"सदस्य:DrMKVaish": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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| | | * जब तुम नही होगे, तब तुम पहली बार होगे। - आचार्य रजनीश | ||
* तुम मुझे खून दो, मै तुन्हे आजादी दूँगा। - नेता जी सुभाषचंद्र बोस | |||
* मै एक मजदूर हूँ। जिस दिन कुछ लिख न लूँ, उस दिन मुझे रोटी खाने का कोई हक नहीं। - प्रेमचंद | |||
* विश्व के सर्वोत्कॄष्ट कथनों और विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है। — मैथ्यू अर्नाल्ड | |||
* संसार रूपी कटु-वृक्ष के केवल दो फल ही अमृत के समान हैं; पहला, सुभाषितों का रसास्वाद और दूसरा, अच्छे लोगों की संगति। — चाणक्य | |||
* सही मायने में बुद्धिपूर्ण विचार हजारों दिमागों में आते रहे हैं। लेकिन उनको अपना बनाने के लिये हमको ही उन पर गहराई से तब तक विचार करना चाहिये जब तक कि वे हमारी अनुभूति में जड न जमा लें। — गोथे | |||
* किसी कम पढे व्यक्ति द्वारा सुभाषित पढना उत्तम होगा। — सर विंस्टन चर्चिल | |||
* बुद्धिमानो की बुद्धिमता और बरसों का अनुभव सुभाषितों में संग्रह किया जा सकता है। — आईजक दिसराली | |||
* विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है। — विल्ल डुरान्ट | |||
* कविता वह सुरंग है जिसमें से गुज़र कर मनुष्य एक विश्व को छोड़ कर दूसरे विश्व में प्रवेश करता है। – रामधारी सिंह दिनकर | |||
* कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अत: वह उसका दास भी है और स्वामी भी। – रवीन्द्रनाथ ठाकुर | |||
* कविता गाकर रिझाने के लिए नहीं समझ कर खो जाने के लिए है। — रामधारी सिंह दिनकर | |||
* निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल। बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटै न हिय को शूल॥ — भारतेन्दु हरिश्चन्द्र | |||
* सच्चे साहित्य का निर्माण एकांत चिंतन और एकान्त साधना में होता है| – अनंत गोपाल शेवड़े | |||
* जो कोई भी हों, सैकडो मित्र बनाने चाहिये। देखो, मित्र चूहे की सहायता से कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे। — पंचतंत्र | |||
* को लाभो गुणिसंगमः (लाभ क्या है? गुणियों का साथ) — भर्तृहरि | |||
* सत्संगतिः स्वर्गवास: (सत्संगति स्वर्ग में रहने के समान है) — पंचतंत्र | |||
* गगन चढहिं रज पवन प्रसंगा। (हवा का साथ पाकर धूल आकाश पर चढ जाता है) — गोस्वामी तुलसीदास | |||
* नहीं संगठित सज्जन लोग। रहे इसी से संकट भोग॥ — श्रीराम शर्मा, आचार्य | |||
* अच्छे मित्रों को पाना कठिन, वियोग कष्टकारी और भूलना असम्भव होता है। — रैन्डाल्फ | |||
* एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी दुखी होता है। – अज्ञात | |||
* बाँटो और राज करो , एक अच्छी कहावत है; (लेकिन) एक होकर आगे बढो, इससे भी अच्छी कहावत है। — गोथे | |||
* किसी की करुणा व पीड़ा को देख कर मोम की तरह दर्याद्र हो पिघलनेवाला ह्रदय तो रखो परंतु विपत्ति की आंच आने पर कष्टों-प्रतिकूलताओं के थपेड़े खाते रहने की स्थिति में चट्टान की तरह दृढ़ व ठोस भी बने रहो। - द्रोणाचार्य | |||
* यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं, मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते। - वल्लभभाई पटेल | |||
* किसी दूसरे को अपना स्वप्न बताने के लिए लोहे का ज़िगर चाहिए होता है| – एरमा बॉम्बेक | |||
* अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है। कायरों की नहीं। – जवाहरलाल नेहरू | |||
* वे ही विजयी हो सकते हैं जिनमें विश्वास है कि वे विजयी होंगे। – अज्ञात | |||
* भय से तब तक ही डरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो। आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर प्रहार करना चाहिये। — पंचतंत्र | |||
* ‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी मां के चरणों में डाल जाते हैं। - बर्ट्रेंड रसेल | |||
* डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है| – एमर्सन | |||
* अभय-दान सबसे बडा दान है। — विवेकानंद | |||
* भय से ही दुख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न होती हैं। — विवेकानंद | |||
* गलती करने में कोई गलती नहीं है। गलती करने से डरना सबसे बडी गलती है। — एल्बर्ट हब्बार्ड | |||
* अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है। इससे दूसरे शब्दों में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं। — अलेक्जेन्डर पोप | |||
* असफलता यह बताती है कि सफलता का प्रयत्न पूरे मन से नहीं किया गया। — श्रीरामशर्मा आचार्य | |||
* जीवन के आरम्भ में ही कुछ असफलताएँ मिल जाने का बहुत अधिक व्यावहारिक महत्व है। — हक्सले | |||
* जो कभी भी कहीं असफल नही हुआ वह आदमी महान नही हो सकता। — हर्मन मेलविल | |||
* असफलता आपको महान कार्यों के लिये तैयार करने की प्रकृति की योजना है। — नैपोलियन हिल | |||
* प्रत्येक व्यक्ति को सफलता प्रिय है लेकिन सफल व्यक्तियों से सभी लोग घृणा करते हैं। — जान मैकनरो | |||
* हार का स्वाद मालूम हो तो जीत हमेशा मीठी लगती है। — माल्कम फोर्बस | |||
* यहाँ दो तरह के लोग होते हैं - एक वो जो काम करते हैं और दूसरे वो जो सिर्फ क्रेडिट लेने की सोचते है। कोशिश करना कि तुम पहले समूह में रहो क्योंकि वहाँ कम्पटीशन कम है। — इंदिरा गांधी | |||
* मैं नही जानता कि सफलता की सीढी क्या है; पर असफला की सीढी है, हर किसी को प्रसन्न करने की चाह। — बिल कोस्बी | |||
* मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा। - पुरुषोत्तमदास टंडन | |||
* आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे प्रभावित होता है। — सेनेका | |||
* मेरी चापलूसी करो, और मैं आप पर भरोसा नहीं करुंगा. मेरी आलोचना करो, और मैं आपको पसंद नहीं करुंगा। मेरी उपेक्षा करो, और मैं आपको माफ़ नहीं करुंगा. मुझे प्रोत्साहित करो, और मैं कभी आपको नहीं भूलूंगा। – विलियम ऑर्थर वार्ड | |||
* दान , भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं। जो न देता है और न ही भोगता है, उसके धन की तृतीय गति (नाश) होती है। — भर्तृहरि | |||
* रुपए ने कहा, मेरी फिक्र न कर – पैसे की चिन्ता कर। – चेस्टर फ़ील्ड | |||
* गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं। — डेनियल | |||
* कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है| – चाणक्य | |||
* गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है। — महात्मा गाँधी | |||
* सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की प्रगति में कुछ योगदान दिया है। भले ही वह कितना कम, यहां तक कि बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो? - डा. राधाकृष्णन | |||
* जैसी जनता, वैसा राजा। प्रजातन्त्र का यही तकाजा॥ — श्रीराम शर्मा, आचार्य | |||
* अच्छी व्यवस्था ही सभी महान कार्यों की आधारशिला है। – एडमन्ड बुर्क | |||
