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'''कलिका माता का मन्दिर''' [[राजस्थान]] के [[चित्तौड़गढ़]] में स्थित है। | '''कलिका माता का मन्दिर''' [[राजस्थान]] के [[चित्तौड़गढ़]] में स्थित है। [[रानी पद्मिनी का महल|पद्मिनी]] के महलों के उत्तर में कालिका माता का सुन्दर, ऊँची कुर्सीवाला विशाल महल है। | ||
*इस मंदिर का निर्माण संभवतः 9 वीं शताब्दी में [[मेवाड़]] के गुहिलवंशीय राजाओं ने करवाया था। | *इस मंदिर का निर्माण संभवतः 9 वीं शताब्दी में [[मेवाड़]] के गुहिलवंशीय राजाओं ने करवाया था। | ||
*मूल रुप से यह मंदिर एक सूर्य मंदिर था। | *मूल रुप से यह मंदिर एक सूर्य मंदिर था। | ||
* | *निज मंदिर के द्वार तथा गर्भगृह के बाहरी पार्श्व के ताखों में स्थापित [[सूर्य]] की मूर्तियाँ इसका प्रमाण है। | ||
*बाद इसमें कालिका की मूर्ति स्थापित की गई। | *बाद इसमें कालिका की मूर्ति स्थापित की गई। | ||
*मंदिर के स्तम्भों, छतों तथा अन्तःद्वार पर खुदाई का काम दर्शनीय है। | *मंदिर के स्तम्भों, छतों तथा अन्तःद्वार पर खुदाई का काम दर्शनीय है। |
10:44, 14 नवम्बर 2011 का अवतरण
कलिका माता का मन्दिर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित है। पद्मिनी के महलों के उत्तर में कालिका माता का सुन्दर, ऊँची कुर्सीवाला विशाल महल है।
- इस मंदिर का निर्माण संभवतः 9 वीं शताब्दी में मेवाड़ के गुहिलवंशीय राजाओं ने करवाया था।
- मूल रुप से यह मंदिर एक सूर्य मंदिर था।
- निज मंदिर के द्वार तथा गर्भगृह के बाहरी पार्श्व के ताखों में स्थापित सूर्य की मूर्तियाँ इसका प्रमाण है।
- बाद इसमें कालिका की मूर्ति स्थापित की गई।
- मंदिर के स्तम्भों, छतों तथा अन्तःद्वार पर खुदाई का काम दर्शनीय है।
- महाराणा सज्जनसिंह ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था, क्योंकि इस मंदिर में मूर्ति प्रतिष्ठा वैशाख शुक्ल अष्टमी को हुई थी, अतः प्रति वर्ष यहाँ एक विशाल मेला लगता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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