"सोनार क़िला जैसलमेर": अवतरणों में अंतर
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
|चित्र=Sonar-Fort-Jaisalmer.jpg | |चित्र=Sonar-Fort-Jaisalmer.jpg | ||
|चित्र का नाम=सोनार क़िला | |चित्र का नाम=सोनार क़िला | ||
|विवरण='[[सोनार क़िला जैसलमेर|सोनार क़िला]]' [[राजस्थान]] के पर्यटन स्थलों में से एक है, जो [[जैसलमेर]] में स्थित है। यह क़िला और इसमें स्थित | |विवरण='[[सोनार क़िला जैसलमेर|सोनार क़िला]]' [[राजस्थान]] के पर्यटन स्थलों में से एक है, जो [[जैसलमेर]] में स्थित है। यह क़िला और इसमें स्थित सैंकड़ों आवासीय भवन पीले पत्थरों से बने हुए है और [[सूर्य]] की रोशनी में स्वर्णिम आभा बिखेरते हैं इसलिए इसे सोनार क़िला के नाम से पुकारा जाता है। | ||
|राज्य=[[राजस्थान]] | |राज्य=[[राजस्थान]] | ||
|ज़िला=[[जैसलमेर]] | |ज़िला=[[जैसलमेर]] | ||
पंक्ति 43: | पंक्ति 43: | ||
{{अद्यतन|16:19, 9 अगस्त 2016 (IST)}} | {{अद्यतन|16:19, 9 अगस्त 2016 (IST)}} | ||
}} | }} | ||
[[जैसलमेर]] [[राजस्थान]] का सबसे ख़ूबसूरत शहर है और [[जैसलमेर पर्यटन]] का सबसे आकर्षक स्थल माना जाता है। जैसलमेर का गौरवशाली दुर्ग त्रिभुजाकार पहाड़ी पर स्थित हैं। इसकी सुरक्षा के लिए इसके चारों ओर परकोटे पर तीस-तीस फीट ऊँची 99 बुर्जियाँ बनी हैं। चूँकि यह क़िला और इसमें स्थित | [[जैसलमेर]] [[राजस्थान]] का सबसे ख़ूबसूरत शहर है और [[जैसलमेर पर्यटन]] का सबसे आकर्षक स्थल माना जाता है। जैसलमेर का गौरवशाली दुर्ग त्रिभुजाकार पहाड़ी पर स्थित हैं। इसकी सुरक्षा के लिए इसके चारों ओर परकोटे पर तीस-तीस फीट ऊँची 99 बुर्जियाँ बनी हैं। चूँकि यह क़िला और इसमें स्थित सैंकड़ों अवासीय भवन पीले पत्थरों से बने हुए हैं और [[सूर्य]] की रोशनी में स्वर्णिम आभा बिखेरते हैं इसलिए इसे सोनार क़िला के नाम से पुकारा जाता है। | ||
अन्य वैष्णव मंदिरों के अलावा दुर्ग में स्थापत्य एवं शिल्प कला के सजीव केन्द्र के रूप में जैन मंदिर बने हुए हैं। "जिन भद्र सूरि ज्ञान भण्डार" दुर्ग स्थित [[जैन]] मंदिरों के तहखानों में बना हुआ है। जिन भद्रसूरि ज्ञान भण्डार प्राचीन ताड पत्रों व काग़ज़ी पुस्तकों एवं ग्रंथों के संग्रह के लिए प्रसिद्ध हैं। इसमें कई प्राचीन ग्रंथों का भण्डार हैं, जो [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]], [[मागधी भाषा|मागधी]], [[पालि भाषा|पालि]], [[गुजराती भाषा]], मालवी भाषा, [[डिंगल|डिंगल भाषा]] व अन्य कई भाषाओं में अनेकों विषयों पर लिखे गये हैं। | अन्य वैष्णव मंदिरों के अलावा दुर्ग में स्थापत्य एवं शिल्प कला के सजीव केन्द्र के रूप में जैन मंदिर बने हुए हैं। "जिन भद्र सूरि ज्ञान भण्डार" दुर्ग स्थित [[जैन]] मंदिरों के तहखानों में बना हुआ है। जिन भद्रसूरि ज्ञान भण्डार प्राचीन ताड पत्रों व काग़ज़ी पुस्तकों एवं ग्रंथों के संग्रह के लिए प्रसिद्ध हैं। इसमें कई प्राचीन ग्रंथों का भण्डार हैं, जो [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]], [[मागधी भाषा|मागधी]], [[पालि भाषा|पालि]], [[गुजराती भाषा]], मालवी भाषा, [[डिंगल|डिंगल भाषा]] व अन्य कई भाषाओं में अनेकों विषयों पर लिखे गये हैं। |
10:59, 9 अगस्त 2016 का अवतरण
जैसलमेर | जैसलमेर पर्यटन | जैसलमेर ज़िला |
सोनार क़िला जैसलमेर
| |
विवरण | 'सोनार क़िला' राजस्थान के पर्यटन स्थलों में से एक है, जो जैसलमेर में स्थित है। यह क़िला और इसमें स्थित सैंकड़ों आवासीय भवन पीले पत्थरों से बने हुए है और सूर्य की रोशनी में स्वर्णिम आभा बिखेरते हैं इसलिए इसे सोनार क़िला के नाम से पुकारा जाता है। |
राज्य | राजस्थान |
ज़िला | जैसलमेर |
संबंधित लेख | राजस्थान, राजस्थान पर्यटन, जैसलमेर, सूर्य, जैन, संस्कृत, मागधी, पालि, गुजराती भाषा, डिंगल भाषा
|
अन्य जानकारी | वैष्णव मंदिरों के अलावा दुर्ग में स्थापत्य एवं शिल्प कला के सजीव केन्द्र के रूप में जैन मंदिर बने हुए हैं। "जिन भद्र सूरि ज्ञान भण्डार" दुर्ग स्थित जैन मंदिरों के तहखानों में बना हुआ है। |
अद्यतन | 16:19, 9 अगस्त 2016 (IST)
|
जैसलमेर राजस्थान का सबसे ख़ूबसूरत शहर है और जैसलमेर पर्यटन का सबसे आकर्षक स्थल माना जाता है। जैसलमेर का गौरवशाली दुर्ग त्रिभुजाकार पहाड़ी पर स्थित हैं। इसकी सुरक्षा के लिए इसके चारों ओर परकोटे पर तीस-तीस फीट ऊँची 99 बुर्जियाँ बनी हैं। चूँकि यह क़िला और इसमें स्थित सैंकड़ों अवासीय भवन पीले पत्थरों से बने हुए हैं और सूर्य की रोशनी में स्वर्णिम आभा बिखेरते हैं इसलिए इसे सोनार क़िला के नाम से पुकारा जाता है।
अन्य वैष्णव मंदिरों के अलावा दुर्ग में स्थापत्य एवं शिल्प कला के सजीव केन्द्र के रूप में जैन मंदिर बने हुए हैं। "जिन भद्र सूरि ज्ञान भण्डार" दुर्ग स्थित जैन मंदिरों के तहखानों में बना हुआ है। जिन भद्रसूरि ज्ञान भण्डार प्राचीन ताड पत्रों व काग़ज़ी पुस्तकों एवं ग्रंथों के संग्रह के लिए प्रसिद्ध हैं। इसमें कई प्राचीन ग्रंथों का भण्डार हैं, जो संस्कृत, मागधी, पालि, गुजराती भाषा, मालवी भाषा, डिंगल भाषा व अन्य कई भाषाओं में अनेकों विषयों पर लिखे गये हैं।
|
|
|
|
|