"श्री महावीर जी": अवतरणों में अंतर
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'''श्री महावीर जी''' दिगम्बर जैन धर्मावलंबियों की आस्था का प्रमुख केंद्र (मन्दिर) है जो [[राजस्थान]] के श्री महावीरजी नामक स्थान पर स्थित है। यह मंदिर संपूर्ण [[भारत]] में [[जैन धर्म]] के पवित्र स्थानों में से एक है। इसको 'टीले वाले बाबा' के रूप में भी जाना जाता है। गंभीर नदी के तट पर स्थित इस मंदिर में [[तीर्थंकर|24वें तीर्थंकर]] श्री [[वर्धमान]] महावीरजी की मूर्ति विराजित है। आमतौर पर भारत में एक शिखर वाले मंदिर बहुतायत में हैं, लेकिन यहां स्थित तीन शिखर वाले मंदिर की बात ही कुछ और है। इस मंदिर में देश-विदेश से जैन धर्मानुयायियों के अलावा पूरे राजस्थान से [[गुर्जर]] और मीणा समुदाय के लोग भी आते हैं। यही वजह है कि हर साल [[महावीर जयंती]] के मौके पर यहां लगने वाले मेले में जैनियों के अलावा दूसरे संप्रदायों के लोग भी काफी संख्या में आते हैं। इस मेले को राजस्थान पर्यटन विभाग प्रदेश के महत्वपूर्ण आयोजनों में से एक मानता है। | '''श्री महावीर जी''' दिगम्बर जैन धर्मावलंबियों की आस्था का प्रमुख केंद्र (मन्दिर) है जो [[राजस्थान]] के श्री महावीरजी नामक स्थान पर स्थित है। यह मंदिर संपूर्ण [[भारत]] में [[जैन धर्म]] के पवित्र स्थानों में से एक है। इसको 'टीले वाले बाबा' के रूप में भी जाना जाता है। गंभीर नदी के तट पर स्थित इस मंदिर में [[तीर्थंकर|24वें तीर्थंकर]] श्री [[वर्धमान]] महावीरजी की मूर्ति विराजित है। आमतौर पर भारत में एक शिखर वाले मंदिर बहुतायत में हैं, लेकिन यहां स्थित तीन शिखर वाले मंदिर की बात ही कुछ और है। इस मंदिर में देश-विदेश से जैन धर्मानुयायियों के अलावा पूरे राजस्थान से [[गुर्जर]] और मीणा समुदाय के लोग भी आते हैं। यही वजह है कि हर साल [[महावीर जयंती]] के मौके पर यहां लगने वाले मेले में जैनियों के अलावा दूसरे संप्रदायों के लोग भी काफी संख्या में आते हैं। इस मेले को राजस्थान पर्यटन विभाग प्रदेश के महत्वपूर्ण आयोजनों में से एक मानता है। | ||
==कथा== | ==कथा== | ||
श्री महावीर जी मंदिर के निर्माण के पीछे सुंदर कथा है। 'कुछ चार सौ साल पहले की बात है। एक [[गाय]] अपने घर से प्रतिदिन सुबह घास चरने के लिए निकलती थी और शाम को घर लौट आती थी। कुछ दिन बाद जब गाय घर लौटती थी तो उसके थन में [[दूध]] नहीं होता था। इससे परेशान होकर एक दिन उसके मालिक चर्मकार ने सुबह गाय का पीछा किया और पाया कि एक विशेष स्थान पर वह गाय अपना दूध गिरा देती थी। यह चमत्कार देखने के बाद चर्मकार ने इस टीले की खुदाई की। खुदाई में श्री [[महावीर|महावीर भगवान]] की प्राचीन पाषाण प्रतिमा प्रकट हुई, जिसे पाकर वह बेहद आनंदित हुआ।'<ref name="WDH">{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%97%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A4%B0-%E0%A4%9C%E0%A5%88%E0%A4%A8-%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0/%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%97%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A4%B0-%E0%A4%9C%E0%A5%88%E0%A4%A8-%E0%A4%85%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A4%AF-%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0-%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%80%E0%A4%B0-1070924072_1.htm |title=दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीर |accessmonthday=13 जुलाई |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एचटीएमएल |publisher=वेबदुनिया हिन्दी |language=हिन्दी }} </ref> | श्री महावीर जी मंदिर के निर्माण के पीछे सुंदर कथा है। 