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पिंडौली, ज़िला उदयपुर, राजस्थान में चित्तौड़ के निकट एक छोटा-सा ग्राम है। इस स्थान पर 1567 ई. में अकबर और मेवाड़ की सेनाओं में भयानक युद्ध हुआ था। अकबर के पास बन्दूकें थीं और राजपूत अब तक केवल धनुष-बाण तथा तलवार का प्रयोग ही जानते थे और इस कारण उनकी भारी क्षति हुई। युद्ध में बिदनोर के सरदार जयमल और कैलवाड़ा के समन्त पत्ता (प्रताप) ने बहुत वीरता दिखाई। पत्ता की आयु केवल सत्तरह वर्ष की थी। एक अन्य सरदार सतीदास भी बहुत बहादुरी से लड़ा। जयमल को अकबर ने रात के समय, जब वह मशाल की रोशनी में चित्तौड़ के क़िले की एक सेंघ भरवा रहा था, अपनी बन्दूक का निशाना बना दिया। वीर पत्ता भी युद्ध में वीरता के साथ लड़ता हुआ मारा गया। मुग़लों के तोपख़ाने ने राजपूत सेना का भयंकर संहार किया और लगभग तीस सहस्र राजपूत स्त्रियों ने क़िले के भीतर अग्नि-चिता में जलकर अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। इस समय चित्तौड़ में उदयसिंह का राज था, किन्तु पिंडौली के युद्ध के पूर्व ही वह जयमल को चित्तौड़ की रक्षा का भार सौंप कर राजधानी से बाहर चला गया था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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