"लता मंगेशकर": अवतरणों में अंतर
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*[[भारत रत्न]] विभूषित '''कुमारी लता दीनानाथ मंगेशकर''' का जन्म [[इंदौर]], [[मध्यप्रदेश]] में [[28 सितम्बर]], [[1929]] को हुआ था। लता मंगेशकर का जन्म [[संगीत]] से जुड़े परिवार में हुआ था। | *[[भारत रत्न]] विभूषित '''कुमारी लता दीनानाथ मंगेशकर''' का जन्म [[इंदौर]], [[मध्यप्रदेश]] में [[28 सितम्बर]], [[1929]] को हुआ था। लता मंगेशकर का जन्म [[संगीत]] से जुड़े परिवार में हुआ था। | ||
*मशहूर गायिका लता मंगेशकर की आवाज़ ने छह दशकों से भी ज़्यादा | *मशहूर गायिका लता मंगेशकर की आवाज़ ने छह दशकों से भी ज़्यादा संगीत की दुनिया को सुरों से नवाज़ा है। लता मंगेशकर जी एक विख्यात पार्श्वगायिका हैं। | ||
*[[भारत]] की 'स्वर कोकिला' लता मंगेशकर ने 20 भाषाओं में 30,000 गाने गाये है। उनकी आवाज़ सुनकर कभी किसी की आँखों में आँसू आए, तो कभी सीमा पर खड़े जवानों को सहारा मिला। | *[[भारत]] की 'स्वर कोकिला' लता मंगेशकर ने 20 [[भाषा|भाषाओं]] में 30,000 गाने गाये है। उनकी आवाज़ सुनकर कभी किसी की आँखों में आँसू आए, तो कभी सीमा पर खड़े जवानों को सहारा मिला। | ||
*लता जी आज भी अकेली हैं, उन्होंने स्वयं को पूर्णत: संगीत को समर्पित कर रखा है। लता मंगेशकर जैसी शख़्सियतें विरले ही जन्म लेती हैं। | *लता जी आज भी अकेली हैं, उन्होंने स्वयं को पूर्णत: [[संगीत]] को समर्पित कर रखा है। लता मंगेशकर जैसी शख़्सियतें विरले ही जन्म लेती हैं। | ||
==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
[[चित्र:Lata-Mangeshkar-2.jpg|thumb|250px|left|लता मंगेशकर<br /> Lata Mangeshkar]] | [[चित्र:Lata-Mangeshkar-2.jpg|thumb|250px|left|लता मंगेशकर<br /> Lata Mangeshkar]] | ||
लता मंगेशकर का नाम विश्व के सबसे जाने माने लोगों में आता है। लता मंगेशकर के पिता [[दीनानाथ मंगेशकर]] एक कुशल रंगमंचीय गायक थे। दीनानाथ जी ने लता को तब से संगीत सिखाना शुरू किया, जब वे पाँच साल की थी। उनके साथ उनकी बहनें [[आशा भोंसले|आशा]], ऊषा और मीना भी सीखा करतीं थीं। लता 'अमान अली ख़ान साहिब' और बाद में 'अमानत ख़ान' के साथ भी पढ़ीं। लता मंगेशकर हमेशा से ही ईश्वर के द्वारा दी गई सुरीली आवाज़, जानदार अभिव्यक्ति व बात को बहुत जल्द समझ लेने वाली अविश्वसनीय क्षमता का उदाहरण रहीं हैं। इन्हीं विशेषताओं के कारण उनकी इस प्रतिभा को बहुत जल्द ही पहचान मिल गई थी।<ref name="हिन्द-युग्म">{{cite web |url=http://podcast.hindyugm.com/2008/09/lata-mangeshkar-deity-of-music.html |title=लता मंगेशकर- संगीत की देवी |accessmonthday=[[21 सितम्बर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=हिन्द-युग्म |language=[[हिन्दी]]}}</ref> लेकिन पाँच वर्ष की छोटी आयु में ही आपको पहली बार एक नाटक में अभिनय करने का अवसर मिला। शुरुआत अवश्य अभिनय से हुई किंतु आपकी दिलचस्पी तो संगीत में ही थी। | लता मंगेशकर का नाम विश्व के सबसे जाने माने लोगों में आता है। लता मंगेशकर के पिता [[दीनानाथ मंगेशकर]] एक कुशल रंगमंचीय गायक थे। दीनानाथ जी ने लता को तब से संगीत सिखाना शुरू किया, जब वे पाँच [[साल]] की थी। उनके साथ उनकी बहनें [[आशा भोंसले|आशा]], ऊषा और मीना भी सीखा करतीं थीं। लता 'अमान अली ख़ान साहिब' और बाद में 'अमानत ख़ान' के साथ भी पढ़ीं। लता मंगेशकर हमेशा से ही ईश्वर के द्वारा दी गई सुरीली आवाज़, जानदार अभिव्यक्ति व बात को बहुत जल्द समझ लेने वाली अविश्वसनीय क्षमता का उदाहरण रहीं हैं। इन्हीं विशेषताओं के कारण उनकी इस प्रतिभा को बहुत जल्द ही पहचान मिल गई थी।<ref name="हिन्द-युग्म">{{cite web |url=http://podcast.hindyugm.com/2008/09/lata-mangeshkar-deity-of-music.html |title=लता मंगेशकर- संगीत की देवी |accessmonthday=[[21 सितम्बर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=हिन्द-युग्म |language=[[हिन्दी]]}}</ref> लेकिन पाँच वर्ष की छोटी आयु में ही आपको पहली बार एक नाटक में अभिनय करने का अवसर मिला। शुरुआत अवश्य अभिनय से हुई किंतु आपकी दिलचस्पी तो संगीत में ही थी। | ||
====ज़िम्मेदारी==== | ====ज़िम्मेदारी==== | ||
[[1942]] ई. में हृदय-गति के रुक जाने से उनके पिता का देहांत हो गया। तेरह वर्ष की अल्पायु में ही लता जी को परिवार की सारी ज़िम्मेदारियाँ अपने नाज़ुक कंधों पर उठानी पडी़। अपने परिवार के भरण पोषण के लिये उन्होंने 1942 से [[1948]] के बीच [[हिन्दी]] व [[मराठी भाषा|मराठी]] में क़रीबन 8 फ़िल्मों में काम किया। इन में से कुछ के नाम हैं: “पहेली मंगलागौर” 1942, “मांझे बाल” [[1944]], “गजाभाऊ” [[1944]], “छिमुकला संसार” [[1943]], “बडी माँ” [[1945]], “जीवन यात्रा” [[1946]], “छत्रपति शिवाजी” [[1954]] इत्यादि।<ref name="हिन्द-युग्म"/> लेकिन आपकी मंज़िल तो संगीत ही थी और उनके पार्श्व गायन की शुरुआत 1942 की मराठी फ़िल्म "कीती हसाल" से हुई।<ref name="नोल">{{cite web |url=http://knol.google.com/k/%E0%A4%B2%E0%A4%A4-%E0%A4%8F%E0%A4%95-%E0%A4%9C-%E0%A4%B5%E0%A4%A8#%3E |title=लता: एक जीवनी |accessmonthday=[[21 सितम्बर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink=नोल |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]]}}</ref> दुर्भाग्यवश यह गीत काट दिया गया और फ़िल्म में शामिल नहीं हुआ। | [[1942]] ई. में हृदय-गति के रुक जाने से उनके पिता का देहांत हो गया। तेरह वर्ष की अल्पायु में ही लता जी को परिवार की सारी ज़िम्मेदारियाँ अपने नाज़ुक कंधों पर उठानी पडी़। अपने परिवार के भरण पोषण के लिये उन्होंने 1942 से [[1948]] के बीच [[हिन्दी]] व [[मराठी भाषा|मराठी]] में क़रीबन 8 फ़िल्मों में काम किया। इन में से कुछ के नाम हैं: “पहेली मंगलागौर” 1942, “मांझे बाल” [[1944]], “गजाभाऊ” [[1944]], “छिमुकला संसार” [[1943]], “बडी माँ” [[1945]], “जीवन यात्रा” [[1946]], “छत्रपति शिवाजी” [[1954]] इत्यादि।<ref name="हिन्द-युग्म"/> लेकिन आपकी मंज़िल तो संगीत ही थी और उनके पार्श्व गायन की शुरुआत 1942 की मराठी फ़िल्म "कीती हसाल" से हुई।<ref name="नोल">{{cite web |url=http://knol.google.com/k/%E0%A4%B2%E0%A4%A4-%E0%A4%8F%E0%A4%95-%E0%A4%9C-%E0%A4%B5%E0%A4%A8#%3E |title=लता: एक जीवनी |accessmonthday=[[21 सितम्बर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink=नोल |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]]}}</ref> दुर्भाग्यवश यह गीत काट दिया गया और फ़िल्म में शामिल नहीं हुआ। | ||