'कुछ चार सौ साल पहले की बात है। एक [[गाय]] अपने घर से प्रतिदिन सुबह घास चरने के लिए निकलती थी और शाम को घर लौट आती थी। कुछ दिन बाद जब गाय घर लौटती थी तो उसके थन में [[दूध]] नहीं होता था। इससे परेशान होकर एक दिन उसके मालिक चर्मकार ने सुबह गाय का पीछा किया और पाया कि एक विशेष स्थान पर वह गाय अपना दूध गिरा देती थी। यह चमत्कार देखने के बाद चर्मकार ने इस टीले की खुदाई की। खुदाई में श्री [[महावीर|महावीर भगवान]] की प्राचीन पाषाण प्रतिमा प्रकट हुई, जिसे पाकर वह बेहद आनंदित हुआ।'<ref name="WDH">{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%97%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A4%B0-%E0%A4%9C%E0%A5%88%E0%A4%A8-%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0/%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%97%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A4%B0-%E0%A4%9C%E0%A5%88%E0%A4%A8-%E0%A4%85%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A4%AF-%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0-%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%80%E0%A4%B0-1070924072_1.htm |title=दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीर |accessmonthday=13 जुलाई |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एचटीएमएल |publisher=वेबदुनिया हिन्दी |language=हिन्दी }} </ref> | ||
====मन्दिर का निर्माण==== | ====मन्दिर का निर्माण==== | ||
भगवान के इस अतिशय उद्भव से प्रभावित होकर बसवा निवासी श्री अमरचंद बिलाला ने यहाँ एक सुंदर मंदिर का निर्माण करवाया। यह मंदिर प्राचीन और आधुनिक जैन [[वास्तुकला]] का अनुपम समागम है, जो प्राचीन जैन कला शैली के बने मंदिरों से अलग है। यह मंदिर मूल रूप से सफेद और लाल पत्थरों से बना है, जिसके चारों ओर छत्रियाँ बनी हुई हैं। इस विशाल मंदिर के गगनचुम्बी धवल शिखर को स्वर्ण कलशों से सजाया गया है। इन स्वर्ण कलशों पर फहराती जैन धर्म की ध्वजाएँ सम्यक दर्शन, ज्ञान एवं चरित्र का संदेश दे रही हैं। मंदिर में जैन तीर्थंकरों की कई भव्य मूर्तियाँ प्रतिष्ठित हैं। इसके साथ ही मंदिर की दीवारों पर स्वर्ण पच्चीकारी का काम किया गया है, जो मंदिर के स्वरूप को बेहद कलात्मक रूप देता है। मंदिर के सामने सफेद संगमरमर से भव्य ऊँचा मानस स्तंभ बनाया गया है, जिसमें श्री महावीरजी की मूर्ति स्थापित की गई है।