"मुइज़ुद्दीन बहरामशाह": अवतरणों में अंतर

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*अमीरों ने [[इल्तुतमिश]] के छोटे पुत्र मुइज़ुद्दीन बहरामशाह को गद्दी पर बैठाया।  
*[[रज़िया सुल्तान]] को अपदस्थ करके तुर्की सरदारों ने '''मुइज़ुद्दीन बहरामशाह''' (1240-1242 ई.) को [[दिल्ली]] के तख्त पर बैठाया।
*अप्रॅल 1240 में बहराम सुल्तान हो गया।
*सुल्तान के अधिकार को कम करने के लिए तुर्क सरदारों ने एक नये पद ‘नाइब’ अर्थात 'नाइब-ए-मुमलिकात' का सृजन किया।
*बहराम ने ऐतिगीन का वध करा दिया।
*इस पद पर नियुक्त व्यक्ति संपूर्ण अधिकारों का स्वामी होता था।
*उधर रज़िया ने अल्तूनिया से विवाह कर लिया।  
*मुइज़ुद्दीन बहरामशाह के समय में इस पद पर सर्वप्रथम मलिक इख्तियारुद्दीन एतगीन को नियुक्त किया गया।
*अल्तूनिया सेना एकत्र कर [[रज़िया सुल्तान|रज़िया]] को सिंहासन पर बैठाने के लिए [[दिल्ली]] की ओर चला।
*अपनी स्थिति सुदृढ़ करने के लिए एतगीन ने बहरामशाह की तलाक़शुदा बहन से विवाह कर लिया।
*परन्तु बहराम की सेना ने अक्टूबर 1240 में उसे हरा दिया और कुछ हिंदू डाकुओं ने अल्तूनिया और रज़िया का वध कर दिया।
*[[कालान्तर]] में इख्तियारुद्दीन एतगीन की शक्ति इतनी बढ़ गई कि, उसने अपने महल के सामने सुल्तान की तरह नौबत एवं [[हाथी]] रखना आरम्भ कर दिया था।
 
*सुल्तान ने इसे अपने अधिकारों में हस्तक्षेप समझ कर उसकी हत्या करवा दी।
*एतगीन की मृत्यु के बाद नाइब के सारे अधिकार ‘अमीर-ए-हाजिब’ बदरुद्दीन संकर रूमी ख़ाँ के हाथों में आ गए।
*रूमी ख़ाँ द्वारा सुल्तान की हत्या हेतु षडयंत्र रचने के कारण उसकी एवं सरदार सैयद ताजुद्दीन की हत्या कर दी गई।
*इन हत्याओं के कारण सुल्तान के विरुद्ध अमीरों और तुर्की सरदारों में भयानक असन्तोष व्याप्त हो गया।
*1241 ई. में [[मंगोल]] आक्रमणकारियों द्वारा [[पंजाब]] पर आक्रमण के समय रक्षा के लिए भेजी गयी सेना को बहरामशाह के विरुद्ध भड़का दिया गया।
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09:33, 3 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण

  • रज़िया सुल्तान को अपदस्थ करके तुर्की सरदारों ने मुइज़ुद्दीन बहरामशाह (1240-1242 ई.) को दिल्ली के तख्त पर बैठाया।
  • सुल्तान के अधिकार को कम करने के लिए तुर्क सरदारों ने एक नये पद ‘नाइब’ अर्थात 'नाइब-ए-मुमलिकात' का सृजन किया।
  • इस पद पर नियुक्त व्यक्ति संपूर्ण अधिकारों का स्वामी होता था।
  • मुइज़ुद्दीन बहरामशाह के समय में इस पद पर सर्वप्रथम मलिक इख्तियारुद्दीन एतगीन को नियुक्त किया गया।
  • अपनी स्थिति सुदृढ़ करने के लिए एतगीन ने बहरामशाह की तलाक़शुदा बहन से विवाह कर लिया।
  • कालान्तर में इख्तियारुद्दीन एतगीन की शक्ति इतनी बढ़ गई कि, उसने अपने महल के सामने सुल्तान की तरह नौबत एवं हाथी रखना आरम्भ कर दिया था।
  • सुल्तान ने इसे अपने अधिकारों में हस्तक्षेप समझ कर उसकी हत्या करवा दी।
  • एतगीन की मृत्यु के बाद नाइब के सारे अधिकार ‘अमीर-ए-हाजिब’ बदरुद्दीन संकर रूमी ख़ाँ के हाथों में आ गए।
  • रूमी ख़ाँ द्वारा सुल्तान की हत्या हेतु षडयंत्र रचने के कारण उसकी एवं सरदार सैयद ताजुद्दीन की हत्या कर दी गई।
  • इन हत्याओं के कारण सुल्तान के विरुद्ध अमीरों और तुर्की सरदारों में भयानक असन्तोष व्याप्त हो गया।
  • 1241 ई. में मंगोल आक्रमणकारियों द्वारा पंजाब पर आक्रमण के समय रक्षा के लिए भेजी गयी सेना को बहरामशाह के विरुद्ध भड़का दिया गया।
  • सेना वापस दिल्ली की ओर मुड़ गई और मई, 1241 ई. में तुर्क सरदारों ने दिल्ली पर क़ब्ज़ा कर बहरामशाह का वध कर दिया।
  • तुर्क सरदारों ने बहरामशाह के पौत्र अलाउद्दीन मसूद को अगला सुल्तान बनाया।


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