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'''अटक''' पंजाब, [[पाकिस्तान]], का एक एक छोटा सा नगर है, जो [[सिंधु नदी]] के [[तट]] पर स्थित है।  
'''अटक''' [[पाकिस्तान|पश्चिमी पाकिस्तान]], का एक एक छोटा सा नगर है, जो [[सिंधु नदी]] के [[तट]] पर स्थित है।
*अटक को 'हाटक' भी कहा जाता है।<ref>हिस्टॉरिकल ज्योग्रफी ऑफ एंशेंट इंडिया- बी.सी. लॉ, पृ. 29</ref>  
 
*अटक का सुदृढ़ [[क़िला]] जो नदी तट पर ऊंची पहाड़ी के शिखर पर स्थित है, उसे [[अकबर]] ने बनवाया था।  
*प्राचीन समय में अटक को '[[हाटक]]' भी कहा जाता था।<ref>हिस्टॉरिकल ज्योग्रफी ऑफ एंशेंट इंडिया- बी.सी. लॉ, पृ. 29</ref>  
*मध्य-युग में अटक को [[भारत]] की पश्चिमी सीमा पर स्थित माना जाता था। कहा जाता है कि [[मानसिंह|राजा मानसिंह]] ने अकबर द्वारा अटक के पार यूसुफजाइयों से लड़ने के लिए भेजे जाते समय वहाँ अपने जाने की सम्मति देते समय कहा था कि मुझे अन्य लोगों की तरह वहाँ जाने में आपत्ति नहीं है क्योंकि 'जाके मन में अटक हैं, सो ही अटक रहा।'
*अटक का सुदृढ़ [[क़िला]], जो नदी तट पर ऊंची पहाड़ी के शिखर पर स्थित है, उसे [[मुग़ल]] [[अकबर|बादशाह अकबर]] ने बनवाया था।  
*[[मध्य काल]] में अटक को [[भारत]] की पश्चिमी सीमा पर स्थित माना जाता था।
*यह कहा जाता है कि [[मानसिंह|राजा मानसिंह]] ने अकबर द्वारा अटक के पार यूसुफजाइयों से लड़ने के लिए भेजे जाते समय वहाँ अपने जाने की सम्मति देते समय कहा था कि- "मुझे अन्य लोगों की तरह वहाँ जाने में आपत्ति नहीं है, क्योंकि 'जाके मन में अटक हैं, सो ही अटक रहा।"


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अटक (1888)

अटक पश्चिमी पाकिस्तान, का एक एक छोटा सा नगर है, जो सिंधु नदी के तट पर स्थित है।

  • प्राचीन समय में अटक को 'हाटक' भी कहा जाता था।[1]
  • अटक का सुदृढ़ क़िला, जो नदी तट पर ऊंची पहाड़ी के शिखर पर स्थित है, उसे मुग़ल बादशाह अकबर ने बनवाया था।
  • मध्य काल में अटक को भारत की पश्चिमी सीमा पर स्थित माना जाता था।
  • यह कहा जाता है कि राजा मानसिंह ने अकबर द्वारा अटक के पार यूसुफजाइयों से लड़ने के लिए भेजे जाते समय वहाँ अपने जाने की सम्मति देते समय कहा था कि- "मुझे अन्य लोगों की तरह वहाँ जाने में आपत्ति नहीं है, क्योंकि 'जाके मन में अटक हैं, सो ही अटक रहा।"


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिस्टॉरिकल ज्योग्रफी ऑफ एंशेंट इंडिया- बी.सी. लॉ, पृ. 29

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