"नागभट्ट द्वितीय": अवतरणों में अंतर

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*'''नागभट्ट द्वितीय''' (795 से 833 ई.), [[वत्सराज]] का पुत्र एवं उसका उत्तराधिकारी था।
'''नागभट्ट द्वितीय''' (795 से 833 ई.), [[वत्सराज]] का पुत्र एवं उसका उत्तराधिकारी था।
*उसने [[गुर्जर प्रतिहार वंश]] की प्रतिष्ठा को बहुत आगे बढ़ाया।
*उसने [[गुर्जर प्रतिहार वंश]] की प्रतिष्ठा को बहुत आगे बढ़ाया।
*[[ग्वालियर]] अभिलेख के अनुसार उसने [[कन्नौज]] से चक्रायुध को भगाकर उसे अपनी राजधानी बनाया।
*[[ग्वालियर]] अभिलेख के अनुसार उसने [[कन्नौज]] से चक्रायुध को भगाकर उसे अपनी राजधानी बनाया।

07:27, 15 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण

नागभट्ट द्वितीय (795 से 833 ई.), वत्सराज का पुत्र एवं उसका उत्तराधिकारी था।

  • उसने गुर्जर प्रतिहार वंश की प्रतिष्ठा को बहुत आगे बढ़ाया।
  • ग्वालियर अभिलेख के अनुसार उसने कन्नौज से चक्रायुध को भगाकर उसे अपनी राजधानी बनाया।
  • नागभट्ट द्वितीय ने सम्राट की हैसियत से 'परभट्टारक', 'महाराजाधिराज' तथा 'परमेश्वर' आदि की उपाधियाँ धारण की थीं।
  • मुंगेर के नजदीक उसने पाल वंश के शासक धर्मपाल को पराजित किया था, परन्तु उसे राष्ट्रकूट नरेश गोविन्द तृतीय से हार खानी पड़ी।
  • ग्वालियर अभिलेखों में नागभट्ट द्वितीय को 'तुरुष्क', 'किरात', 'मत्स्य', 'वत्स' का विजेता कहा गया है।
  • चन्द्रप्रभास कृत 'प्रभावकचरित' से जानकारी मिलती है कि, नागभट्ट द्वितीय ने पवित्र गंगा नदी में जल समाधि के द्वारा अपना प्राण त्याग किया।
  • नागभट्ट द्वितीय के बाद कुछ समय (833 से 836 ई.) के लिए उसका पुत्र रामभद्र गद्दी पर बैठा।
  • रामभद्र को पाल वंश के शासक से हार का मुँह देखना पड़ा।


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