"दीप से दीप जले -माखन लाल चतुर्वेदी": अवतरणों में अंतर
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सजा रहे हैं फुलझड़ियों से जादू करके खेल | सजा रहे हैं फुलझड़ियों से जादू करके खेल | ||
आज हुआ श्रम-सीकर के घर हमसे उनसे मेल। | आज हुआ श्रम-सीकर के घर हमसे उनसे मेल। | ||
तू ही | तू ही जगत् की जय है, | ||
तू है बुद्धिमयी वरदात्री | तू है बुद्धिमयी वरदात्री | ||
तू धात्री, तू भू-नव गात्री, सूझ-बूझ निर्मात्री।। | तू धात्री, तू भू-नव गात्री, सूझ-बूझ निर्मात्री।। |
13:57, 30 जून 2017 का अवतरण
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सुलग-सुलग री जोत दीप से दीप मिलें |
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