* सभ्यता सुव्यस्था के जन्मती है, स्वतन्त्रता के साथ बडी होती है और अव्यवस्था के साथ मर जाती है। — विल डुरान्ट | |||
* अपने काम पर मै सदा समय से १५ मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे कामयाब व्यक्ति बना दिया है। – एनॉन | |||
* आशावादी को हर खतरे में अवसर दीखता है और निराशावादी को हर अवसर मे खतरा। — विन्स्टन चर्चिल | |||
* अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है। — अलबर्ट आइन्स्टाइन | |||
* खुदी को कर बुलन्द इतना, कि हर तकदीर के पहले। खुदा बंदे से खुद पूछे, बता तेरी रजा क्या है? — अकबर इलाहाबादी | |||
* मनुष्य अपनी दुर्बलता से भली-भांति परिचित रहता है, पर उसे अपने बल से भी अवगत होना चाहिये। — जयशंकर प्रसाद | |||
* यदि शांति पाना चाहते हो, तो लोकप्रियता से बचो। — अब्राहम लिंकन | |||
* आत्मविश्वास बढाने की यह रीति है कि वह का करो जिसको करते हुए डरते हो। — डेल कार्नेगी | |||
* मुस्कराओ, क्योकि हर किसी में आत्म्विश्वास की कमी होती है, और किसी दूसरी चीज की अपेक्षा मुस्कान उनको ज्यादा आश्वस्त करती है। – एन्ड्री मौरोइस | |||
* सही प्रश्न पूछना मेधावी बनने का मार्ग है। — स्टीनमेज | |||
* जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नही पूछता वह जीवन भर मूर्ख बना रहता है। – रुडयार्ड किपलिंग | |||
* पठन किसी को सम्पूर्ण आदमी बनाता है, वार्तालाप उसे एक तैयार आदमी बनाता है, लेकिन लेखन उसे एक अति शुद्ध आदमी बनाता है। — बेकन | |||
* मैं यह जानने के लिये लिखता हूँ कि मैं सोचता क्या हूँ। — ग्राफिटो | |||
* हमें वह परिवर्तन खुद बनना चाहिये जिसे हम संसार मे देखना चाहते हैं। — महात्मा गाँधी | |||
* दुःखी होने पर प्रायः लोग आंसू बहाने के अतिरिक्त कुछ नहीं करते लेकिन जब वे क्रोधित होते हैं तो परिवर्तन ला देते हैं। - माल्कम एक्स | |||
* नेतृत्व का रहस्य है, आगे-आगे सोचने की कला। — मैरी पार्कर फोलेट | |||
* हमारी शक्ति हमारे निर्णय करने की क्षमता में निहित है। — फुलर | |||
* ज्ञान की अपेक्षा अज्ञान ज्यादा आत्मविश्वास पैदा करता है। — चार्ल्स डार्विन | |||
* संसार मे समस्या यह है कि मूढ लोग अत्यन्त सन्देहरहित होते है और बुद्धिमान सन्देह से परिपूर्ण। — जार्ज बर्नार्ड शा | |||
* अपनी याददास्त के सहारे जीने के बजाय अपनी कल्पना के सहरे जिओ। — लेस ब्राउन | |||
* केवल वे ही असंभव कार्य को कर सकते हैं जो अदृष्य को भी देख लेते हैं। — श्रीराम शर्मा आचार्य | |||
* ज्ञान प्राप्ति का एक ही मार्ग है जिसका नाम है, एकाग्रता। शिक्षा का सार है, मन को एकाग्र करना, तथ्यों का संग्रह करना नहीं। — श्री माँ | |||
* एकाग्रता ही सभी नश्वर सिद्धियों का शाश्वत रहस्य है। — स्टीफन जेविग | |||
* तर्क, आप को किसी एक बिन्दु “क” से दूसरे बिन्दु “ख” तक पहुँचा सकते हैं। लेकिन, कल्पना, आप को सर्वत्र ले जा सकती है। — अलबर्ट आइन्सटीन | |||
* जो भारी कोलाहल में भी संगीत को सुन सकता है, वह महान उपलब्धि को प्राप्त करता है। – डा. विक्रम साराभाई | |||
* कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता ? - विवेकानंद | |||
* प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं। — इमर्सन | |||
* शारीरिक गुलामी से बौद्धिक गुलामी अधिक भयंकर है। — श्रीराम शर्मा, आचार्य | |||
* ग्रन्थ, पन्थ हो अथवा व्यक्ति, नहीं किसी की अंधी भक्ति। — श्रीराम शर्मा, आचार्य | |||
