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'''देबदीप मुखोपाध्याय''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Debdeep Mukhopadhyay'', जन्म- [[31 अक्टूबर]], [[1977]]) [[भारत]] के एक प्रसिद्ध कंप्युटर विज्ञानी हैं जो क्रिप्टोग्राफर के रूप में अपनी विशेष पहचान रखते हैं। उन्हें हार्डवेयर सुरक्षा, क्रिप्टोग्राफिक इंजीनियरिंग, क्रिप्टोसिस्टम का डिज़ाइन ऑटोमेशन, क्रिप्टोसिस्टम का वीएलएसआई और क्रिप्टोग्राफी में विशेषज्ञता हासिल है। विज्ञान में उनके योगदान के लिए [[2021 में डॉ. देबदीप मुखोपाध्याय को इंजीनियरिंग विज्ञान में 'शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार' प्रदान किया गया था। वह देबदीप मुखोपाध्याय भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। | {{सूचना बक्सा वैज्ञानिक | ||
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}}'''देबदीप मुखोपाध्याय''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Debdeep Mukhopadhyay'', जन्म- [[31 अक्टूबर]], [[1977]]) [[भारत]] के एक प्रसिद्ध कंप्युटर विज्ञानी हैं जो क्रिप्टोग्राफर के रूप में अपनी विशेष पहचान रखते हैं। उन्हें हार्डवेयर सुरक्षा, क्रिप्टोग्राफिक इंजीनियरिंग, क्रिप्टोसिस्टम का डिज़ाइन ऑटोमेशन, क्रिप्टोसिस्टम का वीएलएसआई और क्रिप्टोग्राफी में विशेषज्ञता हासिल है। विज्ञान में उनके योगदान के लिए [[2021]] में डॉ. देबदीप मुखोपाध्याय को इंजीनियरिंग विज्ञान में 'शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार' प्रदान किया गया था। वह देबदीप मुखोपाध्याय भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। | |||
==परिचय== | ==परिचय== | ||
भारतीय क्रिप्टोग्राफर डॉ. देबदीप मुखोपाध्याय का जन्म 31 अक्टूबर, 1977 को हुआ था। इन्होंने सन [[2001]] में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक की डिग्री प्राप्त की। उसके बाद उन्होंने [[2004]] में इसी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर से मास्टर डिग्री प्राप्त की। आगे चलकर सन [[2007]] में डॉ देबदीप मुखोपाध्याय ने पीएच.डी. की उपाधि भी इसी संस्थान की की। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग में शोध करते हुए पीएचडी हासिल किया। सन [[2008]] में उनकी पीएचडी थीसिस को इंडियन सेमीकंडक्टर्स एसोसिएशन ने टेक्नो-इन्वेंटर अवार्ड से सम्मानित किया। | भारतीय क्रिप्टोग्राफर डॉ. देबदीप मुखोपाध्याय का जन्म 31 अक्टूबर, 1977 को हुआ था। इन्होंने सन [[2001]] में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक की डिग्री प्राप्त की। उसके बाद उन्होंने [[2004]] में इसी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर से मास्टर डिग्री प्राप्त की। आगे चलकर सन [[2007]] में डॉ देबदीप मुखोपाध्याय ने पीएच.डी. की उपाधि भी इसी संस्थान की की। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग में शोध करते हुए पीएचडी हासिल किया। सन [[2008]] में उनकी पीएचडी थीसिस को इंडियन सेमीकंडक्टर्स एसोसिएशन ने टेक्नो-इन्वेंटर अवार्ड से सम्मानित किया।<ref name="pp">{{cite web |url=https://nikhilbharat.com/biography-of-debdeep-mukhopadhyay-in-hindi/ |title=देबदीप मुखोपाध्याय की जीवनी|accessmonthday=11 जनवरी|accessyear=2022 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=nikhilbharat.com |language=हिंदी}}</ref> | ||
