"प्रमाणमंजरी": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==") |
शिल्पी गोयल (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''सर्वदेव रचित प्रमाणमंजरी''' | '''सर्वदेव रचित प्रमाणमंजरी''' | ||
*इस ग्रन्थ में द्रव्य, गुण, कर्म, सामान्य, विशेष, समवाय और अभाव का सात प्रकरणों में विश्लेषण किया गया है। | *इस ग्रन्थ में [[द्रव्य]], गुण, कर्म, सामान्य, विशेष, समवाय और अभाव का सात प्रकरणों में विश्लेषण किया गया है। | ||
*इस वैशेषिक ग्रन्थ में भाव और अभाव भेद से पदार्थों का विभाग किया गया है। | *इस वैशेषिक ग्रन्थ में भाव और अभाव भेद से [[पदार्थ|पदार्थों]] का विभाग किया गया है। | ||
*इसमें छ: हेत्वाभास और दो प्रमाण स्वीकार किए गए हैं। | *इसमें छ: हेत्वाभास और दो प्रमाण स्वीकार किए गए हैं। | ||
*अभाव के प्रकारों के निरूपण में इसमें निम्नलिखित रूप से एक नई पद्धति अपनाई गई है— | *अभाव के प्रकारों के निरूपण में इसमें निम्नलिखित रूप से एक नई पद्धति अपनाई गई है— | ||
{| class="bharatable" width="50%" | |||
{| | |+अभाव | ||
| | |||
|- | |- | ||
|जन्य:<br />(प्रध्वंस:) | |जन्य:<br />(प्रध्वंस:) | ||
|अजन्य: | |अजन्य: | ||
|- | |- | ||
|विनाशी <br />(प्रागभाव:) | |विनाशी <br />(प्रागभाव:) | ||
|अविनाशी | |अविनाशी | ||
|- | |- | ||
|समानाधकिरणानिषेध: | |समानाधकिरणानिषेध: | ||
<br />(इतरेतराभाव:) | <br />(इतरेतराभाव:) | ||
|असमानाधिकरणनिषेध: | |असमानाधिकरणनिषेध: | ||
<br />(अत्यन्ताभाव:) | <br />(अत्यन्ताभाव:) | ||
|} | |} | ||
*इसके रचयिता सर्वदेव का समय पन्द्रहवीं शती से पूर्व माना जाता है। | *इसके रचयिता सर्वदेव का समय पन्द्रहवीं शती से पूर्व माना जाता है। | ||
*प्रमाणमंजरी पर अद्वयारण्य, वामनभट्ट और बलभद्र द्वारा टीकाओं की रचना की गई है। | *प्रमाणमंजरी पर अद्वयारण्य, वामनभट्ट और बलभद्र द्वारा टीकाओं की रचना की गई है। | ||
*ये टीकाएँ राजस्थान पुरातन ग्रन्थामाला में प्रकाशित हुई हैं। | *ये टीकाएँ [[राजस्थान]] पुरातन ग्रन्थामाला में प्रकाशित हुई हैं। | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{वैशेषिक दर्शन2}} | {{वैशेषिक दर्शन2}} |
10:24, 19 जुलाई 2011 का अवतरण
सर्वदेव रचित प्रमाणमंजरी
- इस ग्रन्थ में द्रव्य, गुण, कर्म, सामान्य, विशेष, समवाय और अभाव का सात प्रकरणों में विश्लेषण किया गया है।
- इस वैशेषिक ग्रन्थ में भाव और अभाव भेद से पदार्थों का विभाग किया गया है।
- इसमें छ: हेत्वाभास और दो प्रमाण स्वीकार किए गए हैं।
- अभाव के प्रकारों के निरूपण में इसमें निम्नलिखित रूप से एक नई पद्धति अपनाई गई है—
जन्य: (प्रध्वंस:) |
अजन्य: |
विनाशी (प्रागभाव:) |
अविनाशी |
समानाधकिरणानिषेध:
|
असमानाधिकरणनिषेध:
|
- इसके रचयिता सर्वदेव का समय पन्द्रहवीं शती से पूर्व माना जाता है।
- प्रमाणमंजरी पर अद्वयारण्य, वामनभट्ट और बलभद्र द्वारा टीकाओं की रचना की गई है।
- ये टीकाएँ राजस्थान पुरातन ग्रन्थामाला में प्रकाशित हुई हैं।
संबंधित लेख