एक छोटा सा रोल मिला था, लेकिन इरफ़ान के इस रोल को फ़िल्म से हटा दिया गया। इस फ़िल्म के बाद इरफ़ान ने कई फ़िल्मों में छोटे-मोटे रोल किये, लेकिन साल [[2001]] में आई ‘द वारियर’ फ़िल्म ने उनकी जिंदगी बदल दी और इस फ़िल्म से उनको पहचान मिली। ये एक ब्रिटिश फ़िल्म थी, जिसका निर्देशन आसिफ कपाड़िया ने किया था। ये फ़िल्म अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म समारोहों में भी प्रदर्शित की गई थी। इस फ़िल्म के बाद [[2004]] में आई ‘हासिल’ फ़िल्म में इरफ़ान ख़ान को एक नेगेटिव किरदार में देखा गया और इस किरदार को भी उन्होंने बखूबी निभाया था। | ||
====‘रोग’ फ़िल्म में मुख्य भूमिका==== | ====‘रोग’ फ़िल्म में मुख्य भूमिका==== | ||
साल [[2005]] में इरफ़ान ख़ान को बतौर लीड रोल अपनी पहली फ़िल्म मिली और इस फ़िल्म का नाम ‘रोग’ था। इस फ़िल्म में इरफ़ान ख़ान ने एक पुलिस ऑफिसर की भूमिका निभाई थी। हालांकि ये फ़िल्म कामयाब फ़िल्म साबित नहीं हुई, लेकिन इरफ़ान ख़ान के अभिनय ने सभी को हैरान कर दिया और हर किसी ने उनके अभिनय की काफी तारीफ की। यह भी कहा गया कि इरफ़ान की | साल [[2005]] में इरफ़ान ख़ान को बतौर लीड रोल अपनी पहली फ़िल्म मिली और इस फ़िल्म का नाम ‘रोग’ था। इस फ़िल्म में इरफ़ान ख़ान ने एक पुलिस ऑफिसर की भूमिका निभाई थी। हालांकि ये फ़िल्म कामयाब फ़िल्म साबित नहीं हुई, लेकिन इरफ़ान ख़ान के अभिनय ने सभी को हैरान कर दिया और हर किसी ने उनके अभिनय की काफी तारीफ की। यह भी कहा गया कि इरफ़ान की आँखेंं भी एक दमदार अभिनय करती हैं। इस फ़िल्म के बाद इरफ़ान ख़ान को कई और फ़िल्मों में कार्य करने का मौका मिला। | ||
[[2007]] में आई मल्टीस्टार फ़िल्म ‘लाइफ इन ए मेट्रो’ का हिस्सा इरफ़ान भी थे और इस फ़िल्म में इरफ़ान द्वारा किए गए अभिनय को फिर से लोगों द्वारा पसंद किया गया। इस फ़िल्म में उनकी जोड़ी कोंकणा सेन के साथ नजर आई थी। इस फ़िल्म के बाद इरफ़ान को 'एसिड फैक्ट्री', 'न्यूयॉर्क', 'पान सिंह तोमर', 'हैदर', 'पीकू', 'तलवार', 'जज्बा', 'हिंदी मीडियम' सहित कई फ़िल्मों में देखा गया और इन फ़िल्मों के लिए उन्हें कई पुरस्कार भी मिले। | [[2007]] में आई मल्टीस्टार फ़िल्म ‘लाइफ इन ए मेट्रो’ का हिस्सा इरफ़ान भी थे और इस फ़िल्म में इरफ़ान द्वारा किए गए अभिनय को फिर से लोगों द्वारा पसंद किया गया। इस फ़िल्म में उनकी जोड़ी कोंकणा सेन के साथ नजर आई थी। इस फ़िल्म के बाद इरफ़ान को 'एसिड फैक्ट्री', 'न्यूयॉर्क', 'पान सिंह तोमर', 'हैदर', 'पीकू', 'तलवार', 'जज्बा', 'हिंदी मीडियम' सहित कई फ़िल्मों में देखा गया और इन फ़िल्मों के लिए उन्हें कई पुरस्कार भी मिले। | ||
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#जुरासिक वर्ल्ड ([[2015]]) | #जुरासिक वर्ल्ड ([[2015]]) | ||
#इन्फर्नो ([[2016]]) | #इन्फर्नो ([[2016]]) | ||
==पुरस्कार व सम्मान== | |||
[[चित्र:Irrfan-Khan-2.jpg|thumb|250px|पूर्व [[राष्ट्रपति]] [[प्रतिभा पाटिल]] से '[[पद्मश्री]]' प्राप्त करते इरफ़ान ख़ान]] | |||
#इरफ़ान ख़ान को [[भारत सरकार]] द्वारा '[[पद्मश्री]]' दिया जा चुका है। ये पुरस्कार उन्हें [[2011]] में बॉलीवुड में किए गए उनके कार्यों के लिए दिया गया था। | |||
#उन्हें पहला फ़िल्मफ़ेयर खिताब [[2003]] में उनके द्वारा निभाये गए फ़िल्म 'हासिल' में खलनायक किरदार के लिए दिया गया था। | |||
