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'''रानी पद्मिनी का महल''' [[राजस्थान]] के [[चित्तौड़गढ़]] में स्थित है। | '''रानी पद्मिनी का महल''' [[राजस्थान]] के [[चित्तौड़गढ़]] में स्थित है। चौगान के निकट ही एक [[झील]] के किनारे रावल रत्नसिंह की [[रानी पद्मिनी]] के महल बने हुए हैं। | ||
*यह छोटा महल है जो पानी के बीचों-बीच में बना हुआ है, जो ज़नाना महल कहलाता है और किनारे के महल मरदाने महल कहलाते हैं। | |||
*यह छोटा महल है जो पानी के बीचों-बीच में बना हुआ है, जो | *मरदाना महल के एक कमरे में विशाल दर्पण इस तरह से लगाया है कि यहाँ से झील के मध्य बने ज़नाना महल की सीढ़ियों पर खड़े किसी भी व्यक्ति का स्पष्ट प्रतिबिंब दर्पण में नज़र आता है। | ||
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*संभवतः [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] ने यहीं खड़े होकर रानी पद्मिनी का प्रतिबिंब देखा था। | *संभवतः [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] ने यहीं खड़े होकर रानी पद्मिनी का प्रतिबिंब देखा था। | ||
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10:26, 14 नवम्बर 2011 का अवतरण
रानी पद्मिनी का महल राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित है। चौगान के निकट ही एक झील के किनारे रावल रत्नसिंह की रानी पद्मिनी के महल बने हुए हैं।
- यह छोटा महल है जो पानी के बीचों-बीच में बना हुआ है, जो ज़नाना महल कहलाता है और किनारे के महल मरदाने महल कहलाते हैं।
- मरदाना महल के एक कमरे में विशाल दर्पण इस तरह से लगाया है कि यहाँ से झील के मध्य बने ज़नाना महल की सीढ़ियों पर खड़े किसी भी व्यक्ति का स्पष्ट प्रतिबिंब दर्पण में नज़र आता है।
- संभवतः अलाउद्दीन ख़िलजी ने यहीं खड़े होकर रानी पद्मिनी का प्रतिबिंब देखा था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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