* सर्वोत्तम मानव मस्तिष्क की पहचान है, किन्हीं दो पूर्णतः विपरीत विचार धाराऒं को साथ-साथ ध्यान में रखते हुए भी स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता का होना। — स्काट फिट्जेराल्ड | |||
* आत्मदीपो भवः। (अपना दीपक स्वयं बनो ।) — गौतम बुद्ध | |||
* मौन निद्रा के सदृश है। यह ज्ञान में नयी स्फूर्ति पैदा करता है। — बेकन | |||
* मौनं सर्वार्थसाधनम्। — पंचतन्त्र (मौन सारे काम बना देता है) | |||
* आओं हम मौन रहें ताकि फ़रिस्तों की कानाफूसियाँ सुन सकें। — एमर्शन | |||
* मौन और एकान्त, आत्मा के सर्वोत्तम मित्र हैं। — बिनोवा भावे | |||
* मौन, क्रोध की सर्वोत्तम चिकित्सा है। — स्वामी विवेकानन्द | |||
* मनुष्य की वास्तविक पूँजी धन नहीं, विचार हैं। — श्रीराम शर्मा, आचार्य | |||
* मनःस्थिति बदले, तब परिस्थिति बदले। - पं श्री राम शर्मा आचार्य | |||
* ग़लतियाँ मत ढूंढो, उपाय ढूंढो | – हेनरी फ़ोर्ड | |||
* जब तक आप ढूंढते रहेंगे, समाधान मिलते रहेंगे| -– जॉन बेज | |||
* ज्ञानं भार: क्रियां बिना। आचरण के बिना ज्ञान केवल भार होता है। — हितोपदेश | |||
* कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन्। (कर्म करने में ही तुम्हारा अधिकार है, फल में कभी भी नहीं) — गीता | |||
* आरम्भ कर देना ही आगे निकल जाने का रहस्य है। - सैली बर्जर | |||
* जो कुछ आप कर सकते हैं या कर जाने की इच्छा रखते है उसे करना आरम्भ कर दीजिये। निर्भीकता के अन्दर मेधा (बुद्धि), शक्ति और जादू होते हैं। — गोथे | |||
* छोटा आरम्भ करो, शीघ्र आरम्भ करो। — रघुवंश महाकाव्यम् | |||
* शुभारम्भ, आधा खतम। - अज्ञात | |||
* हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है। — चीनी कहावत | |||
* सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रयोग है। जितने प्रयोग करोगे उतना ही अच्छा है। — इमर्सन | |||
* सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप चौबीस घण्टे मे कितने प्रयोग कर पाते है। — एडिशन | |||
* उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं। — जान फ़्लीचर | |||
* मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है। — लाक | |||
* ईश्वर से प्रार्थना करो, पर अपनी पतवार चलाते रहो । – वेदव्यास | |||
* अकर्मण्य मनुष्य श्रेष्ठ होते हुए भी पापी है। - ऐतरेय ब्राह्मण - ३३।३ | |||
* जब कोई व्यक्ति ठीक काम करता है, तो उसे पता तक नहीं चलता कि वह क्या कर रहा है पर गलत काम करते समय उसे हर क्षण यह ख्याल रहता है कि वह जो कर रहा है, वह गलत है। - गेटे | |||
* मनुष्य जितना ज्ञान में घुल गया हो उतना ही कर्म के रंग में रंग जाता है। –विनोबा | |||
* अंतर्दृष्टि के बिना ही काम करने से अधिक भयानक दूसरी चीज नहीं है। — थामस कार्लाइल | |||
* एक समय मे केवल एक काम करना बहुत सारे काम करने का सबसे सरल तरीका है। — सैमुएल स्माइल | |||
* संसार का सबसे बडा दिवालिया वह है जिसने उत्साह खो दिया। — श्रीराम शर्मा, आचार्य | |||
* मैं अपने ट्रेनिंग सत्र के प्रत्येक मिनट से घृणा करता था, परंतु मैं कहता था – “भागो मत, अभी तो भुगत लो, और फिर पूरी जिंदगी चैम्पियन की तरह जिओ” – मुहम्मद अली | |||
* कठिन परिश्रम से भविष्य सुधरता है। आलस्य से वर्तमान| – स्टीवन राइट | |||
* चींटी से परिश्रम करना सीखें| — अज्ञात | |||