#साल [[2007]] में इरफ़ान ख़ान को ‘लाइफ इन मेट्रो’ फिल्म के लिए फ़िल्मफ़ेयर दिया गया। ये पुरस्कार उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए दिया गया था और इसी फिल्म के लिए उन्हें [[2008]] में आईफ़ा पुरस्कार भी दिया गया। | |||
#इरफ़ान ख़ान को [[2012]] में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए अपना पहला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। उन्हें ये पुरस्कार फिल्म ‘पान सिंह तोमर’ के लिए दिया गया था। इस फिल्म के लिए उनको फ़िल्मफ़ेयर क्रिटिक्स अवार्ड भी मिल चुका है। | |||
#[[2013]] में इरफ़ान ख़ान को उनकी फ़िल्म 'लंच बॉक्स' के लिए दुबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह, एशिया प्रशांत फिल्म समारोह और एशियाई फिल्म समारोह में अवार्ड दिए गए थे। | |||
#स्लमडॉग मिलियनेयर के लिए इरफ़ान ख़ान को सेंट्रल ओहियो फिल्म क्रिटिक्स एसोसिएशन की ओर से सर्वश्रेष्ठ एन्सेबल अवार्ड दिया गया था। वहीं 'पीकू' फिल्म के लिए भी उन्हें मेलबर्न के भारतीय फिल्म महोत्सव में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का अवार्ड दिया गया था। | |||
#फ़िल्म ‘हिंदी मीडियम’ में इरफ़ान ख़ान ने 'राज' नाम के व्यक्ति का रोल किया था और इस रोल के लिए उन्हें हाल ही में फ़िल्मफ़ेयर में बेस्ट ऐक्टर का खिताब दिया गया।<ref name="ss"/> | |||
==जिंदादिल इंसान== | ==जिंदादिल इंसान== | ||
इरफ़ान ख़ान ऐसे इंसान थे, जो भीड़ में तो थे ही अकेलापन भी उन्हें बहुत रास आता था। जब सब साथ में चिल्ल कर रहे होते तो वह अकेले कहीं जाकर बैठ जाते। इरफ़ान ख़ान का बचपन भी फ़िल्मी रहा। उनकी ज्यादतर तस्वीरें बचपन की ऐसी ही हैं, जिनमें फ़िल्म के किसी सीन की नकल करते दिखते हैं। कैंसर के इलाज के दौरान भी इरफ़ान हमेशा मुस्कुरात रहते थे। इतना ही नहीं वह बहादुर इंसान भी थे। इरफ़ान वह सब करते थे, जिसमें उनका दिल लगता था। प्रकृति प्रेमी भी थे। इरफ़ान की जिंदगी एक खूबसूरत यात्रा रही है। जब जहां दिल किया, चल दिए जिंदगी की तलाश में। अपने जीवन के अंतिम दिनों में वह थोड़े दार्शनिक | इरफ़ान ख़ान ऐसे इंसान थे, जो भीड़ में तो थे ही अकेलापन भी उन्हें बहुत रास आता था। जब सब साथ में चिल्ल कर रहे होते तो वह अकेले कहीं जाकर बैठ जाते। इरफ़ान ख़ान का बचपन भी फ़िल्मी रहा। उनकी ज्यादतर तस्वीरें बचपन की ऐसी ही हैं, जिनमें फ़िल्म के किसी सीन की नकल करते दिखते हैं। कैंसर के इलाज के दौरान भी इरफ़ान हमेशा मुस्कुरात रहते थे। इतना ही नहीं वह बहादुर इंसान भी थे। इरफ़ान वह सब करते थे, जिसमें उनका दिल लगता था। प्रकृति प्रेमी भी थे। इरफ़ान की जिंदगी एक खूबसूरत यात्रा रही है। जब जहां दिल किया, चल दिए जिंदगी की तलाश में। अपने जीवन के अंतिम दिनों में वह थोड़े दार्शनिक अंदाज़के भी हो गए थे। हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि यह अंदाज़शुरू से उनके साथ रहा। वह खुद के भीतर खुद को भी तलाशते थे। इरफ़ान अपने इंस्टा पर बचपन की जो भी यादें शेयर करते, उनमें ज्यादातर तस्वीरें इसी तरह किसी फ़िल्म को देखकर दोस्तों के साथ उसे आजमाते हुए दिखते। जिंदादिल इंसान थे इरफ़ान।<ref>{{cite web |url=https://navbharattimes.indiatimes.com/movie-masti/news-from-bollywood/irrfan-khan-passes-away-shahrukh-khan-says-he-is-inspiration-and-the-greatest-actor-of-our-times/articleshow/75448001.cms |title=दुनिया तेरी आंखों को|accessmonthday=01 मई|accessyear=2020 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=navbharattimes.indiatimes.com |language=हिंदी}}</ref> | ||
