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'''मायादेवी मंदिर''' लुम्बनी, [[नेपाल]] में स्थित है। यह प्राचीन [[बौद्ध]] मंदिर है। माना जाता है कि इसी स्थान पर [[मायादेवी|माता मायादेवी]] ने [[बुद्ध|भगवान बुद्ध]] को जन्म दिया था। लुम्बिनी स्थित चिरस्थायी मंदिर मायादेवी अर्थात् महामाया को समर्पित है। इसे 'प्रदिमोक्ष वन' भी कहा जाता है। गत कुछ सदियों से यह मंदिर उपेक्षित था। हाल ही में पुरातत्वविदों ने यहाँ खुदाई व प्राप्त ऐतिहासिक वस्तुओं का संरक्षण आरम्भ किया है।<br />
[[चित्र:Maya-Devi-Temple-Lumbini.jpg|thumb|300px|मायादेवी मंदिर, [[लुम्बिनी]]]]
'''मायादेवी मंदिर''' [[लुम्बिनी]], [[नेपाल]] में स्थित है। यह प्राचीन [[बौद्ध]] मंदिर है। माना जाता है कि इसी स्थान पर [[मायादेवी|माता मायादेवी]] ने [[बुद्ध|भगवान बुद्ध]] को जन्म दिया था। लुम्बिनी स्थित चिरस्थायी मंदिर मायादेवी अर्थात् महामाया को समर्पित है। इसे 'प्रदिमोक्ष वन' भी कहा जाता है। गत कुछ सदियों से यह मंदिर उपेक्षित था। हाल ही में पुरातत्वविदों ने यहाँ खुदाई व प्राप्त ऐतिहासिक वस्तुओं का संरक्षण आरम्भ किया है।<br />
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*कहा जाता है कि लुम्बिनी के एक तालाब के किनारे मायादेवी ने, अपने ऊपर पेड़ की एक शाखा को हाथ में लिए खड़ी अवस्था में ही [[बुद्ध]] को जन्म दिया था। तीनों लोकों के देव- [[ब्रह्मा]], [[विष्णु]] और [[महेश]] स्वयं बुद्ध को अपने हाथों में प्राप्त करने हेतु यहाँ पधारे थे। यह किवदंतियां कहतीं हैं कि जन्म के तुरंत पश्चात बुद्ध सात कदम चले थे। जहाँ उनके चरणों ने धरती को स्पर्श किया, वहां [[कमल]] के [[पुष्प]] खिल उठे थे। इसी घटना को बुद्ध की जीवन की पहली चमत्कारी घटना माना गया है।<ref>{{cite web |url=https://www.inditales.com/hindi/mayadevi-temple-buddha-birthplace-nepal/ |title=लुम्बिनी का माता मायादेवी मंदिर|accessmonthday=14 अक्टूबर|accessyear=2020 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=inditales.com |language=हिंदी}}</ref>
*कहा जाता है कि लुम्बिनी के एक तालाब के किनारे मायादेवी ने, अपने ऊपर पेड़ की एक शाखा को हाथ में लिए खड़ी अवस्था में ही [[बुद्ध]] को जन्म दिया था। तीनों लोकों के देव- [[ब्रह्मा]], [[विष्णु]] और [[महेश]] स्वयं बुद्ध को अपने हाथों में प्राप्त करने हेतु यहाँ पधारे थे। यह किवदंतियां कहतीं हैं कि जन्म के तुरंत पश्चात बुद्ध सात कदम चले थे। जहाँ उनके चरणों ने धरती को स्पर्श किया, वहां [[कमल]] के [[पुष्प]] खिल उठे थे। इसी घटना को बुद्ध की जीवन की पहली चमत्कारी घटना माना गया है।<ref>{{cite web |url=https://www.inditales.com/hindi/mayadevi-temple-buddha-birthplace-nepal/ |title=लुम्बिनी का माता मायादेवी मंदिर|accessmonthday=14 अक्टूबर|accessyear=2020 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=inditales.com |language=हिंदी}}</ref>