* चींटी से अच्छा उपदेशक कोई और नहीं है। वह काम करते हुए खामोश रहती है। - बैंजामिन फ्रैंकलिन | |||
* सूरज और चांद को आप अपने जन्म के समय से ही देखते चले आ रहे हैं। फिर भी यह नहीं जान पाये कि काम कैसे करने चाहिए ? - रामतीर्थ | |||
* रचनात्मक कार्यों से देश समर्थ बनेगा। — श्रीराम शर्मा, आचार्य | |||
* जिसके पास बुद्धि है, बल उसी के पास है। (बुद्धिः यस्य बलं तस्य) — पंचतंत्र | |||
* ज्ञान प्राप्ति से अधिक महत्वपूर्ण है अलग तरह से बूझना या सोचना । – डेविड बोम (१९१७-१९९२) | |||
* खाली दिमाग को खुला दिमाग बना देना ही शिक्षा का उद्देश्य है। - फ़ोर्ब्स | |||
* अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि है। — आइन्स्टीन | |||
* शिक्षा और प्रशिक्षण का एकमात्र उद्देश्य समस्या-समाधान होना चाहिये। — जार्ज बर्नार्ड शा | |||
* दिमाग जब बडे-बडे विचार सोचने के अनुरूप बडा हो जाता है, तो पुनः अपने मूल आकार में नही लौटता। — अज्ञात | |||
* एकाग्र-चिन्तन वांछित फल देता है। - जिग जिग्लर | |||
* दिमाग पैराशूट के समान है, वह तभी कार्य करता है जब खुला हो। — जेम्स देवर | |||
* सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने कीकोशिश करनी चाहिये। — थामस ह. हक्सले | |||
* शिक्षा , राष्ट्र की सस्ती सुरक्षा है। — बर्क | |||
* अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बडा कदम है। — डिजरायली | |||
* ज्ञान एक खजाना है, लेकिन अभ्यास इसकी चाभी है। — थामस फुलर | |||
* प्रज्ञा-युग के चार आधार होंगे - समझदारी, इमानदारी, जिम्मेदारी और बहादुरी। — श्रीराम शर्मा, आचार्य | |||
* बच्चों को शिक्षा के साथ यह भी सिखाया जाना चाहिए कि वह मात्र एक व्यक्ति नहीं है, संपूर्ण राष्ट्र की थाती हैं। उससे कुछ भी गलत हो जाएगा तो उसकी और उसके परिवार की ही नहीं बल्कि पूरे समाज और पूरे देश की दुनिया में बदनामी होगी। बचपन से उसे यह सिखाने से उसके मन में यह भावना पैदा होगी कि वह कुछ ऐसा करे जिससे कि देश का नाम रोशन हो। योग-शिक्षा इस मार्ग पर बच्चे को ले जाने में सहायक है। - स्वामी रामदेव | |||
* जो जानता नही कि वह जानता नही,वह मुर्ख है - उसे दुर भगाओ। जो जानता है कि वह जानता नही, वह सीधा है - उसे सिखाओ। जो जानता नही कि वह जानता है, वह सोया है- उसे जगाओ। जो जानता है कि वह जानता है, वह सयाना है - उसे गुरू बनाओ। — अरबी कहावत | |||
* सबसे अधिक ज्ञानी वही है जो अपनी कमियों को समझकर उनका सुधार कर सकता हो। - अज्ञात | |||
* बुरे आदमी के साथ भी भलाई करनी चाहिए – कुत्ते को रोटी का एक टुकड़ा डालकर उसका मुंह बन्द करना ही अच्छा है| – शेख सादी | |||
* चापलूसी का ज़हरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुंचा सकता, जब तक कि आपके कान उसे अमृत समझकर पी न जाएं। - प्रेमचन्द | |||
* जिस प्रकार राख से सना हाथ जैसे-जैसे दर्पण पर घिसा जाता है, वैसे-वैसे उसके प्रतिबिंब को साफ करता है, उसी प्रकार दुष्ट जैसे-जैसे सज्जन का अनादर करता है, वैसे-वैसे वह उसकी कांति को बढ़ाता है। - वासवदत्ता | |||
* सांप के दांत में विष रहता है, मक्खी के सिर में और बिच्छू की पूंछ में किन्तु दुर्जन के पूरे शरीर में विष रहता है। – कबीर | |||
* विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान, सतत प्रसन्नता है। — मान्तेन | |||
* भविष्य के बारे में पूर्वकथन का सबसे अच्छा तरीका भविष्य का निर्माण करना है। — डा. शाकली | |||
