"पंजदेह": अवतरणों में अंतर
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'''पंजदेह''' [[भारत]] के पड़ोसी देश [[अफ़ग़ानिस्तान]] की सीमा पर स्थित एक गाँव तथा ज़िला। यह [[मर्व]] नगर से 100 मील {{मील|मील=100}} की दूरी पर दक्षिण में स्थित है। [[इतिहास]] में पंजदेह अपने सामरिक महत्त्व के कारण काफ़ी प्रसिद्ध था। एक समय ऐसा भी आया, जब इस जगह को लेकर [[रूस]] तथा [[इंग्लैण्ड]] आमने-सामने आ गए और उनमें युद्ध की भी सम्भावना प्रबल हो गई। यदि ये युद्ध होता तो निश्चित रूप से दो शक्तियों के बीच अफ़ग़ानिस्तान ही युद्ध का मैदान बन जाता और उसे बहुत नुकसान उठाना पड़ता, किंतु अफ़ग़ानिस्तान के अमीर अब्दुर्रहमान की बुद्धिमानी से युद्ध टल गया। | '''पंजदेह''' [[भारत]] के पड़ोसी देश [[अफ़ग़ानिस्तान]] की सीमा पर स्थित एक गाँव तथा ज़िला। यह [[मर्व]] नगर से 100 मील {{मील|मील=100}} की दूरी पर दक्षिण में स्थित है। [[इतिहास]] में पंजदेह अपने सामरिक महत्त्व के कारण काफ़ी प्रसिद्ध था। एक समय ऐसा भी आया, जब इस जगह को लेकर [[रूस]] तथा [[इंग्लैण्ड]] आमने-सामने आ गए और उनमें युद्ध की भी सम्भावना प्रबल हो गई। यदि ये युद्ध होता तो निश्चित रूप से दो शक्तियों के बीच अफ़ग़ानिस्तान ही युद्ध का मैदान बन जाता और उसे बहुत नुकसान उठाना पड़ता, किंतु अफ़ग़ानिस्तान के [[अमीर अब्दुर्रहमान]] की बुद्धिमानी से युद्ध टल गया। | ||
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==इंग्लैण्ड-रूस युद्ध की आशंका== | ==इंग्लैण्ड-रूस युद्ध की आशंका== |
12:24, 20 मार्च 2020 का अवतरण
पंजदेह भारत के पड़ोसी देश अफ़ग़ानिस्तान की सीमा पर स्थित एक गाँव तथा ज़िला। यह मर्व नगर से 100 मील (लगभग 160 कि.मी.) की दूरी पर दक्षिण में स्थित है। इतिहास में पंजदेह अपने सामरिक महत्त्व के कारण काफ़ी प्रसिद्ध था। एक समय ऐसा भी आया, जब इस जगह को लेकर रूस तथा इंग्लैण्ड आमने-सामने आ गए और उनमें युद्ध की भी सम्भावना प्रबल हो गई। यदि ये युद्ध होता तो निश्चित रूप से दो शक्तियों के बीच अफ़ग़ानिस्तान ही युद्ध का मैदान बन जाता और उसे बहुत नुकसान उठाना पड़ता, किंतु अफ़ग़ानिस्तान के अमीर अब्दुर्रहमान की बुद्धिमानी से युद्ध टल गया।
इंग्लैण्ड-रूस युद्ध की आशंका
1884 ई. में रूसियों ने मर्व पर अधिकार कर लिया, जो अफ़ग़ानिस्तान की सीमा से 150 मील (लगभग 240 कि.मी.) की दूरी पर स्थित है। कुछ अंग्रेज़ सैनिक अधिकारी तथा राजनीतिज्ञ झूठमूठ पंजदेह को बहुत अधिक सामरिक महत्त्व प्रदान कर रहे थे। अत: मर्व पर रूस का अधिकार हो जाने से इंग्लैण्ड में भारी खलबली मच गई। 1885 ई. में रूसी अफ़ग़ान सीमा की ओर और अधिक आगे बढ़े और उन्होंने मार्च, 1885 ई. में अफ़ग़ानों को पंजदेह से निकाल दिया। इससे इंग्लैण्ड में बेचैनी और बढ़ गई। अंग्रेज़ों को अफ़ग़ानिस्तान पर रूसी हमले का भय होने लगा। अत: उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान के मित्र तथा रक्षक होने का नाटक करके, किंतु वास्तव में अफ़ग़ानिस्तान न होकर भारत की दिशा में आगे बढ़ने से रोकने के लिए, रूसियों की इस कारवाई पर गहरी नाराजगी प्रकट की और इस बात की आशंका की जाने लगी कि पंजदेह के प्रश्न को लेकर इंग्लैण्ड और रूस में लड़ाई छिड़ जायेगी।
अब्दुर्रहमान की बुद्धिमता
अमीर अब्दुर्रहमान की बुद्धिमता से यह लड़ाई टल गई। उसने दूरदर्शिता से यह समझ लिया था कि यदि पंजदेह के प्रश्न पर इंग्लैण्ड और रूस के बीच लड़ाई हुई तो अफ़ग़ानिस्तान युद्धभूमि बन जायेगा और वह इस विपत्ति को दूर रखना चाहता था। उसने घोषणा की कि यह निश्चित नहीं है कि पंजदेह वास्तव में अफ़ग़ानिस्तान का हिस्सा है और यदि पंजदेह और अफ़ग़ानिस्तान के बीच जुल्फिकार दर्रे पर उसका अधिकार मान लिया जाये तो उसे संतोष हो जायेगा। अमीर अब्दुर्रहमान के इस समझौतापरक रवैये से ब्रिटिश सरकार को अपना रवैया बदलना पड़ा।
सीमा कमीशन
इंग्लैण्ड और रूस का संयुक्त सीमा कमीशन नियुक्त किया गया। उसने जिस सीमा रेखा कि सिफारिश की, उसे 1887 ई. में स्वीकार कर लिया गया। इस सीमा रेखा के अनुसार पंजदेह पर रूसियों का अधिकार और जुल्फिकार दर्रे पर अफ़ग़ानिस्तान का अधिकार मान लिया गया। इस सिफारिश के अनुसार पामीर की दिशा में रूसियों के बढ़ाव पर कोई रोक टोक नहीं लगायी गई।।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 229 |