"इस तरह ढक्कन लगाया रात ने -माखन लाल चतुर्वेदी": अवतरणों में अंतर
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इस तरह ढक्कन लगाया रात ने | इस तरह ढक्कन लगाया रात ने, | ||
इस तरफ़ या उस तरफ़ कोई न झाँके। | इस तरफ़ या उस तरफ़ कोई न झाँके। | ||
बुझ गया सूर्य | बुझ गया सूर्य, | ||
बुझ गया चाँद, | बुझ गया चाँद, त्रस्त ओट लिये | ||
गगन भागता है तारों की मोट लिये! | गगन भागता है तारों की मोट लिये! | ||
आगे-पीछे,ऊपर-नीचे | आगे-पीछे, ऊपर-नीचे, | ||
अग-जग में तुम हुए अकेले | अग-जग में तुम हुए अकेले, | ||
छोड़ चली पहचान, पुष्पझर | छोड़ चली पहचान, पुष्पझर | ||
रहे गंधवाही अलबेले। | रहे गंधवाही अलबेले। | ||
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ये प्रकाश के मरण-चिन्ह तारे | ये प्रकाश के मरण-चिन्ह तारे | ||
इनमें कितना यौवन है? | इनमें कितना यौवन है? | ||
गिरि-कंदर पर, उजड़े घर पर | गिरि-कंदर पर, उजड़े घर पर, | ||
घूम रहे नि:शंक मगन हैं। | घूम रहे नि:शंक मगन हैं। | ||
घूम रही एकाकिनि वसुधा | घूम रही एकाकिनि वसुधा, | ||
जग पर एकाकी तम छाया | जग पर एकाकी तम छाया, | ||
कलियाँ किन्तु निहाल हो उठीं | कलियाँ किन्तु निहाल हो उठीं, | ||
तू उनमें चुप-चुप भर | तू उनमें चुप-चुप भर आया। | ||
मुँह धो-धोकर दूब बुलाती | मुँह धो-धोकर दूब बुलाती, | ||
चरणों में छूना उकसाती | चरणों में छूना उकसाती, | ||
साँस मनोहर आती-जाती | साँस मनोहर आती-जाती, | ||
मधु-संदेशे भर-भर लाती। | मधु-संदेशे भर-भर लाती। | ||
13:09, 15 दिसम्बर 2011 का अवतरण
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