"जी. सतीश रेड्डी": अवतरणों में अंतर
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}}'''गुंद्रा सतीश रेड्डी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Gundra Satheesh Reddy'', जन्म- [[1 जुलाई]], [[1963]], नेल्लोर, [[आंध्र प्रदेश]]) [[भारत]] के प्रतिष्ठित एयरोस्पेस वैज्ञानिक हैं। उनका पूरा नाम गुंद्रा सतीश रेड्डी है। सन [[2018]] में उन्हें रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) का चेयरमैन बनाया गया। डॉ.. जी. सतीश रेड्डी ने हमेशा रक्षा प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में स्वदेशी विकास पर वल दिया। उनको भारत में नेविगेशन, उन्नत एवियोनिक्स और मिसाइल प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान एवं विकास के लिए जाना जाता है। उन्हें अंतरिक्ष में उत्कृष्ट योगदान के लिए [[2021]] में 'आर्यभट्ट पुरस्कार' प्रदान किया गया था। | |||
==परिचय== | ==परिचय== | ||
जी. सतीश रेड्डी ने अग्नि वी प्रोजेक्ट को पूरा करने में अहम भूमिका अदा की थी। डॉ. रेड्डी को रॉकेट मैन भी कहा जाता है। डॉ रेड्डी का नाम देश के अग्रणी एयरोस्पेस वैज्ञानिकों में लिया जाता है। उनको देश में प्रौद्योगिकी विकास, वैज्ञानिक खोज को बढ़ावा देने और रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए अनेक सम्मान से सम्मानित किया गया। उन्हें अंतरिक्ष में उत्कृष्ट योगदान के लिए [[2021]] में 'आर्यभट्ट पुरस्कार' प्रदान किया गया। देश के कई प्रमुख विश्वविद्यालयों द्वारा डॉ. रेड्डी को | जी. सतीश रेड्डी ने अग्नि वी प्रोजेक्ट को पूरा करने में अहम भूमिका अदा की थी। डॉ.. रेड्डी को रॉकेट मैन भी कहा जाता है। डॉ. रेड्डी का नाम देश के अग्रणी एयरोस्पेस वैज्ञानिकों में लिया जाता है। उनको देश में प्रौद्योगिकी विकास, वैज्ञानिक खोज को बढ़ावा देने और रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए अनेक सम्मान से सम्मानित किया गया। उन्हें अंतरिक्ष में उत्कृष्ट योगदान के लिए [[2021]] में 'आर्यभट्ट पुरस्कार' प्रदान किया गया। देश के कई प्रमुख विश्वविद्यालयों द्वारा डॉ.. रेड्डी को डॉ.क्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधियों प्रदान की गई। उनकी नियुक्ति डीआरडीओ के अध्यक्ष पद पर दो साल के लिए हुई थी। लेकिन [[अगस्त 2020]] में उनका कार्यकाल दो वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया। वे एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी के महानिदेशक भी हैं, उनका चौथी पीढ़ी के हल्के लडाकू विमान तेजस का विकास में भी योगदान रहा है। जी. सतीश रेड्डी का नौवहन और वैमानिकी प्रौद्योगिकी में भी उल्लेखनीय योगदान के लिए जाना जाता है। अनुसंधान केंद्र के निदेशक के रूप में उन्होंने रक्षा क्षेत्र से जुड़े कई अहम रक्षा परियोजनाओं पर काम किया।<ref name="pp">{{cite web |url=https://nikhilbharat.com/biography-of-g-satheesh-reddy-in-hindi/ |title=वैज्ञानिक जी. सतीश रेड्डी की जीवनी|accessmonthday=11 जनवरी|accessyear=2022 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=nikhilbharat.com |language=हिंदी}}</ref> | ||
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वैज्ञानिक जी. सतीश रेड्डी का जन्म [[1 जुलाई]], [[1963]] में [[आंध्र प्रदेश]] के नेल्लोर जिला अंतर्गत महिमालुरू नामक गाँव में हुआ था। गाँव के एक किसान [[परिवार]] में पैदा हुए जी. सतीश रेड्डी ने अपने सतत मेहनत और लगन के बल पर सफलता की ऊंचाई को छुआ। उन्होंने जवाहरलाल | वैज्ञानिक जी. सतीश रेड्डी का जन्म [[1 जुलाई]], [[1963]] में [[आंध्र प्रदेश]] के नेल्लोर जिला अंतर्गत महिमालुरू नामक गाँव में हुआ था। गाँव के एक किसान [[परिवार]] में पैदा हुए जी. सतीश रेड्डी ने अपने सतत मेहनत और लगन के बल पर सफलता की ऊंचाई को छुआ। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, अनन्तपुर से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बी.टेक की डिग्री प्राप्त की। उसके बाद उन्होंने जवाहरलाल नेहरू प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, [[हैदराबाद]] से एम.एस. और पीएच.डी की डिग्री हासिल की। | ||