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==संगीत में प्रशंसा== | ==संगीत में प्रशंसा== | ||
[[चित्र:Lata-Mangeshkar.jpg|thumb|लता मंगेशकर<br /> Lata Mangeshkar]] | [[चित्र:Lata-Mangeshkar.jpg|thumb|लता मंगेशकर<br /> Lata Mangeshkar]] | ||
'''नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा। मेरी आवाज़ ही पहचान है, गर याद रहे।''' यह गीत लोग कभी नहीं भूल सकते और लता जी का व्यक्तित्व भी इस गीत से झलकता है कि भले ही नाम गुम जाय या चेहरा बदल जाये पर उनकी आवाज़ कोई नहीं भूल सकता। लता जी की अद्भुत क़ामयाबी ने लता जी को फ़िल्मी जगत की सबसे मज़बूत महिला बना दिया था।<ref name="हिन्द-युग्म"/> लता जी को सर्वाधिक गीत रिकार्ड करने का भी गौरव प्राप्त है। फ़िल्मी गीतों के अतिरिक्त आपने ग़ैरफ़िल्मी गीत भी बहुत खूबी के साथ गाए हैं। लता जी की प्रतिभा को पहचान मिली सन [[1947]] में, जब फ़िल्म “आपकी सेवा में” उन्हें एक गीत गाने का मौक़ा मिला। इस गीत के बाद तो आपको फ़िल्म जगत में एक पहचान मिल गयी और एक के बाद एक कई गीत गाने का मौक़ा मिला। इन में से कुछ प्रसिद्ध गीतों का उल्लेख करना यहाँ अप्रासंगिक न होगा। जिसे आपका पहला शाहकार गीत कहा जाता है वह [[1949]] में गाया गया “'''आएगा आने वाला'''”, जिस के बाद आपके प्रशंसकों की संख्या दिनोदिन बढ़ने लगी। इस बीच आपने उस समय के सभी प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ काम किया। अनिल बिस्वास, सलिल चौधरी, शंकर जयकिशन, एस. डी. बर्मन, [[आर. डी. बर्मन]], [[नौशाद]], [[मदनमोहन]], सी. रामचंद्र इत्यादि सभी संगीतकारों ने आपकी प्रतिभा का लोहा माना। लता जी ने [[दो आँखें बारह हाथ]], [[दो बीघा ज़मीन]], [[मदर इंडिया]], [[मुग़ल ए आज़म]], आदि महान फ़िल्मों में गाने गाये है। आपने “महल”, “बरसात”, “एक थी लड़की”, “बडी़ बहन” आदि फ़िल्मों में अपनी आवाज़ के जादू से इन फ़िल्मों की लोकप्रियता में चार चाँद लगाए। इस दौरान आपके कुछ प्रसिद्ध गीत थे: “'''ओ सजना बरखा बहार आई'''” (परख-[[1960]]), “'''आजा रे परदेसी'''” (मधुमती-[[1958]]), “'''इतना ना मुझसे तू प्यार बढा़'''” (छाया- [[1961]]), “'''अल्ला तेरो नाम'''”, (हम दोनो-[[1961]]), “'''एहसान तेरा होगा मुझ पर'''”, (जंगली-[[1961]]), “'''ये समां'''” (जब जब फूल खिले-[[1965]]) इत्यादि।<ref name="नोल"/> | '''नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा। मेरी आवाज़ ही पहचान है, गर याद रहे।''' यह गीत लोग कभी नहीं भूल सकते और लता जी का व्यक्तित्व भी इस गीत से झलकता है कि भले ही नाम गुम जाय या चेहरा बदल जाये पर उनकी आवाज़ कोई नहीं भूल सकता। लता जी की अद्भुत क़ामयाबी ने लता जी को फ़िल्मी जगत की सबसे मज़बूत महिला बना दिया था।