<ref name="WDH"/> | भगवान के इस अतिशय उद्भव से प्रभावित होकर बसवा निवासी श्री अमरचंद बिलाला ने यहाँ एक सुंदर मंदिर का निर्माण करवाया। यह मंदिर प्राचीन और आधुनिक जैन [[वास्तुकला]] का अनुपम समागम है, जो प्राचीन जैन कला शैली के बने मंदिरों से अलग है। यह मंदिर मूल रूप से सफेद और लाल पत्थरों से बना है, जिसके चारों ओर छत्रियाँ बनी हुई हैं। [[चित्र:Shri-Mahavirji-1.jpg|thumb|250px|left|श्री महावीर जी]] इस विशाल मंदिर के गगनचुम्बी धवल शिखर को स्वर्ण कलशों से सजाया गया है। इन स्वर्ण कलशों पर फहराती जैन धर्म की ध्वजाएँ सम्यक दर्शन, ज्ञान एवं चरित्र का संदेश दे रही हैं। मंदिर में जैन तीर्थंकरों की कई भव्य मूर्तियाँ प्रतिष्ठित हैं। इसके साथ ही मंदिर की दीवारों पर स्वर्ण पच्चीकारी का काम किया गया है, जो मंदिर के स्वरूप को बेहद कलात्मक रूप देता है। मंदिर के सामने सफेद संगमरमर से भव्य ऊँचा मानस स्तंभ बनाया गया है, जिसमें श्री महावीरजी की मूर्ति स्थापित की गई है।<ref name="WDH"/> | ||
====अन्य पर्यटन स्थल==== | ====अन्य पर्यटन स्थल==== | ||
श्री महावीर जी में मुख्य मंदिर के अलावा तीन और जिन (जैन) मंदिर हैं। इनमें मुख्य मंदिर के पास ही स्थित कांच का मंदिर विशेष तौर पर दर्शनीय है। साथ ही मुख्य मंदिर के नीचे स्थित ध्यान केंद्र में स्थित सैकड़ों रत्न प्रतिमाएं भी दर्शकों के आकर्षण का केंद्र होती हैं। पास ही स्थित म्यूजियम में खुदाई में समय-समय पर मिले [[अभिलेख]] आदि संग्रह करके रखे गए हैं। इनसे जैन कला और संस्कृति को क़रीब से जानने का मौका मिलता है। यहां स्थित पुस्तकालय में जैन संस्कृति से संबंधित प्राचीन ग्रंथ और पांडुलिपियां भी मौजूद हैं। अगर थोड़ा वक्त लेकर जाया जाए, तो श्री महावीर जी से 90 किलोमीटर आगे चमकौर जी जैन मंदिर और रणथंभौर नैशनल पार्क देखे जा सकते हैं। इसी तरह दिल्ली वापस आते वक्त श्री महावीर जी से 84 किलोमीटर पहले भरतपुर पक्षी विहार भी देखा जा सकता है।<ref name="NBT">{{cite web |url=http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/3452945.cms |title=मनभावन तीर्थ है श्री महावीर जी |accessmonthday=13 जुलाई |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=पी.एच.पी |publisher=नवभारत टाइम्स|language=हिन्दी }} </ref> | श्री महावीर जी में मुख्य मंदिर के अलावा तीन और जिन (जैन) मंदिर हैं। इनमें मुख्य मंदिर के पास ही स्थित कांच का मंदिर विशेष तौर पर दर्शनीय है। साथ ही मुख्य मंदिर के नीचे स्थित ध्यान केंद्र में स्थित सैकड़ों रत्न प्रतिमाएं भी दर्शकों के आकर्षण का केंद्र होती हैं। पास ही स्थित म्यूजियम में खुदाई में समय-समय पर मिले [[अभिलेख]] आदि संग्रह करके रखे गए हैं। इनसे जैन कला और संस्कृति को क़रीब से जानने का मौका मिलता है। यहां स्थित पुस्तकालय में जैन संस्कृति से संबंधित प्राचीन ग्रंथ और पांडुलिपियां भी मौजूद हैं। [[चित्र:Shri-Mahavirji-2.jpg|thumb|250px|श्री महावीर जी]] अगर थोड़ा वक्त लेकर जाया जाए, तो श्री महावीर जी से 90 किलोमीटर आगे चमकौर जी जैन मंदिर और रणथंभौर नैशनल पार्क देखे जा सकते हैं। इसी तरह दिल्ली वापस आते वक्त श्री महावीर जी से 84 किलोमीटर पहले भरतपुर पक्षी विहार भी देखा जा सकता है।<ref name="NBT">{{cite web |url=http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/3452945.cms |title=मनभावन तीर्थ है श्री महावीर जी |accessmonthday=13 जुलाई |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=पी.एच.पी |publisher=नवभारत टाइम्स|language=हिन्दी }} </ref> | ||
====महावीर जी का मेला==== | ====महावीर जी का मेला==== | ||
