"सतपुड़ा पर्वतश्रेणी": अवतरणों में अंतर

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*इस पर्वतश्रेणी की चोटियों की ऊंचाई 1,200 मीटर है और इनमें पश्चिम में राजपिपला पहाड़ियाँ, उत्तर में महादेव पहाड़ियाँ एवं पूर्व में मैकाल पहाड़ियाँ शामिल हैं।  
*इस पर्वतश्रेणी की चोटियों की ऊंचाई 1,200 मीटर है और इनमें पश्चिम में राजपिपला पहाड़ियाँ, उत्तर में महादेव पहाड़ियाँ एवं पूर्व में मैकाल पहाड़ियाँ शामिल हैं।  
*यद्यपि सतपुड़ा पर्वतश्रेणी आर्थिक रूप से कमज़ोर है, तथापि इसके दक्षिण-पूर्वी हिस्से में [[मैंगनीज़]] और [[कोयले]] के कुछ भंडार हैं। यह व्यापक रूप से वनाच्छादित है और देश के अन्य पठारों से अलग है, इसके जंगलों में पश्चिम में क़ीमती सागौन के पेड़ हैं।  
*यद्यपि सतपुड़ा पर्वतश्रेणी आर्थिक रूप से कमज़ोर है, तथापि इसके दक्षिण-पूर्वी हिस्से में [[मैंगनीज़]] और [[कोयले]] के कुछ भंडार हैं। यह व्यापक रूप से वनाच्छादित है और देश के अन्य पठारों से अलग है, इसके जंगलों में पश्चिम में क़ीमती सागौन के पेड़ हैं।  
*महादेव पहाड़ियों की ऊपरी वैनगंगा एवं पेंछ घाटियों में थोड़ी- बहुत खेती की जाती है और ऊपरी पहाड़ियों पर गोंड जनजाति के लोग झूम खेती करते हैं। मध्य प्रदेश में पचमढ़ी एक पर्यटक स्थल है और छिंदवाड़ा एक छोटा प्रशासनिक केंद्र है।  
*महादेव पहाड़ियों की ऊपरी वैनगंगा एवं पेंछ घाटियों में थोड़ी- बहुत खेती की जाती है और ऊपरी पहाड़ियों पर गोंड जनजाति के लोग झूम खेती करते हैं। मध्य प्रदेश में पचमढ़ी एक पर्यटक स्थल है और [[छिंदवाड़ा]] एक छोटा प्रशासनिक केंद्र है।  


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09:46, 5 मार्च 2011 का अवतरण

  • सतपुड़ा पर्वतश्रेणी पहाड़ियों की श्रृंखला है। यह दक्कन पठार का अंग है और पश्चिमी भारत में स्थित है।
  • मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों में 900 किमी तक प्रायद्वीपीय भारत के सबसे चौड़े क्षेत्र में फैला हिस्सा।
  • यह पर्वतश्रेणी, जिसके नाम का अर्थ सात वलय है, नर्मदा (उत्तर) और ताप्ती (दक्षिण) नदियों के बीच जल-विभाजक का काम करती है।
  • इस पर्वतश्रेणी की चोटियों की ऊंचाई 1,200 मीटर है और इनमें पश्चिम में राजपिपला पहाड़ियाँ, उत्तर में महादेव पहाड़ियाँ एवं पूर्व में मैकाल पहाड़ियाँ शामिल हैं।
  • यद्यपि सतपुड़ा पर्वतश्रेणी आर्थिक रूप से कमज़ोर है, तथापि इसके दक्षिण-पूर्वी हिस्से में मैंगनीज़ और कोयले के कुछ भंडार हैं। यह व्यापक रूप से वनाच्छादित है और देश के अन्य पठारों से अलग है, इसके जंगलों में पश्चिम में क़ीमती सागौन के पेड़ हैं।
  • महादेव पहाड़ियों की ऊपरी वैनगंगा एवं पेंछ घाटियों में थोड़ी- बहुत खेती की जाती है और ऊपरी पहाड़ियों पर गोंड जनजाति के लोग झूम खेती करते हैं। मध्य प्रदेश में पचमढ़ी एक पर्यटक स्थल है और छिंदवाड़ा एक छोटा प्रशासनिक केंद्र है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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