<ref name="हिन्द-युग्म"/> लता जी को सर्वाधिक गीत रिकार्ड करने का भी गौरव प्राप्त है। फ़िल्मी गीतों के अतिरिक्त आपने ग़ैरफ़िल्मी गीत भी बहुत खूबी के साथ गाए हैं। लता जी की प्रतिभा को पहचान मिली सन [[1947]] में, जब फ़िल्म “आपकी सेवा में” उन्हें एक गीत गाने का मौक़ा मिला। इस गीत के बाद तो आपको फ़िल्म जगत में एक पहचान मिल गयी और एक के बाद एक कई गीत गाने का मौक़ा मिला। इन में से कुछ प्रसिद्ध गीतों का उल्लेख करना यहाँ अप्रासंगिक न होगा। जिसे आपका पहला शाहकार गीत कहा जाता है वह [[1949]] में गाया गया “'''आएगा आने वाला'''”, जिस के बाद आपके प्रशंसकों की संख्या दिनोदिन बढ़ने लगी। इस बीच आपने उस समय के सभी प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ काम किया। अनिल बिस्वास, सलिल चौधरी, शंकर जयकिशन, [[एस. डी. बर्मन]], [[आर. डी. बर्मन]], [[नौशाद]], [[मदनमोहन]], सी. रामचंद्र इत्यादि सभी संगीतकारों ने आपकी प्रतिभा का लोहा माना। लता जी ने [[दो आँखें बारह हाथ]], [[दो बीघा ज़मीन]], [[मदर इंडिया]], [[मुग़ल ए आज़म]], आदि महान फ़िल्मों में गाने गाये है। आपने “महल”, “बरसात”, “एक थी लड़की”, “बडी़ बहन” आदि फ़िल्मों में अपनी आवाज़ के जादू से इन फ़िल्मों की लोकप्रियता में चार चाँद लगाए। इस दौरान आपके कुछ प्रसिद्ध गीत थे: “'''ओ सजना बरखा बहार आई'''” (परख-[[1960]]), “'''आजा रे परदेसी'''” (मधुमती-[[1958]]), “'''इतना ना मुझसे तू प्यार बढा़'''” (छाया- [[1961]]), “'''अल्ला तेरो नाम'''”, (हम दोनो-[[1961]]), “'''एहसान तेरा होगा मुझ पर'''”, (जंगली-[[1961]]), “'''ये समां'''” (जब जब फूल खिले-[[1965]]) इत्यादि।<ref name="नोल"/> | ||
==देश-भक्ति गीत== | ==देश-भक्ति गीत== | ||
[[1932]] के भारत-[[चीन]] युद्ध के बाद शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिये एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस में तत्कालीन प्रधानमंत्री [[जवाहरलाल नेहरू|पंडित जवाहरलाल नेहरू ]] भी उपस्थित थे। इस समारोह में लता जी के द्वारा गाए गये गीत “'''ऐ मेरे वतन के लोगो'''” को सुन कर सब लोग भाव-विभोर हो गये थे। पं नेहरू की आँखें भी भर आईं थीं। ऐसा था आपका भावपूर्ण एवं मर्मस्पर्शी स्वर। आज भी जब देश-भक्ति के गीतों की बात चलती है तो सब से पहले इसी गीत का उदाहरण दिया जाता है।<ref name="नोल"/> | [[1932]] के [[भारत]]-[[चीन]] युद्ध के बाद शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिये एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस में तत्कालीन प्रधानमंत्री [[जवाहरलाल नेहरू|पंडित जवाहरलाल नेहरू ]] भी उपस्थित थे। इस समारोह में लता जी के द्वारा गाए गये गीत “'''ऐ मेरे वतन के लोगो'''” को सुन कर सब लोग भाव-विभोर हो गये थे। पं नेहरू की आँखें भी भर आईं थीं। ऐसा था आपका भावपूर्ण एवं मर्मस्पर्शी स्वर। आज भी जब देश-भक्ति के गीतों की बात चलती है तो सब से पहले इसी गीत का उदाहरण दिया जाता है।<ref name="नोल"/> | ||
==आवाज़ का जादू== | ==आवाज़ का जादू== | ||