==मृत्यु== | ==मृत्यु== | ||
अभिनेता इरफ़ान ख़ान का निधन [[29 अप्रॅल]], [[2020]] को [[मुंबई]] के कोकिलाबेन अस्पताल में हुआ। वह काफ़ी लम्बे समय से बीमार चल रहे थे। साल [[2018]] में ही उन्होंने दुनिया को अपने कैंसर के बारे में जानकारी दी थी। इरफ़ान ख़ान पेट की समस्या से जूझ रहे थे। उन्हें कॉलन संक्रमण (Colon infection) हुआ था। फ़िल्म निर्देशक शूजीत सरकार ने इरफ़ान ख़ान के निधन की जानकारी सबसे पहले दी। [[प्रधानमंत्री]] [[नरेंद्र मोदी]], केंद्रीय गृहमंत्री [[अमित शाह]] आदि ने इरफ़ान ख़ान के निधन पर ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी। इरफ़ान ख़ान को वर्सोवा के कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया, जहाँ [[कोरोना विषाणु|कोरोना]] संकट के कारण जारी [[लॉकडाउन]] के बीच सिर्फ 20 लोगों के आने की ही अनुमति दी गई थी। | अभिनेता इरफ़ान ख़ान का निधन [[29 अप्रॅल]], [[2020]] को [[मुंबई]] के कोकिलाबेन अस्पताल में हुआ। वह काफ़ी लम्बे समय से बीमार चल रहे थे। साल [[2018]] में ही उन्होंने दुनिया को अपने कैंसर के बारे में जानकारी दी थी। इरफ़ान ख़ान पेट की समस्या से जूझ रहे थे। उन्हें कॉलन संक्रमण (Colon infection) हुआ था। फ़िल्म निर्देशक शूजीत सरकार ने इरफ़ान ख़ान के निधन की जानकारी सबसे पहले दी। [[प्रधानमंत्री]] [[नरेंद्र मोदी]], केंद्रीय गृहमंत्री [[अमित शाह]] आदि ने इरफ़ान ख़ान के निधन पर ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी। इरफ़ान ख़ान को वर्सोवा के कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया, जहाँ [[कोरोना विषाणु|कोरोना]] संकट के कारण जारी [[लॉकडाउन]] के बीच सिर्फ 20 लोगों के आने की ही अनुमति दी गई थी। | ||
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*[https://aajtak.intoday.in/story/irrfan-khan-death-in-mumbai-reactions-actors-politicians-tmov-1-1185622.html इरफ़ान की याद में रोया बॉलीवुड] | *[https://aajtak.intoday.in/story/irrfan-khan-death-in-mumbai-reactions-actors-politicians-tmov-1-1185622.html इरफ़ान की याद में रोया बॉलीवुड] | ||
*[https://www.amarujala.com/photo-gallery/entertainment/bollywood/irrfan-khan-passed-away-when-he-revealed-suffer-from-neuroendocrine-tumor दो साल पहले इस खतरनाक बीमारी से ग्रस्त थे इरफ़ान ख़ान] | *[https://www.amarujala.com/photo-gallery/entertainment/bollywood/irrfan-khan-passed-away-when-he-revealed-suffer-from-neuroendocrine-tumor दो साल पहले इस खतरनाक बीमारी से ग्रस्त थे इरफ़ान ख़ान] | ||
*[https://achhigyan.com/irfan-khan-biography/ इरफान खान की संघर्ष भरी जीवनी] | |||
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11:27, 29 सितम्बर 2021 के समय का अवतरण
इरफ़ान ख़ान
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पूरा नाम | साहबजादे इरफ़ान अली ख़ान |
जन्म | 7 जनवरी, 1967 |
जन्म भूमि | टोंक, राजस्थान |
मृत्यु | 29 अप्रॅल, 2020 |