==कार्य व योगदान== | ==कार्य व योगदान== | ||
देबदीप मुखोपाध्याय क्रिप्टोग्राफिक इंजीनियरिंग, क्रिप्टोसिस्टम के डिजाइन ऑटोमेशन, क्रिप्टोग्राफी और हार्डवेयर सुरक्षा में अपने उत्कृष्ट कार्यों के लिए विश्वव्यापी पहचान रखते हैं। उन्होंने विश्व स्तरीय सुविधाओं से लेस हार्डवेयर सुरक्षा पर एक अत्याधुनिक प्रयोगशाला विकसित की है। इसके अलावा उन्होंने कम्पुटर विज्ञान से संबंधित अनेकों पाठ्यपुस्तकों की रचना की। जिनमें उनके द्वारा हार्डवेयर सुरक्षा के ऊपर लिखी गई फर्स्ट टेक्ट्सबुक भी शामिल है। उनके अनुसंधान को क्रिप्टो-इंजीनियरिंग के कई मानक पाठ्यपुस्तकों में जगह मिली। अब तक देशी और विदेशी कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में करीब 250 से अधिक उनके शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं। इसके साथ ही वे कई पीएच.डी. छात्रों का भी मार्गदर्शन कर रहे हैं। | देबदीप मुखोपाध्याय क्रिप्टोग्राफिक इंजीनियरिंग, क्रिप्टोसिस्टम के डिजाइन ऑटोमेशन, क्रिप्टोग्राफी और हार्डवेयर सुरक्षा में अपने उत्कृष्ट कार्यों के लिए विश्वव्यापी पहचान रखते हैं। उन्होंने विश्व स्तरीय सुविधाओं से लेस हार्डवेयर सुरक्षा पर एक अत्याधुनिक प्रयोगशाला विकसित की है। इसके अलावा उन्होंने कम्पुटर विज्ञान से संबंधित अनेकों पाठ्यपुस्तकों की रचना की। जिनमें उनके द्वारा हार्डवेयर सुरक्षा के ऊपर लिखी गई फर्स्ट टेक्ट्सबुक भी शामिल है। उनके अनुसंधान को क्रिप्टो-इंजीनियरिंग के कई मानक पाठ्यपुस्तकों में जगह मिली। अब तक देशी और विदेशी कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में करीब 250 से अधिक उनके शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं। इसके साथ ही वे कई पीएच.डी. छात्रों का भी मार्गदर्शन कर रहे हैं। | ||
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देबदीप मुखोपाध्याय वर्तमान में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर, [[भारत]] में कार्यरत हैं। इसके अलावा वे आईइइइ और एसीएम दोनों के वरिष्ठ सदस्य भी हैं। उन्होंने अपनी कैरियर की शुरुआत [[2007]] में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, [[मद्रास]] से की। इस संस्थान में वे [[2007]]-[[2008]] तक कंप्यूटर विज्ञान तथा इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर रहे। उसके बाद वे [[2008]] में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर से जुड़ गए। इसके अलावा वे कंप्यूटर विज्ञान विभाग, एनवाईयू-शंघाई, [[चीन]] में और ब्रुकलिन पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट यूएसए में विजिटिंग प्रोफेसर भी रहे। | देबदीप मुखोपाध्याय वर्तमान में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर, [[भारत]] में कार्यरत हैं। इसके अलावा वे आईइइइ और एसीएम दोनों के वरिष्ठ सदस्य भी हैं। उन्होंने अपनी कैरियर की शुरुआत [[2007]] में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, [[मद्रास]] से की। इस संस्थान में वे [[2007]]-[[2008]] तक कंप्यूटर विज्ञान तथा इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर रहे। उसके बाद वे [[2008]] में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर से जुड़ गए। इसके अलावा वे कंप्यूटर विज्ञान विभाग, एनवाईयू-शंघाई, [[चीन]] में और ब्रुकलिन पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट यूएसए में विजिटिंग प्रोफेसर भी रहे। | ||
