"काग़ज़ पर उतर गई पीड़ा -दिनेश रघुवंशी": अवतरणों में अंतर
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<poem>पहले मन में पीड़ा जागी | <poem> | ||
पहले मन में पीड़ा जागी | |||
फिर भाव जगे मन-आँगन में | फिर भाव जगे मन-आँगन में | ||
जब आँगन छोटा लगा उसे | जब आँगन छोटा लगा उसे | ||
पंक्ति 33: | पंक्ति 34: | ||
जब बिना दोष उजियारों का | जब बिना दोष उजियारों का | ||
रिश्ता अँधियारों से जोड़ा | रिश्ता अँधियारों से जोड़ा | ||
जब क़समें | जब क़समें खाने वालों ने | ||
अपना बतलाने वालों ने | अपना बतलाने वालों ने | ||
दिल | दिल का दरपन पल-पल तोड़ा | ||
टूटे दिल को समझाने को | टूटे दिल को समझाने को | ||
पंक्ति 45: | पंक्ति 46: | ||
पहले अपने-से लगे मगर | पहले अपने-से लगे मगर | ||
फिर धीरे-धीरे पहचाने | फिर धीरे-धीरे पहचाने | ||
ये धन-वैभव, ये | ये धन-वैभव, ये कीर्ति-शिखर | ||
पहले अपने- से लगे मगर | पहले अपने - से लगे मगर | ||
फिर ये भी निकले बेगाने | फिर ये भी निकले बेगाने | ||
पंक्ति 58: | पंक्ति 59: | ||
बेगानों तक का प्यार मिला | बेगानों तक का प्यार मिला | ||
यूँ लगा कि ये संसार मिला | यूँ लगा कि ये संसार मिला | ||
जब | जब आँसू छ्लके आँखों से | ||
अपनों तक से प्रतिकार मिला | अपनों तक से प्रतिकार मिला | ||
चुप रहने का अधिकार मिला | चुप रहने का अधिकार मिला | ||
फिर ख़ुद में इक | फिर ख़ुद में इक विश्वास मिला | ||
कुछ होने का अहसास मिला | कुछ होने का अहसास मिला | ||
फिर एक खुला आकाश मिला | फिर एक खुला आकाश मिला |
12:49, 19 अगस्त 2011 का अवतरण
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पहले मन में पीड़ा जागी |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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