मृत्यु स्थान | मुम्बई, महाराष्ट्र |
अभिभावक | पिता- यासीन अली ख़ान माता- सईदा बेगम |
पति/पत्नी | सुतापा देवेन्द्र सिकदर |
संतान | दो पुत्र- बाबिल और आयन |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | हिन्दी व अंग्रेज़ी सिनेमा |
मुख्य फ़िल्में | 'एसिड फैक्ट्री', 'न्यूयॉर्क', 'पान सिंह तोमर', 'हैदर', 'पीकू', 'तलवार', 'जज्बा', 'हिंदी मीडियम' आदि। |
विद्यालय | नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा |
पुरस्कार-उपाधि | 'फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता' (2017), 'पद्मश्री' (2011), ' फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ खलनायक पुरस्कार' (2004), |
प्रसिद्धि | अभिनेता, चलचित्र निर्माता |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | साल 2005 में इरफ़ान ख़ान को बतौर लीड रोल अपनी पहली फ़िल्म मिली। इस फ़िल्म का नाम ‘रोग’ था, जिसमें उन्होंने एक पुलिस ऑफिसर की भूमिका निभाई थी। |
अद्यतन | 13:58, 1 मई 2020 (IST)
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साहबजादे इरफ़ान अली ख़ान (अंग्रेज़ी: Sahabzade Irfan Ali Khan, जन्म- 7 जनवरी, 1967, टोंक, राजस्थान; मृत्यु- 29 अप्रॅल, 2020, मुम्बई, महाराष्ट्र) भारतीय हिन्दी सिनेमा और टेलीविजन के प्रसिद्ध अभिनेता थे। हिन्दी के साथ ही उन्होंने कई अंग्रेज़ी फ़िल्मों में भी अभिनय किया। उनके चाहने वालों की संख्या लाखों में है। इरफ़ान ख़ान के बारे में कहा जाता है कि "वह अपनी आँखों से ही सारा अभिनय कर देते थे।" उन्होंने 'द वॉरियर', 'मकबूल', 'हासिल', 'द नेमसेक', 'रोग' जैसी फ़िल्मों से अपने अभिनय का लोहा मनवाया। 'हासिल' फ़िल्म के लिये उन्हें वर्ष 2004 का फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ खलनायक पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। वे हिन्दी सिनेमा की तीस से ज्यादा फ़िल्मों में अभिनय कर चुके थे। इरफ़ान ख़ान का नाम हॉलीवुड में भी अपनी पहचान रखता है। उन्होंने 'ए माइटी हार्ट', 'स्लमडॉग मिलियनेयर', 'लाइफ ऑफ़ पाई' और 'द अमेजिंग स्पाइडर मैन' आदि फ़िल्मों में अभिनय किया।
वर्ष 2011 में उन्हें भारत सरकार द्वारा 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया। 60वे राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार-2012 में इरफ़ान ख़ान को फ़िल्म 'पान सिंह तोमर' में अभिनय के लिए श्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार दिया गया। 2017 में प्रदर्शित 'हिंदी मीडियम' फ़िल्म के लिए उन्हें फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता चुना गया। 2020 में प्रदर्शित 'अंग्रेज़ी मीडियम' उनकी प्रदर्शित अंतिम फ़िल्म रही।
जन्म तथा शिक्षा
इरफ़ान ख़ान का जन्म टोंक, राजस्थान में 7 जनवरी, 1967 को हुआ। यहीं के एक स्कूल से उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा हासिल की। बाद में स्नातक की डिग्री हासिल की। जब इरफ़ान ख़ान अपनी पोस्ट ग्रेजुएश एम.ए. में कर रहे थे, तब उस समय उन्होंने 'नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा' में दाखिला ले लिया। कहा जाता है कि उन्होंने इस ड्रामा स्कूल में पढ़ाई करने के लिए छात्रवृत्ति हेतु आवेदन किया था और उनका आवेदन स्वीकार कर लिया गया, जिसके बाद इरफ़ान ख़ान ने दिल्ली स्थित अभिनय के इस कॉलेज में प्रवेश ले लिया।[1]
