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*थट्टा अपनी विशेष स्थिति के कारण अनाज, घोड़े,कपड़ा, रेशम आदि के लिए लेन-देन का केन्द्र था। | *थट्टा अपनी विशेष स्थिति के कारण अनाज, घोड़े, कपड़ा, रेशम आदि के लिए लेन-देन का केन्द्र था। | ||
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11:06, 20 फ़रवरी 2011 का अवतरण
- थट्टा वर्तमान पाकिस्तान के सिंध प्रदेश में सिंधु नदी के बीच स्थित एक टापू था।
- फ़िरोज तुग़लक़ ने सन 1362 ई. में बड़ी सेना की सहायता से थट्टा पर आक्रमण किया।
- उस समय थट्टा सिंध के अंतर्गत था और सिन्ध में राजा जाम बाबनिया का राज्य था।
- राजा जाम ने दृढ़तापूर्वक मुक़ाबला किया। फ़िरोज असफल रहा।
- सन 1363 ई.में फ़िरोज ने थट्टा पर फिर आक्रमण किया।
- इस बार जाम बाबनिया ने फ़िरोज के आधिपत्य को स्वीकार करके उसे वार्षिक कर देना स्वीकार कर लिया।
- थट्टा मध्यकाल में प्रमुख व्यवसायिक एवं व्यापारिक केन्द्र था।
- थट्टा अपनी विशेष स्थिति के कारण अनाज, घोड़े, कपड़ा, रेशम आदि के लिए लेन-देन का केन्द्र था।
- यह अरब एवं इराक से आने वाले व्यापारियों के लिए एक प्रमुख आकर्षण था।
- मिनहाज, इब्नबतूता आदि ने इस नगर का रोचक वर्णन किया है।
- इसके बड़े-बड़े बाज़ार, उद्यान व सरायें यात्रियों को हर प्रकार का आराम देते थे।
- यह नगर मुल्तान तथा अन्य नगरों से जलमार्ग के द्वारा जुड़ा हुआ था और यहाँ नौकाओं द्वारा व्यापार होता था।
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