"मोती डुंगरी जयपुर": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
*जहाज डूबने पर महाराज जयसिंह ने इस इमारत को बनवाने का इरादा छोड़ दिया। | *जहाज डूबने पर महाराज जयसिंह ने इस इमारत को बनवाने का इरादा छोड़ दिया। | ||
*इमारत न बनने से यह फ़ायदा हुआ कि पर्यटक इस पहाड़ी पर बेरोक-टोक चढ़ सकते हैं और शहर के सुन्दर दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। | *इमारत न बनने से यह फ़ायदा हुआ कि पर्यटक इस पहाड़ी पर बेरोक-टोक चढ़ सकते हैं और शहर के सुन्दर दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। | ||
==सम्बंधित लिंक== | |||
{{राजस्थान के पर्यटन स्थल}} | |||
[[Category:राजस्थान]][[Category:राजस्थान_के_पर्यटन_स्थल]][[Category:अलवर के पर्यटन स्थल]][[Category:पर्यटन कोश]]__INDEX__ | [[Category:राजस्थान]][[Category:राजस्थान_के_पर्यटन_स्थल]][[Category:अलवर के पर्यटन स्थल]][[Category:पर्यटन कोश]]__INDEX__ |
14:09, 9 जुलाई 2010 का अवतरण
- मोती डुंगरी राजस्थान के अलवर शहर मे स्थित है।
- मोती डुंगरी का निर्माण वर्ष 1882 ई॰ में हुआ था।
- यहाँ वर्ष 1928 ई॰ तक अलवर के शाही परिवारों का आवास रहा था।
- महाराजा जयसिंह ने इसे तुड़वाकर यहाँ इससे भी ख़ूबसूरत इमारत बनवाने का फ़ैसला किया।
- इसके लिए उन्होंने यूरोप से विशेष सामान मंगाया था, लेकिन दुर्भाग्यवश जिस जहाज में सामान आ रहा था, वह डूब गया।
- जहाज डूबने पर महाराज जयसिंह ने इस इमारत को बनवाने का इरादा छोड़ दिया।
- इमारत न बनने से यह फ़ायदा हुआ कि पर्यटक इस पहाड़ी पर बेरोक-टोक चढ़ सकते हैं और शहर के सुन्दर दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।