"अजमेर पर्यटन": अवतरणों में अंतर
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[[अजमेर]] में कई पर्यटन स्थल है। अजमेर के क़रीब दरगाह शरीफ है। कहा जाता है कि यह वही स्थान है जहाँ सुफी संत हजरत ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ने आख़िरी बार विश्राम किया था। उनके अनुयायी में [[मुग़ल]] शासक भी थे। उनके अनुयायी का कहना है कि वह सभी धर्मो को मानते हैं। अजमेर में 13वीं शताब्दी से ही उर्स मनाया जाता है। उर्स के समय दरगाह शरीफ को सोने-चांदी के आभूषणों से सजाया जाता है। उर्स को ख़्वाजा मोईनउद्दीन चिश्ती की पुण्य तिथि के रूप में मनाया जाता है। उर्स सितंबर-अक्टूबर के महीने में मनाया जाता है। उस समय भी अजमेर में थोडी गर्मी होती है। जहाँ लोग दूर-दूर से दर्शन के लिए आते है। यहाँ पर कई पर्यटन स्थल है जो इस प्रकार है:- | [[अजमेर]] में कई पर्यटन स्थल है। अजमेर के क़रीब दरगाह शरीफ है। कहा जाता है कि यह वही स्थान है जहाँ सुफी संत हजरत ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ने आख़िरी बार विश्राम किया था। उनके अनुयायी में [[मुग़ल]] शासक भी थे। उनके अनुयायी का कहना है कि वह सभी धर्मो को मानते हैं। अजमेर में 13वीं शताब्दी से ही उर्स मनाया जाता है। उर्स के समय दरगाह शरीफ को सोने-[[चांदी]] के आभूषणों से सजाया जाता है। उर्स को ख़्वाजा मोईनउद्दीन चिश्ती की पुण्य तिथि के रूप में मनाया जाता है। उर्स सितंबर-अक्टूबर के महीने में मनाया जाता है। उस समय भी अजमेर में थोडी गर्मी होती है। जहाँ लोग दूर-दूर से दर्शन के लिए आते है। यहाँ पर कई पर्यटन स्थल है जो इस प्रकार है:- | ||
==पर्यटन स्थल== | ==पर्यटन स्थल== | ||
====आनासागर झील==== | ====आनासागर झील==== |
04:32, 18 फ़रवरी 2011 का अवतरण
अजमेर | अजमेर पर्यटन | अजमेर ज़िला |
अजमेर में कई पर्यटन स्थल है। अजमेर के क़रीब दरगाह शरीफ है। कहा जाता है कि यह वही स्थान है जहाँ सुफी संत हजरत ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ने आख़िरी बार विश्राम किया था। उनके अनुयायी में मुग़ल शासक भी थे। उनके अनुयायी का कहना है कि वह सभी धर्मो को मानते हैं। अजमेर में 13वीं शताब्दी से ही उर्स मनाया जाता है। उर्स के समय दरगाह शरीफ को सोने-चांदी के आभूषणों से सजाया जाता है। उर्स को ख़्वाजा मोईनउद्दीन चिश्ती की पुण्य तिथि के रूप में मनाया जाता है। उर्स सितंबर-अक्टूबर के महीने में मनाया जाता है। उस समय भी अजमेर में थोडी गर्मी होती है। जहाँ लोग दूर-दूर से दर्शन के लिए आते है। यहाँ पर कई पर्यटन स्थल है जो इस प्रकार है:-
पर्यटन स्थल
आनासागर झील
मुख्य लेख : आनासागर झील अजमेर
- अजमेर शहर के बीच बनी यह सुंदर कृतिम झील यहाँ का सबसे रमणीक स्थल है।
- अजमेर के दक्षिण में सुंदर पहाडिय़ों के बीच 13 किलोमीटर की परिधि में स्थित है।
- इसके जल में संध्या के समय किनारे पर खड़े विशाल नाग पहाड़ का प्रतिबिम्ब झलकता है।
ख्वाज़ा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह
मुख्य लेख : ख्वाज़ा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह अजमेर
- दरगाह अजमेर शरीफ का भारत में बड़ा महत्व है।
- ख्वाज़ा मोइनुद्धीन चिश्ती की दरगाह-ख्वाजा साहब या ख्वाजा शरीफ अजमेर आने वाले सभी धर्मावलम्बियों के लिये एक पवित्र स्थान है।
- मक्का के बाद सभी मुस्लिम तीर्थ स्थलों में इसका दूसरा स्थान हैं। इसलिये इसे भारत का मक्का भी कहा जाता हैं।
पुष्कर
मुख्य लेख : पुष्कर अजमेर
- पुष्कर राजस्थान में विख्यात तीर्थस्थान है।
- पुष्कर राजस्थान के अजमेर ज़िले में एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थान है।
- पर्यटकों का स्वर्ग तीर्थराज पुष्कर पद्म पुराण के अनुसार पर्वतों में भेरू पर्वत, पक्षियों में गरुड़ पक्षी और समस्त तीर्थों में पुष्कर तीर्थ श्रेष्ठ माना गया हैं।
तारागड़ का क़िला
मुख्य लेख : तारागड़ का क़िला अजमेर
- राजस्थान के गिरी दुर्गों में अजमेर के तारागढ का महत्त्वपूर्ण स्थान हैं।
- अजमेर शहर के दक्षिण-पश्चिम में ढाई दिन के झौंपडे के पीछे स्थित यह दुर्ग तारागढ की पहाडी पर 700 फीट की ऊँचाई पर स्थित हैं।
- इस क़िले का निर्माण 11वीं सदी में सम्राट अजय पाल चौहान ने मुग़लों के आक्रमणों से रक्षा हेतु करवाया था।
- यह क़िला दरगाह के पीछे की पहाड़ी पर स्थित है।
अढाई दिन का झोपडा
मुख्य लेख : अढाई दिन का झोपडा अजमेर
- यह ख्वाज़ा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह से आगे कुछ ही दूरी पर स्थित है।
- इस खंडहरनुमा इमारत में 7 मेहराब एंव हिन्दू-मुस्लिम कारीगिरी के 70 खंबे बने हैं तथा छत पर भी शानदार कारीगिरी की गई है।
सोनी जी की नसियाँ
मुख्य लेख : सोनी जी की नसियाँ अजमेर
- करोली के लाल पत्थरों से बना यह ख़ूबसूरत दिगंबर मंदिर जैन तीर्थंकर आदिनाथ का मंदिर है।
- यह 1864-1865 ईस्वी का बना हुआ हैं।
अकबर का क़िला
मुख्य लेख : अकबर का क़िला अजमेर
- अकबर का क़िला एक राजकीय संग्रहालय भी है।
- अकबर का क़िला नया बाज़ार में स्थित है।
- यहाँ प्राचीन मूर्तीयाँ, सिक्के, पेंटिंग्स, कवच आदि रखे हुए हैं।
- अंग्रेज़ों ने यहीं से जनवरी 1616 में मुग़ल बादशाह जहाँगीर से भारत में व्यापार करने की इजाजत माँगी थी।
- अकबर प्रति वर्ष ख्वाजा साहब के दर्शन करने तथा राजपुताना के युद्धों में भाग लेने के लिये यहाँ आया करता था।
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