"रीता गांगुली का जीवन परिचय": अवतरणों में अंतर
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रीता गांगुली का जन्म [[1940]] में [[लखनऊ]] के [[ब्राह्मण]] घराने में हुआ था। उनके पिता के. एल. गांगुली और माता: मीना है। रीता गांगुली का सुर से रिश्ता तो तभी जुड़ गया था, जब बचपन में उनकी माँ लोरी सुनाया करती थीं। उनके यहाँ किसी ने कभी भी गाना नहीं गाया था और ब्राह्मण घराने में पैदा होने के कारण घर के अलावा बाहर गाना गाने पर पाबंदी थी, हालाँकि उनके पिता गाने सुनने के शौकीन थे। रीता गांगुली के यहाँ बचपन में रसूलन बाई आती थीं, जो उनके पिता को भाई मानती थीं और इस तरह उन्हें बचपन में ही बहुतों को सुनने का मौक़ा मिला। रीता गांगुली का [[विवाह]] केशव कोठारी से हुआ। इनके एक पुत्र और एक पुत्री है। | रीता गांगुली का जन्म [[1940]] में [[लखनऊ]] के [[ब्राह्मण]] घराने में हुआ था। उनके पिता के. एल. गांगुली और माता: मीना है। रीता गांगुली का सुर से रिश्ता तो तभी जुड़ गया था, जब बचपन में उनकी माँ लोरी सुनाया करती थीं। उनके यहाँ किसी ने कभी भी गाना नहीं गाया था और ब्राह्मण घराने में पैदा होने के कारण घर के अलावा बाहर गाना गाने पर पाबंदी थी, हालाँकि उनके पिता गाने सुनने के शौकीन थे। रीता गांगुली के यहाँ बचपन में रसूलन बाई आती थीं, जो उनके पिता को भाई मानती थीं और इस तरह उन्हें बचपन में ही बहुतों को सुनने का मौक़ा मिला। रीता गांगुली का [[विवाह]] केशव कोठारी से हुआ। इनके एक पुत्र और एक पुत्री है। | ||
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रीता गांगुली पहले [[सिद्धेश्वरी देवी]] की शिष्या थीं, लेकिन बाद में वह [[बेगम अख़्तर]] शिष्या बन गई। उन्हें फ़िल्मी दुनिया में जाने की ख़्वाहिश कभी नहीं रहीं। उन्हें लगता है कि आज भी वह किसी मुक़ाम पर नहीं पहुँची हैं। यह महज़ इत्तेफ़ाक़ है कि उन्होंने जगमोहन मूदड़ा जी की फ़िल्म 'बवंडर' में 'केसारिया बालम' गाया, हालांकि [[राज कपूर]] ने फ़िल्म 'हिना' के लिए भी गाने को कहा था लेकिन वह 'हां' न कर सकी। 'परिणीता' में उन्हें इसलिए गाना पड़ा, क्योंकि शरतचंद और प्रदीप सरकार की वो भक्त है और प्रदीप सरकार आज के [[सत्यजीत राय]] हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.bbc.com/hindi/entertainment/story/2005/11/051127_rita_ganguly.shtml |title='जिसे सुनकर लोग रो पड़ें वो है संगीत' |accessmonthday=20 जून |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=www.bbc.com/hindi |language=हिंदी }}</ref> | रीता गांगुली पहले [[सिद्धेश्वरी देवी]] की शिष्या थीं, लेकिन बाद में वह [[बेगम अख़्तर]] की शिष्या बन गई। बेगम अख़्तर उन्हें उनकी क़ाबिलियत के मुताबिक़ संगीत सिखाती थीं। उन्होंने बेगम से शायरी का चयन और तर्ज़ देने का हुनर भी सीखा। रीता गांगुली को फ़िल्मी दुनिया में जाने की ख़्वाहिश कभी नहीं रहीं। उन्हें लगता है कि आज भी वह किसी मुक़ाम पर नहीं पहुँची हैं। यह महज़ इत्तेफ़ाक़ है कि उन्होंने जगमोहन मूदड़ा जी की फ़िल्म 'बवंडर' में 'केसारिया बालम' गाया, हालांकि [[राज कपूर]] ने फ़िल्म 'हिना' के लिए भी गाने को कहा था लेकिन वह 'हां' न कर सकी। 'परिणीता' में उन्हें इसलिए गाना पड़ा, क्योंकि शरतचंद और प्रदीप सरकार की वो भक्त है और प्रदीप सरकार आज के [[सत्यजीत राय]] हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.bbc.com/hindi/entertainment/story/2005/11/051127_rita_ganguly.shtml |title='जिसे सुनकर लोग रो पड़ें वो है संगीत' |accessmonthday=20 जून |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=www.bbc.com/hindi |language=हिंदी }}</ref> | ||
