"जवानी -माखन लाल चतुर्वेदी": अवतरणों में अंतर
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प्राण अन्तर में लिये, पागल जवानी ! | प्राण अन्तर में लिये, पागल जवानी! | ||
कौन कहता है कि तू | कौन कहता है कि तू | ||
विधवा हुई, खो आज पानी? | विधवा हुई, खो आज पानी? | ||
पंक्ति 39: | पंक्ति 39: | ||
चले नभ के सितारे, | चले नभ के सितारे, | ||
चल रहीं नदियाँ, | चल रहीं नदियाँ, | ||
चले हिम-खंड प्यारे; | चले हिम - खंड प्यारे; | ||
चल रही है साँस, | चल रही है साँस, | ||
फिर तू ठहर जाये? | फिर तू ठहर जाये? | ||
दो | दो सदी पीछे कि | ||
तेरी लहर जाये? | तेरी लहर जाये? | ||
पहन ले नर-मुंड-माला, | पहन ले नर - मुंड - माला, | ||
उठ, स्वमुंड | उठ, स्वमुंड सुमेव कर ले; | ||
भूमि-सा तू पहन बाना आज धानी | भूमि-सा तू पहन बाना आज धानी | ||
प्राण तेरे साथ हैं, उठ री जवानी! | प्राण तेरे साथ हैं, उठ री जवानी! | ||
पंक्ति 52: | पंक्ति 52: | ||
द्वार बलि का खोल | द्वार बलि का खोल | ||
चल, भूडोल कर दें, | चल, भूडोल कर दें, | ||
एक हिम-गिरि एक सिर | एक हिम - गिरि एक सिर | ||
का मोल कर दें | का मोल कर दें | ||
मसल कर, अपने | मसल कर, अपने | ||
पंक्ति 60: | पंक्ति 60: | ||
रक्त है? या है नसों में क्षुद्र पानी! | रक्त है? या है नसों में क्षुद्र पानी! | ||
जाँच कर, तू सीस दे-देकर जवानी? | जाँच कर, तू सीस दे - देकर जवानी? | ||
वह कली के गर्भ से, फल- | वह कली के गर्भ से, फल- | ||
पंक्ति 66: | पंक्ति 66: | ||
देख तो मीठा इरादा, किस | देख तो मीठा इरादा, किस | ||
तरह, सिर तान आया! | तरह, सिर तान आया! | ||
डालियों ने भूमि | डालियों ने भूमि पर लटका | ||
दिये फल, देख आली ! | दिये फल, देख आली ! | ||
मस्तकों को दे रही | मस्तकों को दे रही | ||
संकेत कैसे, वृक्ष-डाली ! | संकेत कैसे, वृक्ष-डाली! | ||
फल दिये? या सिर दिये? | फल दिये? या सिर दिये? उस की कहानी- | ||
गूँथकर युग में, बताती चल जवानी ! | गूँथकर युग में, बताती चल जवानी! | ||
श्वान के सिर हो- | श्वान के सिर हो- | ||
चरण तो चाटता है! | चरण तो चाटता है! | ||
भोंक ले-क्या सिंह | भोंक ले - क्या सिंह | ||
को वह डाँटता है? | को वह डाँटता है? | ||
रोटियाँ खायीं कि | रोटियाँ खायीं कि | ||
पंक्ति 83: | पंक्ति 83: | ||
वह जा चुका है। | वह जा चुका है। | ||
तुम न खोलो ग्राम-सिंहों मे भवानी ! | तुम न खोलो ग्राम - सिंहों मे भवानी! | ||
विश्व की अभिमन मस्तानी जवानी ! | विश्व की अभिमन मस्तानी जवानी! | ||
ये न मग हैं, तव | ये न मग हैं, तव | ||
पंक्ति 106: | पंक्ति 106: | ||
क्या मिला? जो प्रलय | क्या मिला? जो प्रलय | ||
के सपने न आये। | के सपने न आये। | ||
धरा?- यह तरबूज | धरा? - यह तरबूज | ||
है दो फाँक कर दे, | है दो फाँक कर दे, | ||
चढ़ा दे स्वातन्त्रय- | चढ़ा दे स्वातन्त्रय-प्रभु पर अमर पानी। | ||
विश्व माने-तू जवानी है, जवानी ! | विश्व माने - तू जवानी है, जवानी! | ||
लाल चेहरा है नहीं- | लाल चेहरा है नहीं- | ||
पंक्ति 117: | पंक्ति 117: | ||
अरे, कंकाल किसके? | अरे, कंकाल किसके? | ||
प्रेरणा सोयी कि | प्रेरणा सोयी कि | ||
आटा-दाल किसके? | आटा - दाल किसके? | ||
सिर न चढ़ पाया | सिर न चढ़ पाया | ||
कि छाया-माल किसके? | कि छाया - माल किसके? | ||
वेद की वाणी कि हो आकाश-वाणी, | वेद की वाणी कि हो आकाश-वाणी, | ||
पंक्ति 127: | पंक्ति 127: | ||
नहीं संकल्प का है; | नहीं संकल्प का है; | ||
हर प्रलय का कोण | हर प्रलय का कोण | ||
काया-कल्प का है; | काया - कल्प का है; | ||
फूल गिरते, शूल | फूल गिरते, शूल | ||
शिर ऊँचा लिये हैं; | शिर ऊँचा लिये हैं; |
13:45, 25 दिसम्बर 2011 का अवतरण
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प्राण अन्तर में लिये, पागल जवानी! |
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