श्री महावीर जी में हर साल महावीर जयंती के अवसर पर [[चैत्र]] [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] 13 से [[वैशाख]] [[कृष्ण पक्ष|कृष्ण]] [[द्वितीया]] तक पांच दिवसीय मेला लगता है। इस मेले में प्रभु की प्रतिमा को रथ पर बैठा कर गंभीर नदी के तट पर ले जाया जाता है। साथ में उत्साह से भजन गान कर रहे भक्तों की मंडली होती है। नदी तट पर भव्य पंडाल में प्रतिमा का [[अभिषेक]] किया जाता है। इस रथ यात्रा का खास आकर्षण मीणा और गुर्जर समुदाय की नृत्य मंडलियां होती हैं। पंडाल जाते वक्त मीणा और आते वक्त गुर्जर नर्तक अपना कमाल दिखाते हैं। भगवान के रथ का संचालन सरकारी अधिकारी द्वारा किया जाता है।<ref name="NBT"/> | श्री महावीर जी में हर साल महावीर जयंती के अवसर पर [[चैत्र]] [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] 13 से [[वैशाख]] [[कृष्ण पक्ष|कृष्ण]] [[द्वितीया]] तक पांच दिवसीय मेला लगता है। इस मेले में प्रभु की प्रतिमा को रथ पर बैठा कर गंभीर नदी के तट पर ले जाया जाता है। साथ में उत्साह से भजन गान कर रहे भक्तों की मंडली होती है। नदी तट पर भव्य पंडाल में प्रतिमा का [[अभिषेक]] किया जाता है। इस रथ यात्रा का खास आकर्षण मीणा और गुर्जर समुदाय की नृत्य मंडलियां होती हैं। पंडाल जाते वक्त मीणा और आते वक्त गुर्जर नर्तक अपना कमाल दिखाते हैं। भगवान के रथ का संचालन सरकारी अधिकारी द्वारा किया जाता है।<ref name="NBT"/> | ||
==यातायात सुविधा== | ==यातायात सुविधा== | ||
श्री महावीर जी स्टेशन पश्चिमी रेलवे की दिल्ली-मुंबई बड़ी रेल लाइन पर स्थित है। यहां सभी एक्सप्रेस ट्रेन रुकती हैं। इसके अलावा [[दिल्ली]] से बस सेवा भी उपलब्ध है। श्री महावीर का निकटतम हवाईअड्डा जयपुर है। | श्री महावीर जी स्टेशन पश्चिमी रेलवे की दिल्ली-मुंबई बड़ी रेल लाइन पर स्थित है। यहां सभी एक्सप्रेस ट्रेन रुकती हैं। इसके अलावा [[दिल्ली]] से बस सेवा भी उपलब्ध है। श्री महावीर का निकटतम हवाईअड्डा जयपुर है। | ||
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11:35, 14 जुलाई 2012 का अवतरण
श्री महावीर जी दिगम्बर जैन धर्मावलंबियों की आस्था का प्रमुख केंद्र (मन्दिर) है जो राजस्थान के श्री महावीरजी नामक स्थान पर स्थित है। यह मंदिर संपूर्ण भारत में जैन धर्म के पवित्र स्थानों में से एक है। इसको 'टीले वाले बाबा' के रूप में भी जाना जाता है। गंभीर नदी के तट पर स्थित इस मंदिर में 24वें तीर्थंकर श्री वर्धमान महावीरजी की मूर्ति विराजित है। आमतौर पर भारत में एक शिखर वाले मंदिर बहुतायत में हैं, लेकिन यहां स्थित तीन शिखर वाले मंदिर की बात ही कुछ और है। इस मंदिर में देश-विदेश से जैन धर्मानुयायियों के अलावा पूरे राजस्थान से गुर्जर और मीणा समुदाय के लोग भी आते हैं। यही वजह है कि हर साल महावीर जयंती के मौके पर यहां लगने वाले मेले में जैनियों के अलावा दूसरे संप्रदायों के लोग भी काफी संख्या में आते हैं। इस मेले को राजस्थान पर्यटन विभाग प्रदेश के महत्वपूर्ण आयोजनों में से एक मानता है।
कथा
श्री महावीर जी मंदिर के निर्माण के पीछे सुंदर कथा है। 'कुछ चार सौ साल पहले की बात है। एक गाय अपने घर से प्रतिदिन सुबह घास चरने के लिए निकलती थी और शाम को घर लौट आती थी। कुछ दिन बाद जब गाय घर लौटती थी तो उसके थन में दूध नहीं होता था। इससे परेशान होकर एक दिन उसके मालिक चर्मकार ने सुबह गाय का पीछा किया और पाया कि एक विशेष स्थान पर वह गाय अपना दूध गिरा देती थी। यह चमत्कार देखने के बाद चर्मकार ने इस टीले की खुदाई की। खुदाई में श्री महावीर भगवान की प्राचीन पाषाण प्रतिमा प्रकट हुई, जिसे पाकर वह बेहद आनंदित हुआ।'[1]