* किसी भी व्यक्ति का अतीत जैसा भी हो, भविष्य सदैव बेदाग होता है। — जान राइस | |||
* अरूणोदय के पूर्व सदैव घनघोर अंधकार होता है। — मैथिलीशरण गुप्त | |||
* नर हो न निराश करो मन को। कुछ काम करो, कुछ काम करो। जग में रहकर कुछ नाम करो॥ — मैथिलीशरण गुप्त | |||
* निराशा सम्भव को असम्भव बना देती है। — प्रेमचन्द | |||
* खुदा एक दरवाजा बन्द करने से पहले दूसरा खोल देता है, उसे प्रयत्न कर देखो| – शेख सादी | |||
* निराशा मूर्खता का परिणाम है। - डिज़रायली | |||
* मनुष्य के लिए निराशा के समान दूसरा पाप नहीं है। इसलिए मनुष्य को पापरूपिणी निराशा को समूल हटाकर आशावादी बनना चाहिए। - हितोपदेश | |||
* दो आदमी एक ही वक्त जेल की सलाखों से बाहर देखते हैं, एक को कीचड़ दिखायी देता है और दूसरे को तारे । — फ्रेडरिक लेंगब्रीज | |||
* भारत हमारी संपूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की जननी है: भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है, अरबॊं के रास्ते हमारे अधिकांश गणित की जननी है, बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है, ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है। अनेक प्रकार से भारत माता हम सबकी माता है। — विल्ल डुरान्ट, अमरीकी इतिहासकार | |||
* हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती । — अलबर्ट आइन्स्टीन | |||
* भारत मानव जाति का पलना है, मानव-भाषा की जन्मस्थली है, इतिहास की जननी है, पौराणिक कथाओं की दादी है, और प्रथाओं की परदादी है। मानव इतिहास की हमारी सबसे कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री केवल भारत में ही संचित है। — मार्क ट्वेन | |||
* कम्प्यूटर को प्रोग्राम करने के लिये संस्कृत सबसे सुविधाजनक भाषा है। — फोर्ब्स पत्रिका (जुलाई, १९८७) | |||
* हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा जितना काम देगी, उससे बहुत अधिक काम देवनागरी लिपि दे सकती है। — आचार्य विनबा भावे | |||
* उर्दू लिखने के लिये देवनागरी अपनाने से उर्दू उत्कर्ष को प्राप्त होगी। — खुशवन्त सिंह | |||
* आत्महत्या, एक अस्थायी समस्या का स्थायी समाधान है। —अज्ञात | |||
* हमे सीमित मात्रा में निराशा को स्वीकार करना चाहिये, लेकिन असीमित आशा को नहीं छोडना चाहिये। — मार्टिन लुथर किंग | |||
* हँसते हुए जो समय आप व्यतीत करते हैं, वह ईश्वर के साथ व्यतीत किया समय है। —अज्ञात | |||
* सम्पूर्णता (परफ़ेक्शन) के नाम पर घबराइए नहीं| आप उसे कभी भी नहीं पा सकते| – सल्वाडोर डाली | |||
* जो मनुष्य अपने क्रोध को अपने वश में कर लेता है, वह दूसरों के क्रोध से (फलस्वरूप) स्वयमेव बच जाता है। – सुकरात | |||
* जो भी प्रतिभा आपके पास है उसका इस्तेमाल करें। जंगल में नीरवता होती यदि सबसे अच्छा गीत सुनाने वाली चिड़िया को ही चहचहाने की अनुमति होती। – हेनरी वान डायक | |||
* क्रोध सदैव मूर्खता से प्रारंभ होता है और पश्चाताप पर समाप्त। — अज्ञात | |||
* यदि आवश्यकता आविष्कार की जननी (माता) है, तो असन्तोष विकास का जनक (पिता) है। — अज्ञात | |||
* यदि असंतोष की भावना को लगन व धैर्य से रचनात्मक शक्ति में न बदला जाये तो वह खतरनाक भी हो सकती है। — इंदिरा गांधी | |||
* हे भगवान! मुझे धैर्य दो, और ये काम अभी करो। — अज्ञात | |||
* यदि बुद्धिमान हो, तो हँसो। — अज्ञात | |||
* जब तुम दु:खों का सामना करने से डर जाते हो और रोने लगते हो, तो मुसीबतों का ढेर लग जाता है। लेकिन जब तुम मुस्कराने लगते हो, तो मुसीबतें सिकुड़ जाती हैं। – सुधांशु महाराज | |||