==कॅरियर== | ==कॅरियर== | ||
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वे सन [[1986]] में रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला, हैदराबाद से जुड़ गए। एक युवा नेविगेशन वैज्ञानिक के रूप में सतत कार्य करते हुए आगे बढ़ते रहे। इस दौरान उन्होंने संस्थान की कई महत्वपूर्ण नियुक्तियों की जिम्मेदारी को बखूबी संभाला। उनके कार्यों को देखते हुए [[2014]] में उनकी पदोन्नती विशिष्ट वैज्ञानिक के रूप में हुई। सन [[2015]] में [[भारत सरकार]] ने उन्हें रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार और डीडीआर एंड डी का सचिव बनाया। | अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वे सन [[1986]] में रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला, हैदराबाद से जुड़ गए। एक युवा नेविगेशन वैज्ञानिक के रूप में सतत कार्य करते हुए आगे बढ़ते रहे। इस दौरान उन्होंने संस्थान की कई महत्वपूर्ण नियुक्तियों की जिम्मेदारी को बखूबी संभाला। उनके कार्यों को देखते हुए [[2014]] में उनकी पदोन्नती विशिष्ट वैज्ञानिक के रूप में हुई। सन [[2015]] में [[भारत सरकार]] ने उन्हें रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार और डीडीआर एंड डी का सचिव बनाया। | ||
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==योगदान== | ==योगदान== | ||
डॉ जी | डॉ. जी. सतीश रेड्डी को मिसाइल सिस्टम पर अनुसंधान और उन्हें विकसित करने के लिए भी जाना जाता है। उनका एयरोस्पेस प्रौद्योगिकियों और उद्योगों के विकास में सतत योगदान रहा है। [[भारत]] में एवियनिक्स सिस्टम डॉ. जी सतीश रेड्डी की मार्गदर्शन में ही तैयार किया गया था। डॉ. रेड्डी के निर्देशन में भारत में पहला एंटी-सैटेलाइट मिसाइल मिशन शक्ति का परीक्षण सफल रहा। इसके अलावा वे एयर डिफेन्स सिस्टम बीवीआरएएम अस्त्र, आकाश, दुनिया की सबसे लंबी दूरी की गन एटीएजीएस, एंटी-रेडिएशन मिसाइल, स्मार्ट एयर फील्ड हथियार और स्मार्ट बम के विकास में शामिल रहे। इसके अलावा हाइपरसोनिक और क्वांटम तकनीकों के विकास में भी इनका योगदान रहा। | ||
आरसीआई के डायरेक्टर के पद पर रहते हुए उन्होंने कई तकनीकी प्रणालियों के विकास में योगदान दिया। उन्होंने मिसाइलों और सामरिक प्रणालियों के महानिदेशक के पद को भी सुशोभित किया। इस पद पर रहते हुए इन्होंने बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस, एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल, जमीन से हवा, हवा से जमीन पर मार करने वाले, हवा से हवा में मार करने वाले और लम्बी दूरी की गाइडेड बम के लिए विभिन्न प्रकार की मिसाइलों के विकास में योगदान दिया। | आरसीआई के डायरेक्टर के पद पर रहते हुए उन्होंने कई तकनीकी प्रणालियों के विकास में योगदान दिया। उन्होंने मिसाइलों और सामरिक प्रणालियों के महानिदेशक के पद को भी सुशोभित किया। इस पद पर रहते हुए इन्होंने बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस, एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल, जमीन से हवा, हवा से जमीन पर मार करने वाले, हवा से हवा में मार करने वाले और लम्बी दूरी की गाइडेड बम के लिए विभिन्न प्रकार की मिसाइलों के विकास में योगदान दिया। | ||
====अग्नि वी का विकास==== | ====अग्नि वी का विकास==== | ||