आपने गीत, गज़ल, भजन, [[संगीत]] के हर क्षेत्र में अपनी कला बिखेरी है। गीत चाहे शास्त्रीय संगीत पर आधारित हो, पाश्चात्य धुन पर आधारित हो या फिर लोक धुन की खुशबू में रचा-बसा हो। हर गीत को लता जी अपनी आवाज़ के जादू से एक ऐसे जीवंत रूप में पेश करती हैं कि सुनने वाला मंत्रमुग्ध हो जाता है। लता जी ने युगल गीत भी बहुत खूबी के साथ गाए हैं। [[मन्ना डे]], [[मुहम्मद रफ़ी]], [[किशोर कुमार]], [[महेंद्र कपूर]] आदि के साथ-साथ आपने दिग्गज शास्त्रीय गायकों [[भीमसेन जोशी|पं भीमसेन जोशी]], पं जसराज इत्यादि के साथ भी मनोहारी युगल-गीत गाए हैं। गज़ल के बादशाह [[जगजीत सिंह]] के साथ आपकी एलबम “सजदा” ने लोकप्रियता की बुलंदियों को छुआ।<ref name="नोल"/> | आपने गीत, गज़ल, भजन, [[संगीत]] के हर क्षेत्र में अपनी कला बिखेरी है। गीत चाहे शास्त्रीय संगीत पर आधारित हो, पाश्चात्य धुन पर आधारित हो या फिर लोक धुन की खुशबू में रचा-बसा हो। हर गीत को लता जी अपनी आवाज़ के जादू से एक ऐसे जीवंत रूप में पेश करती हैं कि सुनने वाला मंत्रमुग्ध हो जाता है। लता जी ने युगल गीत भी बहुत खूबी के साथ गाए हैं। [[मन्ना डे]], [[मुहम्मद रफ़ी]], [[किशोर कुमार]], [[महेंद्र कपूर]] आदि के साथ-साथ आपने दिग्गज शास्त्रीय गायकों [[भीमसेन जोशी|पं भीमसेन जोशी]], पं जसराज इत्यादि के साथ भी मनोहारी युगल-गीत गाए हैं। गज़ल के बादशाह [[जगजीत सिंह]] के साथ आपकी एलबम “सजदा” ने लोकप्रियता की बुलंदियों को छुआ।<ref name="नोल"/> | ||
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*[[महाराष्ट्र]] सरकार पुरस्कार ([[1966]] और [[1967]]) | *[[महाराष्ट्र]] सरकार पुरस्कार ([[1966]] और [[1967]]) | ||
*सन [[1969]] में [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया गया। | *सन [[1969]] में [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया गया। | ||
*सन [[1989]] में उन्हें फ़िल्म जगत का सर्वोच्च सम्मान | *सन [[1989]] में उन्हें फ़िल्म जगत का सर्वोच्च सम्मान ‘[[दादा साहब फालके पुरस्कार|दादा साहेब फाल्के पुरस्कार]]’ दिया गया। | ||
*सन [[1993]] में फ़िल्म फेयर का 'लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। | *सन [[1993]] में फ़िल्म फेयर का 'लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। | ||
*सन [[1996]] में स्क्रीन का 'लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। | *सन [[1996]] में स्क्रीन का 'लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। |
06:19, 12 अक्टूबर 2011 का अवतरण
लता मंगेशकर
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पूरा नाम | कुमारी लता दीनानाथ मंगेशकर |
जन्म | 28 सितम्बर, 1929 |
जन्म भूमि | इंदौर, मध्यप्रदेश |
कर्म भूमि | मुम्बई |
कर्म-क्षेत्र | फ़िल्म संगीत (पार्श्वगायिका), भारतीय शास्त्रीय संगीत |
मुख्य फ़िल्में | मदर इंडिया, मुग़ल ए आज़म, आदि |
विषय | भारतीय शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत, भजन, गज़ल |