परिवार
इरफ़ान ख़ान का नाता राजस्थान राज्य के एक पठान परिवार से था। उनकी मां का नाम सईदा बेगम है। मां सईदा बेगम का सम्बंध राजस्थान के टोंक हाकिम परिवार से है। वहीं इरफ़ान के पिता का नाम यासीन अली ख़ान था, जो एक कारोबारी थे और जिनका टायर का व्यापार हुआ करता था। इरफ़ान ख़ान दो भाई और एक बहन है। साल 1995 में इरफ़ान ख़ान ने सुतापा सिकदर से प्रेम विवाह किया। उनके दो बेटे हैं, जिनके नाम- बाबिल और आयन है। कहा जाता है कि इरफ़ान ख़ान की मुलाकात अपनी पत्नी से ड्रामा स्कूल में हुई थी। सुतापा सिकदर भी इरफ़ान की तरह ड्रामा स्कूल की छात्रा थीं और यहां से शुरू हुई इनकी ये दोस्ती प्यार में बदल गई थी।
शुद्ध शाकाहारी
बहुमुखी प्रतिभा के धनी इरफ़ान ख़ान लीक से हटकर चलने वाले लोगों में से एक थे। शायद यही कारण रहा कि वे पठान परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद शुद्ध शाकाहारी थे। इरफ़ान ख़ान ने पठान मुस्लिम परिवार में जन्म होने के बाद भी कभी मीट या मांस नहीं खाया। वह बचपन से ही शाकाहारी थे। यही कारण था कि उनके पिता इरफ़ान को मजाक में कहा करते थे कि- "ये तो पठान परिवार में एक ब्राह्मण पैदा हो गया है।"
इरफ़ान ख़ान के पिता उन्हें शिकार पर भी ले जाया करते थे। जंगल का वातावरण उन्हें काफी रोमांचित भी करता था, लेकिन उन्हें कभी पसंद नहीं आता था, जब मासूम जानवरों का शिकार होता था। इरफ़ान उन जानवरों के साथ खुद को जुड़ा हुआ महसूस करते थे कि आखिर अब इन जानवरों के परिवारों का क्या होगा। वह खुद भी राइफल चलाना जानते थे, लेकिन कभी शिकार नहीं करते थे। गौरतलब है कि नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में इरफ़ान ख़ान के प्रवेश के कुछ समय बाद ही उनके पिता का निधन हो गया था और घर की तरफ से मिलने वाले पैसे उन्हें मिलना बंद हो गया थे। ड्रामा स्कूल से मिलने वाली फेलोशिप के जरिए उन्होंने अपना कोर्स खत्म किया था। उस मुश्किल दौर में इरफ़ान ख़ान की सहपाठी सुतापा सिकदर ने उनका पूरा साथ दिया। बाद में 23 फ़रवरी, 1995 में दोनों ने विवाह कर लिया था।[2]
कॅरियर
इरफ़ान ख़ान अपनी एक्टिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद मुंबई चले गए और यहां आकर उन्होंने फ़िल्मों में काम खोजना शुरू कर दिया। उनके कॅरियर के शुरुआती दिन काफी संघर्ष भरे थे। उन्हें फ़िल्मों की जगह टी.वी. सीरियल में छोटे मोटे रोल मिलने लगे और इस तरह से इरफ़ान ख़ान के कॅरियर की शुरुआत बतौर एक जूनियर कलाकार से हुई। वह कई हिंदी धारावाहिकों का हिस्सा रह चुके थे और उनके द्वारा किए गए कुछ धारावाहिकों के नाम इस प्रकार हैं[1]-
- चाणक्य
- भारत एक खोज
- सारा जहाँ हमारा
- बनेगी अपनी बात
- चन्द्रकान्ता
- श्रीकान्त
- स्टार बेस्टसेलर्स
- मानो या ना मानो
फ़िल्मी सफर
साल 1988 में आई फ़िल्म ‘सलाम बॉम्बे’ में इरफ़ान को एक छोटा सा रोल मिला था, लेकिन इरफ़ान के इस रोल को फ़िल्म से हटा दिया गया। इस फ़िल्म के बाद इरफ़ान ने कई फ़िल्मों में छोटे-मोटे रोल किये, लेकिन साल 2001 में आई ‘द वारियर’ फ़िल्म ने उनकी जिंदगी बदल दी और इस फ़िल्म से उनको पहचान मिली। ये एक ब्रिटिश फ़िल्म थी, जिसका निर्देशन आसिफ कपाड़िया ने किया था। ये फ़िल्म अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म समारोहों में भी प्रदर्शित की गई थी। इस फ़िल्म के बाद 2004 में आई ‘हासिल’ फ़िल्म में इरफ़ान ख़ान को एक नेगेटिव किरदार में देखा गया और इस किरदार को भी उन्होंने बखूबी निभाया था।