==पुरस्कार व सम्मान== | ==पुरस्कार व सम्मान== | ||
डॉ. देबदीप मुखोपाध्याय को कम्प्यूटर विज्ञान में योगदान के लिए भारत का सबसे बड़ा विज्ञान पुरस्कार 'शांतिस्वरूप भटनागर' से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें माइक्रो आर्कीटेक्चरल सिक्यूरिटी और क्रिप्टो इंजीनियरिंग उनके में मौलिक योगदान के लिए प्रदान किया गया। इसके अलावा भी उन्हें अनेकों सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए जो इस प्रकार हैं- | डॉ. देबदीप मुखोपाध्याय को कम्प्यूटर विज्ञान में योगदान के लिए भारत का सबसे बड़ा विज्ञान पुरस्कार 'शांतिस्वरूप भटनागर' से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें माइक्रो आर्कीटेक्चरल सिक्यूरिटी और क्रिप्टो इंजीनियरिंग उनके में मौलिक योगदान के लिए प्रदान किया गया। इसके अलावा भी उन्हें अनेकों सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए जो इस प्रकार हैं<ref name="pp"/>- | ||
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#[[2010]] - इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियर्स (INAE) द्वारा यंग इंजीनियर अवार्ड | #[[2010]] - इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियर्स (INAE) द्वारा यंग इंजीनियर अवार्ड |
06:53, 3 नवम्बर 2022 के समय का अवतरण
देबदीप मुखोपाध्याय
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पूरा नाम | देबदीप मुखोपाध्याय |
जन्म | 31 अक्टूबर, 1977 |
जन्म भूमि | कोलकाता, पश्चिम बंगाल |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | कम्प्यूटर विज्ञान |
शिक्षा | पीएच.डी., मास्टर डिग्री, बी.टेक (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर) |
पुरस्कार-उपाधि | 2010 - यंग इंजीनियर अवार्ड 2010 - युवा वैज्ञानिक पुरस्कार |
प्रसिद्धि | कंप्युटर विज्ञानी |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | देबदीप मुखोपाध्याय क्रिप्टोग्राफिक इंजीनियरिंग, क्रिप्टोसिस्टम के डिजाइन ऑटोमेशन, क्रिप्टोग्राफी और हार्डवेयर सुरक्षा में अपने उत्कृष्ट कार्यों के लिए विश्वव्यापी पहचान रखते हैं।
13:45, 11 जनवरी 2022 (IST)
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देबदीप मुखोपाध्याय (अंग्रेज़ी: Debdeep Mukhopadhyay, जन्म- 31 अक्टूबर, 1977) भारत के एक प्रसिद्ध कंप्युटर विज्ञानी हैं जो क्रिप्टोग्राफर के रूप में अपनी विशेष पहचान रखते हैं। उन्हें हार्डवेयर सुरक्षा, क्रिप्टोग्राफिक इंजीनियरिंग, क्रिप्टोसिस्टम का डिज़ाइन ऑटोमेशन, क्रिप्टोसिस्टम का वीएलएसआई और क्रिप्टोग्राफी में विशेषज्ञता हासिल है। विज्ञान में उनके योगदान के लिए 2021 में डॉ. देबदीप मुखोपाध्याय को इंजीनियरिंग विज्ञान में 'शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार' प्रदान किया गया था। वह देबदीप मुखोपाध्याय भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं।
परिचय
भारतीय क्रिप्टोग्राफर डॉ. देबदीप मुखोपाध्याय का जन्म 31 अक्टूबर, 1977 को हुआ था। इन्होंने सन 2001 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक की डिग्री प्राप्त की। उसके बाद उन्होंने 2004 में इसी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर से मास्टर डिग्री प्राप्त की। आगे चलकर सन 2007 में डॉ देबदीप मुखोपाध्याय ने पीएच.डी. की उपाधि भी इसी संस्थान की की। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग में शोध करते हुए पीएचडी हासिल किया। सन 2008 में उनकी पीएचडी थीसिस को इंडियन सेमीकंडक्टर्स एसोसिएशन ने टेक्नो-इन्वेंटर अवार्ड से सम्मानित किया।[1]