रीता गांगुली के अनुसार- [[शम्भू महाराज|शम्भू महाराज जी]] लोगों को नाच कर रुलाते थे, सिद्धेश्वरी जी के क्या कहने, बेगम अख़्तर उस तरह से आज भी ज़िंदा हैं। आजकल रीता गांगुली कुछ ऐसे ग़रीब बच्चों को संगीत सिखा रही हैं जिनके पास किसी उस्ताद के पास जाकर सीखने के साधन नहीं हैं। उनके द्वारा बच्चों को सीख कर ख़ुशी मिल रही है और उन्हें बच्चों को सिखा कर मज़ा आ रहा है। | रीता गांगुली के अनुसार- [[शम्भू महाराज|शम्भू महाराज जी]] लोगों को नाच कर रुलाते थे, सिद्धेश्वरी जी के क्या कहने, बेगम अख़्तर उस तरह से आज भी ज़िंदा हैं। आजकल रीता गांगुली कुछ ऐसे ग़रीब बच्चों को संगीत सिखा रही हैं जिनके पास किसी उस्ताद के पास जाकर सीखने के साधन नहीं हैं। उनके द्वारा बच्चों को सीख कर ख़ुशी मिल रही है और उन्हें बच्चों को सिखा कर मज़ा आ रहा है। |
13:04, 21 जून 2017 का अवतरण
रीता गांगुली का जीवन परिचय
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पूरा नाम | रीता गांगुली |
जन्म | 1940 |
जन्म भूमि | लखनऊ |
अभिभावक | पिता: के. एल. गांगुली और माता: मीना |
पति/पत्नी | केशव कोठारी |
संतान | एक पुत्र और एक पुत्री |
कर्म भूमि | मुम्बई |
कर्म-क्षेत्र | संगीतकार (हिंदी सिनेमा) |
पुरस्कार-उपाधि | पद्मश्री (2003) |
नागरिकता | भारतीय |
बाहरी कड़ियाँ | आजकल रीता गांगुली कुछ ऐसे ग़रीब बच्चों को संगीत सिखा रही हैं, जिनके पास किसी उस्ताद के पास जाकर सीखने के साधन नहीं हैं। उनके द्वारा बच्चों को सीख कर ख़ुशी मिल रही है और उन्हें बच्चों को सिखा कर मज़ा आ रहा है। |
अद्यतन | 18:07, 21 जून 2017 (IST)
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रीता गांगुली को उनके योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा 2003 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इन दिनों वे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में माइम का हुनर सिखाने के साथ-ही-साथ आजकल ग़रीब बच्चों को भी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा देने में जुटी हुई हैं।
परिचय
रीता गांगुली का जन्म 1940 में लखनऊ के ब्राह्मण घराने में हुआ था। उनके पिता के. एल. गांगुली और माता: मीना है। रीता गांगुली का सुर से रिश्ता तो तभी जुड़ गया था, जब बचपन में उनकी माँ लोरी सुनाया करती थीं। उनके यहाँ किसी ने कभी भी गाना नहीं गाया था और ब्राह्मण घराने में पैदा होने के कारण घर के अलावा बाहर गाना गाने पर पाबंदी थी, हालाँकि उनके पिता गाने सुनने के शौकीन थे। रीता गांगुली के यहाँ बचपन में रसूलन बाई आती थीं, जो उनके पिता को भाई मानती थीं और इस तरह उन्हें बचपन में ही बहुतों को सुनने का मौक़ा मिला। रीता गांगुली का विवाह केशव कोठारी से हुआ। इनके एक पुत्र और एक पुत्री है।
- फ़िल्म के लिये गाना
रीता गांगुली पहले सिद्धेश्वरी देवी की शिष्या थीं, लेकिन बाद में वह बेगम अख़्तर की शिष्या बन गई। बेगम अख़्तर उन्हें उनकी क़ाबिलियत के मुताबिक़ संगीत सिखाती थीं। उन्होंने बेगम से शायरी का चयन और तर्ज़ देने का हुनर भी सीखा। रीता गांगुली को फ़िल्मी दुनिया में जाने की ख़्वाहिश कभी नहीं रहीं। उन्हें लगता है कि आज भी वह किसी मुक़ाम पर नहीं पहुँची हैं। यह महज़ इत्तेफ़ाक़ है कि उन्होंने जगमोहन मूदड़ा जी की फ़िल्म 'बवंडर' में 'केसारिया बालम' गाया, हालांकि राज कपूर ने फ़िल्म 'हिना' के लिए भी गाने को कहा था लेकिन वह 'हां' न कर सकी। 'परिणीता' में उन्हें इसलिए गाना पड़ा, क्योंकि शरतचंद और प्रदीप सरकार की वो भक्त है और प्रदीप सरकार आज के सत्यजीत राय हैं।[1]
रीता गांगुली के अनुसार- शम्भू महाराज जी लोगों को नाच कर रुलाते थे, सिद्धेश्वरी जी के क्या कहने, बेगम अख़्तर उस तरह से आज भी ज़िंदा हैं। आजकल रीता गांगुली कुछ ऐसे ग़रीब बच्चों को संगीत सिखा रही हैं जिनके पास किसी उस्ताद के पास जाकर सीखने के साधन नहीं हैं। उनके द्वारा बच्चों को सीख कर ख़ुशी मिल रही है और उन्हें बच्चों को सिखा कर मज़ा आ रहा है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 'जिसे सुनकर लोग रो पड़ें वो है संगीत' (हिंदी) www.bbc.com/hindi। अभिगमन तिथि: 20 जून, 2017।
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