मन्दिर का निर्माण
भगवान के इस अतिशय उद्भव से प्रभावित होकर बसवा निवासी श्री अमरचंद बिलाला ने यहाँ एक सुंदर मंदिर का निर्माण करवाया। यह मंदिर प्राचीन और आधुनिक जैन वास्तुकला का अनुपम समागम है, जो प्राचीन जैन कला शैली के बने मंदिरों से अलग है। यह मंदिर मूल रूप से सफेद और लाल पत्थरों से बना है, जिसके चारों ओर छत्रियाँ बनी हुई हैं।
इस विशाल मंदिर के गगनचुम्बी धवल शिखर को स्वर्ण कलशों से सजाया गया है। इन स्वर्ण कलशों पर फहराती जैन धर्म की ध्वजाएँ सम्यक दर्शन, ज्ञान एवं चरित्र का संदेश दे रही हैं। मंदिर में जैन तीर्थंकरों की कई भव्य मूर्तियाँ प्रतिष्ठित हैं। इसके साथ ही मंदिर की दीवारों पर स्वर्ण पच्चीकारी का काम किया गया है, जो मंदिर के स्वरूप को बेहद कलात्मक रूप देता है। मंदिर के सामने सफेद संगमरमर से भव्य ऊँचा मानस स्तंभ बनाया गया है, जिसमें श्री महावीरजी की मूर्ति स्थापित की गई है।[1]
अन्य पर्यटन स्थल
श्री महावीर जी में मुख्य मंदिर के अलावा तीन और जिन (जैन) मंदिर हैं। इनमें मुख्य मंदिर के पास ही स्थित कांच का मंदिर विशेष तौर पर दर्शनीय है। साथ ही मुख्य मंदिर के नीचे स्थित ध्यान केंद्र में स्थित सैकड़ों रत्न प्रतिमाएं भी दर्शकों के आकर्षण का केंद्र होती हैं। पास ही स्थित म्यूजियम में खुदाई में समय-समय पर मिले अभिलेख आदि संग्रह करके रखे गए हैं। इनसे जैन कला और संस्कृति को क़रीब से जानने का मौका मिलता है। यहां स्थित पुस्तकालय में जैन संस्कृति से संबंधित प्राचीन ग्रंथ और पांडुलिपियां भी मौजूद हैं।
अगर थोड़ा वक्त लेकर जाया जाए, तो श्री महावीर जी से 90 किलोमीटर आगे चमकौर जी जैन मंदिर और रणथंभौर नैशनल पार्क देखे जा सकते हैं। इसी तरह दिल्ली वापस आते वक्त श्री महावीर जी से 84 किलोमीटर पहले भरतपुर पक्षी विहार भी देखा जा सकता है।[2]
महावीर जी का मेला
श्री महावीर जी में हर साल महावीर जयंती के अवसर पर चैत्र शुक्ल 13 से वैशाख कृष्ण द्वितीया तक पांच दिवसीय मेला लगता है। इस मेले में प्रभु की प्रतिमा को रथ पर बैठा कर गंभीर नदी के तट पर ले जाया जाता है। साथ में उत्साह से भजन गान कर रहे भक्तों की मंडली होती है। नदी तट पर भव्य पंडाल में प्रतिमा का अभिषेक किया जाता है। इस रथ यात्रा का खास आकर्षण मीणा और गुर्जर समुदाय की नृत्य मंडलियां होती हैं। पंडाल जाते वक्त मीणा और आते वक्त गुर्जर नर्तक अपना कमाल दिखाते हैं। भगवान के रथ का संचालन सरकारी अधिकारी द्वारा किया जाता है।[2]
यातायात सुविधा
श्री महावीर जी स्टेशन पश्चिमी रेलवे की दिल्ली-मुंबई बड़ी रेल लाइन पर स्थित है। यहां सभी एक्सप्रेस ट्रेन रुकती हैं। इसके अलावा दिल्ली से बस सेवा भी उपलब्ध है। श्री महावीर का निकटतम हवाईअड्डा जयपुर है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीर (हिन्दी) (एचटीएमएल) वेबदुनिया हिन्दी। अभिगमन तिथि: 13 जुलाई, 2012।
- ↑ 2.0 2.1 मनभावन तीर्थ है श्री महावीर जी (हिन्दी) (पी.एच.पी) नवभारत टाइम्स। अभिगमन तिथि: 13 जुलाई, 2012।
बाहरी कड़ियाँ
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