डॉ जी सतीश रेड्डी का भारत प्रथम इंटरकॉनिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल मिशन अग्नि-वी के विकास में अहम योगदान दिया। वे ‘मिसाइल हब ऑफ इंडिया‘ के नाम से प्रसिद्ध एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स को भी लीड कर रहें हैं। उनके नेतृत्व में हवा में तैर रहे नए खतरे ड्रोन से निपटने के तकनीक पर काम चल रहा है। डीआरडीओ एंटी ड्रोन टेक्नोलॉजी जल्द ही सशस्त्र बलों को सौंपेंगी। | डॉ. जी सतीश रेड्डी का भारत प्रथम इंटरकॉनिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल मिशन अग्नि-वी के विकास में अहम योगदान दिया। वे ‘मिसाइल हब ऑफ इंडिया‘ के नाम से प्रसिद्ध एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स को भी लीड कर रहें हैं। उनके नेतृत्व में हवा में तैर रहे नए खतरे ड्रोन से निपटने के तकनीक पर काम चल रहा है। डीआरडीओ एंटी ड्रोन टेक्नोलॉजी जल्द ही सशस्त्र बलों को सौंपेंगी। | ||
====कोविड महामारी में योगदान==== | ====कोविड महामारी में योगदान==== | ||
वैज्ञानिक जी सतीश रेड्डी के मार्गदर्शन में डीआरडीओ की टीम ने कोरोना महामारी से लड़ाई में अहम भूमिका निभाई। इस कोरोना काल में उनकी टीम ने रात दिन मेहनत की है। उनके निर्देशन में कोविड से लड़ने हेतु करीव 50 प्रौद्योगिकियों का विकास और करीव 75 उत्पादों को 100 उद्योगों में स्थानांतरित किया गया है।<ref name="pp"/> | वैज्ञानिक जी सतीश रेड्डी के मार्गदर्शन में डीआरडीओ की टीम ने कोरोना महामारी से लड़ाई में अहम भूमिका निभाई। इस कोरोना काल में उनकी टीम ने रात दिन मेहनत की है। उनके निर्देशन में कोविड से लड़ने हेतु करीव 50 प्रौद्योगिकियों का विकास और करीव 75 उत्पादों को 100 उद्योगों में स्थानांतरित किया गया है।<ref name="pp"/> | ||
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जी. सतीश रेड्डी पिछले 100 वर्षों के दौरान पहले [[भारत]] वैज्ञानिक हैं जिन्हें रॉयल एरोनॉटिकल सोसायटी, लंदन द्वारा मानद फैलोशिप और सिल्वर मेडल प्रदान किया गया। साथ ही रॉयल एयरोनॉटिकल सोसाइटी ने रक्षा क्षेत्र में उनके योगदान को स्वीकृति प्रादन की। उन्हें [[अमेरिका]] के प्रतिष्ठित संस्थान अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ एरोनॉटिक्स एंड एस्ट्रोनॉटिक्स द्वारा मिसाइल प्रणाली पुरस्कार प्रदान किया गया। इसके अलावा इन्हें निम्नलिखित प्रमुख पुरस्कार प्रदान कीये गए।<ref name="pp"/> | जी. सतीश रेड्डी पिछले 100 वर्षों के दौरान पहले [[भारत]] वैज्ञानिक हैं जिन्हें रॉयल एरोनॉटिकल सोसायटी, लंदन द्वारा मानद फैलोशिप और सिल्वर मेडल प्रदान किया गया। साथ ही रॉयल एयरोनॉटिकल सोसाइटी ने रक्षा क्षेत्र में उनके योगदान को स्वीकृति प्रादन की। उन्हें [[अमेरिका]] के प्रतिष्ठित संस्थान अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ एरोनॉटिक्स एंड एस्ट्रोनॉटिक्स द्वारा मिसाइल प्रणाली पुरस्कार प्रदान किया गया। इसके अलावा इन्हें निम्नलिखित प्रमुख पुरस्कार प्रदान कीये गए।<ref name="pp"/> | ||
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06:45, 11 जनवरी 2022 के समय का अवतरण
जी. सतीश रेड्डी
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पूरा नाम | गुंद्रा सतीश रेड्डी |
जन्म | 1 जुलाई, 1963 |
जन्म भूमि | ज़िला नेल्लोर, आंध्र प्रदेश |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम |
विद्यालय | जवाहरलाल नेहरू प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, अनन्तपुर जवाहरलाल नेहरू प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हैदराबाद |
पुरस्कार-उपाधि | 2013 - होमी जे. भाभा स्मृति स्वर्ण पदक 2015 - नेशनल सिस्टम्स गोल्ड मेडल |
