"सायण": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
आदित्य चौधरी (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
*वे महान राजनीतिज्ञ भी थे। | *वे महान राजनीतिज्ञ भी थे। | ||
*इनका समय चौदहवीं शताब्दी माना जाता है। | *इनका समय चौदहवीं शताब्दी माना जाता है। | ||
*पहले ये विजयनगर राज्य के मंत्री थे। | *पहले ये [[विजयनगर साम्राज्य|विजयनगर]] राज्य के मंत्री थे। | ||
*बाद में सन्यास ले लिया और श्रृंगेरी मठ के अधिष्ठाता बन गए। | *बाद में सन्यास ले लिया और [[श्रृंगेरी]] मठ के अधिष्ठाता बन गए। | ||
*अपने जीवन के पच्चीस वर्षों में ये वेदों के भाष्य करते रहे। | *अपने जीवन के पच्चीस वर्षों में ये वेदों के भाष्य करते रहे। | ||
*सायण से पहले किसी ने भी समस्त वेद ग्रन्थ राशि का इतना सुविचारित भाष्य नहीं किया था। | *सायण से पहले किसी ने भी समस्त वेद ग्रन्थ राशि का इतना सुविचारित भाष्य नहीं किया था। |
13:36, 3 अगस्त 2011 का अवतरण
- वेदों के सर्वमान्य भाष्यकर्ता सायण दक्षिण भारत के निवासी थे।
- वे महान राजनीतिज्ञ भी थे।
- इनका समय चौदहवीं शताब्दी माना जाता है।
- पहले ये विजयनगर राज्य के मंत्री थे।
- बाद में सन्यास ले लिया और श्रृंगेरी मठ के अधिष्ठाता बन गए।
- अपने जीवन के पच्चीस वर्षों में ये वेदों के भाष्य करते रहे।
- सायण से पहले किसी ने भी समस्त वेद ग्रन्थ राशि का इतना सुविचारित भाष्य नहीं किया था।
- इनके भाष्य में वैदिक विधि-विधानों का भी स्पष्टीकरण है और उनके आध्यात्मिक अर्थ का भी।
- लोग यह मानते हैं कि वेदों के विषय दुर्ग के रहस्य को खोलने के लिए सायण-भाष्य सचमुच चाबी का काम करता है।
- सायण की मृत्यु 1387 ई. में हुई।
|
|
|
|
|