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'''वर्णु''' [[पाकिस्तान]] के वर्तमान 'बन्नू' शहर का प्राचीन नाम है, जिसे प्रसिद्ध चीनी यात्री [[युवानच्वांग]] ने फलन लिखा है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=835|url=}}</ref> | '''वर्णु''' [[पाकिस्तान]] के वर्तमान '[[बन्नू]]' शहर का प्राचीन नाम है, जिसे प्रसिद्ध चीनी यात्री [[युवानच्वांग]] ने फलन लिखा है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=835|url=}}</ref> | ||
*[[संस्कृत]] के प्रसिद्ध वैयाकरणाचार्य [[पाणिनि]] ने सबसे पहले चौथी [[शताब्दी]] ई. पू. में 'बन्नू' का ज़िक्र किया था और उसका प्राचीन नाम 'वरनु' (वर्णु) बताया था। | *[[संस्कृत]] के प्रसिद्ध वैयाकरणाचार्य [[पाणिनि]] ने सबसे पहले चौथी [[शताब्दी]] ई. पू. में 'बन्नू' का ज़िक्र किया था और उसका प्राचीन नाम 'वरनु' (वर्णु) बताया था। |
12:12, 21 अक्टूबर 2014 के समय का अवतरण
वर्णु पाकिस्तान के वर्तमान 'बन्नू' शहर का प्राचीन नाम है, जिसे प्रसिद्ध चीनी यात्री युवानच्वांग ने फलन लिखा है।[1]
- संस्कृत के प्रसिद्ध वैयाकरणाचार्य पाणिनि ने सबसे पहले चौथी शताब्दी ई. पू. में 'बन्नू' का ज़िक्र किया था और उसका प्राचीन नाम 'वरनु' (वर्णु) बताया था।
- इतिहासकारों को बन्नू के अकरा नामक क्षेत्र में मौजूद टीलों में अति प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता के अवशेष मिले हैं।
- मध्य एशिया से आये बहुत से हमलावरों द्वारा छोड़े गए तरह-तरह के चिह्न भी यहाँ से प्राप्त हुए हैं।
- यहाँ के लोग पठान या पंजाबी हैं और इस पूरे क्षेत्र में 'पश्तो' और 'हिन्दको'[2] बोली जाती है।
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