"सदस्य:DrMKVaish": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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* दुख और वेदना के अथाह सागर वाले इस संसार में प्रेम की अत्यधिक आवश्यकता है। - डा रामकुमार वर्मा | * दुख और वेदना के अथाह सागर वाले इस संसार में प्रेम की अत्यधिक आवश्यकता है। - डा रामकुमार वर्मा | ||
* डूबते को बचाना ही अच्छे इंसान का कर्तव्य होता है। - डॉ.मनोज चतुर्वेदी | * डूबते को बचाना ही अच्छे इंसान का कर्तव्य होता है। - डॉ.मनोज चतुर्वेदी | ||
* जिसने अकेले रह कर अकेलेपन को जीता उसने सब कुछ जीता। -अज्ञात | * जिसने अकेले रह कर अकेलेपन को जीता उसने सब कुछ जीता। - अज्ञात | ||
* अच्छी योजना बनाना बुद्धिमानी का काम है पर उसको ठीक से पूरा करना धैर्य और परिश्रम का। - डॉ. तपेश चतुर्वेदी | * अच्छी योजना बनाना बुद्धिमानी का काम है पर उसको ठीक से पूरा करना धैर्य और परिश्रम का। - डॉ. तपेश चतुर्वेदी | ||
* ऐसे देश को छोड़ देना चाहिये जहां न आदर है, न जीविका, न मित्र, न परिवार और न ही ज्ञान की आशा। – विनोबा | * ऐसे देश को छोड़ देना चाहिये जहां न आदर है, न जीविका, न मित्र, न परिवार और न ही ज्ञान की आशा। – विनोबा | ||
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* सहिष्णुता और समझदारी संसदीय लोकतंत्र के लिये उतने ही आवश्यक है जितने संतुलन और मर्यादित चेतना। - डा शंकर दयाल शर्मा | * सहिष्णुता और समझदारी संसदीय लोकतंत्र के लिये उतने ही आवश्यक है जितने संतुलन और मर्यादित चेतना। - डा शंकर दयाल शर्मा | ||
* सारा जगत स्वतंत्रताके लिये लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को प्यार करता है। यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है। - श्री अरविंद | * सारा जगत स्वतंत्रताके लिये लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को प्यार करता है। यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है। - श्री अरविंद | ||
* सत्याग्रह की लड़ाई हमेशा दो प्रकार की होती है। एक जुल्मों के खिलाफ और दूसरी स्वयं की दुर्बलता के | * सत्याग्रह की लड़ाई हमेशा दो प्रकार की होती है। एक जुल्मों के खिलाफ और दूसरी स्वयं की दुर्बलता के विरूद्ध। - सरदार पटेल | ||
* तप ही परम कल्याण का साधन है। दूसरे सारे सुख तो अज्ञान मात्र हैं। - वाल्मीकि | * तप ही परम कल्याण का साधन है। दूसरे सारे सुख तो अज्ञान मात्र हैं। - वाल्मीकि | ||
* भूलना प्रायः प्राकृतिक है जबकि याद रखना प्रायः कृत्रिम है। - रत्वान रोमेन खिमेनेस | * भूलना प्रायः प्राकृतिक है जबकि याद रखना प्रायः कृत्रिम है। - रत्वान रोमेन खिमेनेस | ||
* हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु। - बेन्जामिन | * हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु। - बेन्जामिन | ||
* हम उन लोगों को प्रभावित करने के लिये महंगे ढंग से रहते हैं जो हम पर प्रभाव जमाने के लिये महंगे ढंग से रहते है। - अनोन | * हम उन लोगों को प्रभावित करने के लिये महंगे ढंग से रहते हैं जो हम पर प्रभाव जमाने के लिये महंगे ढंग से रहते है। - अनोन | ||
* कीरति भनिति भूति भलि सो, सुरसरि सम सबकँह हित | * कीरति भनिति भूति भलि सो, सुरसरि सम सबकँह हित होई॥ - तुलसीदास | ||