कार्य व योगदान
देबदीप मुखोपाध्याय क्रिप्टोग्राफिक इंजीनियरिंग, क्रिप्टोसिस्टम के डिजाइन ऑटोमेशन, क्रिप्टोग्राफी और हार्डवेयर सुरक्षा में अपने उत्कृष्ट कार्यों के लिए विश्वव्यापी पहचान रखते हैं। उन्होंने विश्व स्तरीय सुविधाओं से लेस हार्डवेयर सुरक्षा पर एक अत्याधुनिक प्रयोगशाला विकसित की है। इसके अलावा उन्होंने कम्पुटर विज्ञान से संबंधित अनेकों पाठ्यपुस्तकों की रचना की। जिनमें उनके द्वारा हार्डवेयर सुरक्षा के ऊपर लिखी गई फर्स्ट टेक्ट्सबुक भी शामिल है। उनके अनुसंधान को क्रिप्टो-इंजीनियरिंग के कई मानक पाठ्यपुस्तकों में जगह मिली। अब तक देशी और विदेशी कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में करीब 250 से अधिक उनके शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं। इसके साथ ही वे कई पीएच.डी. छात्रों का भी मार्गदर्शन कर रहे हैं।
कॅरियर
देबदीप मुखोपाध्याय वर्तमान में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर, भारत में कार्यरत हैं। इसके अलावा वे आईइइइ और एसीएम दोनों के वरिष्ठ सदस्य भी हैं। उन्होंने अपनी कैरियर की शुरुआत 2007 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास से की। इस संस्थान में वे 2007-2008 तक कंप्यूटर विज्ञान तथा इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर रहे। उसके बाद वे 2008 में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर से जुड़ गए। इसके अलावा वे कंप्यूटर विज्ञान विभाग, एनवाईयू-शंघाई, चीन में और ब्रुकलिन पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट यूएसए में विजिटिंग प्रोफेसर भी रहे।
पुरस्कार व सम्मान
डॉ. देबदीप मुखोपाध्याय को कम्प्यूटर विज्ञान में योगदान के लिए भारत का सबसे बड़ा विज्ञान पुरस्कार 'शांतिस्वरूप भटनागर' से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें माइक्रो आर्कीटेक्चरल सिक्यूरिटी और क्रिप्टो इंजीनियरिंग उनके में मौलिक योगदान के लिए प्रदान किया गया। इसके अलावा भी उन्हें अनेकों सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए जो इस प्रकार हैं[1]-
- 2008 - पीएचडी थीसिस के लिए इंडियन सेमीकंडक्टर्स एसोसिएशन द्वारा टेक्नो-इन्वेंटर अवार्ड।
- 2010 - इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियर्स (INAE) द्वारा यंग इंजीनियर अवार्ड
- 2010 - भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (INSA) द्वारा युवा वैज्ञानिक पुरस्कार
- 2011 - आईआईटी खड़गपुर द्वरा उत्कृष्ट युवा संकाय फैलोशिप से सम्मानित
- 2012 - इंडो-यूएसएसटीएफ फैलोशिप के लिए चुने गए
- 2015-16 के दौरान स्वर्णजयंती फैलोशिप के लिए चयनित
- 2016 - IEEE का सेनीयर मेम्बर शिप
- 2018 - साइबर सुरक्षा पर जानकारी के लिए DSCI का उत्कृष्टता पुरस्कार
- 2020 - ACM सेनीयर मेम्बरशिप
- 2021 - विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रतिष्ठित शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार
- 2021 - इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियर्स के फेलो
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 देबदीप मुखोपाध्याय की जीवनी (हिंदी) nikhilbharat.com। अभिगमन तिथि: 11 जनवरी, 2022।