"हनुमानगढ़ पर्यटन": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति") |
|||
पंक्ति 35: | पंक्ति 35: | ||
{{प्रचार}} | |||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार= | |आधार= |
13:57, 10 जनवरी 2011 का अवतरण
हनुमानगढ़, राजस्थान का एक आकर्षक पर्यटन स्थल है। यहाँ एक प्राचीन क़िला है, जिसका पुराना नाम भटनेर था। मंगलवार के दिन अधिकार होने के कारण इस क़िले में एक छोटा सा हनुमान जी का मंदिर बनवाया गया तथा उसी दिन से उसका नाम हनुमानगढ़ रखा गया। घग्घर के आस-पास का प्रदेश होने के कारण यह बीकानेर का संपन्न भाग था तथा यहाँ शिल्पकला एवं हस्तकला का काफ़ी विकास हुआ।
भटनेर क़िला
मुख्य लेख : भटनेर क़िला हनुमानगढ़
- भटनेर क़िला काफ़ी पुराना क़िला है।
- भटनेर क़िला घग्घर नदी के किनारे स्थित है।
संगारिया संग्रहालय
मुख्य लेख : संगारिया संग्रहालय हनुमानगढ़
- संगारिया संग्रहालय संगारिया से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- इस संग्रहालय में देश की विभिन्न जगहों से चिकनी मिट्टी, पत्थर और धातु की बनी मूर्तियाँ, पुराने सिक्के आदि को प्रदर्शित किया गया है।
सिल्ला माता मंदिर
मुख्य लेख : सिल्ला माता मंदिर हनुमानगढ़
- सिल्ला माता का मंदिर अठारहवीं शताब्दी में स्थापित है।
- सिल्ला माता का मंदिर साम्प्रदायिक सदभाव का सबसे अच्छा उदाहरण है।
गोगामेड़ी मंदिर
मुख्य लेख : गोगामेड़ी मंदिर हनुमानगढ़
- गोगामेड़ी मंदिर साम्प्रदायिक व राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है।
- इस मंदिर में प्रार्थना करने के लिए विभिन्न धर्मो के लोग देश-विदेश से आते हैं।
कालीबंगा
मुख्य लेख : कालीबंगा हनुमानगढ़
- कालीबंगा भारत की प्राचीनतम संस्कृति हड़प्पा संस्कृति का एक प्रमुख केंद्र था।
- यहाँ पर 5000 ईसा पूर्व कि सिन्धु घाटी सभ्यता का केंद्र है जहाँ एक संग्रहालय भी है।
कालीबंगा संग्रहालय
मुख्य लेख : कालीबंगा संग्रहालय हनुमानगढ़
- कालीबंगा संग्रहालय हनुमानगढ़ से लगभग बीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
अन्य स्थल
- गुरुद्वारा सुखासिंह महताबसिंह
- यहाँ पर दो भाई सुखासिंह व भाई महताबसिंह ने गुरुद्वारा हरिमंदर साहब पर अमृतसर में मस्सा रंघङ का सिर कलम कर बुडा जोहड़ लौटते समय इस स्थान पर रुक कर घोड़ों को पेड़ से बांध कर कुछ देर आराम किया था।
- कबूतर साहिब गुरुद्वारा
- खालसा पंथ के संस्थापक और दसवें सिक्ख गुरू श्री गुरु गोविंद सिंह इस जगह घूमने के लिए आए थे।
- इस गुरूद्वारे का निर्माण 1730 ई. में किया गया था।
|
|
|
|
|