* स्पष्टीकरण से बचें। मित्रों को इसकी आवश्यकता नहीं; शत्रु इस पर विश्वास नहीं करेंगे। - अलबर्ट हबर्ड | * स्पष्टीकरण से बचें। मित्रों को इसकी आवश्यकता नहीं; शत्रु इस पर विश्वास नहीं करेंगे। - अलबर्ट हबर्ड | ||
* अपने उसूलों के लिये, मैं स्वंय मरने तक को भी तैयार हूँ, लेकिन किसी को मारने के लिये, बिल्कुल नहीं। - महात्मा गाँधी | * अपने उसूलों के लिये, मैं स्वंय मरने तक को भी तैयार हूँ, लेकिन किसी को मारने के लिये, बिल्कुल नहीं। - महात्मा गाँधी | ||
* विजयी व्यक्ति स्वभाव से, बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी बनाती है। - प्रेमचंद | * विजयी व्यक्ति स्वभाव से, बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी बनाती है। - प्रेमचंद | ||
* अतीत चाहे जैसा हो, उसकी स्मृतियाँ प्रायः सुखद होती हैं। - प्रेमचंद | * अतीत चाहे जैसा हो, उसकी स्मृतियाँ प्रायः सुखद होती हैं। - प्रेमचंद | ||
* अपनी आंखों को सितारों पर टिकाने से पहले अपने पैर जमीन में गड़ा लो| – थियोडॉर रूज़वेल्ट | * अपनी आंखों को सितारों पर टिकाने से पहले अपने पैर जमीन में गड़ा लो| – थियोडॉर रूज़वेल्ट | ||
* आमतौर पर आदमी उन चीजों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता है जिनका उससे कोई लेना देना नहीं होता| – जॉर्ज बर्नार्ड शॉ | * आमतौर पर आदमी उन चीजों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता है जिनका उससे कोई लेना देना नहीं होता| – जॉर्ज बर्नार्ड शॉ | ||
* स्वास्थ्य के संबंध में, पुस्तकों पर भरोसा न करें। छपाई की एक गलती जानलेवा भी हो सकती है। - मार्क ट्वेन | * स्वास्थ्य के संबंध में, पुस्तकों पर भरोसा न करें। छपाई की एक गलती जानलेवा भी हो सकती है। - मार्क ट्वेन | ||
* मानसिक बीमारियों से बचने का एक ही उपाय है कि हृदय को घृणा से और मन को भय व चिन्ता से मुक्त रखा जाय। - श्रीराम शर्मा , आचार्य | * मानसिक बीमारियों से बचने का एक ही उपाय है कि हृदय को घृणा से और मन को भय व चिन्ता से मुक्त रखा जाय। - श्रीराम शर्मा , आचार्य | ||
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* मुक्त बाजार में स्वतंत्र अभिव्यक्ति भी न्याय, मानवाधिकार, पेयजल तथा स्वच्छ हवा की तरह ही उपभोक्ता-सामग्री बन चुकी है।यह उन्हें ही हासिल हो पाती हैं, जो उन्हें खरीद पाते हैं। वे मुक्त अभिव्यक्ति का प्रयोग भी उस तरह का उत्पादन बनाने में करते हैं जो सर्वथा उनके अनुकूल होता है। - अरुंधती राय | * मुक्त बाजार में स्वतंत्र अभिव्यक्ति भी न्याय, मानवाधिकार, पेयजल तथा स्वच्छ हवा की तरह ही उपभोक्ता-सामग्री बन चुकी है।यह उन्हें ही हासिल हो पाती हैं, जो उन्हें खरीद पाते हैं। वे मुक्त अभिव्यक्ति का प्रयोग भी उस तरह का उत्पादन बनाने में करते हैं जो सर्वथा उनके अनुकूल होता है। - अरुंधती राय | ||
* अध्ययन हमें आनन्द तो प्रदान करता ही है, अलंकृत भी करता है और योग्य भी बनाता है, मस्तिष्क के लिये अध्ययन की उतनी ही आवश्यकता है जितनी शरीर के लिये व्यायाम की| - जोसेफ एडिशन | * अध्ययन हमें आनन्द तो प्रदान करता ही है, अलंकृत भी करता है और योग्य भी बनाता है, मस्तिष्क के लिये अध्ययन की उतनी ही आवश्यकता है जितनी शरीर के लिये व्यायाम की| - जोसेफ एडिशन | ||
* पढने से सस्ता कोई मनोरंजन नहीं; न ही कोई खुशी, उतनी स्थायी। - जोसेफ एडिशन | * पढने से सस्ता कोई मनोरंजन नहीं; न ही कोई खुशी, उतनी स्थायी। - जोसेफ एडिशन | ||