प्रसिद्धि | भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | डॉ. जी. सतीश रेड्डी को मिसाइल सिस्टम पर अनुसंधान और उन्हें विकसित करने के लिए भी जाना जाता है। उनका एयरोस्पेस प्रौद्योगिकियों और उद्योगों के विकास में सतत योगदान रहा है। |
अद्यतन | 12:15, 11 जनवरी 2022 (IST)
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गुंद्रा सतीश रेड्डी (अंग्रेज़ी: Gundra Satheesh Reddy, जन्म- 1 जुलाई, 1963, नेल्लोर, आंध्र प्रदेश) भारत के प्रतिष्ठित एयरोस्पेस वैज्ञानिक हैं। उनका पूरा नाम गुंद्रा सतीश रेड्डी है। सन 2018 में उन्हें रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) का चेयरमैन बनाया गया। डॉ.. जी. सतीश रेड्डी ने हमेशा रक्षा प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में स्वदेशी विकास पर वल दिया। उनको भारत में नेविगेशन, उन्नत एवियोनिक्स और मिसाइल प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान एवं विकास के लिए जाना जाता है। उन्हें अंतरिक्ष में उत्कृष्ट योगदान के लिए 2021 में 'आर्यभट्ट पुरस्कार' प्रदान किया गया था।
परिचय
जी. सतीश रेड्डी ने अग्नि वी प्रोजेक्ट को पूरा करने में अहम भूमिका अदा की थी। डॉ.. रेड्डी को रॉकेट मैन भी कहा जाता है। डॉ. रेड्डी का नाम देश के अग्रणी एयरोस्पेस वैज्ञानिकों में लिया जाता है। उनको देश में प्रौद्योगिकी विकास, वैज्ञानिक खोज को बढ़ावा देने और रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए अनेक सम्मान से सम्मानित किया गया। उन्हें अंतरिक्ष में उत्कृष्ट योगदान के लिए 2021 में 'आर्यभट्ट पुरस्कार' प्रदान किया गया। देश के कई प्रमुख विश्वविद्यालयों द्वारा डॉ.. रेड्डी को डॉ.क्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधियों प्रदान की गई। उनकी नियुक्ति डीआरडीओ के अध्यक्ष पद पर दो साल के लिए हुई थी। लेकिन अगस्त 2020 में उनका कार्यकाल दो वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया। वे एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी के महानिदेशक भी हैं, उनका चौथी पीढ़ी के हल्के लडाकू विमान तेजस का विकास में भी योगदान रहा है। जी. सतीश रेड्डी का नौवहन और वैमानिकी प्रौद्योगिकी में भी उल्लेखनीय योगदान के लिए जाना जाता है। अनुसंधान केंद्र के निदेशक के रूप में उन्होंने रक्षा क्षेत्र से जुड़े कई अहम रक्षा परियोजनाओं पर काम किया।[1]
जन्म
वैज्ञानिक जी. सतीश रेड्डी का जन्म 1 जुलाई, 1963 में आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिला अंतर्गत महिमालुरू नामक गाँव में हुआ था। गाँव के एक किसान परिवार में पैदा हुए जी. सतीश रेड्डी ने अपने सतत मेहनत और लगन के बल पर सफलता की ऊंचाई को छुआ। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, अनन्तपुर से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बी.टेक की डिग्री प्राप्त की। उसके बाद उन्होंने जवाहरलाल नेहरू प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हैदराबाद से एम.एस. और पीएच.डी की डिग्री हासिल की।
कॅरियर
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वे सन 1986 में रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला, हैदराबाद से जुड़ गए। एक युवा नेविगेशन वैज्ञानिक के रूप में सतत कार्य करते हुए आगे बढ़ते रहे। इस दौरान उन्होंने संस्थान की कई महत्वपूर्ण नियुक्तियों की जिम्मेदारी को बखूबी संभाला। उनके कार्यों को देखते हुए 2014 में उनकी पदोन्नती विशिष्ट वैज्ञानिक के रूप में हुई। सन 2015 में भारत सरकार ने उन्हें रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार और डीडीआर एंड डी का सचिव बनाया।
उपलब्धियां
- सन 2018 में जी. सतीश रेड्डी के जीवन में एक नया मोड़ आया। भारत सरकार ने उन्हें रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन का अध्यक्ष बनाया।
