"ये प्रकाश ने फैलाये हैं -माखन लाल चतुर्वेदी": अवतरणों में अंतर
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पर शाखाओं के आँचल भी भरे-भरे हैं, प्यारे हैं। | पर शाखाओं के आँचल भी भरे-भरे हैं, प्यारे हैं। | ||
तुम कहते हो यह मैंने | तुम कहते हो यह मैंने श्रृंगार किया दीवाली में।। | ||
ये प्रकाश ने फैलाये हैं पैर देख कर ख़ाली में।। | ये प्रकाश ने फैलाये हैं पैर देख कर ख़ाली में।। | ||
08:51, 17 जुलाई 2017 का अवतरण
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ये प्रकाश ने फैलाये हैं पैर, देख कर ख़ाली में |
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