* सही किताब वह नहीं है जिसे हम पढ़ते हैं – सही किताब वह है जो हमें पढ़ता है| - डबल्यू एच ऑदेन | * सही किताब वह नहीं है जिसे हम पढ़ते हैं – सही किताब वह है जो हमें पढ़ता है| - डबल्यू एच ऑदेन | ||
* पुस्तक एक बग़ीचा है जिसे जेब में रखा जा सकता है, किताबों को नहीं पढ़ना किताबों को जलाने से बढ़कर अपराध है| – रे ब्रेडबरी | * पुस्तक एक बग़ीचा है जिसे जेब में रखा जा सकता है, किताबों को नहीं पढ़ना किताबों को जलाने से बढ़कर अपराध है| – रे ब्रेडबरी | ||
* पुस्तक प्रेमी सबसे धनवान व सुखी होता है, संपूर्ण रूप से त्रुटिहीन पुस्तक कभी पढ़ने लायक नहीं होती। - जॉर्ज बर्नार्ड शॉ | * पुस्तक प्रेमी सबसे धनवान व सुखी होता है, संपूर्ण रूप से त्रुटिहीन पुस्तक कभी पढ़ने लायक नहीं होती। - जॉर्ज बर्नार्ड शॉ | ||
* यदि किसी असाधारण प्रतिभा वाले आदमी से हमारा सामना हो तो हमें उससे पूछना चाहिये कि वो कौन सी पुस्तकें पढता है। | * यदि किसी असाधारण प्रतिभा वाले आदमी से हमारा सामना हो तो हमें उससे पूछना चाहिये कि वो कौन सी पुस्तकें पढता है। - एमर्शन | ||
* किताबें ऐसी शिक्षक हैं जो बिना कष्ट दिए, बिना आलोचना किए और बिना परीक्षा लिए हमें शिक्षा देती हैं। – अज्ञात | * किताबें ऐसी शिक्षक हैं जो बिना कष्ट दिए, बिना आलोचना किए और बिना परीक्षा लिए हमें शिक्षा देती हैं। – अज्ञात | ||
* चिड़ियों की तरह हवा में उड़ना और मछलियों की तरह पानी में तैरना सीखने के बाद अब हमें इन्सानों की तरह ज़मीन पर चलना सीखना है। - सर्वपल्ली राधाकृष्णन | * चिड़ियों की तरह हवा में उड़ना और मछलियों की तरह पानी में तैरना सीखने के बाद अब हमें इन्सानों की तरह ज़मीन पर चलना सीखना है। - सर्वपल्ली राधाकृष्णन | ||
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* सोचना, कहना व करना सदा समान हो, नेकी से विमुख हो जाना और बदी करना नि:संदेह बुरा है, मगर सामने हंस कर बोलना और पीछे चुगलखोरी करना उससे भी बुरा है। – संत तिस्र्वल्लुवर | * सोचना, कहना व करना सदा समान हो, नेकी से विमुख हो जाना और बदी करना नि:संदेह बुरा है, मगर सामने हंस कर बोलना और पीछे चुगलखोरी करना उससे भी बुरा है। – संत तिस्र्वल्लुवर | ||
* यदि आपको रास्ते का पता नहीं है, तो जरा धीरे चलें| महान ध्येय (लक्ष्य) महान मस्तिष्क की जननी है। - इमन्स | * यदि आपको रास्ते का पता नहीं है, तो जरा धीरे चलें| महान ध्येय (लक्ष्य) महान मस्तिष्क की जननी है। - इमन्स | ||
* जीवन में कोई चीज़ इतनी हानिकारक और ख़तरनाक नहीं जितना डांवांडोल स्थिति में रहना। | * जीवन में कोई चीज़ इतनी हानिकारक और ख़तरनाक नहीं जितना डांवांडोल स्थिति में रहना। - सुभाषचंद्र बोस! | ||
* जीवन का महत्व तभी है जब वह किसी महान ध्येय के लिये समर्पित हो। यह समर्पण ज्ञान और न्याययुक्त हो। – इंदिरा गांधी | * जीवन का महत्व तभी है जब वह किसी महान ध्येय के लिये समर्पित हो। यह समर्पण ज्ञान और न्याययुक्त हो। – इंदिरा गांधी | ||
* विफलता नहीं, बल्कि दोयम दर्जे का लक्ष्य एक अपराध है। - अज्ञात | * विफलता नहीं, बल्कि दोयम दर्जे का लक्ष्य एक अपराध है। - अज्ञात | ||
