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'''मुक्तक''' काव्य या [[कविता]] का वह प्रकार है जिसमें प्रबन्धकीयता न हो। इसमें एक [[छन्द]] में कथित बात का दूसरे छन्द में कही गयी बात से कोई सम्बन्ध या तारतम्य होना आवश्यक नहीं है। [[कबीर]] एवं [[रहीम]] के दोहे; [[मीराबाई]] के पद्य आदि सब मुक्तक रचनाएं हैं। [[हिन्दी]] के [[रीतिकाल]] में अधिकांश मुक्तक काव्यों की रचना हुई।
'''मुक्तक''' काव्य या [[कविता]] का वह प्रकार है जिसमें प्रबन्धकीयता न हो। इसमें एक [[छन्द]] में कथित बात का दूसरे छन्द में कही गयी बात से कोई सम्बन्ध या तारतम्य होना आवश्यक नहीं है। [[कबीर]] एवं [[रहीम]] के दोहे; [[मीराबाई]] के पद्य आदि सब मुक्तक रचनाएं हैं। [[हिन्दी]] के [[रीतिकाल]] में अधिकांश मुक्तक काव्यों की रचना हुई।


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09:05, 4 अप्रैल 2013 का अवतरण

मुक्तक काव्य या कविता का वह प्रकार है जिसमें प्रबन्धकीयता न हो। इसमें एक छन्द में कथित बात का दूसरे छन्द में कही गयी बात से कोई सम्बन्ध या तारतम्य होना आवश्यक नहीं है। कबीर एवं रहीम के दोहे; मीराबाई के पद्य आदि सब मुक्तक रचनाएं हैं। हिन्दी के रीतिकाल में अधिकांश मुक्तक काव्यों की रचना हुई।

इन्हें भी देखें: कबीर के दोहे, रहीम के दोहे एवं रसखान के मुक्तक


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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