‘रोग’ फ़िल्म में मुख्य भूमिका
साल 2005 में इरफ़ान ख़ान को बतौर लीड रोल अपनी पहली फ़िल्म मिली और इस फ़िल्म का नाम ‘रोग’ था। इस फ़िल्म में इरफ़ान ख़ान ने एक पुलिस ऑफिसर की भूमिका निभाई थी। हालांकि ये फ़िल्म कामयाब फ़िल्म साबित नहीं हुई, लेकिन इरफ़ान ख़ान के अभिनय ने सभी को हैरान कर दिया और हर किसी ने उनके अभिनय की काफी तारीफ की। यह भी कहा गया कि इरफ़ान की आँखेंं भी एक दमदार अभिनय करती हैं। इस फ़िल्म के बाद इरफ़ान ख़ान को कई और फ़िल्मों में कार्य करने का मौका मिला।
2007 में आई मल्टीस्टार फ़िल्म ‘लाइफ इन ए मेट्रो’ का हिस्सा इरफ़ान भी थे और इस फ़िल्म में इरफ़ान द्वारा किए गए अभिनय को फिर से लोगों द्वारा पसंद किया गया। इस फ़िल्म में उनकी जोड़ी कोंकणा सेन के साथ नजर आई थी। इस फ़िल्म के बाद इरफ़ान को 'एसिड फैक्ट्री', 'न्यूयॉर्क', 'पान सिंह तोमर', 'हैदर', 'पीकू', 'तलवार', 'जज्बा', 'हिंदी मीडियम' सहित कई फ़िल्मों में देखा गया और इन फ़िल्मों के लिए उन्हें कई पुरस्कार भी मिले।
हॉलीवुड सिनेमा में योगदान
इरफ़ान ख़ान का नाम उन भारतीय अभिनेताओं में गिना जाता है, जिन्होंने भारतीय सिनेमा के साथ-साथ विदेशी सिनेमा यानी हॉलीवुड में भी कार्य किया। इरफ़ान ने बॉलीवुड सहित कई हॉलीवुड फ़िल्मों में भी दमदार प्रदर्शन किया। उनके द्वारा की गई कुछ हॉलीवुड फ़िल्मों के नाम इस प्रकार हैं-
- सच अ लॉन्ग जर्नी (1988)
- द नेमसेक (2006)
- ए माइटी हार्ट (2007)
- दार्जीलिंग लिमिटेड (2007)
- स्लमडॉग मिलियनेयर (2008)
- लाइफ ऑफ पाई (2012)
- द अमेजिंग स्पाइडर मैन (2012)
- जुरासिक वर्ल्ड (2015)
- इन्फर्नो (2016)
पुरस्कार व सम्मान
- इरफ़ान ख़ान को भारत सरकार द्वारा 'पद्मश्री' दिया जा चुका है। ये पुरस्कार उन्हें 2011 में बॉलीवुड में किए गए उनके कार्यों के लिए दिया गया था।
- उन्हें पहला फ़िल्मफ़ेयर खिताब 2003 में उनके द्वारा निभाये गए फ़िल्म 'हासिल' में खलनायक किरदार के लिए दिया गया था।
- साल 2007 में इरफ़ान ख़ान को ‘लाइफ इन मेट्रो’ फिल्म के लिए फ़िल्मफ़ेयर दिया गया। ये पुरस्कार उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए दिया गया था और इसी फिल्म के लिए उन्हें 2008 में आईफ़ा पुरस्कार भी दिया गया।
- इरफ़ान ख़ान को 2012 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए अपना पहला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। उन्हें ये पुरस्कार फिल्म ‘पान सिंह तोमर’ के लिए दिया गया था। इस फिल्म के लिए उनको फ़िल्मफ़ेयर क्रिटिक्स अवार्ड भी मिल चुका है।
- 2013 में इरफ़ान ख़ान को उनकी फ़िल्म 'लंच बॉक्स' के लिए दुबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह, एशिया प्रशांत फिल्म समारोह और एशियाई फिल्म समारोह में अवार्ड दिए गए थे।
- स्लमडॉग मिलियनेयर के लिए इरफ़ान ख़ान को सेंट्रल ओहियो फिल्म क्रिटिक्स एसोसिएशन की ओर से सर्वश्रेष्ठ एन्सेबल अवार्ड दिया गया था। वहीं 'पीकू' फिल्म के लिए भी उन्हें मेलबर्न के भारतीय फिल्म महोत्सव में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का अवार्ड दिया गया था।