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* कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सदव्यवहार से होती है, हेकड़ी और स्र्आब दिखाने से नहीं। - प्रेमचंद | * कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सदव्यवहार से होती है, हेकड़ी और स्र्आब दिखाने से नहीं। - प्रेमचंद | ||
* आंख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती, काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता, मद के अंधे को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता। – चाणक्य | * आंख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती, काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता, मद के अंधे को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता। – चाणक्य | ||
* जहां प्रकाश रहता है वहां अंधकार कभी नहीं रह सकता। | * जहां प्रकाश रहता है वहां अंधकार कभी नहीं रह सकता। - माघ्र | ||
* जो दीपक को अपने पीछे रखते हैं वे अपने मार्ग में अपनी ही छाया डालते हैं। – रवीन्द्रनाथ ठाकुर | * जो दीपक को अपने पीछे रखते हैं वे अपने मार्ग में अपनी ही छाया डालते हैं। – रवीन्द्रनाथ ठाकुर | ||
* जहाँ अकारण अत्यन्त सत्कार हो, वहाँ परिणाम में दुख की आशंका करनी चाहिये। - कुमार सम्भव | * जहाँ अकारण अत्यन्त सत्कार हो, वहाँ परिणाम में दुख की आशंका करनी चाहिये। - कुमार सम्भव | ||
* विवेक जीवन का नमक है और कल्पना उसकी | * विवेक जीवन का नमक है और कल्पना उसकी मिठास। एक जीवन को सुरक्षित रखता है और दूसरा उसे मधुर बनाता है। – अज्ञात | ||
* मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह नहीं होता और जागते रहने से भय नहीं होता| – चाणक्य | * मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह नहीं होता और जागते रहने से भय नहीं होता| – चाणक्य | ||
* आपत्तियां मनुष्यता की कसौटी | * आपत्तियां मनुष्यता की कसौटी हैं। इन पर खरा उतरे बिना कोई भी व्यक्ति सफल नहीं हो सकता। – पंडित रामप्रताप त्रिपाठी | ||
* कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। जो साहस के साथ उनका सामना करते हैं, वे विजयी होते हैं। – लोकमान्य तिलक | * कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। जो साहस के साथ उनका सामना करते हैं, वे विजयी होते हैं। – लोकमान्य तिलक | ||
* प्रकृति, समय और धैर्य ये तीन हर दर्द की दवा हैं। - अज्ञात | * प्रकृति, समय और धैर्य ये तीन हर दर्द की दवा हैं। - अज्ञात | ||
* जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत रखना चाहिये| | * जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत रखना चाहिये| - वेदव्यास | ||
* जो अपने ऊपर विजय प्राप्त करता है वही सबसे बड़ा विजयी हैं। – गौतम बुद्ध | * जो अपने ऊपर विजय प्राप्त करता है वही सबसे बड़ा विजयी हैं। – गौतम बुद्ध | ||
* वही उन्नति करता है जो स्वयं अपने को उपदेश देता है। - स्वामी रामतीर्थ | * वही उन्नति करता है जो स्वयं अपने को उपदेश देता है। - स्वामी रामतीर्थ | ||
* अपने विषय में कुछ कहना प्राय:बहुत कठिन हो जाता है क्योंकि अपने दोष देखना आपको अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों को। – महादेवी वर्मा | * अपने विषय में कुछ कहना प्राय:बहुत कठिन हो जाता है क्योंकि अपने दोष देखना आपको अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों को। – महादेवी वर्मा | ||
