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'''ढेंकली''' सिंचाई का साधन था, जो कहीं-कहीं आज भी प्रयोग में है। ये एक लम्बी ‘बल्ली’ होती थी जो ‘Y’ के आकार के लकड़ी के खूंटे पर टिकी होती थी। इसका एक सिरा जिस पर कोई बड़ा सा बर्तन बंधा होता था; [[कुआँ|कुँए]], [[बावड़ी]], नदी या नहर की तरफ़ रहता था और दूसरे सिरे पर एक रस्सी बांधी जाती थी। रस्सी को ढीला करने और फिर खींचने से पानी भरकर खेत में उडेला जा सकता था। <ref>भारतकोश संस्थापक श्री आदित्य चौधरी जी की फ़ेसबुक वॉल से उद्धृत </ref> | '''ढेंकली''' सिंचाई का साधन था, जो कहीं-कहीं आज भी प्रयोग में है। ये एक लम्बी ‘बल्ली’ होती थी जो ‘Y’ के आकार के लकड़ी के खूंटे पर टिकी होती थी। इसका एक सिरा जिस पर कोई बड़ा सा बर्तन बंधा होता था; [[कुआँ|कुँए]], [[बावड़ी]], नदी या नहर की तरफ़ रहता था और दूसरे सिरे पर एक रस्सी बांधी जाती थी। रस्सी को ढीला करने और फिर खींचने से पानी भरकर खेत में उडेला जा सकता था। <ref>भारतकोश संस्थापक श्री आदित्य चौधरी जी की फ़ेसबुक वॉल से उद्धृत </ref> | ||
14:17, 25 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
ढेंकली सिंचाई का साधन था, जो कहीं-कहीं आज भी प्रयोग में है। ये एक लम्बी ‘बल्ली’ होती थी जो ‘Y’ के आकार के लकड़ी के खूंटे पर टिकी होती थी। इसका एक सिरा जिस पर कोई बड़ा सा बर्तन बंधा होता था; कुँए, बावड़ी, नदी या नहर की तरफ़ रहता था और दूसरे सिरे पर एक रस्सी बांधी जाती थी। रस्सी को ढीला करने और फिर खींचने से पानी भरकर खेत में उडेला जा सकता था। [1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतकोश संस्थापक श्री आदित्य चौधरी जी की फ़ेसबुक वॉल से उद्धृत