- अगस्त 2018 में इनकी नियुक्त रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के अध्यक्ष के रूप में दो साल के लिए किया गया था।
- अगस्त 2020 में भारत सरकार ने इनके योगदान को देखते हुए अगस्त 2022 तक के लिए इनके कार्यकाल को बढ़ा दिया। इस दौरान वे डीओडीआरडी के सचिव भी बने रहेंगे।[1]
योगदान
डॉ. जी. सतीश रेड्डी को मिसाइल सिस्टम पर अनुसंधान और उन्हें विकसित करने के लिए भी जाना जाता है। उनका एयरोस्पेस प्रौद्योगिकियों और उद्योगों के विकास में सतत योगदान रहा है। भारत में एवियनिक्स सिस्टम डॉ. जी सतीश रेड्डी की मार्गदर्शन में ही तैयार किया गया था। डॉ. रेड्डी के निर्देशन में भारत में पहला एंटी-सैटेलाइट मिसाइल मिशन शक्ति का परीक्षण सफल रहा। इसके अलावा वे एयर डिफेन्स सिस्टम बीवीआरएएम अस्त्र, आकाश, दुनिया की सबसे लंबी दूरी की गन एटीएजीएस, एंटी-रेडिएशन मिसाइल, स्मार्ट एयर फील्ड हथियार और स्मार्ट बम के विकास में शामिल रहे। इसके अलावा हाइपरसोनिक और क्वांटम तकनीकों के विकास में भी इनका योगदान रहा।
आरसीआई के डायरेक्टर के पद पर रहते हुए उन्होंने कई तकनीकी प्रणालियों के विकास में योगदान दिया। उन्होंने मिसाइलों और सामरिक प्रणालियों के महानिदेशक के पद को भी सुशोभित किया। इस पद पर रहते हुए इन्होंने बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस, एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल, जमीन से हवा, हवा से जमीन पर मार करने वाले, हवा से हवा में मार करने वाले और लम्बी दूरी की गाइडेड बम के लिए विभिन्न प्रकार की मिसाइलों के विकास में योगदान दिया।
अग्नि वी का विकास
डॉ. जी सतीश रेड्डी का भारत प्रथम इंटरकॉनिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल मिशन अग्नि-वी के विकास में अहम योगदान दिया। वे ‘मिसाइल हब ऑफ इंडिया‘ के नाम से प्रसिद्ध एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स को भी लीड कर रहें हैं। उनके नेतृत्व में हवा में तैर रहे नए खतरे ड्रोन से निपटने के तकनीक पर काम चल रहा है। डीआरडीओ एंटी ड्रोन टेक्नोलॉजी जल्द ही सशस्त्र बलों को सौंपेंगी।
कोविड महामारी में योगदान
वैज्ञानिक जी सतीश रेड्डी के मार्गदर्शन में डीआरडीओ की टीम ने कोरोना महामारी से लड़ाई में अहम भूमिका निभाई। इस कोरोना काल में उनकी टीम ने रात दिन मेहनत की है। उनके निर्देशन में कोविड से लड़ने हेतु करीव 50 प्रौद्योगिकियों का विकास और करीव 75 उत्पादों को 100 उद्योगों में स्थानांतरित किया गया है।[1]
पुरस्कार व सम्मान
जी. सतीश रेड्डी पिछले 100 वर्षों के दौरान पहले भारत वैज्ञानिक हैं जिन्हें रॉयल एरोनॉटिकल सोसायटी, लंदन द्वारा मानद फैलोशिप और सिल्वर मेडल प्रदान किया गया। साथ ही रॉयल एयरोनॉटिकल सोसाइटी ने रक्षा क्षेत्र में उनके योगदान को स्वीकृति प्रादन की। उन्हें अमेरिका के प्रतिष्ठित संस्थान अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ एरोनॉटिक्स एंड एस्ट्रोनॉटिक्स द्वारा मिसाइल प्रणाली पुरस्कार प्रदान किया गया। इसके अलावा इन्हें निम्नलिखित प्रमुख पुरस्कार प्रदान कीये गए।[1]
- 2013 - होमी जे. भाभा स्मृति स्वर्ण पदक भारतीय विज्ञान कांग्रेस एसोसिएसन द्वारा
- 2013 - मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया पुरस्कार
- 2015 - नेशनल सिस्टम्स गोल्ड मेडल
- 2015 - रॉयल एरोनॉटिकल सोसायटी द्वारा रजत पदक
- 2016 - नेशनल डिज़ाइन अवार्ड
- 2016 - नेशनल एरोनॉटिकल प्राइज़
- 2019 - एआईएए मिसाइल सिस्टम अवार्ड
- 2021 - आर्यभट्ट पुरस्कार
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 1.3 वैज्ञानिक जी. सतीश रेड्डी की जीवनी (हिंदी) nikhilbharat.com। अभिगमन तिथि: 11 जनवरी, 2022।