"पन्ना मध्य प्रदेश": अवतरणों में अंतर
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*[[बहादुर शाह प्रथम|मुग़ल सम्राट बहादुरशाह]] ने 1708 ई.में छत्रसाल की सत्ता को मान लिया। | *[[बहादुर शाह प्रथम|मुग़ल सम्राट बहादुरशाह]] ने 1708 ई.में छत्रसाल की सत्ता को मान लिया। | ||
*पन्ना में स्थित ऐतिहासिक महत्त्व के भवनों में संगमरमर के गुंबद वाला स्वामी प्राणनाथ मंदिर (1795 ई.) और श्री बलदेवजी मंदिर शामिल हैं। | *पन्ना में स्थित ऐतिहासिक महत्त्व के भवनों में संगमरमर के गुंबद वाला स्वामी प्राणनाथ मंदिर (1795 ई.) और श्री बलदेवजी मंदिर शामिल हैं। | ||
*पन्ना में पद्मावती देवी का एक मंदिर है, जो उत्तर-पश्चिम में स्थित एक नाले के पास आज भी स्थित है। स्थानीय जनश्रुति है कि प्राचीन काल में पन्ना की बस्ती नाले के उस पार थी जहाँ राजगौंड और कोल लोगों का राज्य था। | *पन्ना में पद्मावती देवी का एक मंदिर है, जो उत्तर-पश्चिम में स्थित एक नाले के पास आज भी स्थित है। | ||
*स्थानीय जनश्रुति है कि प्राचीन काल में पन्ना की बस्ती नाले के उस पार थी जहाँ राजगौंड और कोल लोगों का राज्य था। | |||
*पन्ना से 2 मील उत्तर की ओर महाराज छत्रसाल का पुराना महल आज भी खण्डहर रूप में विद्यमान है। | *पन्ना से 2 मील उत्तर की ओर महाराज छत्रसाल का पुराना महल आज भी खण्डहर रूप में विद्यमान है। | ||
*पन्ना को अठारहवीं-उन्नीसवीं सदी में '''पर्णा''' भी कहते थे। यह नाम तत्कालीन राज्यपत्रों में उल्लिखित है। | *पन्ना को अठारहवीं-उन्नीसवीं सदी में '''पर्णा''' भी कहते थे। यह नाम तत्कालीन राज्यपत्रों में उल्लिखित है। | ||
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06:23, 6 जुलाई 2011 का अवतरण
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- पन्ना एक ऐतिहासिक नगर यह नगर भारत के राज्य मध्य प्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित है।
- बुंदेलखंड की रियासत के रूप में इस नगर को बुंदेला नरेश छत्रसाल ने औरंगजेब की मृत्यु (1707 ई.) के पश्चात् अपने राज्य की राजधानी बनाया।
- मुग़ल सम्राट बहादुरशाह ने 1708 ई.में छत्रसाल की सत्ता को मान लिया।
- पन्ना में स्थित ऐतिहासिक महत्त्व के भवनों में संगमरमर के गुंबद वाला स्वामी प्राणनाथ मंदिर (1795 ई.) और श्री बलदेवजी मंदिर शामिल हैं।
- पन्ना में पद्मावती देवी का एक मंदिर है, जो उत्तर-पश्चिम में स्थित एक नाले के पास आज भी स्थित है।
- स्थानीय जनश्रुति है कि प्राचीन काल में पन्ना की बस्ती नाले के उस पार थी जहाँ राजगौंड और कोल लोगों का राज्य था।
- पन्ना से 2 मील उत्तर की ओर महाराज छत्रसाल का पुराना महल आज भी खण्डहर रूप में विद्यमान है।
- पन्ना को अठारहवीं-उन्नीसवीं सदी में पर्णा भी कहते थे। यह नाम तत्कालीन राज्यपत्रों में उल्लिखित है।
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