पुरस्कार-उपाधि | 1969 में पद्म भूषण, 1989 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, 1999 में पद्मविभूषण, 2001 में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार व भारत रत्न |
मुख्य गीत | आएगा आने वाला, ऐ मेरे वतन के लोगो, नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा। |
- भारत रत्न विभूषित कुमारी लता दीनानाथ मंगेशकर का जन्म इंदौर, मध्यप्रदेश में 28 सितम्बर, 1929 को हुआ था। लता मंगेशकर का जन्म संगीत से जुड़े परिवार में हुआ था।
- मशहूर गायिका लता मंगेशकर की आवाज़ ने छह दशकों से भी ज़्यादा संगीत की दुनिया को सुरों से नवाज़ा है। लता मंगेशकर जी एक विख्यात पार्श्वगायिका हैं।
- भारत की 'स्वर कोकिला' लता मंगेशकर ने 20 भाषाओं में 30,000 गाने गाये है। उनकी आवाज़ सुनकर कभी किसी की आँखों में आँसू आए, तो कभी सीमा पर खड़े जवानों को सहारा मिला।
- लता जी आज भी अकेली हैं, उन्होंने स्वयं को पूर्णत: संगीत को समर्पित कर रखा है। लता मंगेशकर जैसी शख़्सियतें विरले ही जन्म लेती हैं।
जीवन परिचय
लता मंगेशकर का नाम विश्व के सबसे जाने माने लोगों में आता है। लता मंगेशकर के पिता दीनानाथ मंगेशकर एक कुशल रंगमंचीय गायक थे। दीनानाथ जी ने लता को तब से संगीत सिखाना शुरू किया, जब वे पाँच साल की थी। उनके साथ उनकी बहनें आशा, ऊषा और मीना भी सीखा करतीं थीं। लता 'अमान अली ख़ान साहिब' और बाद में 'अमानत ख़ान' के साथ भी पढ़ीं। लता मंगेशकर हमेशा से ही ईश्वर के द्वारा दी गई सुरीली आवाज़, जानदार अभिव्यक्ति व बात को बहुत जल्द समझ लेने वाली अविश्वसनीय क्षमता का उदाहरण रहीं हैं। इन्हीं विशेषताओं के कारण उनकी इस प्रतिभा को बहुत जल्द ही पहचान मिल गई थी।[1] लेकिन पाँच वर्ष की छोटी आयु में ही आपको पहली बार एक नाटक में अभिनय करने का अवसर मिला। शुरुआत अवश्य अभिनय से हुई किंतु आपकी दिलचस्पी तो संगीत में ही थी।
ज़िम्मेदारी
1942 ई. में हृदय-गति के रुक जाने से उनके पिता का देहांत हो गया। तेरह वर्ष की अल्पायु में ही लता जी को परिवार की सारी ज़िम्मेदारियाँ अपने नाज़ुक कंधों पर उठानी पडी़। अपने परिवार के भरण पोषण के लिये उन्होंने 1942 से 1948 के बीच हिन्दी व मराठी में क़रीबन 8 फ़िल्मों में काम किया। इन में से कुछ के नाम हैं: “पहेली मंगलागौर” 1942, “मांझे बाल” 1944, “गजाभाऊ” 1944, “छिमुकला संसार” 1943, “बडी माँ” 1945, “जीवन यात्रा” 1946, “छत्रपति शिवाजी” 1954 इत्यादि।[1] लेकिन आपकी मंज़िल तो संगीत ही थी और उनके पार्श्व गायन की शुरुआत 1942 की मराठी फ़िल्म "कीती हसाल" से हुई।[2] दुर्भाग्यवश यह गीत काट दिया गया और फ़िल्म में शामिल नहीं हुआ।
जीवन में संघर्ष
सफलता की राह कभी भी आसान नहीं होती है। लता जी को भी अपना स्थान बनाने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पडा़। कई संगीतकारों ने तो आपको शुरू-शुरू में पतली आवाज़ के कारण काम देने से साफ मना कर दिया था। उस समय की प्रसिद्ध पार्श्व गायिका नूरजहाँ के साथ लता जी की तुलना की जाती थी। लेकिन धीरे-धीरे अपनी लगन और प्रतिभा के बल पर आपको काम मिलने लगा।[2]
संगीत में पहला क़दम