11:20, 14 अक्टूबर 2020 के समय का अवतरण

मायादेवी मंदिर, लुम्बिनी

मायादेवी मंदिर लुम्बिनी, नेपाल में स्थित है। यह प्राचीन बौद्ध मंदिर है। माना जाता है कि इसी स्थान पर माता मायादेवी ने भगवान बुद्ध को जन्म दिया था। लुम्बिनी स्थित चिरस्थायी मंदिर मायादेवी अर्थात् महामाया को समर्पित है। इसे 'प्रदिमोक्ष वन' भी कहा जाता है। गत कुछ सदियों से यह मंदिर उपेक्षित था। हाल ही में पुरातत्वविदों ने यहाँ खुदाई व प्राप्त ऐतिहासिक वस्तुओं का संरक्षण आरम्भ किया है।

  • कहा जाता है कि लुम्बिनी के एक तालाब के किनारे मायादेवी ने, अपने ऊपर पेड़ की एक शाखा को हाथ में लिए खड़ी अवस्था में ही बुद्ध को जन्म दिया था। तीनों लोकों के देव- ब्रह्मा, विष्णु और महेश स्वयं बुद्ध को अपने हाथों में प्राप्त करने हेतु यहाँ पधारे थे। यह किवदंतियां कहतीं हैं कि जन्म के तुरंत पश्चात बुद्ध सात कदम चले थे। जहाँ उनके चरणों ने धरती को स्पर्श किया, वहां कमल के पुष्प खिल उठे थे। इसी घटना को बुद्ध की जीवन की पहली चमत्कारी घटना माना गया है।[1]
  • बुद्ध जन्म का यह दृश्य कई बौद्धिक स्थलों में देखा जा सकता है। प्रायः मायादेवी के स्वप्न दृश्य के उपरांत इसे ही दूसरा मुख्य दृश्य बताया जाता है। इन दृश्यों में मायादेवी के साथ बुद्ध की दाई माँ प्रजापति गौतमी को भी दिखाया गया है।
  • लुम्बिनी स्थित चिरस्थायी मंदिर मायादेवी अर्थात् महामाया को समर्पित है। इसे प्रदिमोक्ष वन भी कहा जाता है। गत कुछ सदियों से यह मंदिर उपेक्षित था। हाल ही में पुरातत्वविदों ने यहाँ खुदाई व प्राप्त ऐतिहासिक वस्तुओं का संरक्षण आरम्भ किया है।
  • वर्तमान में मायादेवी मंदिर के नाम पर यहाँ एक बाड़ है जिसके भीतर किसी काल में स्थित प्राचीन मंदिर के अवशेष बचे हैं। कई चीनी बौद्ध विद्वान, जिन्होंने इस स्थल के दर्शन किये, अपने द्वारा लिखित साहित्यों में इन अवशेषों की पुष्टि करतें हैं। फ़ाह्यान व ह्वेनत्सांग दोनों ने अपने साहित्यों में इस मंदिर का उल्लेख किया है।
  • यह स्थल बुद्ध की जन्मभूमि है, इसका सर्वोत्तम पुरातत्व प्रमाण है यहाँ स्थित अशोक स्तम्भ और शिलालेख, जिस पर इस स्थल को राजकुमार सिद्धार्थ की जन्मभूमि दर्शाया गया है। इस अशोक स्तम्भ की स्थापना वर्ष 249 ईसा पूर्व में की गयी थी। हालांकि यह बुद्ध जन्म से 300-400 वर्ष बाद की घटना है, तथापि यह माना जा सकता है कि मौखिक परम्पराओं ने ही प्रमुख स्थलों को जीवित रखा है। डॉ. फूहर ने 1896 में अशोक स्तम्भ की खोज की थी। परन्तु ईसवी सन 1990 के प्रारम्भ में ही खुदाई के दौरान प्राप्त शिला अवशेष द्वारा यह पुष्टि हो पायी कि ठीक इसी स्थल पर बुद्ध का जन्म हुआ था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. लुम्बिनी का माता मायादेवी मंदिर (हिंदी) inditales.com। अभिगमन तिथि: 14 अक्टूबर, 2020।

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