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कराची सिंध नदी के त्रिभुज पर स्थित अविभाजित भारत का तृतीय बंदरगाह तथा संप्रति पाकिस्तान के सिंध प्रांत की राजधानी और उस देश का प्रथम बंदरगाह है। यह बंदरगाह एक लंबी शैलभित्ति द्वारा अरब सागर की धाराओं तथा तीव्र पवनों से सुरक्षित है। कराची की जलवायु शुष्क है।

सन 1750 ई. के पूर्व इस स्थान पर किसी नगर के स्थापित होने के चिह्न नहीं मिलते। सिंध के प्राचीन बंदरगाह, शाह बंदर, के पट जाने के कारण इस स्थल पर स्थित एक गाँव के व्यापार को काफ़ी सहायता मिली। धीरे-धीरे यह नर के रूप में आया, जिसे तालपुर के मीरों ने अपने अधिकार में कर लिया। उन्होंने 'बंदरगाह' के मुख्य द्वार, मनोरा पर एक दुर्ग भी बनाया। सन 1843 ई. में जब अंग्रज़ों ने इस नगर पर आधिपत्य जमाया, इसकी जनसंख्या केवल 14,000 थी।

कराची आधुनिक युग का नगर है। सड़कें अपेक्षाकृत चौड़ी हैं, तथा इमारतों में नवीनता है। कुछ इमारते अच्छी हैं। कॉटन एक्सचेंज, एसेंबली हाउस, हवाई अड्डा आदि का निर्माण अर्वाचीन शैली पर हुआ है।

उद्योग और व्यापार

पंजाब के नहरी क्षेत्रों में गेहूँ के उत्पादन की वृद्धि से कराची से गेहूँ का निर्यात अधिक बढ़ गया। गेहूँ के अतिरिक्त तेलहन, रुई, ऊन, चमड़े तथा खाल, हड्डी आदि वस्तुएँ यहाँ से निर्यात की जाती हैं। आयात की वस्तुओं में मशीनें, मोटर गाड़ियाँ पेट्रोल, चीनी, लोहा तथा लोहे के समान मुख्य हैं।


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