- 1942 में पहली बार गाने का पार्श्व अनुभव
- 1943 में पहला हिन्दी गाना
- 1947 में हिन्दी फ़िल्मों में पार्श्व गायन (आपकी सेवा में) के रूप में पहला गीत
- 1949 में प्रसिद्ध फ़िल्म बरसात, अंदाज, दुलारी और महल
- 1950 में वह फ़िल्मों में सबसे ताकतवर महिला बनीं
संगीत में प्रशंसा
नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा। मेरी आवाज़ ही पहचान है, गर याद रहे। यह गीत लोग कभी नहीं भूल सकते और लता जी का व्यक्तित्व भी इस गीत से झलकता है कि भले ही नाम गुम जाय या चेहरा बदल जाये पर उनकी आवाज़ कोई नहीं भूल सकता। लता जी की अद्भुत क़ामयाबी ने लता जी को फ़िल्मी जगत की सबसे मज़बूत महिला बना दिया था।[1] लता जी को सर्वाधिक गीत रिकार्ड करने का भी गौरव प्राप्त है। फ़िल्मी गीतों के अतिरिक्त आपने ग़ैरफ़िल्मी गीत भी बहुत खूबी के साथ गाए हैं। लता जी की प्रतिभा को पहचान मिली सन 1947 में, जब फ़िल्म “आपकी सेवा में” उन्हें एक गीत गाने का मौक़ा मिला। इस गीत के बाद तो आपको फ़िल्म जगत में एक पहचान मिल गयी और एक के बाद एक कई गीत गाने का मौक़ा मिला। इन में से कुछ प्रसिद्ध गीतों का उल्लेख करना यहाँ अप्रासंगिक न होगा। जिसे आपका पहला शाहकार गीत कहा जाता है वह 1949 में गाया गया “आएगा आने वाला”, जिस के बाद आपके प्रशंसकों की संख्या दिनोदिन बढ़ने लगी। इस बीच आपने उस समय के सभी प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ काम किया। अनिल बिस्वास, सलिल चौधरी, शंकर जयकिशन, एस. डी. बर्मन, आर. डी. बर्मन, नौशाद, मदनमोहन, सी. रामचंद्र इत्यादि सभी संगीतकारों ने आपकी प्रतिभा का लोहा माना। लता जी ने दो आँखें बारह हाथ, दो बीघा ज़मीन, मदर इंडिया, मुग़ल ए आज़म, आदि महान फ़िल्मों में गाने गाये है। आपने “महल”, “बरसात”, “एक थी लड़की”, “बडी़ बहन” आदि फ़िल्मों में अपनी आवाज़ के जादू से इन फ़िल्मों की लोकप्रियता में चार चाँद लगाए। इस दौरान आपके कुछ प्रसिद्ध गीत थे: “ओ सजना बरखा बहार आई” (परख-1960), “आजा रे परदेसी” (मधुमती-1958), “इतना ना मुझसे तू प्यार बढा़” (छाया- 1961), “अल्ला तेरो नाम”, (हम दोनो-1961), “एहसान तेरा होगा मुझ पर”, (जंगली-1961), “ये समां” (जब जब फूल खिले-1965) इत्यादि।[2]
देश-भक्ति गीत
1932 के भारत-चीन युद्ध के बाद शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिये एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भी उपस्थित थे। इस समारोह में लता जी के द्वारा गाए गये गीत “ऐ मेरे वतन के लोगो” को सुन कर सब लोग भाव-विभोर हो गये थे। पं नेहरू की आँखें भी भर आईं थीं। ऐसा था आपका भावपूर्ण एवं मर्मस्पर्शी स्वर। आज भी जब देश-भक्ति के गीतों की बात चलती है तो सब से पहले इसी गीत का उदाहरण दिया जाता है।[2]
आवाज़ का जादू