* मुस्कान पाने वाला मालामाल हो जाता है पर देने वाला दरिद्र नहीं होता। — अज्ञात | |||
* धीरज प्रतिभा का आवश्यक अंग है। — डिजरायली | |||
* सुख में गर्व न करें, दुःख में धैर्य न छोड़ें। - पं श्री राम शर्मा आचार्य | |||
* सत्य को कह देना ही मेरा मजाक का तरीका है। संसार मे यह सबसे विचित्र मजाक है। – जार्ज बर्नाड शा | |||
* पुरुष से नारी अधिक बुद्धिमती होती है, क्योंकि वह जानती कम है पर समझती अधिक है। - अज्ञात | |||
* अच्छा ही होगा यदि आप हमेशा सत्य बोलें, सिवाय इसके कि तब जब आप उच्च कोटि के झूठे हों| – जेरोम के जेरोम | |||
* किसी व्यक्ति को एक मछली दे दो तो उसका पेट दिन भर के लिए भर जाएगा। उसे इंटरनेट चलाना सिखा दो तो वह हफ़्तों आपको परेशान नहीं करेगा। - एनन | |||
* यदि आप को 100 रूपए बैंक का ऋण चुकाना है तो यह आपका सिरदर्द है। और यदि आप को 10 करोड़ रुपए चुकाना है तो यह बैंक का सिरदर्द है। - पाल गेटी | |||
* विकल्पों की अनुपस्थिति मस्तिष्क को बड़ी राहत देती है| – हेनरी किसिंजर | |||
* उसी धर्म का अब उत्थान, जिसका सहयोगी विज्ञान॥ — श्रीराम शर्मा, आचार्य | |||
* धर्म , व्यक्ति एवं समाज, दोनों के लिये आवश्यक है। — डा॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन | |||
* धर्म का अर्थ तोड़ना नहीं बल्कि जोड़ना है। धर्म एक संयोजक तत्व है। धर्म लोगों को जोड़ता है। — डा. शंकरदयाल शर्मा | |||
* धर्मरहित विज्ञान लंगडा है, और विज्ञान रहित धर्म अंधा। — आइन्स्टाइन | |||
* जो प्राणिमात्र के लिये अत्यन्त हितकर हो, मै इसी को सत्य कहता हूँ। — वेद व्यास | |||
* झूट का कभी पीछा मत करो। उसे अकेला छोड़ दो। वह अपनी मौत खुद मर जायेगा। - लीमैन बीकर | |||
* ‘अहिंसा’ भय का नाम भी नहीं जानती। - महात्मा गांधी | |||
* कस्र्णा में शीतल अग्नि होती है जो क्रूर से क्रूर व्यक्ति का हृदय भी आर्द्र कर देती है। – सुदर्शन | |||
* जो पाप में पड़ता है, वह मनुष्य है, जो उसमें पड़ने पर दुखी होता है, वह साधु है और जो उस पर अभिमान करता है, वह शैतान होता है। - फुलर | |||
* घमंड करना जाहिलों का काम है। - शेख सादी | |||
* जिस तरह जौहरी ही असली हीरे की पहचान कर सकता है, उसी तरह गुणी ही गुणवान् की पहचान कर सकता है| – कबीर | |||
* गहरी नदी का जल प्रवाह शांत व गंभीर होता है| – शेक्सपीयर | |||
* संयम और श्रम मानव के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं। श्रम से भूख तेज होती है और संयम अतिभोग को रोकता है। — रूसो | |||
* नाव जल में रहे लेकिन जल नाव में नहीं रहना चाहिये, इसी प्रकार साधक जग में रहे लेकिन जग साधक के मन में नहीं रहना चाहिये। — रामकृष्ण परमहंस | |||
* महान कार्य महान त्याग से ही सम्पन्न होते हैं। — स्वामी विवेकानन्द | |||
* समाज के हित में अपना हित है। — श्रीराम शर्मा, आचार्य | |||
* जिस हरे-भरे वृक्ष की छाया का आश्रय लेकर रहा जाए, पहले उपकारों का ध्यान रखकर उसके एक पत्ते से भी द्रोह नहीं करना चाहिए। - महाभारत | |||
* नेकी कर और दरिया में डाल। - किस्सा हातिमताई | |||
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07:53, 25 सितम्बर 2011 का अवतरण
माँ तुझे सलाम
मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं।
- महात्मा गांधी
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