"तुम्हारा चित्र -माखन लाल चतुर्वेदी": अवतरणों में अंतर
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तुम आए, बोले, तुम खेले | तुम आए, बोले, तुम खेले | ||
दिवस-रात्रि बांहों पर झेले | दिवस-रात्रि बांहों पर झेले | ||
साँसों में | साँसों में तूफ़ान सकेले | ||
जो ऊगा वह मित्र बन गया, | जो ऊगा वह मित्र बन गया, | ||
मधुर! तुम्हारा चित्र बन गया। | मधुर! तुम्हारा चित्र बन गया। |
07:54, 5 मार्च 2012 का अवतरण
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मधुर! तुम्हारा चित्र बन गया |
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