- फ़िल्म ‘हिंदी मीडियम’ में इरफ़ान ख़ान ने 'राज' नाम के व्यक्ति का रोल किया था और इस रोल के लिए उन्हें हाल ही में फ़िल्मफ़ेयर में बेस्ट ऐक्टर का खिताब दिया गया।[1]
जिंदादिल इंसान
इरफ़ान ख़ान ऐसे इंसान थे, जो भीड़ में तो थे ही अकेलापन भी उन्हें बहुत रास आता था। जब सब साथ में चिल्ल कर रहे होते तो वह अकेले कहीं जाकर बैठ जाते। इरफ़ान ख़ान का बचपन भी फ़िल्मी रहा। उनकी ज्यादतर तस्वीरें बचपन की ऐसी ही हैं, जिनमें फ़िल्म के किसी सीन की नकल करते दिखते हैं। कैंसर के इलाज के दौरान भी इरफ़ान हमेशा मुस्कुरात रहते थे। इतना ही नहीं वह बहादुर इंसान भी थे। इरफ़ान वह सब करते थे, जिसमें उनका दिल लगता था। प्रकृति प्रेमी भी थे। इरफ़ान की जिंदगी एक खूबसूरत यात्रा रही है। जब जहां दिल किया, चल दिए जिंदगी की तलाश में। अपने जीवन के अंतिम दिनों में वह थोड़े दार्शनिक अंदाज़के भी हो गए थे। हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि यह अंदाज़शुरू से उनके साथ रहा। वह खुद के भीतर खुद को भी तलाशते थे। इरफ़ान अपने इंस्टा पर बचपन की जो भी यादें शेयर करते, उनमें ज्यादातर तस्वीरें इसी तरह किसी फ़िल्म को देखकर दोस्तों के साथ उसे आजमाते हुए दिखते। जिंदादिल इंसान थे इरफ़ान।[3]
मृत्यु
अभिनेता इरफ़ान ख़ान का निधन 29 अप्रॅल, 2020 को मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में हुआ। वह काफ़ी लम्बे समय से बीमार चल रहे थे। साल 2018 में ही उन्होंने दुनिया को अपने कैंसर के बारे में जानकारी दी थी। इरफ़ान ख़ान पेट की समस्या से जूझ रहे थे। उन्हें कॉलन संक्रमण (Colon infection) हुआ था। फ़िल्म निर्देशक शूजीत सरकार ने इरफ़ान ख़ान के निधन की जानकारी सबसे पहले दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आदि ने इरफ़ान ख़ान के निधन पर ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी। इरफ़ान ख़ान को वर्सोवा के कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया, जहाँ कोरोना संकट के कारण जारी लॉकडाउन के बीच सिर्फ 20 लोगों के आने की ही अनुमति दी गई थी।
इरफ़ान ख़ान अपनी मां की मृत्यु का शोक मना रहे थे। उनकी मां सईदा बेगम ने 25 अप्रॅल, 2020 को जयपुर, राजस्थान में अंतिम सांस ली, जहां वह रहती थीं। लॉकडाउन के कारण अभिनेता इरफ़ान ख़ान शारीरिक रूप से अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सके थे। उन्होंने कथित तौर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मां का अंतिम संस्कार किया। इसके तीन दिन बाद ही वह भी दुनिया को अलविदा कह गए।
श्रद्धंजलि
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमिताभ बच्चन, आमिर ख़ान, शाहरुख़ ख़ान, सलमान ख़ान, राहुल गाँधी, अरविंद केजरीवाल, अक्षय कुमार, अशोक गहलोत, कुमार विश्वास समेत देश की बड़ी हस्तियों ने इरफ़ान ख़ान के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि दी-
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी - "इरफ़ान ख़ान के निधन से सिनेमा और थियेटर जगत को बड़ी क्षति हुई है।"
- प्रणब मुखर्जी - "अभिनेता इरफ़ान ख़ान की असामयिक और दु:खद मृत्यु पर मैं शोक प्रकट करता हूँ, जबकि सब लोग ये उम्मीद कर रहे थे कि वे बीमारी को मात देकर फिर से वापस लौटेंगे, लेकिन उनकी मृत्यु से सिनेमा और कला जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। मैंने 2013 में उनकी फ़िल्म 'पान सिंह तोमर' के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ कलाकार के राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा था।"