* जैसे अंधे के लिये जगत अंधकारमय है और आंखों वाले के लिये प्रकाशमय है वैसे ही अज्ञानी के लिये जगत दुखदायक है और ज्ञानी के लिये आनंदमय| | * जैसे अंधे के लिये जगत अंधकारमय है और आंखों वाले के लिये प्रकाशमय है वैसे ही अज्ञानी के लिये जगत दुखदायक है और ज्ञानी के लिये आनंदमय| - सम्पूर्णानंद | ||
* बाधाएं व्यक्ति की परीक्षा होती हैं। उनसे उत्साह बढ़ना चाहिये, मंद नहीं पड़ना चाहिये। | * बाधाएं व्यक्ति की परीक्षा होती हैं। उनसे उत्साह बढ़ना चाहिये, मंद नहीं पड़ना चाहिये। - यशपाल | ||
* कष्ट ही तो वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढाती है। | * कष्ट ही तो वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढाती है। - वीर सावरकर | ||
* जिसके पास न विद्या है, न तप है, न दान है, न ज्ञान है, न शील है, न गुण है और न धर्म है; वे मृत्युलोक पृथ्वी पर भार होते है और मनुष्य रूप तो हैं पर पशु की तरह चरते हैं (जीवन व्यतीत करते हैं)। | * जिसके पास न विद्या है, न तप है, न दान है, न ज्ञान है, न शील है, न गुण है और न धर्म है; वे मृत्युलोक पृथ्वी पर भार होते है और मनुष्य रूप तो हैं पर पशु की तरह चरते हैं (जीवन व्यतीत करते हैं)। - भर्तृहरि | ||
* मनुष्य कुछ और नहीं, भटका हुआ देवता है। | * मनुष्य कुछ और नहीं, भटका हुआ देवता है। - श्रीराम शर्मा, आचार्य | ||
* मानव तभी तक श्रेष्ठ है, जब तक उसे मनुष्यत्व का दर्जा प्राप्त है। बतौर पशु, मानव किसी भी पशु से अधिक हीन है। | * मानव तभी तक श्रेष्ठ है, जब तक उसे मनुष्यत्व का दर्जा प्राप्त है। बतौर पशु, मानव किसी भी पशु से अधिक हीन है। - रवीन्द्र नाथ टैगोर | ||
* आदर्श के दीपक को, पीछे रखने वाले, अपनी ही छाया के कारण, अपने पथ को, अंधकारमय बना लेते हैं। | * आदर्श के दीपक को, पीछे रखने वाले, अपनी ही छाया के कारण, अपने पथ को, अंधकारमय बना लेते हैं। - रवीन्द्र नाथ टैगोर | ||
* क्लोज़-अप में जीवन एक त्रासदी (ट्रेजेडी) है, तो लंबे शॉट में प्रहसन (कॉमेडी)| – चार्ली चेपलिन | * क्लोज़-अप में जीवन एक त्रासदी (ट्रेजेडी) है, तो लंबे शॉट में प्रहसन (कॉमेडी)| – चार्ली चेपलिन | ||
* आपके जीवन की खुशी आपके विचारों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है| – मार्क ऑरेलियस अन्तोनियस | * आपके जीवन की खुशी आपके विचारों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है| – मार्क ऑरेलियस अन्तोनियस | ||
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* घमंड करना जाहिलों का काम है। - शेख सादी | * घमंड करना जाहिलों का काम है। - शेख सादी | ||
* तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हो, तुम सुन्दर चेहरा बनवा सकते हो, सुंदर आंखें सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो, तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा, क्रोध, ईर्ष्या, शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक सर्जन कुछ कर नहीं सकता। - ओशो | * तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हो, तुम सुन्दर चेहरा बनवा सकते हो, सुंदर आंखें सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो, तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा, क्रोध, ईर्ष्या, शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक सर्जन कुछ कर नहीं सकता। - ओशो | ||
