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13:54, 10 जनवरी 2011 का अवतरण

सिटी पैलेस, जयपुर
City Palace, Jaipur

सवाई जयसिंह ने जयपुर शहर की स्‍थापना करते हुये चार दीवारी का लगभग सातवां हिस्‍सा अपने निजी निवास के लिये बनवाया। राजपूत और मुग़ल स्‍थापत्‍य में बना महाराजा का यह राजकीय आवास चन्‍द्र महल के नाम से विख्‍यात हुआ। चन्‍द्र महल में प्रवेश करते ही मुबारक महल के नाम से एक चतुष्‍कोणीय महल बना हुआ है। इस महल में स्थित पोथीखाने में बहुमूल्‍य दुर्लभ हस्‍तलिखित ग्रन्‍थो की पाण्‍डुलिपियां सरंक्षित है। महल की उपरी मंजिल पर बने वस्‍त्रागार में संग्रहालय में राजकीय पोशाकें, अलंकरण, आभूषण आदि संग्रहित किये गये है। इसके समीप ही संग्रहालय का शस्‍त्रागार है जिसमें महाराजाओं द्वारा काम में लिये गये हथियार और शस्‍त्र प्रदर्शित किये गये है जिसमें शस्‍त्रागार में जयपुर के महाराजाओं को विभिन्‍न अवसरों पर पुरस्‍कार स्‍वरूप मिले शस्‍त्रों को भी प्रदर्शित किये गये हैं।

मुबारक महल में श्‍वेत संगमरमर से निर्मित राजेन्‍द्र पोल से दीवाने आम में प्रवेश किया जाता है। इस समय दीवाने आम में महारजा सवाई माधोसिंह द्वितीय द्वारा अपनी इंग्लैण्‍ड यात्रा के दौरान गंगाजल ले जाने के लिये दो विशाल रजत कलश रखे हुए हैं।

चन्‍द्र महल के संग्रहालय को दिये हिस्‍से में महाराजाओं के आदमक़द विशाल चित्र मानचित्र, गलीचे एवं बहुमूल्‍य राजकीय सामग्री के साथ ही अनेक दुर्लभ पाण्‍डुलिपियां भी प्रदर्शित की गयी है। परिसर में बने दीवाने ख़ास में तत्‍कालीन नरेशों और महत्‍वपूर्ण दरवाबारियों की विशेष बैठकें आयोजित की जाती थी।

चन्‍द्र महल महाराजाओं के सुख सुविधा की दृष्टि से स्‍थापत्‍य और वास्‍तुशिल्‍प का अनूठा नमूना है। मध्‍य युग में निर्मित यह भवन भूकम्‍प झटकों से सुरक्षित रखने के लिए तडित चालक की व्‍यवस्‍था से भी जुडा हुआ है।

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