- शाहरुख़ ख़ान - "मेरे दोस्त, प्रेरक और हमारे वक्त के शानदार अभिनेता। अल्लाह आपकी आत्मा पर कृपा करे इरफ़ान भाई। आपको हमेशा मिस करेंगे और इस बात की तसल्ली रहेगी कि आप हमारी जिंदगी का हिस्सा थे।"
- आमिर ख़ान - "हमारे साथी इरफ़ान के निधन की खबर सुन मैं काफी दु:खी हूँ। वह एक शानदार टैलेंट थे। उनके परिवार और दोस्तों के प्रति मैं सांत्वना प्रकट करता हूँ।" आमिर ख़ान आगे लिखते हैं कि- "अपने काम के जरिए लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाने के लिए इरफ़ान तुम्हारा शुक्रिया।"
- सलमान ख़ान - "आप हमेशा हमारे दिल में रहोगे भाई।"
- राहुल गांधी - "इरफ़ान ख़ान के निधन की खबर सुन काफी दु:ख हुआ। वह एक शानदार अभिनेता थे, जो वैश्विक स्तर पर भारत के ब्रांड एंबेसडर थे। उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।"
- अमिताभ बच्चन - "इरफ़ान ख़ान के निधन की खबर मिली है, ये काफी दु:खी खबर है। एक शानदार टैलेंट, शानदार सहकर्मी जिन्होंने सिनेमा की दुनिया में काफी योगदान दिया। वह आज हमें काफी जल्दी छोड़कर चले गए हैं और एक खालीपन छोड़ गए हैं।"
- लता मंगेशकर - "बहुत गुणी अभिनेता इरफ़ान ख़ान के निधन की खबर सुनकर मैं काफी दु:खी हूँ। मैं उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि देती हूँ।
- राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत - "देश के सबसे शानदार अभिनेताओं में से एक इरफ़ान ख़ान के निधन की खबर दु:ख देने वाली है। भगवान उनके परिवार को शक्ति दे।"
- कुमार विश्वास - "प्रथा, हासिल जैसी शुरुआती फ़िल्मों से आज तक भारतीय सिनेमा के प्रातिभ ग्लोबल अभिनेता, मेरे दोस्त इरफ़ान का यूं जाना तोड़ गया। 'रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई, तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई ! इक बार तो ख़ुद मौत भी घबरा गई होगी, यूँ मौत को सीने से लगाता नहीं कोई'।"
- जावेद अख्तर - "इरफ़ान ख़ान का जाना एक बड़ी क्षति है, वह लंबे वक्त से इस बीमारी से जूझ रहे थे।"
- केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी - "अभिनेता इरफ़ान ख़ान के असामयकि निधन से गहरा शोक पहुंचा है। भगवान उनके परिवार, दोस्तों और प्रशसंकों को ये दु:ख सहने की शक्ति दें। फ़िल्म इंडस्ट्री ने आज कई फन में माहिर एक कलाकार को खो दिया है, वे हमेशा याद आएंगे।"
- अनुभव सिन्हा - "अभी तो टाइम आया था तेरा भाई, अभी तो कितना काम करता तू जो इतिहास में लिखा जाता। क्या यार? थोड़ी ताकत और लगाता भाई... पर लगाई होगी तूने सारी। ठीक है जा... आराम कर। दो साल बहुत लड़ा तू।"
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 इरफ़ान ख़ान का जीवन परिचय (हिंदी) deepawali.co.in। अभिगमन तिथि: 1 मई, 2020।
- ↑ पठान के परिवार में पैदा हुआ ब्राह्राण (हिंदी) aajtak.intoday.in। अभिगमन तिथि: 1 मई, 2020।
- ↑ दुनिया तेरी आंखों को (हिंदी) navbharattimes.indiatimes.com। अभिगमन तिथि: 01 मई, 2020।
बाहरी कड़ियाँ
- इरफ़ान की याद में रोया बॉलीवुड
- दो साल पहले इस खतरनाक बीमारी से ग्रस्त थे इरफ़ान ख़ान
- इरफान खान की संघर्ष भरी जीवनी
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