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*‘चन्द्रकान्ता-सन्तति’ में ही बाबू देवकीनन्दन खत्री के अद्भुत पात्र भूतनाथ (गदाधर सिंह) ने अपनी जीवनी (जीवन-कथा) प्रस्तुत करने का संकल्प किया था। यह संकल्प वस्तुतः लेखक का ही एक संकेत था कि इसके बाद ‘भूतनाथ’ नामक बृहत् उपन्यास की रचना होगी।  
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*देवकीनन्दन खत्री की अद्भुत कल्पना-शक्ति को शत-शत नमन है। लाखों करोड़ों पाठकों का यह उपन्यास कंठहार बना हुआ है।  
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*कल्पना की अद्भुत उड़ान और कथारस की मार्मिकता इसे हिन्दी साहित्य की विशिष्ट रचना सिद्ध करती है।  
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*मनोरंजन का मुख्य उद्देश्य होते हुए भी इसमें बुराई और असत्य पर अच्छाई और सत्य की विजय का शाश्वत विधान ऐसा है जो इसे 'एपिक नॉवल (Epic Novel)' अर्थात 'महाकाव्यात्मक उपन्यासों' की कोटि में लाता है।  
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'चन्द्रकान्ता-सन्तति’ में ही बाबू देवकीनन्दन खत्री के अद्भुत पात्र भूतनाथ (गदाधर सिंह) ने अपनी जीवनी (जीवन-कथा) प्रस्तुत करने का संकल्प किया था। यह संकल्प वस्तुतः लेखक का ही एक संकेत था कि इसके बाद ‘भूतनाथ’ नामक बृहत् उपन्यास की रचना होगी। देवकीनन्दन खत्री की अद्भुत कल्पना-शक्ति को शत-शत नमन है। लाखों करोड़ों पाठकों का यह उपन्यास कंठहार बना हुआ है। जब यह कहा जाता है कि ‘चन्द्रकान्ता’ और ‘चन्द्रकान्ता-सन्तति’ उपन्यासों को पढ़ने के लिए लाखों लोगों ने [[हिन्दी भाषा]] सीखी तो इस कथन में ‘भूतनाथ’ भी स्वतः सम्मिलित हो जाता है क्योंकि ‘भूतनाथ’ उसी तिलिस्मी और ऐय्यारी उपन्यास परम्परा ही नहीं, उसी शृंखला का प्रतिनिधि उपन्यास है। कल्पना की अद्भुत उड़ान और कथारस की मार्मिकता इसे हिन्दी साहित्य की विशिष्ट रचना सिद्ध करती है। मनोरंजन का मुख्य उद्देश्य होते हुए भी इसमें बुराई और असत्य पर अच्छाई और सत्य की विजय का शाश्वत विधान ऐसा है जो इसे 'एपिक नॉवल (Epic Novel)' अर्थात 'महाकाव्यात्मक उपन्यासों' की कोटि में लाता है।  


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==संबंधित लेख==
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भूतनाथ -देवकीनन्दन खत्री
चंद्रकांता संतति का आवरण पृष्ठ
चंद्रकांता संतति का आवरण पृष्ठ
लेखक देवकीनन्दन खत्री
मूल शीर्षक चंद्रकांता संतति
मुख्य पात्र गदाधर सिंह
प्रकाशक भारतीय साहित्य संग्रह
प्रकाशन तिथि 27 जुलाई, 2009
ISBN 978-81-310-1295-6
देश भारत
पृष्ठ: 256
भाषा हिंदी
विधा उपन्यास
मुखपृष्ठ रचना सजिल्द
पुस्तक क्रमांक 7144
विशेष देवकीनन्दन खत्री की अद्भुत कल्पना-शक्ति को शत-शत नमन है। लाखों करोड़ों पाठकों का यह उपन्यास कंठहार बना हुआ है।

भूतनाथ, इक्कीस भागों व सात खण्डों में, 'चन्द्रकान्ता' व 'चन्द्रकान्ता-सन्तति’ की ही परम्परा और शृंखला का, बाबू देवकीनन्दन खत्री रचित एक अत्यन्त लोकप्रिय और बहुचर्चित प्रसिद्ध उपन्यास है।

सारांश

'चन्द्रकान्ता-सन्तति’ में ही बाबू देवकीनन्दन खत्री के अद्भुत पात्र भूतनाथ (गदाधर सिंह) ने अपनी जीवनी (जीवन-कथा) प्रस्तुत करने का संकल्प किया था। यह संकल्प वस्तुतः लेखक का ही एक संकेत था कि इसके बाद ‘भूतनाथ’ नामक बृहत् उपन्यास की रचना होगी। देवकीनन्दन खत्री की अद्भुत कल्पना-शक्ति को शत-शत नमन है। लाखों करोड़ों पाठकों का यह उपन्यास कंठहार बना हुआ है। जब यह कहा जाता है कि ‘चन्द्रकान्ता’ और ‘चन्द्रकान्ता-सन्तति’ उपन्यासों को पढ़ने के लिए लाखों लोगों ने हिन्दी भाषा सीखी तो इस कथन में ‘भूतनाथ’ भी स्वतः सम्मिलित हो जाता है क्योंकि ‘भूतनाथ’ उसी तिलिस्मी और ऐय्यारी उपन्यास परम्परा ही नहीं, उसी शृंखला का प्रतिनिधि उपन्यास है। कल्पना की अद्भुत उड़ान और कथारस की मार्मिकता इसे हिन्दी साहित्य की विशिष्ट रचना सिद्ध करती है। मनोरंजन का मुख्य उद्देश्य होते हुए भी इसमें बुराई और असत्य पर अच्छाई और सत्य की विजय का शाश्वत विधान ऐसा है जो इसे 'एपिक नॉवल (Epic Novel)' अर्थात 'महाकाव्यात्मक उपन्यासों' की कोटि में लाता है।



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