* मछली एवं अतिथि, तीन दिनों के बाद दुर्गन्धजनक और अप्रिय लगने लगते हैं। | * मछली एवं अतिथि, तीन दिनों के बाद दुर्गन्धजनक और अप्रिय लगने लगते हैं। - बेंजामिन फ्रैंकलिन | ||
* जो पाप में पड़ता है, वह मनुष्य है, जो उसमें पड़ने पर दुखी होता है, वह साधु है और जो उस पर अभिमान करता है, वह शैतान होता है। - फुलर | * जो पाप में पड़ता है, वह मनुष्य है, जो उसमें पड़ने पर दुखी होता है, वह साधु है और जो उस पर अभिमान करता है, वह शैतान होता है। - फुलर | ||
* आंदोलन से विद्रोह नहीं पनपता बल्कि शांति कायम रहती है। - वेडेल फिलिप्स | * आंदोलन से विद्रोह नहीं पनपता बल्कि शांति कायम रहती है। - वेडेल फिलिप्स | ||
* ‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की। - स्वामी विवेकानंद | * ‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की। - स्वामी विवेकानंद | ||
* सत्य को कह देना ही मेरा मज़ाक करने का तरीका है। संसार में यह सब से विचित्र मज़ाक है। - जार्ज बर्नार्ड शॉ | * सत्य को कह देना ही मेरा मज़ाक करने का तरीका है। संसार में यह सब से विचित्र मज़ाक है। - जार्ज बर्नार्ड शॉ | ||
* सत्य बोलना श्रेष्ठ है ( लेकिन ) सत्य क्या है , यही जानाना कठिन | * सत्य बोलना श्रेष्ठ है (लेकिन) सत्य क्या है, यही जानाना कठिन है। जो प्राणिमात्र के लिये अत्यन्त हितकर हो, मै इसी को सत्य कहता हूँ। - वेद व्यास | ||
* सही या गलत कुछ भी नहीं है – यह तो सिर्फ सोच का खेल है, पूरी इमानदारी से जो व्यक्ति अपना जीविकोपार्जन करता है, उससे बढ़कर दूसरा कोई महात्मा नहीं है। - लिन यूतांग | * सही या गलत कुछ भी नहीं है – यह तो सिर्फ सोच का खेल है, पूरी इमानदारी से जो व्यक्ति अपना जीविकोपार्जन करता है, उससे बढ़कर दूसरा कोई महात्मा नहीं है। - लिन यूतांग | ||
* झूठ का कभी पीछा मत | * झूठ का कभी पीछा मत करो। उसे अकेला छोड़ दो। वह अपनी मौत खुद मर जायेगा। - लीमैन बीकर | ||
* धर्म का अर्थ तोड़ना नहीं बल्कि जोड़ना है। धर्म एक संयोजक तत्व है। धर्म लोगों को जोड़ता | * धर्म का अर्थ तोड़ना नहीं बल्कि जोड़ना है। धर्म एक संयोजक तत्व है। धर्म लोगों को जोड़ता है। - डा. शंकरदयाल शर्मा | ||
* धर्मरहित विज्ञान लंगडा है, और विज्ञान रहित धर्म | * धर्मरहित विज्ञान लंगडा है, और विज्ञान रहित धर्म अंधा। - आइन्स्टाइन | ||
* बीस वर्ष की आयु में व्यक्ति का जो चेहरा रहता है, वह प्रकृति की देन है, तीस वर्ष की आयु का चेहरा जिंदगी के उतार-चढ़ाव की देन है लेकिन पचास वर्ष की आयु का चेहरा व्यक्ति की अपनी कमाई | * बीस वर्ष की आयु में व्यक्ति का जो चेहरा रहता है, वह प्रकृति की देन है, तीस वर्ष की आयु का चेहरा जिंदगी के उतार-चढ़ाव की देन है लेकिन पचास वर्ष की आयु का चेहरा व्यक्ति की अपनी कमाई है। - अष्टावक्र | ||
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12:34, 13 अगस्त 2011 का अवतरण
मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं।
- महात्मा गांधी
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National Anthem =
मेरे पृष्ट पर आप का स्वागत है !
Hello.
माँ तुझे सलाम
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मेरा पसंदीदा चित्र संग्रह |
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मुझे हिन्दुस्तानी, हिन्दू और हिन्दी भाषी होने का गर्व है | |