आपने गीत, गज़ल, भजन, संगीत के हर क्षेत्र में अपनी कला बिखेरी है। गीत चाहे शास्त्रीय संगीत पर आधारित हो, पाश्चात्य धुन पर आधारित हो या फिर लोक धुन की खुशबू में रचा-बसा हो। हर गीत को लता जी अपनी आवाज़ के जादू से एक ऐसे जीवंत रूप में पेश करती हैं कि सुनने वाला मंत्रमुग्ध हो जाता है। लता जी ने युगल गीत भी बहुत खूबी के साथ गाए हैं। मन्ना डे, मुहम्मद रफ़ी, किशोर कुमार, महेंद्र कपूर आदि के साथ-साथ आपने दिग्गज शास्त्रीय गायकों पं भीमसेन जोशी, पं जसराज इत्यादि के साथ भी मनोहारी युगल-गीत गाए हैं। गज़ल के बादशाह जगजीत सिंह के साथ आपकी एलबम “सजदा” ने लोकप्रियता की बुलंदियों को छुआ।[2]
पुरस्कार
सांगीतिक उपलब्धियों के लिए आपको अनेक पुरस्कारों से नवाज़ा गया। संगीत जगत में अविस्मरणीय योगदान के लिए लता जी को
- फ़िल्म फेयर पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 और 1994)
- राष्ट्रीय पुरस्कार (1972, 1975 और 1990)
- महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966 और 1967)
- सन 1969 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
- सन 1989 में उन्हें फ़िल्म जगत का सर्वोच्च सम्मान ‘दादा साहेब फाल्के पुरस्कार’ दिया गया।
- सन 1993 में फ़िल्म फेयर का 'लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
- सन 1996 में स्क्रीन का 'लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
- सन 1997 में 'राजीव गांधी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
- सन 1999 में पद्मविभूषण, एन.टी.आर. और ज़ी सिने का का 'लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
- सन 2000 में आई. आई. ए. एफ.(आइफ़ा) का 'लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
- सन 2001 में स्टारडस्ट का 'लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार', नूरजहाँ पुरस्कार, महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- सन 2001 में भारत सरकार ने आपकी उपलब्धियों को सम्मान देते हुए देश के सर्वोच्च पुरस्कार “भारत रत्न” से आपको विभूषित किया।
मुख्य बिंदु
- लता जी को संगीत के अलावा खाना पकाने और फ़ोटो खींचने का भी शौक़ है।
- सन 1974 में दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड
- लता जी ने अपना पहला गाना मराठी फ़िल्म 'किती हसाल' (1942) में गाया था।
- लता मंगेशकर को पहली बार सबसे बड़ा मौक़ा फ़िल्म महल से मिला, उनका गाया "आयेगा आने वाला" बहुत प्रसिद्ध हुआ था।
- लता मंगेशकर ने 1980 के बाद से फ़िल्मो में गाना कम कर दिया और कहानी, संवाद आदि पर अधिक ध्यान देने लगी।
- लता मंगेशकर जी ही एकमात्र ऐसी जीवित व्यक्ति हैं जिनके नाम से पुरस्कार दिए जाते हैं।
- लता मंगेशकर ने 'आनंद गान बैनर' तले फ़िल्मों का निर्माण भी किया है और संगीत भी दिया है।
- लता मंगेशकर जी अभी भी रिकॉर्डिंग के लिये जाने से पहले कमरे के बाहर अपनी चप्पलें उतारती हैं और वह हमेशा नंगे पाँव गाना गाती हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 लता मंगेशकर- संगीत की देवी (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) हिन्द-युग्म। अभिगमन तिथि: 21 सितम्बर, 2010।
- ↑ 2.0 2.1 2.2 2.3 2.4 लता: एक जीवनी (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 21 सितम्बर, 2010।
बाहरी कड़ियाँ
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