"अरावली पर्वतमाला": अवतरणों में अंतर
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
[[चित्र:Aravalli-Mountains-1.jpg|thumb|250px|अरावली पर्वतमाला]] | [[चित्र:Aravalli-Mountains-1.jpg|thumb|250px|अरावली पर्वतमाला]] | ||
'''अरावली''' या 'अर्वली' उत्तर भारतीय पर्वतमाला है। [[राजस्थान]] राज्य के पूर्वोत्तर क्षेत्र से गुज़रती 560 किलोमीटर लम्बी इस पर्वतमाला की कुछ चट्टानी पहाड़ियाँ [[दिल्ली]] के दक्षिण हिस्से तक चली गई हैं। | '''अरावली''' या 'अर्वली' उत्तर भारतीय पर्वतमाला है। [[राजस्थान]] राज्य के पूर्वोत्तर क्षेत्र से गुज़रती 560 किलोमीटर लम्बी इस पर्वतमाला की कुछ चट्टानी पहाड़ियाँ [[दिल्ली]] के दक्षिण हिस्से तक चली गई हैं। | ||
==भौगोलिक विशेषताएँ== | |||
शिखरों एवं कटकों की श्रृखलाएँ, जिनका फैलाव 10 से 100 किलोमीटर है, सामान्यत: 300 से 900 मीटर ऊँची हैं। इस पर्वत श्रेणी का विस्तार उत्तर पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर दिल्ली से [[अहमदाबाद]] तक लगभग 800 कि.मी. की लम्बाई में है। यह एक अवशिष्ट [[पर्वत]] है एवं विश्व के प्राचीनतम मोड़दार पर्वतों में से एक है। यह पर्वत श्रेणी क्वार्ट्ज चट्टानों से निर्मित है। इनमें सीसा, [[तांबा]], जस्ता आदि [[खनिज]] पाये जाते हैं। इस पर्वत श्रेणी को [[उदयपुर]] के निकट 'जग्गा पहाड़ियों', [[अलवर]] के निकट 'हर्षनाथ की पहाड़ियों' एवं दिल्ली के निकट इसे 'दिल्ली की पहाड़ियों' के नाम से जाना जाता है। अरावली पर्वत श्रेणी की सर्वोच्च चोटी [[गुरु शिखर माउंट आबू|गुरु शिखर]] 1722 मीटर है। | |||
#'''सांभर-सिरोही पर्वतमाला'''- | ====विभाजन== | ||
#'''सांभर-खेतरी पर्वतमाला'''- | अरावली पर्वतमाला को दो भागों में विभाजित किया गया है- | ||
#'''सांभर-सिरोही पर्वतमाला''' - इसमें [[माउण्ट आबू]] के गुरु शिखर सहित अधिकतर ऊँचे पर्वत हैं। | |||
#'''सांभर-खेतरी पर्वतमाला''' - इस पर्वतमाला में तीन विच्छिन्न कटकीय क्षेत्र आते हैं। | |||
====खनिज संसाधन==== | |||
अरावली पर्वतमाला प्राकृतिक संसाधनों एवं [[खनिज]] पदार्थों से परिपूर्ण है और पश्चिमी [[मरुस्थल]] के विस्तार को रोकने का कार्य करती है। यह अनेक प्रमुख नदियों- बाना, [[लूनी नदी|लूनी]], साखी एवं [[साबरमती नदी|साबरमती]] का उदगम स्थल है। इस पर्वतमाला में केवल दक्षिणी क्षेत्र में सघन वन हैं, अन्यथा अधिकांश क्षेत्रों में यह विरल, रेतीली एवं पथरीली ([[गुलाबी रंग]] के स्फ़टिक) है। | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}} | |||
==वीथिका== | ==वीथिका== | ||
<gallery> | <gallery> | ||
पंक्ति 22: | पंक्ति 17: | ||
चित्र:Aravalli-Hills.jpg|अरावली पर्वतमाला | चित्र:Aravalli-Hills.jpg|अरावली पर्वतमाला | ||
</gallery> | </gallery> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{पर्वत}} | {{पर्वत}} | ||
पंक्ति 29: | पंक्ति 23: | ||
[[Category:राजस्थान]] | [[Category:राजस्थान]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ |
05:10, 4 अक्टूबर 2012 का अवतरण
अरावली या 'अर्वली' उत्तर भारतीय पर्वतमाला है। राजस्थान राज्य के पूर्वोत्तर क्षेत्र से गुज़रती 560 किलोमीटर लम्बी इस पर्वतमाला की कुछ चट्टानी पहाड़ियाँ दिल्ली के दक्षिण हिस्से तक चली गई हैं।
भौगोलिक विशेषताएँ
शिखरों एवं कटकों की श्रृखलाएँ, जिनका फैलाव 10 से 100 किलोमीटर है, सामान्यत: 300 से 900 मीटर ऊँची हैं। इस पर्वत श्रेणी का विस्तार उत्तर पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर दिल्ली से अहमदाबाद तक लगभग 800 कि.मी. की लम्बाई में है। यह एक अवशिष्ट पर्वत है एवं विश्व के प्राचीनतम मोड़दार पर्वतों में से एक है। यह पर्वत श्रेणी क्वार्ट्ज चट्टानों से निर्मित है। इनमें सीसा, तांबा, जस्ता आदि खनिज पाये जाते हैं। इस पर्वत श्रेणी को उदयपुर के निकट 'जग्गा पहाड़ियों', अलवर के निकट 'हर्षनाथ की पहाड़ियों' एवं दिल्ली के निकट इसे 'दिल्ली की पहाड़ियों' के नाम से जाना जाता है। अरावली पर्वत श्रेणी की सर्वोच्च चोटी गुरु शिखर 1722 मीटर है।
==विभाजन
अरावली पर्वतमाला को दो भागों में विभाजित किया गया है-
- सांभर-सिरोही पर्वतमाला - इसमें माउण्ट आबू के गुरु शिखर सहित अधिकतर ऊँचे पर्वत हैं।
- सांभर-खेतरी पर्वतमाला - इस पर्वतमाला में तीन विच्छिन्न कटकीय क्षेत्र आते हैं।
खनिज संसाधन
अरावली पर्वतमाला प्राकृतिक संसाधनों एवं खनिज पदार्थों से परिपूर्ण है और पश्चिमी मरुस्थल के विस्तार को रोकने का कार्य करती है। यह अनेक प्रमुख नदियों- बाना, लूनी, साखी एवं साबरमती का उदगम स्थल है। इस पर्वतमाला में केवल दक्षिणी क्षेत्र में सघन वन हैं, अन्यथा अधिकांश क्षेत्रों में यह विरल, रेतीली एवं पथरीली (गुलाबी रंग के स्फ़टिक) है।
|
|
|
|
|
वीथिका
-
अरावली पर्वतमाला
-
अरावली पर्वतमाला
संबंधित लेख